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Toggleअसर की नमाज़ का तरीका | Asar Ki Namaz Ka Tarika
असर की नमाज़ का वक़्त ज़वाल का साया आने के वक़्त से शुरू होता है। यहाँ पर ज़ुहर के समय का अंत हो जाता है और उस के तुरंत बाद ही असर का वक़्त शुरू हो जाता है। असर का वक्त लगभग 4 बजे से शुरू हो जाता है।
असर की नमाज़ का आखिरी वक़्त सूरज के ढलने से पहले तक रहता है।
लेकिन सूरज ढलने से 20 मिनट पहले नमाज़ पढ़ना जायज़ नहीं है। आपको मगरिब की नमाज़ होने के आधे घंटा पहले असर की नमाज़ पढ़ लेना चाहिए।
असर की नमाज में 8 रकात होती है। जिनमें से 4 सुन्नत और 4 फ़र्ज़ होते हैं।
असर की नमाज़ | सुन्नत | फ़र्ज |
रकात | 4 | 4 |
असर की 4 सुन्नत नमाज़ का तरीका | Asar Ki 4 Sunnat Namaz Ka Tarika
पहली सुन्नत रकात | Pahli rakat Sunnat
1. सबसे पहले असर की नमाज़ की चार रकात सुन्नत की नियत करना है जो इस तरह है: – “नियत करता हूँ में चार रकअत नमाज़ सुन्नत, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त असर, मुँह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु-अकबर।”
2. फिर ‘अल्लाहु-अकबर’ कहकर हम हाथ बाँध लेंगे और सबसे पहले हम सना पढ़ेंगे।
3. सना पढ़ने के बाद अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम. बिस्मिल्लाही र्रहमानिर रहीम. पढ़ेंगे।
4. बिस्मिल्लाह पढ़ने के बाद सूरह फातिहा पढ़ेंगे और उसके बाद क़ुरान शरीफ की एक सूरत जो आपको याद हो वो पढ़ेंगे। जब सूरह पूरी हो जाएगी तब ‘अल्लाहु-अकबर’ की तकबीर कहते हुए रुकू में जायेंगे। उसके बाद रुकू में, अपने हाथों की उँगलियों को अपने दोनों घुटनों पर फैलाकर, घुटनों को मजबूत पकड़ लेंगे और इतना झुकेंगे कि सर और कमर बराबर हो जाये।
5. रुकू की हालत में ही अल्लाह की तस्बीह ‘सुबहान रब्बी अल अज़ीम’ 3 या 5 या 7 बार इत्मीनान के साथ पढ़ेंगे और ख्याल रखेंगे कि निगाहें पैरो के अंगूंठो पर रहे।
6. तस्बीह पूरी करने के बाद “समीअल्लाहु लिमन हमीदह” कहते हुए रुकू से खड़े हो जायेंगे और इसके बाद “रब्बना व लकल हम्द” कहेंगे फिर ‘अल्लाहु-अकबर’ कहते हुए सज्दे में जायेंगे।
7. सज्दे में फिर अल्लाह की तस्बीह “सुबहान रब्बी अल आला” 3 या 5 या 7 बार इत्मीनान के साथ पढ़ना है।
8. इसके बाद फिर ‘अल्लाहु-अकबर’ कहते हुए सजदे से उठकर सीधे बैठ जायेंगे।
9. फिर दोबारा ‘अल्लाहु अकबर’ कहकर सज्दे में जायेंगे
10. सज्दे में फिर से अल्लाह की वही तस्बीह “सुबहान रब्बी अल आला” 3 या 5 या 7 बार पढ़ेंगे।
इस तरह आपकी 1 रकअत पूरी हो जाएगी।
दूसरी सुन्नत रकात | Doosri rakat Sunnat
11. फिर अल्लाहु अकबर कहकर आप दूसरी रकात के लिए खड़े हो जाएंगे और अपने हाथ बांध लेंगे। फिर से अल्हम्दु शरीफ पढ़ेंगे और उसके बाद कुरआन की कोई भी सूरत पढ़ेंगे।
फिर से ‘अल्लाहु अकबर’ कहते हुए रुकू में जाएंगे। फिर “समीअल्लाहु लिमन हमीदह” कहते हुए रुकू से सीधे खड़े हो जायेंगे और इसके बाद “रब्बना व लकल हम्द” कहकर फिर ‘अल्लाहु-अकबर’ कहकर सज्दे में जायेंगे।
12. सज्दे में फिर से अल्लाह की तस्बीह ‘सुबहान रब्बी अल आला’ 3 या 5 या 7 बार पढ़ेंगे।
13. फिर ‘अल्लाहु-अकबर’ कहते सजदे से उठकर बैठ जायेंगे।
14. फिर दोबारा ‘अल्लाहु अकबर’ कहते हुए सज्दे में जायें।
15. सज्दे में फिर से अल्लाह की वही तस्बीह “सुबहान रब्बी अल आला” 3 या 5 या 7 बार पढ़ेंगे।
16. फिर ‘अल्लाहु अक्बर’ कहते हुए सीधे बैठ जायेंगे। अब बैठी हालत में ही आपको अत्तहियात पढ़ना है।
नोट: – अशहदु अल्ला {ला} पर सीधे हाथ की शहादत की ऊँगली को इस तरह ऊपर को उठाना है कि अंगूठा और बीच की सबसे बड़ी वाली उंगली के पेट दोनों आपस में मिले रहे और शहादत की ऊँगली ऊपर करना है।
17. अत्तहिय्यात पूरी होने के बाद तीसरी रकात के लिए खड़े हो जाएंगे।
नोट: – अगर अत्तहिय्यात के बाद दरूद शरीफ या दुआ पढ़ ली तो सजदा सहु करना होगा।
तीसरी सुन्नत रकात
चौथी सुन्नत रकात
19. चौथी रकात आपको दूसरी रकात के जैसे ही पढ़नी है मगर इस बार अत्तहिय्यात में बैठने के बाद खड़ा नहीं होना है।
इस बार अत्तहियात पढ़ने के बाद शहादत की ऊँगली ऊपर उठाने के बाद आपको दरूद शरीफ और दुआ ए मसुरा पढ़ना है और उसके बाद सलाम फेरेंगे।
इस तरह आपकी असर की 4 सुन्नत नमाज़ का तरीका पूरा हो गया।
असर की 4 रकात फ़र्ज़ नमाज़ का तरीका | Asar Ki 4 Rakat Farz Namaz Ka Tarika
पहली फ़र्ज़ रकात | Pahli rakat Farz
1. असर की नमाज़ की चार फ़र्ज़ नमाज़ की नियत: – “नियत की मैंने चार रकअत नमाज़ फ़र्ज़ की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त असर का, पीछे इस इमाम के, मुँह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु-अकबर।”
नोट: – अगर अकेले पढ़े या नमाज़ घर पर पढ़े तो इमाम के पीछे ना कहे और फ़र्ज़ की नियत करके जैसी सुन्नत नमाज़ पढ़ी थी वैसी ही फ़र्ज़ नमाज़ पढ़े।
यहाँ हम फ़र्ज़ नमाज़ जमात के साथ इमाम के पीछे पढ़ने का तरीका बता रहे है।
2. इमाम साहब जब ‘अल्लाहुअकबर’ कहके हाथ बांध ले तब हमें भी नियत करके हाथ बाँध लेना है।
3. हाथ बांध लेने के बाद आपको मन ही मन में सना पढ़नी है फिर बिस्मिल्लाह शरीफ पढ़कर चुप होकर खड़े रहना है निगाह सजदे की जगह रखनी हैं।
4. अब इमाम साहब सूरह फातिहा के बाद क़ुरान शरीफ की एक सूरत मन ही मन में पढ़ेंगे। हमें सिर्फ ख़ामोशी के साथ खड़े रहना फिर जैसे ही इमाम साहब ‘अल्लाहु अकबर’ कहके रुकू में जाए हम भी रुकू में चले जाएंगे।
5. फिर इमाम साहब “समीअल्लाहु लिमन हमीदह” कहते हुए रुकू से खड़े हो जाएंग, तो हमें भी “रब्बना व लकल हम्द” (मन में) कहते हुए खड़े हो जाना है।
6. फिर इमाम साहब ‘अल्लाहु अकबर’ कहते हुए सजदे में जाएंगे तो उनके पीछे पीछे हमें भी सजदे में जाना है। सजदे की तस्बीह पढ़े फिर ‘अल्लाहु अकबर’ कहके इमाम साहब बैठेंगे तो हमें भी बैठ जाना है।
7. एक बार फिर इमाम साहब ‘अल्लाहु अकबर’ कहते हुए सजदे में जाएंगे तो उनके पीछे पीछे हमें भी सजदे में जाना है और सजदे की तस्बीह पढ़ना है।
8. फिर इमाम साहब ‘अल्लाहु अकबर’ कहते हुए खड़े हो जाएंगे तो हमें भी खड़े हो जाना है।
इस तरह एक रकात पूरी हो जाएगी और इसी तरह हमें दूसरी रकात भी पूरी करना है।
दूसरी फ़र्ज़ रकात | Doosri rakat Farz
9. दो रकात नमाज़ पढ़ने के बाद तशहुद में सिर्फ अत्तहियात पढ़ेंगे और फिर इमाम साहब ‘अल्लाहु अकबर’ कहते हुए तीसरे रकात पढ़ने के लिए उठ कर खड़े हो जाएंगे, तो हमें भी खड़े हो जाना है।
तीसरी फ़र्ज़ रकात | Teesri rakat Farz
10. इमाम के पीछे तीसरी रकात में भी हमें खामोश रहना है, और जैसे-जैसे इमाम साहब पढ़ेंगे, वैसे ही उनके पीछे हमें नमाज़ पढ़नी है।
चौथी फ़र्ज़ रकात | Chauthi rakat Farz
11. रुकू के बाद दो सज्दे कर के चौथी रकात के लिए खड़े हो जायेगे। चौथी रकात भी वैसे ही पढ़ेंगे, जैसे की तीसरी रकात पढ़ी गई है। चौथी रकात पढ़ने के बाद तशहुद में बैठें।
12. तशहुद उसी तरह पढ़ेंगे जैसे उपर बताया गया है। और अत्ताहियात, दरूद और दुआ ए मसुरा पढ़ने के बाद इमाम साहब सलाम फेरेंगे तो हमें भी उनके बाद सलाम फेरना है।
इस तरह असर की चार फ़र्ज़ नमाज़ पूरी हो गई।
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