04 सूरह अन-निसा हिंदी में पेज 8

सूरह अन-निसा हिंदी में | Surah An-Nisa in Hindi

  1. अल्लज़ी-न य-तरब्बसू-न बिकुम्, फ़-इन् का-न लकुम फ़त्हुम् मिनल्लाहि क़ालू अलम् नकुम् म-अकुम्, व इन् का-न लिल्काफ़िरी-न नसीबुन्, कालू अलम् नस्तह़्विज़् अलैकुम् व नम् नअ्कुम् मिनल-मुअ्मिनी-न, फ़ल्लाहु यह़्कुमु बैनकुम् यौमल-क़ियामति, व लंय्यज्-अलल्लाहु लिल्काफ़िरी-न अलल्-मुअ्मिनी न सबीला*
    (वो मुनाफिकीन) जो तुम्हारे मुन्तजि़र है (कि देखिए फ़तेह होती है या शिकस्त) तो अगर अल्लाह की तरफ़ से तुम्हें फ़तेह हुयी तो कहने लगे कि क्या हम तुम्हारे साथ न थे और अगर (फ़तेह का) हिस्सा काफि़रों को मिला तो (काफ़िरों के तरफ़दार बनकर) कहते हैं क्या हम तुमपर ग़ालिब न आ गए थे (मगर क़सदन तुमको छोड़ दिया) और तुमको मोमिनीन (के हाथों) से हमने बचाया नहीं था (मुनाफ़िक़ों) क़यामत के दिन तो अल्लाह तुम्हारे दरमियान फै़सला करेगा और अल्लाह ने काफि़रों को मोमिनीन पर वर {ऊँचा} रहने की हरगिज़ कोई राह नहीं क़रार दी है।
  2. इन्नल् -मुनाफ़िक़ी-न युख़ादिअूनल्ला-ह व हु-व ख़ादिअुहुम्, व इज़ा क़ामू इलस्-सलाति क़ामू कुसाला, युराऊनन्ना-स व ला यज़्कुरूनल्ला-ह इल्ला क़लीला
    बेशक मुनाफिक़ीन (अपने ख़्याल में) अल्लाह को फरेब देते हैं हालाँकि अल्लाह ख़ुद उन्हें धोखा देता है और ये लोग जब नमाज़ पढ़ने खड़े होते हैं तो (बे दिल से) अलकसाए हुए खड़े होते हैं और सिर्फ लोगों को दिखाते हैं और दिल से तो अल्लाह को कुछ यू ही सा याद करते हैं।
  3. मुज़ब्ज़बी-न बै-न ज़ालि-क, ला इला-हा-उला-इ व ला इला हा-उला-इ, व मंय्युज़्लिलिल्लाहु फलन् तजि-द लहू सबीला
    इस कुफ़्र व ईमान के बीच अधड़ में पड़े झूल रहे हैं न उन (मुसलमानों) की तरफ़ न उन काफ़िरों की तरफ़ और (ऐ रसूल) जिसे अल्लाह गुमराही में छोड़ दे उसकी (हिदायत की) तुम हरगिज़ सबील नहीं कर सकते।
  4. या अय्युहल्लज़ी-न आमनू ला तत्तख़िज़ुल-काफ़िरी-न औलिया-अ मिन् दूनिल मुअ्मिनी-न अतुरीदू-न अन् तज्अलू लिल्लाहि अलैकुम् सुल्तानम् मुबीना
    ऐ ईमान वालों! मोमिनीन को छोड़कर काफि़रों को (अपना) सरपरस्त न बनाओ क्या ये तुम चाहते हो कि अल्लाह का सरीही इल्ज़ाम अपने सर क़ायम कर लो।
  5. इन्नल् मुनाफ़िक़ी-न फ़िद्दरकिल्-अस्फ़लि मिनन्नारि, व लन् तजि-द लहुम् नसीरा
    इसमें तो शक ही नहीं कि मुनाफिक जहन्नुम के सबसे नीचे तबके़ में होंगे और (ऐ रसूल!) तुम वहाँ किसी को उनका हिमायती भी न पाओगे।
  6. इल्लल्लज़ी-न ताबू व अस्लहू वअ्त-समू बिल्लाहि व अख़्लसू दीनहुम् लिल्लाहि फ़-उलाइ-क मअल्- मुअ्मिनी-न, व सौ-फ युअ्तिल्लाहुल मुअ्मिनी-न अज्रन् अज़ीमा
    मगर (हाँ) जिन लोगों ने (निफ़ाक़ से) तौबा कर ली और अपनी हालत दुरूस्त कर ली और अल्लाह से लगे लिपटे रहे और अपने दीन को महज़ अल्लाह के वास्ते निरा खरा कर लिया तो ये लोग मोमिनीन के साथ (बहिश्त में) होंगे और मोमिनीन को अल्लाह अनक़रीब ही बड़ा (अच्छा) बदला अता फ़रमाएगा।
  7. मा यफ्अलुल्लाहु बि-अज़ाबिकुम् इन् शकरतुम् व आमन्तुम्, व कानल्लाहु शाकिरन् अलीमा
    अगर तुमने अल्लाह का शुक्र किया और उसपर ईमान लाए तो अल्लाह तुम पर अज़ाब करके क्या करेगा बल्कि अल्लाह तो (ख़ुद शुक्र करने वालों का) बड़ा गुणग्राही और अति ज्ञानी है (पारा 5 समाप्त)

पारा 6 शुरू

  1. ला युहिब्बुल्लाहुल-जह्-र बिस्सू-इ मिनल्-कौलि इल्ला मन् ज़ुलि-म, व कानल्लाहु समीअन् अलीमा
    अल्लाह (किसी के) हाँक पुकार कर बुरा कहने को पसन्द नहीं करता मगर मज़लूम (ज़ालिम की बुराई बयान कर सकता है) और अल्लाह तो (सबकी) सुनता है (और हर एक को) जानता है।
  2. इन् तुब्बू ख़ैरन् औ तुख़्फूहु औ तअ्फू अन् सूइन् फ़-इन्नल्ला-ह का-न अ़फुव्वन् कदीरा
    अगर खुल्लम खुल्ला नेकी करते हो या छुपा कर या किसी की बुराई से दरगुज़र करते हो तो तो अल्लाह भी बड़ा दरगुज़र करने वाला (और) क़ादिर है।
  3. इन्नल्लज़ी-न यक्फुरू-न बिल्लाहि व रूसुलिही व युरीदू-न अंय्युफ़र्रिकू बैनल्लाहि व रूसुलिही व यक़ूलू -न नुअ्मिनु बि-बअ्जिंव-व नक्फुरु बि-बअ्जिंव व युरीदू-न अंय्यत्तख़िज़ू बै-न ज़ालि-क सबीला
    बेशक जो लोग अल्लाह और उसके रसूलों से इन्कार करते हैं और अल्लाह और उसके रसूलों में तफ़रक़ा डालना चाहते हैं और कहते हैं कि हम बाज़ (पैग़म्बरों) पर ईमान लाए हैं और बाज़ का इन्कार करते हैं और चाहते हैं कि इस (कुफ़्र व ईमान) के दरमियान एक दूसरी राह निकलें।
  4. उलाइ-क हुमुल काफ़िरू-न हक़्क़न्, व अअ्तद्ना लिल्काफ़िरी-न अज़ाबम् मुहीना
    यही लोग हक़ीक़तन काफिर हैं और हमने काफ़िरों के वास्ते ज़िल्लत देने वाला अज़ाब तैयार कर रखा है।
  5. वल्लज़ी-न आमनू बिल्लाहि व रूसुलिही व लम् युफ़र्रिकू बै-न अ-हदिम् मिन्हुम् उलाइ-क सौ-फ युअ्तीहिम् उजूरहुम्, व कानल्लाहु ग़फूरर्रहीमा *
    और जो लोग अल्लाह और उसके रसूलों पर ईमान लाए और उनमें से किसी में तफ़रक़ा नहीं करते तो ऐसे ही लोगों को अल्लाह बहुत जल्द उनका अज्र अता फ़रमाएगा और अल्लाह तो बड़ा बख़्शने वाला मेहरबान है।
  6. यस्अलु-क अह्लुल किताबि अन् तुनज्ज़िल अलैहिम् किताबम् मिनस-समा इ फ़ क़द् स-अलू मूसा अक्ब-र मिन् ज़ालि-क फ़कालू अरिनल्ला-ह जहर-तन् फ-अ ख़ज़त्हुमुस्साअि-क़तु बिज़ुल्मिहिम्, सुम्मत्त-ख़ज़ुल्-अिज्-ल मिम्-बअ्दि मा जाअत्हुमुल् बय्यिनातु फ़- अफ़ौना अन् ज़ालि-क, व आतैना मूसा सुल्तानम् मुबीना
    (ऐ रसूल!) अहले किताब (यहूदी) जो तुमसे (ये) दरख़्वास्त करते हैं कि तुम उनपर एक किताब आसमान से उतरवा दो (तुम उसका ख़्याल न करो क्योंकि) ये लोग मूसा से तो इससे कहीं बढ़ (बढ़) के दरख़्वास्त कर चुके हैं चुनान्चे कहने लगे कि हमें अल्लाह को खुल्लम खुल्ला दिखा दो तब उनकी शरारत की वजह से बिजली ने ले डाला फिर (बावजूद के) उन लोगों के पास तौहीद की वाज़े और रौशन (दलीलें) आ चुकी थी उसके बाद भी उन लोगों ने बछड़े को (अल्लाह) बना लिया फिर हमने उससे भी दरगुज़र किया और मूसा को हमने सरीही ग़लबा अता किया।
  7. व रफअ् ना फौक़हुमुत्तू-र बिमीसाक़िहिम् व क़ुल्ना लहुमुद्खुलुल्बा-ब सुज्जदंव्-व क़ुल्ना लहुम् ला तअ्दू फिस्सब्ति व अख़ज़्ना मिन्हुम मीसाक़न् ग़लीज़ा
    और हमने उनके अहद व पैमान की वजह से उनके (सर) पर (कोहे) तूर को लटका दिया और हमने उनसे कहा कि (शहर के) दरवाज़े में सजदा करते हुए दाखिल हो और हमने (ये भी) कहा कि तुम हफ़्ते के दिन (हमारे हुक्म से) तजावुज़ न करना और हमने उनसे बहुत मज़बूत एहदो पैमान ले लिया।
  8. फबिमा नक़्ज़िहिम् मीसाक़हुम् व कुफ्रिहिम् बिआयातिल्लाहि व क़त्लिहिमुल अम्बिया-अ बिग़ैरि हक़्क़िंव् व क़ौलिहिम् क़ुलूबुना ग़ुल्फुन्, बल् त-बअल्लाहु अलैहा बिकुफ्रिहिम् फला युअ्मिनू-न इल्ला क़लीला
    फिर उनके अपने एहद तोड़ डालने और एहकामे अल्लाह से इन्कार करने और नाहक़ अम्बिया को क़त्ल करने और इतरा कर ये कहने की वजह से कि हमारे दिलों पर ग़िलाफ़ चढे़ हुए हैं (ये तो नहीं) बल्कि अल्लाह ने उनके कुफ़्र की वजह से उनके दिलों पर मोहर कर दी है तो चन्द आदमियों के सिवा ये लोग ईमान नहीं लाते।
  9. व बिकुफ्रिहिम् व क़ौलिहिम् अला मर य-म बुह़्तानन् अज़ीमा
    और उनके काफिर होने और मरियम पर बहुत बड़ा बोहतान बाँधने कि वजह से।
  10. व क़ौलिहिम् इन्ना क़तल्नल्-मसी-ह ईसब्-न मर य-म रसूलल्लाहि, व मा क़-तलूहु व मा स-लबूहु व लाकिन् शुब्बि-ह लहुम, व इन्नल्लज़ीनख़्त लफू फ़ीहि लफ़ी शक्किम् मिन्हु, मा लहुम् बिही मिन् अिल्मिन् इल्लत्तिबाअज़्ज़न्नि, व मा क़-तलूहु यक़ीना
    और उनके यह कहने की वजह से कि हमने मरियम के बेटे ईसा (स.) अल्लाह के रसूल को क़त्ल कर डाला हालाँकि न तो उन लोगों ने उसे क़त्ल ही किया न सूली ही दी उनके लिए (एक दूसरा शख़्स ईसा) से मुशाबेह कर दिया गया और जो लोग इस बारे में इख़्तेलाफ़ करते हैं यक़ीनन वह लोग (उसके हालत) की तरफ़ से धोखे में (आ पड़े) हैं उनको उस (वाकि़ये) की ख़बर ही नहीं मगर फ़क़्त अटकल के पीछे (पड़े) हैं और ईसा को उन लोगों ने यक़ीनन क़त्ल नहीं किया।
  11. बर्र-फ-अहुल्लाहु इलैहि, व कानल्लाहु अज़ीज़न् हकीमा
    बल्कि अल्लाह ने उन्हें अपनी तरफ़ उठा लिया और अल्लाह तो बड़ा ज़बरदस्त तदबीर वाला है।
  12. व इम्-मिन् अहलिल्-किताबि इल्ला ल-युअ्मिनन्-न बिही कब्-ल मौतिही, व यौमल्-क़ियामति यकूनु अलैहिम् शहीदा
    और (जब ईसा मेहदी मौऊद के ज़हूर के वक़्त आसमान से उतरेंगे तो) अहले किताब में से कोई शख़्स ऐसा न होगा जो उन पर उनके मरने के क़ब्ल ईमान न लाए और ख़ुद ईसा क़यामत के दिन उनके खिलाफ गवाही देंगे।
  13. फ-बिज़ुल्मिम्-मिनल्लज़ी-न हादू हर्रम् ना अलैहिम् तय्यिबातिन् उहिल्लत् लहुम् व बि-सद्दिहिम् अन् सबीलिल्लाहि कसीरा
    ग़रज़ यहूदयों की (उन सब) शरारतों और गुनाह की वजह से हमने उन पर वह साफ़ सुथरी चीजें जो उनके लिए हलाल की गयी थीं हराम कर दी और उनके अल्लाह की राह से बहुत से लोगों को रोकने कि वजह से भी।

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