76 सूरह दहर हिंदी में​

सूरह दहर को सूरह इन्सान के नाम से भी जाना जाता है। सूरह दहर का मतलब “जमाना” होता है। सूरह दहर कुरान के 29वें पारा में 76वीं सूरह है। यह मक्की सूरह है। सूरह दहर मे कुल 31 आयतें और कुल 2 रुकू है। 

सूरह दहर हिंदी में | Surah Al-Insan in Hindi

बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है।
  1. हल अता अलल इंसानी हिनुम मिनल दहरि लम यकुन शैअम मज़कूरा
    बेशक इन्सान पर एक ऐसा वक्त आ चुका है कि वह कोई चीज़ क़ाबिले ज़िक्र न था। (अर्थात उस का कोई अस्तित्व न था।)
  2. इन्ना खलक़नल इन्साना मिन नुत्फतिन अम्साज, नबतलीहि फजा अल्नाहु समीअम बसीरा
    हमने इन्सान को मिश्रित वीर्य से पैदा किया कि उसे आज़माये। तो हमने उसे सुनने और देखनेवाला बना दिया।
  3. इन्ना हदैनाहुस सबीला इम्मा शकिरौ व इम्मा कफूरा
    और उसको रास्ता भी दिखा दिया (अब वह) चाहे तो कृतज्ञ बने अथवा कृतघ्न।
  4. इन्ना अअ्तदना लिल काफिरीना सला सि ल् व अग्लालौं व सईरा
    हमने काफ़िरों के ज़ंजीरे, तौक और दहकती हुई आग तैयार कर रखी है। (तौक: लोहे का भारी घेरा जो कैदियों आदि को गले में पहनाया जाता है।)
  5. इन्नल अबरारा यशरबूना मिन कासिन काना मिजाजुहा काफूरा
    निश्चय सदाचारी (कृतज्ञ) ऐसे प्याले से पियेंगे जिसमें काफ़ूर मिश्रित होगा।
  6. अयैनअि यशरबु बिहा यिबादुल्लाहि यु फज्जिरू नहा तफ्जीरा
    ये एक चश्मा है जिसमें से अल्लाह के (ख़ास) बन्दे पियेंगे , और जहाँ चाहेंगे बहाकर ले जाएँगे।
  7. यूफूना बिन नज़रि व यखाफूना यौमन क न शर्रुहू मुस्तत्वीरा
    ये वह लोग हैं जो नज़र (मन्नत) पूरी करते हैं और उस दिन से जिनकी सख्ती हर तरह फैली होगी डरते हैं।
  8. व युत्इमूनत् त्वआ मा अला हुब्बिही मिस्कीनौं व यतीमौं व असीरा
    और उसकी मोहब्बत में मोहताज और अनाथ और कैदी को खाना खिलाते हैं।
  9. इन्नमा नुत्वअिमुकुम लि वज्हिल्लाही ला नुरीदु मिन्कुम जज़ाऔं वला शुकूरा
    (और कहते हैं कि) हम तो तुमको बस केवल अल्लाह के की प्रसन्नता के लिए खिलाते हैं, तुमसे नहीं चाहते हैं कोई बदला और न कोई कृतज्ञता।
  10. इन्ना नखाफु मिर्रब्बिना यौमन अबूसा क़म्तरीरा
    हमको तो अपने पालनहार से उस दिन का डर है जिसमें मुँह बन जाएँगे (और) चेहरे पर हवाइयाँ उड़ती होंगी।
  11. फ व क़ाहुमुल्लाहु शर्रा ज़ालिकल यौमि व लक्क़ाहुम नद् रतौं व सुरूरा
    तो अल्लाह उन्हें उस दिन की तकलीफ़ से बचा लेगा और उनको ताज़गी और ख़ुशी प्रदान करेगा।
  12. व जज़ाहुम बिमा स ब रू जन्नतौं व हरीरा
    और उनके धैर्य के बदले (जन्नत के) बाग़ और रेशमी वस्त्र अता फ़रमाएगा।
  13. मुत्तकिईना फीहा अलल अराइक, ला यरौना फीहा शम्सौं वला ज़म्हरीरा
    वहाँ वह तख्तों पर तकिए लगाए (बैठे) होंगे, न वहाँ (सूरज की) धूप देखेंगे और न सख़्त की सर्दी।
  14. व दानियतन अलैहिम ज़िलालुहा व जुल्लिलत क़ुतुफुहा तज़्लीला
    और घने दरख्तों के साए उन पर झुके हुए होंगे और मेवों के गुच्छे उनके बहुत क़रीब हर तरह उनके वश में।
  15. व युताफु अलैहिम बि आनियतिम् मिनफिज्ज़त्युं व अक्बाबिन कानत क़वारीरअ्
    और उनके सामने चाँदी के बरतन और शीशे के साफ़ गिलास का दौर चल रहा होगा।
  16. क़वारीरअ् मिन फिज्ज़तिन क़द्दरूहा तक़दीरा
    और शीशे भी (काँच के नहीं) चाँदी के जो ठीक अन्दाज़े के मुताबिक बनाए गए हैं।
  17. व युसक़ौना फीहा कासन काना मिजाजुहा ज़न्जबीला
    और वहाँ उन्हें ऐसी शराब पिलाई जाएगी जिसमें सोंठ की मिलावट होगी।
  18. अैनन फीहा तुसम्मा सल्सबीला
    ये बेहश्त में एक चश्मा है जिसका नाम सलसबील है।
  19. व यतूफु अलैहिम विल दानुम मुखल्लादून, इज़ा रअै’तहुम हसिब त हुम लूअ्लुअम मंसूरा
    और उनके सामने ये चीजें लेकर हमेशा किशोर रहने वाले नौजवाल लड़के चक्कर लगाते होंगे, कि जब तुम उनको देखो तो समझो कि बिखरे हुए मोती हैं।
  20. व इज़ा र’अै’त नईमौं व मुल्कन कबीरा
    और जब तुम वहाँ निगाह उठाओगे तो हर तरह की नेअमत और विशाल राज्य देखोगे।
  21. आलि’यहुम सियाबु सुन्दुसिन खुज्रौं व इस्तब्रक, व हुल्लुहू अ साबिरा मिन फिज्जह्, व सक़ाहुम रब्बुहुम शराबन तहूरा
    उनके ऊपर हरे रेशमी महीन वस्त्र होंगे, और उन्हें चाँदी के कंगन पहनाए जाएँगे, और उनका पालनहार उन्हें निहायत पवित्र पेय पिलाएगा।
  22. इन्ना हाज़ा काना लकुम जज़ाऔं व काना सअ्युकुम मश्कूरा
    ये यक़ीनी तुम्हारे लिए होगा और तुम्हारी (कारगुज़ारियों के) सिले में और तुम्हारी कोशिश क़ाबिले शुक्र गुज़ारी है।
  23. इन्ना नहनु नज्ज़लना अलैकल क़ुर’आना तंज़ी’ला
    (ऐ रसूल) हमने तुम पर क़ुरान को थोड़ा-थोड़ा करके उतारा है।
  24. फस्बिर लिहुक्मि रब्बिका वला तु’त्विअ् मिन्हुम आ सिमन औ कफूरा
    तो तुम अपने रब के हुक्म के इन्तज़ार में धैर्य से काम लो, और उन लोगों में से पापी और कृतघ्न का आज्ञापालन न करना।
  25. वज्कुरिस मा रब्बिका बुक् रतौं व असीला
    सुबह शाम अपने रब के नाम का स्मरण करो।
  26. व मिनल् लैलि फस्जुद लहू व सब्बिहु लैलन त्वीला
    और कुछ रात गए उसका सजदा करो और बड़ी रात तक उसकी पवित्रता का वर्णन करते रहो।
  27. इन्ना हाऊलाइ युहिब्बूनल आजिलता व य ज़रूना वरा अहुम यौमन सकीला
    वास्तव में, ये लोग मोह रखते हैं संसार से और छोड़ रहे हैं अपने पीछे एक भारी दिन (प्रलय का दिन) को।
  28. नह्नु ख़लक्नाहुम व शददना अस्राहुम, व इज़ा सिअ्ना बद्दलना अम्सालहुम तब्दीला
    हमने उनको पैदा किया और उनके जोड़-बंद को मज़बूत बनाया, और अगर हम चाहें तो उनके बदले उन्हीं के जैसे लोग ले आएँ।
  29. इन्ना हाजिही तज्किरह, फमन् शा’अत्तखज़ा इला रब्बिही सबीला
    बेशक ये कुरान सरासर नसीहत है, तो जो शख़्श चाहे अपने रब की राह ले।
  30. वमा तशाऊना इल्ला अइ’यशा अल्लाह, इन्नल्लाहा काना अलीमन हकीमा
    और जब तक अल्लाह को मंज़ूर न हो तुम लोग कुछ भी चाह नहीं सकते, निस्संदेह अल्लाह सर्वज्ञ, तत्वदर्शी है।
  31. युद्खिलू मइ्यशाउ फी रहमतिही, वज्जालिमीना अ अद्दा लहुम अज़ाबन अलीमा
    जिसको चाहे अपनी दयालुता में दाख़िल कर ले, और ज़ालिमों के वास्ते उसने दुखद यातना तैयार कर रखा है।

सूरह दहर वीडियो | Surah Al-Dahr Video​

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