28 सूरह अल क़सस हिंदी में पेज 2

सूरह अल क़सस हिंदी में | Surat Al-Qasas in Hindi

  1. व लम्मा व-र-द मा-अ मद्-य-न व-ज-द अ़लैहि उम्म-
    तम् मिनन्नासि यस्कू – न, व व-ज द मिन् दूनिहिमुम् – र अतैनि तजूदनि का-ल मा ख़त्बुकुमा, का-लता ला नस्की हत्ता युस्दिर्र- रिआ़-उ, व अबूना शैखुन् कबीर
    और (आठ दिन फाक़ा करते चले) जब शहर मदियन के कुओं पर (जो शहर के बाहर था) पहुँचें तो कुओं पर लोगों की भीड़ देखी कि वह (अपने जानवरों को) पानी पिला रहे हैं और उन सबके पीछे दो औरतो (हज़रत शुएब की बेटियों) को देखा कि वह (अपनी बकरियों को) रोके खड़ी है मूसा ने पूछा कि तुम्हारा क्या मतलब है वह बोली जब तक सब चरवाहे (अपने जानवरों को) ख़ूब छक के पानी पिला कर फिर न जाएँ हम नहीं पिला सकते और हमारे वालिद बहुत बूढे़ हैं।
  2. फ़-सका लहुमा सुम् – म तवल्ला इलज़्ज़िल्लि फ़का – ल रब्बि इन्नी लिमा अन्ज़ल् – त इलय् – य मिन् ख़ैरिन् फ़क़ीर
    तब मूसा ने उन की (बकरियों) के लिए (पानी खीच कर) पिला दिया फिर वहाँ से हट कर छांव में जा बैठे तो (चूँकि बहुत भूक थी) अर्ज़ की परवरदिगार (उस वक़्त) जो नेअमत तू मेरे पास भेज दे मै उसका सख़्त हाजत मन्द हूँ।
  3. फ़जा – अत्हु इह्दाहुमा तम्शी अ़-लस्तिह़्याइन् कालत् इन् – न अबी यद्-अू -क लि- यज्ज़ि-य-क अज्र मा सक़ै-त लना, फ़ लम्मा जा- अहू व क़स् – स अ़लैहिल्-क़-स-स क़ा-ल ला त – ख़फ् नजौ – त मिनल् कौमिज़्ज़ालिमीन
    इतने में उन्हीं दो मे से एक औरत शर्मीली चाल से आयी (और मूसा से) कहने लगी-मेरे वालिद तुम को बुलाते हैं ताकि तुमने जो (हमारी बकरियों को) पानी पिला दिया है तुम्हें उसकी मज़दूरी दे ग़रज़ जब मूसा उनके पास आए और उनसे अपने किस्से बयान किए तो उन्होंने कहा अब कुछ अन्देशा न करो तुमने ज़ालिम लोगों के हाथ से नजात पायी।
  4. कालत् इह्दाहुमाया अ- बतिस्तअ्जिरहु इन् – न ख़ै-र मनिस्तअ्जरतल् – क़विय्युल् – अमीन
    (इसी असना में) उन दोनों में से एक लड़की ने कहा ऐ अब्बा इन को नौकर रख लीजिए क्योंकि आप जिसको भी नौकर रखें सब में बेहतर वह है जो मज़बूत और अमानतदार हो।
  5. का – ल इन्नी उरीदु अन् उन्कि – ह क इह्दब् – नतय् – य हातैनि अ़ला अन् तअ्जु – रनी समानि य हि – जजिन् फ़- इन् अत्मम् – त अ़श्रन्फ़ – मिन् अिन्दि-क व मा उरीदु अन् अशुक् क अ़लै-क, स- तजिदुनी इन्शा-अल्लाहु मिनस्सालिहीन
    (और इनमें दोनों बातें पायी जाती हैं तब) शुएब ने कहा मै चाहता हूँ कि अपनी दोनों लड़कियों में से एक के साथ तुम्हारा इस (महर) पर निकाह कर दूँ कि तुम आठ बरस तक मेरी नौकरी करो और अगर तुम दस बरस पूरे कर दो तो तुम्हारा एहसान और मै तुम पर मेहनत मशक्क़त भी डालना नही चाहता और तुम मुझे इन्शा अल्लाह नेको कार आदमी पाओगे।
  6. का-ल ज़ालि-क बैनी व बैन-क, अय्यमल् – अ जलैनि क़ज़ैतु फ़ला अुद्वा-न अ़लय्-य वल्लाहु अ़ला मा नकूलु वकील *
    मूसा ने कहा ये मेरे और आप के दरम्यिान (मुहाएदा) है दोनों मुद्दतों मे से मै जो भी पूरी कर दूँ (मुझे एख़्तियार है) फिर मुझ पर जब्र और ज़्यादती (देने का आपको हक़) नहीं और हम आप जो कुछ कर रहे हैं (उसका) ख़ुदा गवाह है।
  7. फ़- लम्मा क़ज़ा मूसल् अ-ज-ल-व सा-र बि-अह़्लिही आ-न-स मिन् जानिबित्- तूरि नारन् का- ल लि – अह़्लिहिम्कुसू इन्नी आनस्तु नारल् – लअ़ल्ली आतीकुम् मिन्हा बि-ख़-बरिन् औ जज़्वतिम् मिनन्नारि लअ़ल्लकुम् तस्तलून
    ग़रज़ मूसा का छोटी लड़की से निकाह हो गया और रहने लगे फिर जब मूसा ने अपनी (दस बरस की) मुद्दत पूरी की और बीवी को लेकर चले तो अँधेरी रात जाड़ों के दिन राह भूल गए और बीबी सफ़ूरा को दर्द ज़ेह शुरु हुआ (इतने में) कोहेतूर की तरफ़ आग दिखायी दी तो अपने लड़के बालों से कहा तुम लोग ठहरो मैने यक़ीनन आग देखी है (मै वहाँ जाता हूँ) क्या अजब है वहाँ से (रास्ते की) कुछ ख़बर लाऊँ या आग की कोई चिंगारी (लेता आऊँ) ताकि तुम लोग तापो।
  8. फ़- लम्मा अताहा नूदि – य मिन् शातिइल् – वादिल् – एमनि फ़िल् बुक् अ़तिल- मुबा-र कति मिनश्श-ज-रति अंय्यामूसा इन्नी अनल्लाहु रब्बुल -आ़लमीन
    ग़रज़ जब मूसा आग के पास आए तो मैदान के दाहिने किनारे से इस मुबारक जगह में एक दरख़्त से उन्हें आवाज़ आयी कि ऐ मूसा इसमें शक नहीं कि मै ही अल्लाह सारे जहाँ का पालने वाला हूँ।
  9. व अन् अल्कि अ़सा-क, फ़-लम्मा रआहा तहतज़्ज़ु क-अन्नहा जान्नुंव् – वल्ला मुदबिरंव् – व लम् – यु- अ़क्किब्, या मूसा अक्बिल् व ला तख़फ्, इन्न – क मिनल् आमिनीन
    और यह (भी आवाज़ आयी) कि तुम आपनी छड़ी (ज़मीन पर) डाल दो फिर जब (डाल दिया तो) देखा कि वह इस तरह बल खा रही है कि गोया वह (जि़न्दा) अजदहा है तो पीठ फेरके भागे और पीछे मुड़कर भी न देखा (तो हमने फरमाया) ऐ मूसा आगे आओ और डरो नहीं तुम पर हर तरह अमन व अमान में हो।
  10. उस्लुक् य द – क फ़ी जैबि-क तख़्रुज् बैज़ा – अ मिन् गैरि सूइंव् – वज़्मुम् इलै-क जना-ह-क मिनर्रह्बि फ़ज़ानि-क बुरहानानि मिर्रब्बि – क इला फिरऔ-न व म-लइही, इन्नहुम् कानू कौमन् फ़ासिक़ीन
    (अच्छा और लो) अपना हाथ गरेबान में डालो (और निकाल लो) तो सफेद बुर्राक़ होकर बेऐब निकल आया और ख़ौफ़ की (वजह) से अपने बाजू़ अपनी तरफ़ समेट लो (ताकि ख़ौफ जाता रहे) ग़रज़ ये दोनों (असा व यदे बैज़ा) तुम्हारे परवरदिगार की तरफ़ से (तुम्हारी नुबूवत की) दो दलीलें फिरौन और उसके दरबार के सरदारों के वास्ते हैं और इसमें शक नहीं कि वह बदकार लोग थे।
  11. का – ल रब्बि इन्नी क़तल्तु मिन्हुम् नफ़्सन् फ़ – अख़ाफु अंय्यक्तुलून
    मूसा ने अर्ज़ की परवरदिगार मैने उनमें से एक शख़्स को मार डाला था तो मै डरता हूँ कहीं (उसके बदले) मुझे न मार डालें।
  12. व अख़ी हारूनु हु – व अफ़्सहु मिन्नी लिसानन् फ़ – अर्सिल्हु मअि – य रिद्अंय् – युसद्दिकुनी इन्नी अख़ाफु अंय्युकज़्ज़िबून
    और मेरा भाई हारुन वह मुझसे (ज़बान में ज़्यादा) फ़सीह है तो तू उसे मेरे साथ मेरा मददगार बनाकर भेज कि वह मेरी तसदीक करे क्योंकि यक़ीनन मै इस बात से डरता हूँ कि मुझे वह लोग झुठला देंगे (तो उनके जवाब के लिए गोयाइ की ज़रुरत है)।
  13. का-ल स-नशुद्दु अ़जु-द क बि-अखी-क व नज्अलु लकुमा सुल्तानन् फ़ला यसिलू-न इलैकुमा बिआयातिना अन्तुमा व मनित्त – ब – अ़कुमल्-ग़ालिबून
    फ़रमाया अच्छा हम अनक़रीब तुम्हारे भाई की वजह से तुम्हारे बाज़ू क़वी कर देगें और तुम दोनों को ऐसा ग़लबा अता करेंगें कि फिरौनी लोग तुम दोनों तक हमारे मौजिज़े की वजह से पहुँच भी न सकेंगे लो जाओ तुम दोनो और तुम्हारे पैरवी करने वाले गा़लिब रहेंगे।
  14. फ़ – लम्मा जा – अहुम् मूसा बिआयातिना बय्यिनातिन् क़ालू मा हाज़ा इल्ला सिहरुम् – मुफ्तरंव्-व मा समिअ्ना बिहाज़ा फ़ी आबाइनल्-अव्वलीन
    ग़रज़ जब मूसा हमारे वाजे़ए व रौशन मौजिज़े लेकर उनके पास आए तो वह लोग कहने लगे कि ये तो बस अपने दिल का गढ़ा हुआ जादू है और हमने तो अपने अगले बाप दादाओं (के ज़माने) में ऐसी बात सुनी भी नही।
  15. व का – ल मूसा रब्बी अअ्लमु बिमन् जा-अ बिल्हुदा मिन् अिन्दिही व मन् तकूनु लहू आ़कि बतुद् – दारि, इन्नहू ला युफ्लिहुज्ज़ालिमून
    और मूसा ने कहा मेरा परवरदिगार उस शख़्स से ख़ूब वाकि़फ़ है जो उसकी बारगाह से हिदायत लेकर आया है और उस शख़्स से भी जिसके लिए आखि़रत का घर है इसमें तो शक ही नहीं कि ज़ालिम लोग कामयाब नहीं होते।
  16. व का-ल फ़िरऔनु या अय्युहल-म-ल उ मा अ़लिम्तु लकुम् मिन् इलाहिन् ग़ैरी फ़-औकिद् ली या हामानु अ़लत्तीनि फज्अ़ल्ली सरहल् – लअ़ल्ली अत्तलिअु इल्लललाहि मूसा व इन्नी ल-अजुन्नुहू मिनल् – काज़िबीन
    और (ये सुनकर) फिरौन ने कहा ऐ मेरे दरबार के सरदारों मुझ को तो अपने सिवा तुम्हारा कोई परवरदिगार मालूम नही होता (और मूसा दूसरे को ख़़ुदा बताता है) तो ऐ हामान (वज़ीर फ़िरऔन) तुम मेरे वास्ते मिट्टी (की ईटों) का पजावा सुलगाओ फिर मेरे वास्ते एक पुख़्ता महल तैयार कराओ ताकि मै (उस पर चढ़ कर) मूसा के ख़ुदा को देंखू और मै तो यक़ीनन मूसा को झूठा समझता हूँ।
  17. वस्तक्ब-र हु-व व जुनूदुहू फ़िल् – अर्ज़ि बिग़ैरिल् – हक्कि व ज़न्नू अन्नहुम् इलैना ला युरज्यून
    और फ़िरऔन और उसके लशकर ने रुए ज़मीन में नाहक़ सर उठाया था और उन लोगों ने समझ लिया था कि हमारी बारगाह मे वह कभी पलट कर नही आएँगे।
  18. फ – अख़ज़्नाहु व जुनू – दहू फ़-नबज़्नाहुम् फ़िल्यम्मि फ़न्जुर् कै फ़ का-न आ़कि-बतुज़्ज़ालिमीन
    तो हमने उसको और उसके लशकर को ले डाला फिर उन सबको दरिया में डाल दिया तो (ऐ रसूल) ज़रा देखों तो कि ज़ालिमों का कैसा बुरा अन्जाम हुआ।
  19. व जअ़ल्ना – हुम् अ इम्म तंय्यद्अू न इलन्नारि व यौमल् – कियामति ला युन्सरून
    और हमने उनको (गुमराहों का) पेशवा बनाया कि (लोगों को) जहन्नुम की तरफ बुलाते है और क़यामत के दिन (ऐसे बेकस होगें कि) उनको किसी तरह की मदद न दी जाएगी।
  20. व अत्बअ्नाहुम् फ़ी हाज़िहिद्दुन्या लय् – नतन् व यौमल् – कियामति हुम् मिनल् मक्बूहीन *
    और हमने दुनिया में भी तो लानत उन के पीछे लगा दी है और क़यामत के दिन उनके चेहरे बिगाड़ दिए जायेंगे।
  21. वल – कद् आतैना मूसल्-किता-ब मिम्-बअ्दि मा अह्लक्नल् – कुरूनल् – ऊला बसाइ र लिन्नासि व हुदंव् – व रह्म – तल् लअ़ल्लहुम् य तज़क्करून
    और हमने बहुतेरी अगली उम्मतों को हलाक कर डाला उसके बाद मूसा को किताब (तौरैत) अता की जो लोगों के लिए अजसरतापा बसीरत और हिदायत और रहमत थी ताकि वह लोग इबरत व नसीहत हासिल करें।
  22. व मा कुन् त बिजानिबिल् गरबिय्यि इज् क़ज़ैना इला मूसल् – अम् -र व मा कुन् त मिनश्शाहिदीन
    और (ऐ रसूल) जिस वक़्त हमने मूसा के पास अपना हुक्म भेजा था तो तुम (तूर के) मग़रिबी जानिब मौजूद न थे और न तुम उन वाक़्यात को चश्मदीद देखने वालों में से थे।

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