जोहर की नमाज़ का तरीका

जोहर की नमाज़ का तरीका | Johar Ki Namaz Ka Tarika

जोहर की नमाज़ में 12 रकात होती हैं। पहले 4 सुन्नत, उसके बाद 4 फ़र्ज़, फिर 2 सुन्नत और फ़िर 2 नफ़्ल

जोहर कि अजान आमतौर पर दोपहर 1 बजे से होने लगती है और ये लगभग 2 बजे से 2:30 तक होती है।

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यहाँ सुन्नत, फ़र्ज़ और नफ्ल पढ़ते वक़्त सिर्फ नियत बदलेगी, मगर नमाज़ पढ़ने का तरीका वही रहेगा।

जोहर की 4 रकात सुन्नत नमाज़ का तरीका | Johar Ki 4 Rakat Sunnat Namaz Ka Tarika

पहली सुन्नत रकात | Pahli rakat Sunnat

1. नमाजे जोहर (Zohar Ki Namaz) की चार रकात सुन्नत की नियत:  नियत को जुबान से बोलना जरूरी नहीं है। “नियत करता हूँ मैं, चार रकात नमाज़ सुन्नत, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त जोहर, मुँह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़।”

2. फिर इसके बाद ‘अल्लाहु-अकबर’ कहते हुए आप अपने हाथों को कानों तक उठा कर अपने पेट पर रख कर बांध लीजिए और फिर इसके बाद आप सना पढ़ेंगे।

3. इसके बाद अऊज़ुबिल्लाही मिनश शैतान निर्रजिम, बिस्मिल्लाही र्रहमानिर रहीम. पढ़ेंगे।

4. यह पढ़ने के बाद सूरह फातिहा पढ़ेंगे और सूरह फातिहा के बाद क़ुरान की एक सूरत जो याद हो वो पढ़ेंगे।

5. सूरह पढ़ कर “अल्लाहु-अकबर” (Takbeer) कहते हुए रुकू में जायेंगे। रुकू की हालत में ही रुकू की तस्बीह “सुबहान रब्बी अल अज़ीम” 3 या 5 या 7 बार आराम से पढ़ेंगे।

6. इसके बाद आपको ‘समीअल्लाहु लिमन हमीदह’ कहते हुए रुकू से खड़े हो जाना है। खड़े होने के बाद ‘रब्बना व लकल हम्द’ कहेंगे और फिर अल्लाहु-अकबर कहकर सज्दे में जायेंगे।

7. सज्दे में जाने के बाद आप ‘सुबहान रब्बी अल आला’ 3 या 5 या 7 बार आराम से पढ़ेंगे।

8. फिर अल्लाहु-अकबर कहते हुए सजदे से उठकर सीधे बैठ जायेंगे।

9. फिर दोबारा अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे में जायेंगे।

10. सज्दे में आप फिर से सुबहान रब्बी अल आला 3 या 5 या 7 बार पढ़ेंगे।

इस तरह आपकी 1 रकात पूरी हो जाएगी।

दूसरी सुन्नत रकात | Doosri rakat Sunnat

11. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए आप दूसरी रकात के लिए खड़े हो जाएंगे और अपने हाथ बांध लेंगे। फिर से आप अल्हम्दु शरीफ पढ़ेंगे उसके बाद कुरआन की एक सूरत जो आपको याद हो वो पढ़ेंगे।

फिर से ‘अल्लाहु अकबर’ कहते हुए रुकू में जाएंगे। फिर “समीअल्लाहु लिमन हमीदह” कहते हुए रुकू से खड़े हो जायेंगे। इसके बाद “रब्बना व लकल हम्द” कहेंगे, और फिर ‘अल्लाहु-अकबर’ कहते हुए सजदे में जायेंगे।

12. सजदे में फिर से अल्लाह की तस्बीह “सुबहान रब्बी अल आला” 3 या 5 या 7 बार पढ़ेंगे।

13. फिर ‘अल्लाहु-अकबर’ कहकर सजदे से उठकर बैठ जायेंगे और फिर दोबारा ‘अल्लाहु अकबर’ कहते हुए सजदे में जायेंगे।
सजदे में आप फिर से अल्लाह की तस्बीह “सुबहान रब्बी अल आला” 3 या 5 या 7 बार पढ़ेंगे।

14. फिर ‘अल्लाहु अकबर’ कहते हुए बैठ जायेंगे। (बैठने का तरीका पहली रकअत जैसा ही है।) अब बैठे हुए ही आप अत्तहियात पढ़ेंगे।

नोट: अत्तहियात में जब ‘अश्हदू अल्लाह इलाहा’ आयेगा तब आप अपनी शहादत की उंगली को सामने की तरफ़ कर के छोड़ देंगे।

तीसरी सुन्नत रकात

15. अत्तहियात पढ़ते ही आप तीसरी रकात के लिए खड़े हो जाएंगे।

नोट: अगर अत्तहिय्यात के बाद दरूद शरीफ या दुआ पढ़ ली तो सजदा सहु करना होगा।

16. तीसरी रकात भी आपको पहली रकात की तरह पढ़ना है।

चौथी सुन्नत रकात

तीसरी रकात के बाद चौथी रकात के लिए खड़े हो जाएँ।

17. चौथी रकत में भी आपको सबसे पहले बिस्मिल्लाह हिर्रहमा निर्रहीम पढ़ना है इसके बाद सूरह फातिहा यानि के अल्हम्दुलिल्लाह… पढ़ें इसके बाद क़ुरान शरीफ की कोई एक सूरह पढ़ें।

उसके बाद आप ‘अल्लाहु अकबर’ कहते हुए रुकू में जाएँ रुकू में जाने के बाद कम से कम तीन बार “सुब्हान रब्बिल अजीम” कहें।

फिर “समी अल्लाह हुलेमन हमीदा” कहते हुए खड़े हो जाएँ जब आप अच्छे से खड़े हो जाएँ तो एक बार “रब्बना लकल हम्द” भी कहें।

फिर आप ‘अल्लाहु अकबर’ कहते हुए सजदे के लिए जाएँ सजदे के दरमियान कम से कम आप तीन मर्तबा “सुब्हान रब्बि यल आला” कहें फिर आप ‘अल्लाहु अकबर’ कह कर अपने पंजो पर बैठ जाएँ जैसे नमाज़ में बैठते है।

18.
जब चार रकअत पूरी हो जाए तो फिर से अत्तहिय्यात, दरूदे इब्राहिम और दुआ ए मसुरा पढ़ेंगे और सलाम फेरेंगे। फिर सलाम में ‘अस्सलामो अलैकुम वरहमतुल्लाह’ पहले दाएं जानिब मुंह फेरे फिर ‘अस्सलामो अलैकुम वरहमतुल्लाह’ बाएं जानिब मुंह फेरें।

इस तरह आपकी जोहर की 4 रकात सुन्नत नमाज़ मुकम्मल हो जायेगी।

जोहर की 4 रकात फ़र्ज़ नमाज़ का तरीका | Johar Ki 4 Rakat Farj Namaz Ka Tarika

सुन्नत नमाज के बाद अब 4 रकात फर्ज पढ़ेंगे जैसे सुन्नत नमाज़ पढ़ी है उसी तरह फर्ज नमाज़ भी है लेकिन इसमे कुछ बाते ध्यान मे रखना जरूरी है।

जैसे 4 रकात फर्ज नमाज़ मे सिर्फ पहली दो रकात मे ही सूरह फातिहा के बाद कोई सूरह पढ़ी जाती है बाकी कि दो रकात मे सिर्फ सूरह फातिहा पढ़ कर रुकु मे जा सकते है, बाकी पूरी नमाज़ उसी तरह पढ़ी जाती है।

जोहर की नमाज की चार रकात फ़र्ज़ नमाज़ की नियत:
“नियत करता हूँ मैं चार रकात नमाज़ फ़र्ज़, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त जोहर, पीछे इस इमाम के, मुँह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु-अकबर”

नोट: अगर अकेले पढ़ें या नमाज़ घर पर पढ़ें, तो इमाम के पीछे ना कहें और फ़र्ज़ की नियत करके जैसी सुन्नत नमाज़ पढ़ी थी वैसी ही फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ें।

यहाँ नीचे हमने फ़र्ज़ नमाज़ जमात के साथ इमाम के पीछे पढ़ने का तरीका बताया है।

पहली फ़र्ज रकात

1. जब इमाम ‘अल्लाहु अकबर’ कहकर हाथ बांधेंगे, तब हमें भी नियत करके अपने हाथों को कानों तक उठा कर अपने पेट पर रख कर हाथ बाँध लेना है।

2.
हाथ बांध लेने के बाद आपको सिर्फ मन में सना पढ़नी है और फिर बिस्मिल्लाह पढ़कर चुप होकर खड़े रहना है और निगाहें सजदे की जगह रखनी हो।

3.
अब इमाम साहब मन में सूरह फातिहा पढेंगे और उसके बाद इमाम साहब क़ुरान शरीफ की कोई भी एक सूरत पढ़ेंगे। जिसकी आवाज़ हमें नहीं आएगी।

4. हमें सिर्फ चुपचाप खड़े रहना और जैसे ही इमाम साहब ‘अल्लाहु अकबर’ कह कर रुकू में जायेंगे, तब हम भी रुकू में चले जाएंगे।

रुकु मे आप अपने शरीर को आधा झुका लीजिए इस तरह कि आपकी पीठ सीधी हो इतनी कि अगर आपके पीठ पर एक ग्लास पानी रख दिया जाए तो वो गिरे नहीं।

फिर रुकु मे जाने के बाद आपको रुकु कि तसबिहात “सुबहाना रब्बीयल अज़ीम” पढ़नी है आप इसको 3, 5 या 7 बार पढ़ सकते है।

फिर इमाम साहब “समीअल्लाहु लिमन हमीदह” कहते हुए रुकू से खड़े हो जाएंगे, तब हमें भी “रब्बना व लकल हम्द” (मन में) कहते हुए खड़े हो जाना है।

5. उसके बाद इमाम साहब ‘अल्लाहु अकबर’ कहते हुए सजदे में जाएंगे, तो उनके पीछे-पीछे हमें भी सजदे में जाना है सजदा आपको इस तरह करना है कि, सजदे पर जाते वक्त आपका घुटना जमीन पर लगेगा फिर आप अपना हाथ जमीन पर रखिए और फिर आपकी नाक जमीन पर रखेगी और फिर आपका माथा लगेगा, ऐसे आपको सजदा करना है और आपको फिर सजदे मे ये तसबीह पढ़नी है – “सुबहाना रब्बिल अला” आपको इसको 3 बार या फिर इससे ज्यादा भी (5 या 7)आप पढ़ सकते है।

6. फिर ‘अल्लाहु अकबर’ कहकर इमाम साहब सजदे से उठकर बैठेंगे, तो हमें भी बेठ जाना है।

7.
दूसरी बार फिर इमाम साहब ‘अल्लाहु अकबर’ कहते हुए सजदे में जाएंगे, तो उनके पीछे-पीछे हमें भी सजदे में जाना है और सजदे की तस्बीह “सुबहाना रब्बिल अला” पढ़ना है।

8.
फिर इमाम साहब ‘अल्लाहु अकबर’ कहते हुए खड़े हो जाएंगे, तब हमें भी खड़े हो जाना है।

इस तरह एक रकात पूरी हो जाएगी और इसी तरह हमें दूसरी रकात भी पूरी करना है।

दूसरी फ़र्ज रकात

9. दूसरी रकात के आखिर में इमाम साहब तशहुद में बैठेंगे तो हमें भी तशहुद में बैठ जाना है और ख़ामोशी से अत्तहियात पढ़ना है।

अत्तहियात मे जब ये कहेंगे “अश्हदू अल्लाह इलाहा इल्लल्लाहु” तब आपको अपने सीधे हाथ कि पहली उंगली को उठाना है, (दोस्तों 4 रकात कि नमाज़ मे आपको दो बार अत्तहियात पढ़ना होता है)

दूसरी फ़र्ज रकात

10. फिर इमाम साहब ‘अल्लाहु अकबर’ कहकर तीसरी रकात पढ़ने के लिए उठ कर खड़े हो जाएंगे। तो हमें भी खड़े हो जाना है
फिर आप उसी तरह नमाज़ पढ़ेंगे जिस तरह पहली रकात पढ़ी थी लेकिन इसमे आप सिर्फ सूरह फातिहा पढ़ेंगे और रुकु मे चले जाएंगे।

11. रुकू के बाद दो सज्दे करके चौथी रकात के लिए खड़े हो जायेंगे।

चौथी फ़र्ज रकात

12. चौथी रकात बाकी की रकात की तरह पढ़ेंगे, लेकिन चौथी रकात पढ़ने के बाद इमाम साहब तशहुद में बैठेंगे, तो आप भी तशहुद में बैठ जाएँगे।

13. तशहुद उसी तरह पढ़ना है जैसा ऊपर सिखाया गया है और अत्तहियात, दुरूद शरीफ (इसे दुरूद इब्राहिमी भी कहते है) और दुआ ए मसुरा पढ़ने के बाद इमाम साहब सलाम फेरेंगे तो हमें भी उनके बाद सलाम फेरना है।

पहला सलाम फेरेंगे तो आप आपने दाए काँधे (Right Shoulder) पर देखते हुए कहेंगे ‘अस्सलमों अलैकम वरहमतुल्लाह’, फिर दूसरा सलाम फेरेंगे तो आप आपने बाए काँधे (Left Shoulder) पर देखते हुए कहेंगे ‘अस्सलमों अलैकम वरहमतुल्लाह’

इस तरह जोहर की चार फ़र्ज़ नमाज़ मुकम्मल हो गई।

किसी भी फर्ज नमाज़ के बाद आप नमाज़ के बाद कि दुआ भी पढ़ सकते है जो इस तरह है –
• अल्लाहुम्म अंतस्सलामु
• व मिनकस्सलामु
• व इलैक यरजिउस्सलामु
• हाय्यीन रब्बना बिस्सलामि
• व अदखिल ना दारस्सलामि
• तबा-रकत रब्बना
• व तआलय्-त या जल जलालि वाल इकरामिo

इसके बाद आप आयतुल कुर्सी पढ़ेंगे।

नोट: अगर अकेले नमाज़ पढ़ रहे हो तो पहली दो रकात में सूरह फातिहा के बाद कोई भी सूरह पढ़ेंगे जो भी याद हो, और बाद की दो रकात में सिर्फ सूरह फातिहा पढ़ेंगे।

जोहर की 2 रकात सुन्नत नमाज़ का तरीका | Johar Ki 2 Rakat Sunnat Namaz Ka Tarika

जोहर की दो रकात सुन्नत नमाज़ की नियत:
“नियत करता हूँ मैं दो रकात नमाज़ सुन्नत, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त जोहर, मुँह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु-अकबर।”

अल्लाहु-अकबर कहकर हम हाथ बाँध लेंगे। फिर सबसे पहले हम सना पढ़ेंगे।
इसके बाद अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम. बिस्मिल्लाही र्रहमानिर रहीम. पढ़ेंगे।

इस के बाद दोनों रकातों में सुरह फातिहा पढ़ेंगे और सुरह फातिहा के बाद क़ुरान शरीफ की कोई भी सूरत जो आपको याद हो वो पढ़ेंगे।

दूसरी रकात के तशहुद में अत्तहियात, दरूद और दुआ ए मसुरा पढ़ने के बाद सलाम फेरना है।
सलाम के अल्फ़ाज़ – अस्सलामो अलैकुम व रहमतुल्लाह
इस तरह आपकी जोहर की चार रकाअत मुकम्मल हो जायेगी।

जोहर की दो रकात नफ़्ल पढ़ने का तरीका | Johar Ki 2 Rakat Nafal Namaz Ka Tarika

जोहर की नमाज की दो रकात नफ़्ल की नियत:  “नियत की मैंने दो रकात नमाज़ नफ़्ल की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त जोहर का, मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु-अकबर”

अल्लाहु-अकबर कहकर हमें हाथ बाँध लेना है। फिर सबसे पहले हम सना पढ़ेंगे और जिस तरह जोहर की दो सुन्नत पढ़ी थी वैसे ही दो रकात नफ़्ल पूरी करेंगे।

और इस तरह जोहर की 12 रकात पूरी होगी।

नमाज़ का तरीका: फजरजोहर | असरमगरिबईशा

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नमाज़ का तरीक़ा
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