- फ़- लम्मा जन् – न अलैहिल्लैलु रआ कौ – कबन् का-ल हाज़ा रब्बी फ़ – लम्मा अ-फ़-ल का-ल ला उहिब्बुल आफ़िलीन
तो जब उन पर रात की तारीक़ी (अंधेरा) छा गयी तो एक सितारे को देखा तो दफअतन बोल उठे (हाए क्या) यही मेरा ख़ुदा है फिर जब वह डूब गया तो कहने लगे ग़़ुरुब (डूब) हो जाने वाली चीज़ को तो मै (ख़ुदा बनाना) पसन्द नहीं करता - फ़- लम्मा रअल् क-म-र बाज़िग़न् का- ल हाज़ा रब्बी फ़ – लम्मा अ-फ़-ल का-ल ल-इल्लम् यह़्दिनी रब्बी ल-अकूनन् – न मिनल् कौमिज्जाल्लीन
फिर जब चाँद को जगमगाता हुआ देखा तो बोल उठे (क्या) यही मेरा ख़ुदा है फिर जब वह भी ग़ुरुब हो गया तो कहने लगे कि अगर (कहीं) मेरा (असली) परवरदिगार मेरी हिदायत न करता तो मैं ज़रुर गुमराह लोगों में हो जाता - फ़- लम्मा रअश्शम् स बाज़ि-ग़तन् का- ल हाज़ा रब्बी हाज़ा अक्बरू फ़ – लम्मा अ – फ़लत् का – ल याक़ौमि इन्नी बरीउम् मिम्मा तुश्रिकून
फिर जब आफताब को दमकता हुआ देखा तो कहने लगे (क्या) यही मेरा ख़़ुदा है ये तो सबसे बड़ा (भी) है फिर जब ये भी ग़ुरुब हो गया तो कहने लगे ऐ मेरी क़ौम जिन जिन चीज़ों को तुम लोग (ख़ुदा का) शरीक बनाते हो उनसे मैं बेज़ार हूँ - इन्नी वज्जह्तु वज्हि-य लिल्लज़ी फ़-तरस्समावाति वल्अर् – ज़ हनीफंव् व मा अ-न मिनल्-मुश्रिकीन
(ये हरगिज़ नहीं हो सकते) मैने तो बातिल से कतराकर उसकी तरफ से मुँह कर लिया है जिसने बहुतेरे आसमान और ज़मीन पैदा किए और मैं मुशरेकीन से नहीं हूँ - व हाज्जहू कौमुहू, का – ल अतुहाज्जून्नी फ़िल्लाहि व कद् हदानि, व ला अख़ाफु मा तुश्रिकू-न बिही इल्ला अंय्यशा-अ रब्बी शैअन्, वसि – अ रब्बी कुल – ल शैइन् अिल्मन्, अ-फ़ ला त-तज़क्करून
और उनकी क़ौम के लोग उनसे हुज्जत करने लगे तो इब्राहीम ने कहा था क्या तुम मुझसे ख़़ुदा के बारे में हुज्जत करते हो हालाँकि वह यक़ीनी मेरी हिदायत कर चुका और तुम मे जिन बुतों को उसका शरीक मानते हो मै उनसे डरता (वरता) नहीं (वह मेरा कुछ नहीं कर सकते) मगर हाॅ मेरा ख़ुदा खुद (करना) चाहे तो अलबत्ता कर सकता है मेरा परवरदिगार तो बाएतबार इल्म के सब पर हावी है तो क्या उस पर भी तुम नसीहत नहीं मानते - व कै-फ़ अख़ाफु मा अश्रक्तुम् व ला तख़ाफू – न अन्नकुम् अश्रक़्तुम् बिल्लाहि मा लम् युनज्जिल बिही अलैकुम् सुल्तानन्, फ़ अय्युल फ़रीकैनि अहक़्कु बिल् – अम्नि इन् कुन्तुम् तअ्लमून •
और जिन्हें तुम ख़़ुदा का शरीक बताते हो मै उन से क्यों डरुँ जब तुम इस बात से नहीं डरते कि तुमने ख़ुदा का शरीक ऐसी चीज़ों को बनाया है जिनकी ख़़ुदा ने कोई सनद तुम पर नहीं नाजि़ल की फिर अगर तुम जानते हो तो (भला बताओ तो सही कि) हम दोनों फरीक़ (गिरोह) में अमन क़ायम रखने का ज़्यादा हक़दार कौन है - अल्लज़ी-न आमनू व लम् यल्बिसू ईमानहुम् बिजुल्मिन् उलाइ -क लहुमुल् – अम्नु व हुम् मुह्तदून *
जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अपने ईमान को ज़ुल्म (शिर्क) से आलूदा नहीं किया उन्हीं लोगों के लिए अमन (व इतमिनान) है और यही लोग हिदायत याफ़ता हैं - व तिल – क हुज्जतुना आतैनाहा इब्राही-म अला कौमिही, नरफ़अु द- रजातिम् मन् – नशा उ, इन्- न रब्ब – क हकीमुन् अलीम
और ये हमारी (समझाई बुझाई) दलीलें हैं जो हमने इब्राहीम को अपनी क़ौम पर (ग़ालिब आने के लिए) अता की थी हम जिसके मरतबे चाहते हैं बुलन्द करते हैं बेशक तुम्हारा परवरदिगार हिक़मत वाला बाख़बर है - व वहब्ना लहू इस्हा-क व यअ्कू – ब कुल्लन् हदैनो व नूहन् हदैना मिन् कब्लु व मिन् जुर्रिय्यतिही दावू – द व सुलैमा-न व अय्यू -ब व यूसु-फ़ व मूसा व हारू-न, व कज़ालि-क नजज़िल मुह़्सिनीन
और हमने इब्राहीम को इसहाक़ वा याक़ूब (सा बेटा पोता) अता किया हमने सबकी हिदायत की और उनसे पहले नूह को (भी) हम ही ने हिदायत की और उन्हीं (इब्राहीम) को औलाद से दाऊद व सुलेमान व अय्यूब व यूसुफ व मूसा व हारुन (सब की हमने हिदायत की) और नेकों कारों को हम ऐसा ही इल्म अता फरमाते हैं - वज़ – करिय्या व यह्या व ईसा व इल्या – स कुल्लुम् मिनस्सालिहीन
और ज़करिया व यहया व ईसा व इलियास (सब की हिदायत की (और ये) सब (ख़ुदा के) नेक बन्दों से हैं - व इस्माई-ल वल्य-स-अ व यूनु-स व लूतन्, व कुल्लन् फज़्ज़ल्ना अलल् आलमीन
और इसमाइल व इलियास व युनूस व लूत (की भी हिदायत की) और सब को सारे जहाँन पर फज़ीलत अता की - व मिन् आबाइहिम् व जुर्रिय्यातिहिम् व इख़्वानिहिम् वज्तबैनाहुम् व हदैनाहुम् इला सिरातिम् मुस्तकीम
और (सिर्फ उन्हीं को नहीं बल्कि) उनके बाप दादाओं और उनकी औलाद और उनके भाई बन्दों में से (बहुतेरों को) और उनके मुन्तख़ब किया और उन्हें सीधी राह की हिदायत की (88) - ज़ालि -क हुदल्लाहि यह़्दी बिही मंय्यशा-उ मिन् अिबादिही, व लौ अश्रकू ल-हबि-त अन्हुम् मा कानू यअ्मलून
(देखो) ये ख़ुदा की हिदायत है अपने बन्दों से जिसको चाहे उसीकी वजह से राह पर लाए और अगर उन लोगों ने शिर्क किया होता तो उनका किया (धरा) सब अकारत हो जाता - उला-इ कल्लजी-न आतैनाहुमुल – किता – ब वल्हुक् – म वन्नुबुव्व-त फ़-इंय्यक्फुर् बिहा हा-उला- इ फ़ – क़द् वक्कल्ना बिहा कौमल्लैसू बिहा बिकाफ़िरीन
(पैग़म्बर) वह लोग थे जिनको हमने (आसमानी) किताब और हुकूमत और नुबूवत अता फरमाई पस अगर ये लोग उसे भी न माने तो (कुछ परवाह नहीं) हमने तो उस पर ऐसे लोगों को मुक़र्रर कर दिया हे जो (उनकी तरह) इन्कार करने वाले नहीं - उला – इकल्लज़ी -न हदल्लाहु फबिहुदाहुमुक़्तदिह, कुल ला अस्अलुकुम् अलैहि अज्रन्, इन् हु-व इल्ला ज़िक्रा लिल आलमीन *
(ये अगले पैग़म्बर) वह लोग थे जिनकी ख़ुदा ने हिदायत की पस तुम भी उनकी हिदायत की पैरवी करो (ऐ रसूल उन से) कहो कि मै तुम से इस (रिसालत) की मज़दूरी कुछ नहीं चाहता सारे जहाँन के लिए सिर्फ नसीहत है - व मा क -दरूल्ला -ह हक्-क कद्रिही इज् कालू मा अन्ज़लल्लाहु अला ब-शरिम् मिन् शैइन्, कुल् मन् अन्ज़लल् – किताबल्लज़ी जा-अ बिही मूसा नूरंव्-व हुदल्-लिन्नासि तज् अलूनहू कराती – स तुब्दूनहा व तुख्फू-न कसीरन् व अुल्लिम्तुम् मा लम् तअ्लमू अन्तुम् वला आबाउकुम्, कुलिल्लाहु सुम् -म ज़रहुम् फी ख़ौज़िहिम् यल्अबून
और बस और उन लोगों (यहूद) ने ख़़ुदा की जैसी क़दर करनी चाहिए न की इसलिए कि उन लोगों ने (बेहूदे पन से) ये कह दिया कि ख़़ुदा ने किसी बशर (इनसान) पर कुछ नाजि़ल नहीं किया (ऐ रसूल) तुम पूछो तो कि फिर वह किताब जिसे मूसा लेकर आए थे किसने नाजि़ल की जो लोगों के लिए रौषनी और (अज़सरतापा(सर से पैर तक)) हिदायत (थी जिसे तुम लोगों ने अलग-अलग करके काग़जी औराक़ (कागज़ के पन्ने) बना डाला और इसमें को कुछ हिस्सा (जो तुम्हारे मतलब का है वह) तो ज़ाहिर करते हो और बहुतेरे को (जो खि़लाफ मदआ है) छिपाते हो हालाँकि उसी किताब के ज़रिए से तुम्हें वो बातें सिखायी गयी जिन्हें न तुम जानते थे और न तुम्हारे बाप दादा (ऐ रसूल वह तो जवाब देगें नहीं) तुम ही कह दो कि ख़ुदा ने (नाजि़ल फरमाई) - व हाज़ा किताबुन् अन्ज़ल्नाहु मुबारकुम् -मुसद्दिकुल्लज़ी बै-न यदैहि व लितुन्ज़ि-र उम्मल्कुरा व मन् हौलहा, वल्लज़ी-न युअ्मिनू – न बिल्आखि – रति युअ्मिनू – न बिही व हुम् अला सलातिहिम् युहाफिजून
उसके बाद उन्हें छोड़ के (पडे़ झक मारा करें (और) अपनी तू तू मै मै में खेलते फिरें और (क़ुरान) भी वह किताब है जिसे हमने बाबरकत नाजि़ल किया और उस किताब की तसदीक़ करती है जो उसके सामने (पहले से) मौजूद है और (इस वास्ते नाजि़ल किया है) ताकि तुम उसके ज़रिए से एहले मक्का और उसके एतराफ़ के रहने वालों को (ख़ौफ ख़ुदा से) डराओ और जो लोग आखि़रत पर इमान रखते हैं वह तो उस पर (बे ताम्मुल) इमान लाते है और वही अपनी अपनी नमाज़ में भी पाबन्दी करते हैं - व मन् अज़्लमु मिम् – मनिफ्तरा अलल्लाहि कज़िबन औ का – ल ऊहि – य इलय् – य व लम् यू -ह इलैहि शैउंव् – व मन् का -ल स – उन्जिलु मिस् -ल मा अन्ज़लल्लाहु व लौ तरा इज़िज़्ज़ालिमू- न फी ग़- मरातिल मौति वल्मलाइ – कतु बासितू ऐदीहिम् अख्रिजू अन्फु सकुम्, अल्यौ-म तुज्ज़ौ-न अज़ाबल्हूनि बिमा कुन्तुम् तकूलू – न अलल्लाहि गैरल्हक्कि व कुन्तुम् अ़न् आयातिही तस्तक्बिरून
और उससे बढ़ कर ज़ालिम कौन होगा जो ख़ुदा पर झूठ (मूठ) इफ़तेरा करके कहे कि हमारे पास वही आयी है हालाँकि उसके पास वही वगै़रह कुछ भी नही आयी या वह शख्स़ दावा करे कि जैसा क़ुरान ख़़ुदा ने नाज़िल किया है वैसा मै भी (अभी) अनक़रीब (जल्दी) नाजि़ल किए देता हूँ और (ऐ रसूल) काष तुम देखते कि ये ज़ालिम मौत की सख़्तियों में पड़ें हैं और फ़रिश्ते उनकी तरफ (जान निकाल लेने के वास्ते) हाथ लपका रहे हैं और कहते जाते हैं कि अपनी जानें निकालो आज ही तो तुम को रुसवाई के अज़ाब की सज़ा दी जाएगी क्योंकि तुम ख़ुदा पर नाहक़ (नाहक़) झूठ छोड़ा करते थे और उसकी आयतों को (सुनकर उन) से अकड़ा करते थे - व ल-क़द् जिअ्तुमूना फुरादा कमा ख़लक़्नाकुम् अव्व-ल मर्रतिंव्-व तरक्तुम् मा खव्वल्नाकुम् वरा-अ-जुहूरिकुम् व मा नरा – म- अकुम् शु- फ़आ अकुमुल्लज़ी न ज़अ़म्तुम् अन्नहुम् फ़ीकुम् शु- रका – उ, लकत्त – कत्त – अ बैनकुम् व जल् – ल अन्कुम् मा कुन्तुम् तज् अमून *
और आखि़र तुम हमारे पास इसी तरह तन्हा आए (ना) जिस तरह हमने तुम को पहली बार पैदा किया था और जो (माल व औलाद) हमने तुमको दिया था वह सब अपने पस्त पुश्त (पीछे) छोड़ आए और तुम्हारे साथ तुम्हारे उन सिफारिश करने वालों को भी नहीं देखते जिन को तुम ख़्याल करते थे कि वह तुम्हारी (परवरिश वगै़रह) मै (हमारे) साझेदार है अब तो तुम्हारे बाहरी ताल्लुक़ात मनक़तआ (ख़त्म) हो गए और जो कुछ ख़्याल करते थे वह सब तुम से ग़ायब हो गए - इन्नल्ला – ह फ़ालिकुल- हब्बि वन्नवा, युख्रिजुल हय् – य मिनल्मय्यिति व मुख्रिजुल्मय्यिति मिनल् – हय्यि, ज़ालिकुमुल्लाहु फ़-अन्ना तुअ्फ़कून
ख़़ुदा ही तो गुठली और दाने को चीर (करके दरख़्त ऊगाता) है वही मुर्दे में से जि़न्दे को निकालता है और वही जि़न्दा से मुर्दे को निकालने वाला है (लोगों) वही तुम्हारा ख़ुदा है फिर तुम किधर बहके जा रहे हो - फ़ालिकुल- इस्बाहि व ज-अलल्लै-ल स-कनंव्–वश्शम् स वल्क-म- र हुस्बानन्, ज़ालि-क तक़्दीरूल अज़ीज़िल अलीम
उसी के लिए सुबह की पौ फटी और उसी ने आराम के लिए रात और हिसाब के लिए सूरज और चाँद बनाए ये ख़ुदाए ग़ालिब व दाना के मुक़र्रर किए हुए किरदा (उसूल) हैं - व हुवल्लज़ी ज -अ- ल लकुमुन्नुजू – म लितह्तदू बिहा फी जुलुमातिल्बरिं वल्बह़रि, कद् फस्सलनल -आयाति लिकौमिंय् – यअलमून
और वह वही (ख़ुदा) है जिसने तुम्हारे (नफे के) वास्ते सितारे पैदा किए ताकि तुम जॅगलों और दरियाओं की तारीकियों(अंधेरों) में उनसे राह मालूम करो जो लोग वाकि़फकार हैं उनके लिए हमने (अपनी क़़ुदरत की) निशानियाँ ख़ूब तफ़सील से बयान कर दी हैं - व हुवल्लज़ी अन्श – अकुम् मिन् नफ़्सिंवाहि – दतिन् फमुस्त कर्रूंव् – व मुस्तौदअुन्, कद् फस्सलनल -आयाति लिकौमिंय्-यफ्कहून
और वह वही ख़़ुदा है जिसने तुम लोगों को एक शख्स़ से पैदा किया फिर (हर शख्स़ के) क़रार की जगह (बाप की पुश्त (पीठ)) और सौंपने की जगह (माँ का पेट) मुक़र्रर है हमने समझदार लोगों के वास्ते (अपनी कु़दरत की) निशानियाँ ख़ूब तफसील से बयान कर दी हैं - व हुवल्लज़ी अन्ज़ -ल मिनस्समा -इ माअन् फ़-अख़्रज्ना बिही नबा-त कुल्लि शैइन फ़ -अख्रज्ना मिन्हु ख़ज़िरन् नुखरिजु मिन्हु हब्बम् मु-तराकिबन् व मिनन्नख्लि मिन् तल्अिहा किन्वानुन् दानियतुंव् – व जन्नातिम् मिन् अअ्नाबिंव- वज्जैतू-न वर्रूम्मा-न मुश्तबिहंव्-व गै-र मु-तशाबिहिन्, उन्जुरू इला स – मरिही इज़ा अस्म-र व यन्अिही इन-न फ़ी ज़ालिकुम् लआयातिल – लिकौमिंय्युअ्मिनून
और वह वही (क़ादिर तवाना है) जिसने आसमान से पानी बरसाया फिर हम ही ने उसके ज़रिए से हर चीज़ के कोए निकालें फिर हम ही ने उससे हरी भरी टहनियाँ निकालीं कि उससे हम बाहम गुत्थे दाने निकालते हैं और छुहारे के बोर (मुन्जिर) से लटके हुए गुच्छे पैदा किए और अंगूर और ज़ैतून और अनार के बाग़ात जो बाहम सूरत में एक दूसरे से मिलते जुलते और (मजे़ में) जुदा जुदा जब ये पिघले और पक्के तो उसके फल की तरफ ग़ौर तो करो बेशक अमन में इमानदार लोगों के लिए बहुत सी (ख़़ुदा की) निशानियाँ हैं - व ज-अलू लिल्लाहि शु- रकाअल्-जिन्-न व ख़-ल कहुम् व ख-रकू लहू बनी-न व बनातिम् बिगैरि अिल्मिन्, सुब्हानहू व तआ़ला अम्मा यसिफून *
और उन (कम्बख़्तों) ने जिन्नात को ख़ुदा का शरीक बनाया हालाँकि जिन्नात को भी ख़ुदा ही ने पैदा किया उस पर भी उन लोगों ने बे समझे बूझे ख़ुदा के लिए बेटे बेटियाँ गढ़ डालीं जो बातों में लोग (उसकी शान में) बयान करते हैं उससे वह पाक व पाकीज़ा और बरतर है
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