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ToggleNaat: Tamanna Muddaton Se Hai, Jamaal-e-Mustafa Dekhun
तमन्ना मुद्दतों से है, जमाल-ए-मुस्तफ़ा देखूँ
इमामुल-अम्बिया देखूँ, हबीब-ए-किब्रिया देखूँ
वो जिन के दम-क़दम से सुब्ह ने भी रौशनी पाई
मुनव्वर कर दिया जिस ने फ़ज़ा, वो रहनुमा देखूँ
तमन्ना मुद्दतों से है, जमाल-ए-मुस्तफ़ा देखूँ
इमामुल-अम्बिया देखूँ, हबीब-ए-किब्रिया देखूँ
वो जिन की बरकतों से अब्र-ए-बाराँ बरसे आ’लम में
तमन्ना क़ल्ब-ए-मुज़्तर की, वो दुर्र-ए-बे-बहा देखूँ
तमन्ना मुद्दतों से है, जमाल-ए-मुस्तफ़ा देखूँ
इमामुल-अम्बिया देखूँ, हबीब-ए-किब्रिया देखूँ
क़दम बाहर मदीने से, तसव्वुर में मदीना है
इलाही ! या इलाही ! अज़्मतों की इंतिहा देखूँ
तमन्ना मुद्दतों से है, जमाल-ए-मुस्तफ़ा देखूँ
इमामुल-अम्बिया देखूँ, हबीब-ए-किब्रिया देखूँ
ये दुनिया बे-सबात-ओ-बे-वफ़ा-ओ-ग़म का गहवारा
ये है मतलूब, दारे-बे-वफ़ाई में वफ़ा देखूँ
तमन्ना मुद्दतों से है, जमाल-ए-मुस्तफ़ा देखूँ
इमामुल-अम्बिया देखूँ, हबीब-ए-किब्रिया देखूँ
वो मब्दा ख़ल्क़-ए-आ’लम का, दुरूद उन पर, सलाम उन पर
मेरे मौला ! ये मौक़ा दे कि ख़तमुल-अम्बिया देखूँ
तमन्ना मुद्दतों से है, जमाल-ए-मुस्तफ़ा देखूँ
इमामुल-अम्बिया देखूँ, हबीब-ए-किब्रिया देखूँ
कभी हो हुस्न की महफ़िल, कभी हो शौक़ का मंज़र
कभी आँसू की ज़ंजीरों में आशिक़ की सदा देखूँ
तमन्ना मुद्दतों से है, जमाल-ए-मुस्तफ़ा देखूँ
इमामुल-अम्बिया देखूँ, हबीब-ए-किब्रिया देखूँ
रसूलुन-क़ासिमुल-ख़ैराति फ़ी-द्दुनिया व फ़ील-उ़क़्बा
शफ़ीअ’ कज-नफ़्स-ए-मा दर मा, नबी-ए-मुज़्तबा देखूँ
तमन्ना मुद्दतों से है, जमाल-ए-मुस्तफ़ा देखूँ
इमामुल-अम्बिया देखूँ, हबीब-ए-किब्रिया देखूँ
दर-ए-जन्नत पे हाज़िर हों रसूल-ए-पाक के हम-राह
शफ़ाअ’त का ये मंज़र, या ख़ुदा ! या मैं रज़ा देखूँ
तमन्ना मुद्दतों से है, जमाल-ए-मुस्तफ़ा देखूँ
इमामुल-अम्बिया देखूँ, हबीब-ए-किब्रिया देखूँ