सूरा अल-अलक़ इस्लाम के पवित्र ग्रन्थ कुरान का 96 वां सूरा है। इसमें 19 आयतें हैं। यह सूरह पारा नंबर 30 मे है। इस सूरह का नाम दूसरी आयत के “अलक़” (खून का लोथड़ा) शब्द से दिया गया है।
सूरह अल-अलक हिन्दी में | Surah Al Alaq in Hindi
बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है।
इक़रअ बिस्मि रब्बिकल लज़ी खलक अपने परवरदिगार के नाम से पढ़िए जिस ने (सब कुछ) पैदा किया है।
खलाक़ल इंसाना मिन अलक़ उस ने इंसान को ख़ून के एक लोथड़े से पैदा किया है।
इक़रअ व रब्बुकल अकरम पढ़िए, और आपका रब बड़ा ही उदार है।
अल्लज़ी अल्लमा बिल क़लम जिस ने क़लम के ज़रिये शिक्षा दी।
अल्लमल इंसान मालम यअ’लम इन्सान को वो सिखाया जो वो नहीं जानता था।
कल्ला इन्नल इंसाना लयत्गा सचमुच बेशक (काफिर) आदमी (आदमियत की) हद से निकल जाता है।
अर रआहुस तग्ना इसलिए कि उसने अपने आप को बेनियाज़ समझ लिया है।
इन्ना इला रब्बिकर रुज आ यक़ीनन सब को आप के परवरदिगार की तरफ ही लौट कर जाना है।
अरा अय्तल लज़ी यन्हा आप ने उस को देखा जो रोकता है।
अब्दन इज़ा सल्ला एक बन्दे को जब वो नमाज़ पढ़ता है।
अरा अयता इन काना अलल हुदा भला बताइए अगर वो हिदायत पर होता।
अव अमरा बित तक्वा या अल्लाह से डरने का आदेश देता हो?
अरा ऐता इन कज्ज़बा व तवल्ला भला बताइए अगर उसने झुटलाया और मुंह मोड़ा।
अलम यअलम बिअन्नल लाहा यरा क्या उस ने नहीं जाना कि अल्लाह उस को देख रहा है।
कल्ला लइल लम यन्तहि लनस फ़अम बिन नासियह निश्चय यदि वह नहीं रुकता, तो हम उसे माथे के बल घसेटेंगे।
नासियतिन काज़िबतिन खातिअह वो पेशानी जो झूटी है गुनाहगार है।
फ़ल यद्उ नादियह वो अपने हम नशीनों को भी बुला ले।
सनद उज़ ज़बानियह हम दोज़ख़ के फरिश्तों को बुला लेंगे।
कल्ला ला तुतिअहु वस्जुद वकतरिब *सज्दा* उस की बातों में मत आइये। और सजदे किये जाइए और करीब होते जाइए।