30 सूरह अर रूम हिंदी में पेज 1

30 सूरह अर रूम | Surah Ar-Rum

सूरह अर रूम में 60 आयतें हैं। यह सूरह पारा 21 में है। यह सूरह मक्के में नाजिल हुई।

सूरह का नाम पहली ही आयत के शब्द “रूमी पराजित हो गए हैं” से लिया गया है।

सूरह अर रूम हिंदी में | Surat Ar-Rum in Hindi

बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहिम
अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है
  1. अलिफ़ – लाम्- मीम्
    अलिफ़ लाम मीम।
  2. गुलि – बतिर्रूम
    (यहाँ से) बहुत क़रीब के मुल्क में रोमी (नसारा एहले फ़ारस आतिश परस्तों से) हार गए।
  3. फ़ी अद्नल् – अर्जि व हुम् मिम्बअ्दि ग़ – लबिहिम् स – यग्लिबून
    मगर ये लोग अनक़रीब ही अपने हार जाने के बाद चन्द सालों में फिर (एहले फ़ारस पर) ग़ालिब आ जाएँगे।
  4. फ़ी बिज्अिसिनी – न, लिल्लाहिल् – अम्रु मिन् क़ब्लु व मिम्ब अ्दु, व यौमइजिंय् – यफ़्रहुल् – मुअ्मिनून
    क्योंकि (इससे) पहले और बाद (ग़रज़ हर ज़माने में) हर अम्र का एख़्तेयार अल्लाह ही को है और उस दिन ईमानदार लोग अल्लाह की मदद से खुश हो जाएँगे।
  5. बिनस्रिल्लाहि, यन्सुरु मंय्यशा-उ, व हुवल् अज़ीजुर्रहीम
    वह जिसकी चाहता है मदद करता है और वह (सब पर) ग़ालिब रहम करने वाला है।
  6. बिनस्रिल्लाहि, यन्सुरु मंय्यशा-उ, व हुवल् अज़ीजुर्रहीम
    (ये) अल्लाह का वायदा है) अल्लाह अपने वायदे के खिलाफ नहीं किया करता मगर अकसर लोग नहीं जानते हैं।
  7. यअ्लमू – न ज़ाहिरम् मिनल्- हयातिद्दुन्या व हुम् अनिल् – आख़िरति हुम् गाफ़िलून
    ये लोग बस दुनियावी जि़न्दगी की ज़ाहिरी हालत को जानते हैं और ये लोग आख़ेरत से बिल्कुल ग़ाफिल हैं।
  8. अ – वलम् य – तफ़क्करू फ़ी अन्फुसिहिम्, मा ख़ – लक़ल्लाहुस् – समावाति वल्अर् – ज़ व मा बैनहुमा इल्ला बिल्हक्कि व अ – जलिम् – मुसम्मन्, व इन् – न कसीरम् – मिनन्नासि बिलिका – इ रब्बिहिम् लकाफिरून
    क्या उन लोगों ने अपने दिल में (इतना भी) ग़ौर नहीं किया कि अल्लाह ने सारे आसमान और ज़मीन को और जो चीजे़ उन दोनों के दरमेयान में हैं बस बिल्कुल ठीक और एक मुक़र्रर मियाद के वास्ते पैदा किया है और कुछ शक नहीं कि बहुतेरे लोग तो अपने परवरदिगार की (बारगाह) के हुज़ूर में (क़यामत) ही को किसी तरह नहीं मानते।
  9. अ-व लम् यसीरू फ़िल्अर्ज़ि फ़-यन्जुरू कै-फ का-न आ़कि – बतुल्लज़ी – न मिन् कब्लिहिम्, कानू अशद् – द मिन्हुम् – कुव्वतंव् – व असारुल् – अर् – ज़ व अ- मरूहा अक्स र मिम्मा अ़ मरूहा व जाअत्हुम् रुसुलुहुम् बिल्बय्यिनाति, फ़मा कानल्लाहु लियज़्लिमहुम् व लाकिन् कानू अन्फु-सहुम् यज़्लिमून
    क्या ये लोग रुए ज़मीन पर चले फिरे नहीं कि देखते कि जो लोग इनसे पहले गुज़र गए उनका अन्जाम कैसा (बुरा) हुआ हांलाँकि जो लोग उनसे पहले क़ूवत में भी कहीं ज़्यादा थे और जिस क़दर ज़मीन उन लोगों ने आबाद की है उससे कहीं ज़्यादा (ज़मीन की) उन लोगों ने काष्त भी की थी और उसको आबाद भी किया था और उनके पास भी उनके पैग़म्बर वाज़ेए व रौशन मौजिज़े लेकर आ चुके थे (मगर उन लोगों ने न माना) तो अल्लाह ने उन पर कोई ज़ुल्म नहीं किया मगर वह लोग (कुफ़्र व सरकशी से) आप अपने ऊपर ज़ुल्म करते रहे।
  10. सुम्-म का-न आ़कि बतल्लज़ी – न असाउस्सूआ अन् कज़्ज़बू बिआयातिल्लाहि व कानू बिहा यस्तह्ज़िऊन*
    फिर जिन लोगों ने बुराई की थी उनका अन्जाम बुरा ही हुआ क्योंकि उन लोगों ने अल्लाह की आयतों को झुठलाया था और उनके साथ मसखरा पन किया किए।
  11. सुम्-म का-न आ़कि बतल्लज़ी – न असाउस्सूआ अन् कज़्ज़बू बिआयातिल्लाहि व कानू बिहा यस्तह्ज़िऊन*
    अल्लाह ही ने मख़लूकात को पहली बार पैदा किया फिर वही दुबारा (पैदा करेगा) फिर तुम सब लोग उसी की तरफ़ लौटाए जाओगे।
  12. व यौ – म तकूमुस्सा- अ़तु युब्लिसुल् – मुज्रिमून
    और जिस दिन क़यामत बरपा होगी (उस दिन) गुनेहगार लोग ना उम्मीद होकर रह जाएँगे।
  13. व लम् यकुल् – लहुम् मिन् शु – रकाइहिम् शु- फ़आ़ – उ व कानू बिशु – रकाइहिम् काफ़िरीन
    और उनके (बनाए हुए अल्लाह के) शरीकों में से कोई उनका सिफ़ारिशी न होगा और ये लोग ख़़ुद भी अपने शरीकों से इन्कार कर जाएँगे।
  14. व यौ-म तकूमुस्सा- अ़तु यौमइज़िंय्-य-तफर्रकून
    और जिस दिन क़यामत बरपा होगी उस दिन (मोमिनों से) कुफ़्फ़ार जुदा हो जाएँगें।
  15. फ़-अम्मल्लज़ी-न आमनू व अ़मिलुस्सालिहाति फ़हुम् फ़ी रौज़तिंय्-युह्-बरून
    फिर जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए तो वह बाग़े बहिश्त में निहाल कर दिए जाएँगे।
  16. व अम्मल्लज़ी-न क-फ़रू व कज़्ज़बू बिआयातिना व लिक़ाइल्-आख़िरति फ-उलाइ-क फिल्अज़ाबि मुह्ज़रून
    मगर जिन लोगों के कुफ़्र एख़्तेयार किया और हमारी आयतों और आख़ेरत की हुज़ूरी को झुठलाया तो ये लोग अज़ाब में गिरफ्तार किए जाएँगे।
  17. फ़सुब्हानल्लाहि ही-न तुम्सू-न व ही-न तुस्बिहून
    फिर जिस वक़्त तुम लोगों की शाम हो और जिस वक़्त तुम्हारी सुबह हो अल्लाह की पाकीज़गी ज़ाहिर करो।
  18. व लहुल- हम्दु फिस्समावाति वलअर्ज़ि व अशिय्यंव्-व ही-न तुज्हिरून
    और सारे आसमान व ज़मीन में तीसरे पहर को और जिस वक़्त तुम लोगों की दोपहर हो जाए वही क़ाबिले तारीफ़ है।
  19. युख़्रिजुल् – हय् – य मिनल् – मय्यिति व युख़्रिजुल – मय्यि – त मिनल् – हय्यि व युह़्यिल्-अर्-ज़ बअ्-द मौतिहा, व कज़ालि- क तुख़्रजून*
    वही जि़न्दा को मुर्दे से निकालता है और वही मुर्दे को जिन्द़ा से पैदा करता है और ज़मीन को मरने (परती होने) के बाद जि़न्दा (आबाद) करता है और इसी तरह तुम लोग भी (मरने के बाद निकाले जाओगे)।
  20. व मिन् आयातिही अन् ख़-ल-क़कुम् मिन् तुराबिन् सुम्-म इज़ा अन्तुम् ब-शरुन् तन्तशिरून
    और उस (की कु़दरत) की निशानियों में ये भी है कि उसने तुमको मिट्टी से पैदा किया फिर यकायक तुम आदमी बनकर (ज़मीन पर) चलने फिरने लगे।

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