सूरह अल-बय्यिना में कुल 8 आयतें हैं। सूरह अल-बय्यिना का मतलब स्पष्ट सबूत है। सूरह बय्यिना कुरान पाक के 30 वे पारे में मौजूद है।
सूरह अल-बय्यिना हिन्दी में | Surah Al-Bayyinah in Hindi
बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है।
लम यकुनिल लज़ीना कफरू मिन अहलिल किताबि वल मुशरिकीना मुन्फक कीना हत्ता तअ’ति यहुमुल बय्यिनह अहले किताब के काफ़िर और मुश्रिक(बहुदेववादी) लोग ईमान लाने वाले नहीं थे जब तक कि उनके पास खुला प्रमाण न आ जाये।
रसूलुम मिनल लाहि यत्लू सुहुफ़म मुतह हरह अर्थात अल्लाह का एक रसूल, जो पवित्र ग्रन्थ पढ़कर सुनाये।
फ़ीहा कुतुबुन क़य्यिमह जिसमें उचित आदेश है।
वमा तफर रक़ल लज़ीना ऊतुल किताबा इल्ला मिम ब’अदि मा जा अत्हुमुल बय्यिनह और जिन लोगों को ग्रन्थ दिये गये, उन्होंने इस खुले प्रमाण के आ जाने के पश्चात ही मतभेद किया।
वमा उमिरू इल्ला लियअ’बुदुल लाहा मुखलिसीना लहुद दीन हुनाफ़ा अ वयुक़ीमुस सलाता व युअ’तुज़ ज़काता व ज़ालिका दीनुल क़य्यिमह और उन्हें केवल यही आदेश दिया गया था कि वे धर्म को शुद्ध रखें और सबको छोड़ कर केवल अल्लाह की उपासना करें, नमाज़ अदा करें और ज़कात दें और यही सच्चा धर्म है।
इन्नल लज़ीना कफरू मिन अहलिल किताबि वल मुशरिकीना फ़ी नारि जहन्नमा खालिदीना फ़ीहा उलाइका हुम शररुल बरिय्यह निःसंदेह, जो लोग किताबवालों में से काफ़िर हो गये तथा मुश्रिक (बहुदेववादी), तो वे सदा नरक की आग में रहेंगे और वही दुष्टतम जन हैं।
इन्नल लज़ीना आमनू अमिलुस सालिहाति उलाइका हुम खैरुल बरिय्यह जो लोग ईमान लाये तथा सदाचार करते रहे, तो वही सर्वश्रेष्ठ जन हैं।
जज़ाउहुम इन्दा रब्बिहिम जन्नातु अदनिन तजरी मिन तहतिहल अन्हारु खालिदीना फ़ीहा अबदा रज़ियल लाहू अन्हुम वरजू अन्ह ज़ालिका लिमन खशिया रब्बह उनका प्रतिफल उनके पालनहार की ओर से सदा रहने वाले बाग़ हैं। जिनके नीचे नहरें बहती होंगी। वे उनमें सदा निवास करेंगे। अल्लाह उनसे प्रसन्न हुआ और वे अल्लाह से प्रसन्न हुए। ये उसके लिए है, जो अपने पालनहार से डरा।