04 सूरह अन-निसा हिंदी में पेज 9

सूरह अन-निसा हिंदी में | Surah An-Nisa in Hindi

  1. व अख़्ज़िहिमुर्रिबा व क़द् नुहू अन्हु व अक्लिहिम् अम्वालन्नासि बिल्बातिलि, व अअ्-तद्- ना लिल्काफ़िरी-न मिन्हुम् अज़ाबन् अलीमा
    और बावजूद मुमानिअत सूद खा लेने और नाहक़ ज़बरदस्ती लोगों के माल खाने की वजह से उनमें से जिन लोगों ने कुफ़्र इख़्तेयार किया उनके वास्ते हमने दर्दनाक अज़ाब तैयार कर रखा है।
  2. लाकिनिर्रासिखू-न फिल्अिल्मि मिन्हुम् वल्मुअ्मिनू-न युअ्मिनू-न बिमा उन्ज़ि-ल इलै-क व मा उन्ज़ि-ल मिन् क़ब्लि-क वल्मुक़ीमीनस्सला-त वल्मुअ्तूनज़्ज़का-त वल्मुअ्मिनू-न बिल्लाहि वल्यौमिल्-आखिरि, उलाइ-क सनुअ्तीहिम् अज्रन् अज़ीमा *
    लेकिन (ऐ रसूल!) उनमें से जो लोग इल्म (दीन) में बड़े मज़बूत पाए पर फ़ायज़ हैं वह और ईमान वाले तो जो (किताब) तुमपर नाज़िल हुयी है (सब पर ईमान रखते हैं) और से नमाज़ पढ़ते हैं और ज़कात अदा करते हैं और अल्लाह और रोज़े आख़िरत का यक़ीन रखते हैं ऐसे ही लोगों को हम अनक़रीब बहुत बड़ा अज्र अता फ़रमाएंगे।
  3. इन्ना औहैना इलै-क कमा औहैना इला नूहिंव्वन्नबिय्यी न मिम्-बअ्दही, व औहैना इला इब्राही-म व इस्माई-ल व इस्हा-क़ व यअ्क़ू-ब वल्अस्बाति व अीसा व अय्यू-ब व यूनु-स व हारू-न व सुलैमा-न, व आतैना दावू-द ज़बूरा
    (ऐ रसूल!) हमने तुम्हारे पास (भी) तो इसी तरह ‘वही’ भेजी जिस तरह नूह और उसके बाद वाले पैग़म्बरों पर भेजी थी और जिस तरह इब्राहीम और इस्माइल और इसहाक़ और याक़ूब और औलादे याक़ूब व ईसा व अय्यूब व युनुस व हारून व सुलेमान के पास ‘वही’ भेजी थी और हमने दाऊद को ज़ुबूर अता की।
  4. व रूसुलन् क़द् क़सस्-नाहुम् अलै-क मिन् क़ब्लु व रूसुलल्लम् नक़्सुस्हुम अलै-क, व कल्लमल्लाहु मूसा तक्लीमा
    जिनका हाल हमने तुमसे पहले ही बयान कर दिया और बहुत से ऐसे रसूल (भेजे) जिनका हाल तुमसे बयान नहीं किया और अल्लाह ने मूसा से (बहुत सी) बातें भी कीं।
  5. रूसुलम् मुबश्शिरी-न व मुन्ज़िरीन लिअल्ला यकू-न लिन्नासि अलल्लाहि हुज्जतुम्-बअ्दर्रूसुलि, व कानल्लाहु अज़ीज़न् हकीमा
    और हमने नेक लोगों को स्वर्ग की ख़ुशख़बरी देने वाले और बुरे लोगों को अज़ाब से डराने वाले पैग़म्बर (भेजे) ताकि पैग़म्बरों के आने के बाद लोगों की अल्लाह पर कोई हुज्जत बाक़ी न रह जाए और अल्लाह तो बड़ा ज़बरदस्त हकीम है (ये कुफ़्फ़ार नहीं मानते न मानें)।
  6. लाकिनिल्लाहु यश्हदु बिमा अन्ज़-ल इलै-क अन्ज़-लहू बिअिल्मिही वल्मलाइ-कतु यशहदू-न, व कफ़ा बिल्लाहि शहीदा
    मगर अल्लाह तो इस पर गवाही देता है जो कुछ तुम पर नाज़िल किया है ख़ूब समझ बूझ कर नाज़िल किया है (बल्कि) उसकी गवाही तो फ़रिश्ते तक देते हैं हालाँकि अल्लाह गवाही के लिए काफ़ी है।
  7. इन्नल्लज़ी-न क-फरू व सद्दू अन् सबीलिल्लाहि क़द् ज़ल्लू ज़लालम् बईदा
    बेशक जिन लोगों ने कुफ़्र इख़्तेयार किया और अल्लाह की राह से (लोगों) को रोका वह राहे रास्त से भटक के बहुत दूर जा पडे़।
  8. इन्नल्लज़ी-न क-फरू व ज़-लमू लम् यकुनिल्लाहु लियग़्फि-र लहुम् व ला लियह़्दी-यहुम् तरीक़ा
    बेशक जिन लोगों ने कुफ़्र इख़्तेयार किया और (उस पर) ज़ुल्म (भी) करते रहे न तो अल्लाह उनको बख़्शेगा ही और न ही उन्हें किसी तरीक़े की हिदायत करेगा।
  9. इल्ला तरी-क़ जहन्न-म ख़ालिदी-न फीहा अ-बदन्, व का-न ज़ालि-क अलल्लाहि यसीरा
    मगर (हाँ) जहन्नुम का रास्ता (दिखा देगा) जिसमें ये लोग हमेशा (पड़े) रहेंगे और ये तो अल्लाह के वास्ते बहुत ही आसान बात है।
  10. या अय्युहन्नासु क़द् जा अकुमुर्रसूलु बिल्हक़्क़ि मिर्रब्बिकुम् फआमिनू ख़ैरल्लकुम्, व इन तक्फुरू-फ़-इन्-न लिल्लाहि मा फिस्समावाति वल्अर्ज़ि, व कानल्लाहु अलीमन् हक़ीमा
    ऐ लोगों! तुम्हारे पास तुम्हारे परवरदिगार की तरफ़ से रसूल (मोहम्मद (स०)) दीने हक़ के साथ आ चुके हैं ईमान लाओ (यही) तुम्हारे हक़ में बेहतर है और अगर इन्कार करोगे तो (समझ रखो कि) जो कुछ ज़मीन और आसमानों में है सब अल्लाह ही का है और अल्लाह बड़ा वाक़िफ़कार हकीम है।
  11. या अह़्लल्-किताबि ला तग़्लू फ़ी दीनिकुम् व ला तक़ूलू अलल्लाहि इल्लल्-हक़्-क़, इन्नमल्-मसीहु ईसब्नु मर्य-म रसूलुल्लाहि व कलि-मतुहू, अल्क़ाहा इला मर्य-म व रूहुम्-मिन्हु, फ़आमिनू बिल्लाहि व रूसुलिही, व ला तक़ूलू सलासतुन, इन्तहू ख़ैरल्लकुम, इन्नमल्लाहु इलाहुंव्वाहिदुन्, सुब्हानहू अंय्यकू-न लहू व-लदुन् • लहू मा फिस्समावाति व मा फिल्अर्ज़ि व कफ़ा बिल्लाहि वकीला *
    ऐ एहले किताब! अपने दीन में हद (एतदाल) से तजावुज़ न करो और अल्लाह की शान में सच के सिवा (कोई दूसरी बात) न कहो मरियम के बेटे ईसा मसीह (न अल्लाह थे न अल्लाह के बेटे) बस अल्लाह के एक रसूल और उसके कलमे (हुक्म) थे जिसे अल्लाह ने मरियम के पास भेज दिया था (कि हामला हो जा) और अल्लाह की तरफ़ से एक जान थे बस अल्लाह और उसके रसूलों पर ईमान लाओ और तीन (अल्लाह) के क़ायल न बनो (तसलीस से) बाज़ रहो (और) अपनी भलाई (तौहीद) का क़सद करो। अल्लाह तो बस यक्ता माबूद है वह उस (नुक़्स) से पाक व पाकीज़ा है उसका कोई लड़का हो (उसे लड़के की हाजत ही क्या है) जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है सब तो उसी का है और अल्लाह तो कारसाज़ी में काफ़ी है।
  12. लंय्यस्तन्किफल्-मसीहु अंय्यकू-न अब्दल्-लिल्लाहि व लल्मला-इ कतुल मुक़र्रबू-न, व मंय्यस्तन्किफ् अन्,  अिबादतिही व यस्तक्बिर् फ-सयह्शुरूहुम् इलैहि जमीआ़
    न तो मसीह ही अल्लाह का बन्दा होने से हरगिज़ इन्कार कर सकते हैं और न (अल्लाह के) मुक़र्रर फ़रिश्ते और (याद रहे) जो शख़्स उसके बन्दा होने से इन्कार करेगा और शेख़ी करेगा तो अनक़रीब ही अल्लाह उन सबको अपनी तरफ़ उठा लेगा (और हर एक को उसके काम की जज़ा व सज़ा देगा)।
  13. फ अम्मल्लज़ी-न आमनू व अमिलुस्-सालिहाति फ़-युवफ्फीहिम् उजूरहुम् व यज़ीदुहुम् मिन् फज़्लिही, व अम्मल्लज़ीनस् तन्कफू वस्तक्बरू फ़-युअ़ज़्ज़िबुहुम् अज़ाबन् अलीमाव्, व ला यजिदू-न लहुम मिन् दूनिल्लाहि वलिय्यंव्-व ला नसीरा
    बस जिन लोगों ने ईमान कु़बूल किया है और अच्छे (अच्छे) काम किए हैं उनका उन्हें सवाब पूरा पूरा भर देगा बल्कि अपने फ़ज़ल (व करम) से कुछ और ज़्यादा ही देगा और लोग उसका बन्दा होने से इन्कार करते थे और शेख़ी करते थे उन्हें तो दर्दनाक अज़ाब में मुब्तिला करेगा।
  14. या अय्युहन्नासु क़द् जा-अकुम् बुरहानुम् मिर्रब्बिकुम् व अन्ज़ल्ना इलैकुम् नूरम् मुबीना
    और लुत्फ़ ये है कि वह लोग अल्लाह के सिवा न अपना सरपरस्त ही पायेगें और न मददगार।
  15. फ-अम्मल्लज़ी-न आमनू बिल्लाहि वअ्त-समू बिही फ-सयुद्ख़िलुहुम् फी रह़्मतिम् मिन्हु व फ़ज़्लिंव्-व यह़्दीहिम् इलैहि सिरातम् मुस्तक़ीमा
    ऐ लोगों! इसमें तो शक ही नहीं कि तुम्हारे परवरदिगार की तरफ़ से (दीने हक़ की) दलील आ चुकी और हम तुम्हारे पास एक चमकता हुआ नूर नाजि़ल कर चुके हैं।
  16. यस्तफ्तून-क, क़ुलिल्लाहु युफ्तीकुम् फिल्-कलालति, इनिम् रूउन् ह-ल-क लै-स लहू व लदुंव्-व लहू उख़्तुन् फ़-लहा निस्फु मा त-र-क, व हु-व यरिसुहा इल्लम् यकुल्लहा व लदुन्, फ-इन् का-नतस् तैनि फ़-लहुमस्-सुलुसानि मिम्मा त-र-क, व इन् कानू इख़्वतररिजालंव्-व निसाअन् फ़-लिज़्ज़-करि मिस्लु हज़्ज़िल् उन्सयैनि, युबय्यिनुल्लाहु लकुम् अन् तज़िल्लू, वल्लाहु बिकुल्लि शैइन् अलीम *
    बस जो लोग अल्लाह पर ईमान लाए और उसी से लगे लिपटे रहे तो अल्लाह भी उन्हें अनक़रीब ही अपनी रहमत व फ़ज़ल के शादाब बाग़ो में पहुँचा देगा और उन्हे अपने हुज़ूरी का सीधा रास्ता दिखा देगा (ऐ रसूल!) तुमसे लोग फ़तवा तलब करते हैं तुम कह दो कि कलाला (भाई बहन) के बारे में अल्लाह तो ख़ुद तुम्हे फ़तवा देता है कि अगर कोई ऐसा शख़्स मर जाए कि उसके न कोई लड़का बाला हो (न माँ बाप) और उसके (सिर्फ) एक बहन हो तो उसका तरके से आधा होगा (और अगर ये बहन मर जाए) और उसके कोई औलाद न हो (न माँ बाप) तो उसका वारिस बस यही भाई होगा। और अगर दो बहनें (ज़्यादा) हों तो उनको (भाई के) तरके से दो तिहाई मिलेगा और अगर किसी के वारिस भाई बहन दोनों (मिले जुले) हों तो मर्द को औरत के हिस्से का दुगना मिलेगा। तुम लोगों के भटकने के ख़्याल से अल्लाह अपने एहकाम वाजे करके बयान फ़रमाता है और अल्लाह तो हर चीज़ से वाकिफ़ है।

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