सूरह अन नस्र मदनी है, इस में 3 आयतें हैं। इस सूरह में नस शब्द आने के कारण इस सूरह का यह नाम रखा गया है। जिस का अर्थ सहायता है। यह सूरह पारा नंबर 30 मे है।
हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास (रज़ि०) का बयान है कि यह कुरान की अन्तिम सूरह है अर्थात इसके पश्चात कुछ आयतें तो अवतरित हुई, किन्तु कोई पूर्ण सूरह नबी (सल्ल0) पर अवतरति नहीं हुई। (हदीसः मुस्लिम, तबरानी)
सूरह अन नस्र हिन्दी में | Surah An-Nasr in Hindi
बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है।
इजा जा अ नसरुल लाहि वल फतह (हे नबी!) जब अल्लाह की सहायता एवं विजय आ जाये।
वर अयतन नास यद् खुलूना फ़ी दीनिल लाहि अफ्वाजा और तुम लोगों को अल्लाह के धर्म में दल के दल प्रवेश करते देखोगे।
फसब्बिह बिहम्दि रब्बिका वस्तग फिरहु इन्नहु कान तव्वाबा तो अपने पालनहार की प्रशंसा के साथ उसकी पवित्रता का वर्णन करो और उससे क्षमा माँगो, निःसंदेह वह बड़ा माफ़ करने वाला है।