15 सूरह अल-हिज्र हिंदी में पेज 3

सूरह अल-हिज्र हिंदी में | Surat Al-Hijr in Hindi

  1. व नब्बिअ्हुम् अन् ज़ैफ़ि इब्राहीम
    और उनको इब्राहीम के मेहमान का हाल सुना दो।
  2. इज़् द-खलू अ़लैहि फ़कालू सलामन्, क़ा-ल इन्ना मिन्कुम् वजिलून
    कि जब ये इब्राहीम के पास आए तो (पहले) उन्होंने सलाम किया इब्राहीम ने (जवाब सलाम के बाद) कहा हमको तो तुम से डर मालूम होता है।
  3. क़ालू ला तौजल् इन्ना नुबश्शिरू-क बिग़ुलामिन् अ़लीम
    उन्होंने कहा आप मुत्तलिक़ ख़ौफ न कीजिए (क्योंकि) हम तो आप को एक (दाना व बीना) फरज़न्द (के पैदाइश) की खुशख़बरी देते हैं।
  4. क़ा-ल अ-बश्शर् तुमूनी अला अम्मस्सनियल्-कि-बरू फबि-म तुबश्शिरून
    इब्राहिम ने कहा क्या मुझे ख़ुशख़बरी (बेटा होने की) देते हो जब मुझे बुढ़ापा छा गया।
  5. क़ालू बश्शरना-क बिल्हक़्क़ि फ़ला तकुम् मिनल क़ानितीन
    तो फिर अब काहे की खुशख़बरी देते हो वह फरिश्ते बोले हमने आप को बिल्कुल ठीक खुशख़बरी दी है तो आप (बारगाह अल्लाह बन्दी से) ना उम्मीद न हो।
  6. क़ा-ल व मंय्यक़्नतु मिर्रह् मति रब्बिही इल्लज़्ज़ाल्लून
    इब्राहीम ने कहा गुमराहों के सिवा और ऐसा कौन है जो अपने परवरदिगार की रहमत से ना उम्मीद हो।
  7. क़ा-ल फ़मा ख़त्बुकुम् अय्युहल्-मुर्सलून
    (फिर) इब्राहीम ने कहा ऐ (अल्लाह के) भेजे हुए (फरिश्तों) तुम्हें आखि़र क्या मुहिम दर पेश है।
  8. क़ालू इन्ना उर्सिल्ना इला क़ौमिम्-मुज्रिमीन
    उन्होंने कहा कि हम तो एक गुनाहगार क़ौम की तरफ (अज़ाब नाजि़ल करने के लिए) भेजे गए हैं।
  9. इल्ला आ-ल लूतिन्, इन्ना लमुनज्जूहुम् अज्मईन
    मगर लूत के लड़के वाले कि हम उन सबको ज़रुर बचा लेगें मगर उनकी बीबी जिसे हमने ताक लिया है।
  10. इल्लम्-र-अ-तहू क़द्दरना इन्नहा लमिनल्-ग़ाबिरीन *
    कि वह ज़रुर (अपने लड़के बालों के) पीछे (अज़ाब में) रह जाएगी।
  11. फ़-लम्मा जा-अ आ-ल लूति-निल्मुर्सलून
    ग़रज़ जब (अल्लाह के) भेजे हुए (फरिश्ते) लूत के बाल बच्चों के पास आए तो लूत ने कहा कि तुम तो (कुछ) अजनबी लोग (मालूम होते हो)।
  12. क़ा-ल इन्नकुम् क़ौमुम्-मुन्करून
    फरिश्तौं ने कहा (नहीं) बल्कि हम तो आपके पास वह (अज़ाब) लेकर आए हैं।
  13. क़ालू बल् जिअ्ना-क बिमा कानू फ़ीहि यम्तरून
    जिसके बारे में आपकी क़ौम के लोग शक रखते थे।
  14. व अतैना-क बिल्हक़्क़ि व इन्ना लसादिक़ून
    (कि आए न आए) और हम आप के पास (अज़ाब का) कलई (सही) हुक्म लेकर आए हैं और हम बिल्कुल सच कहते हैं।
  15. फ़-अस्रि बिअह़्लि-क बिक़ित्अिम् मिनल्लैलि वत्तबिअ् अद्-बा रहुम् व ला यल्तफित् मिन्कुम अ-हदुंव्वम्ज़ू हैसु तुअ्मरून
    बस तो आप कुछ रात रहे अपने लड़के बालों को लेकर निकल जाइए और आप सब के सब पीछे रहिएगा और उन लोगों में से कोई मुड़कर पीछे न देखे और जिधर (जाने) का हुक्म दिया गया है (शाम) उधर (सीधे) चले जाओ और हमने लूत के पास इस अम्र का क़तई फैसला कहला भेजा।
  16. व क़ज़ैना इलैहि ज़ालिकल्-अम्-र अन्-न दाबि-र हाउला-इ मक़्तूअुम्-मुस्बिहीन
    कि बस सुबह होते होते उन लोगों की जड़ काट डाली जाएगी।
  17. व जा-अ अह़्लुल-मदीनति यस्तब्शिरून
    और (ये बात हो रही थीं कि) शहर के लोग (मेहमानों की ख़बर सुन कर बुरी नीयत से) खुशियाँ मनाते हुए आ पहुँचे।
  18. क़ा-ल इन्-न हाउला-इ ज़ैफ़ी फ़ला तफ़्ज़हून
    लूत ने (उनसे कहा) कि ये लोग मेरे मेहमान है तो तुम (इन्हें सताकर) मुझे रुसवा बदनाम न करो।
  19. वत्तक़ुल्ला-ह व ला तुख़्ज़ून
    और अल्लाह से डरो और मुझे ज़लील न करो।
  20. क़ालू अ-व लम् नन्ह-क अनिल्-आ़लमीन
    वह लोग कहने लगे क्यों जी हमने तुम को सारे जहाँन के लोगों (के आने) की मनाही नहीं कर दी थी।
  21. क़ा-ल हाउला-इ बनाती इन् कुन्तुम् फ़ाअिलीन
    लूत ने कहा अगर तुमको (ऐसा ही) करना है तो ये मेरी क़ौम की बेटियाँ मौजूद हैं।
  22. ल-अम्-रूक इन्नहुम् लफी सक् र-तिहिम् यअ्महून
    (इनसे निकाह कर लो) ऐ रसूल तुम्हारी जान की कसम ये लोग (क़ौम लूत) अपनी मस्ती में मदहोश हो रहे थे।
  23. फ़ अ ख़ज़त्हुमुस्सैहतु मुश्रिक़ीन
    (लूत की सुनते काहे को) ग़रज़ सूरज निकलते निकलते उनको (बड़े ज़ोरो की) चिघाड़ न ले डाला।
  24. फ़-जअ़ल्ना आ़लि-यहा साफि-लहा व अम्तर्ना अ़लैहिम् हिजा रतम् मिन सिज्जील
    फिर हमने उसी बस्ती को उलट कर उसके ऊपर के तबके़ को नीचे का तबक़ा बना दिया और उसके ऊपर उन पर खरन्जे के पत्थर बरसा दिए इसमें शक नहीं कि इसमें (असली बात के) ताड़ जाने वालों के लिए (कुदरते अल्लाह की) बहुत सी निशानियाँ हैं।
  25. इन्-न फ़ी-ज़ालि-क लआयातिल् लिल्-मु-तवस्सिमीन
    और वह उलटी हुयी बस्ती हमेशा (की आमदरफ्त)।

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