15 सूरह अल-हिज्र हिंदी में पेज 3

सूरह अल-हिज्र हिंदी में | Surat Al-Hijr in Hindi

  1. व नब्बिअ्हुम् अन् जैफ़ि इब्राहीम
    और उनको इबराहीम के मेहमान का हाल सुना दो (51)
  2. इज् द – खलू अ़लैहि फ़कालू सलामन्, का -ल इन्ना मिन्कुम् वजिलून
    कि जब ये इबराहीम के पास आए तो (पहले) उन्होंने सलाम किया इबराहीम ने (जवाब सलाम के बाद) कहा हमको तो तुम से डर मालूम होता है (52)
  3. कालू ला तौजल् इन्ना नुबश्शिरू – क बिगुलामिन् अ़लीम
    उन्होंने कहा आप मुत्तलिक़ ख़ौफ न कीजिए (क्योंकि) हम तो आप को एक (दाना व बीना) फरज़न्द (के पैदाइश) की खुशख़बरी देते हैं (53)
  4. का-ल अ-बश्शरतुमूनी अला अम्मस्सनियल्-कि-बरू फबि -म तुबश्शिरून
    इब्राहिम ने कहा क्या मुझे ख़ुषख़बरी (बेटा होने की) देते हो जब मुझे बुढ़ापा छा गया (54)
  5. कालू बश्शरना -क बिल्हक्कि फ़ला तकुम् मिनल क़ानितीन
    तो फिर अब काहे की खुशख़बरी देते हो वह फरिश्ते बोले हमने आप को बिल्कुल ठीक खुशख़बरी दी है तो आप (बारगाह ख़ुदा बन्दी से) ना उम्मीद न हो (55)
  6. का-ल व मंय्यक़्नतु मिर्रह्मति रब्बिही इल्लज़्ज़ाल्लून
    इबराहीम ने कहा गुमराहों के सिवा और ऐसा कौन है जो अपने परवरदिगार की रहमत से ना उम्मीद हो (56)
  7. का – ल फ़मा ख़त्बुकुम् अय्युहल् -मुर्सलून
    (फिर) इबराहीम ने कहा ऐ (ख़ुदा के) भेजे हुए (फरिश्तौं) तुम्हें आखि़र क्या मुहिम दर पेश है (57)
  8. कालू इन्ना उर्सिल्ना इला कौमिम् – मुज्रिमीन
    उन्होंने कहा कि हम तो एक गुनाहगार क़ौम की तरफ (अज़ाब नाजि़ल करने के लिए) भेजे गए हैं (58)
  9. इल्ला आ-ल लूतिन्, इन्ना लमुनज्जूहुम् अज्मईन
    मगर लूत के लड़के वाले कि हम उन सबको ज़रुर बचा लेगें मगर उनकी बीबी जिसे हमने ताक लिया है (59)
  10. इल्लम् – र- अ – तहू कद्दरना इन्नहा लमिनल् – गाबिरीन *
    कि वह ज़रुर (अपने लड़के बालों के) पीछे (अज़ाब में) रह जाएगी (60)
  11. फ़- लम्मा जा- अ आ – ल लूति – निल्मुर्सलून
    ग़रज़ जब (ख़ुदा के) भेजे हुए (फरिश्ते) लूत के बाल बच्चों के पास आए तो लूत ने कहा कि तुम तो (कुछ) अजनबी लोग (मालूम होते हो) (61)
  12. का – ल इन्नकुम् कौमुम् – मुन्करून
    फरिश्तौं ने कहा (नहीं) बल्कि हम तो आपके पास वह (अज़ाब) लेकर आए हैं (62)
  13. कालू बल् जिअ्ना – क बिमा कानू फ़ीहि यम्तरून
    जिसके बारे में आपकी क़ौम के लोग शक रखते थे (63)
  14. व अतैना – क बिल्हक्कि व इन्ना लसादिकून
    (कि आए न आए) और हम आप के पास (अज़ाब का) कलई (सही) हुक्म लेकर आए हैं और हम बिल्कुल सच कहते हैं (64)
  15. फ़- अस्रि बिअह़्लि – क बिकित्अिम् मिनल्लैलि वत्तबिज् अद्बारहुम् व ला यल्तफित् मिन्कुम अ – हदुंव्वम्जू हैसु तुअ्मरून
    बस तो आप कुछ रात रहे अपने लड़के बालों को लेकर निकल जाइए और आप सब के सब पीछे रहिएगा और उन लोगों में से कोई मुड़कर पीछे न देखे और जिधर (जाने) का हुक्म दिया गया है (शाम) उधर (सीधे) चले जाओ और हमने लूत के पास इस अम्र का क़तई फैसला कहला भेजा (65)
  16. व क़ज़ैना इलैहि ज़ालिकल् – अम् – र अन्- न दाबि-र हाउला – इ मक्तूअुम् – मुस्बिहीन
    कि बस सुबह होते होते उन लोगों की जड़ काट डाली जाएगी (66)
  17. व जा – अ अह़्लुल – मदीनति यस्तब्शिरून
    और (ये बात हो रही थीं कि) शहर के लोग (मेहमानों की ख़बर सुन कर बुरी नीयत से) खुशियाँ मनाते हुए आ पहुँचे (67)
  18. का – ल इन् – न हाउला-इ ज़ैफ़ी फ़ला तफ़्ज़हून
    लूत ने (उनसे कहा) कि ये लोग मेरे मेहमान है तो तुम (इन्हें सताकर) मुझे रुसवा बदनाम न करो (68)
  19. वत्तकुल्ला – ह व ला तुख़्जून
    और ख़ुदा से डरो और मुझे ज़लील न करो (69)
  20. कालू अ-व लम् नन्ह-क अनिल्-आ़लमीन
    वह लोग कहने लगे क्यों जी हमने तुम को सारे जहाँन के लोगों (के आने) की मनाही नहीं कर दी थी (70)
  21. का – ल हाउला – इ बनाती इन् कुन्तुम् फ़ाअिलीन
    लूत ने कहा अगर तुमको (ऐसा ही) करना है तो ये मेरी क़ौम की बेटियाँ मौजूद हैं (71)
  22. ल – अम्रु – क इन्नहुम् लफी सक्रतिहिम् यअ्महून
    (इनसे निकाह कर लो) ऐ रसूल तुम्हारी जान की कसम ये लोग (क़ौम लूत) अपनी मस्ती में मदहोश हो रहे थे (72)
  23. फ़ अ ख़ज़त्हुमुस्सैहतु मुश्रिकीन
    (लूत की सुनते काहे को) ग़रज़ सूरज निकलते निकलते उनको (बड़े ज़ोरो की) चिघाड़ न ले डाला (73)
  24. फ़-जअ़ल्ना आ़लि – यहा साफि-लहा व अम्तरना अ़लैहिम् हिजा रतम् मिन सिज्जील
    फिर हमने उसी बस्ती को उलट कर उसके ऊपर के तबके़ को नीचे का तबक़ा बना दिया और उसके ऊपर उन पर खरन्जे के पत्थर बरसा दिए इसमें शक नहीं कि इसमें (असली बात के) ताड़ जाने वालों के लिए (कुदरते ख़ुदा की) बहुत सी निशानियाँ हैं (74)
  25. इन् – न फ़ी – ज़ालि- क लआयातिल् लिल् -मु-तवस्सिमीन
    और वह उलटी हुयी बस्ती हमेशा (की आमदरफ्त) (75)

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