अल-बलद का मतलब “एक शहर“ होता है , जो की मक्का शहर है। सूरह बलद कुरान के 30वें पारा में 90वीं सूरह है। यह मक्की सूरह है। इस सूरह मे कुल 20 आयतें हैं।
सूरह का नाम पहली आयत “नहीं, मैं कसम खाता हूँ अल्-बलद (इस शहर मक्का) की” के शब्द ‘अल्-बलद’ से इसका नाम दिया गया है।
सूरह अल-बलद हिंदी में | Surah Al-Balad in Hindi
बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहिम
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है।
ला उक्सिमु बिहाज़ल बलद मैं क़सम खाता हूँ इस शहर ( मक्का ) की।
व अंत हिल्लुम बिहाज़ल बलद कि आप (हज़रत मुहम्मद सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम) इसी शहर में रहते हैं।
व वालिदिव वमा वलद और (तुम्हारे) बाप (आदम) और उसकी औलाद की क़सम।
लक़द खलक्नल इन्सान फ़ी कबद यक़ीनन इन्सान को हम ने कष्ट में घिरा हुआ पैदा किया है।
अयह सबु अल लैय यक्दिरा अलैहि अहद वो क्या समझता है कि उस पर किसी का वश नहीं चलेगा।
यक़ूलु अहलकतु मालल लु बदा वो कहता है : मैंने बहुत धन ख़र्च कर डाला है।
अयह्सबू अल लम य रहू अहद वो क्या समझता है कि उसको किसी ने देखा नहीं।
अलम नज अल लहू ऐनैन क्या हम ने उसको दो आँखें नहीं दीं?
व लिसानव व शफतैन एक ज़ुबान और दो होंट नहीं दिए?
व हदैनाहून नज्दैन और हमने उसको दोनों (अच्छी बुरी) के रास्ते दिखा दिए।
फलक तहमल अ क़बह मगर उस से ये न हो सका कि घाटी में दाख़िल हो।
वमा अद राका मल अ क़बह और आपको मालूम है कि घाटी क्या है।
फक्कु र क़बह किसी दास को मुक्त करना।
अव इत आमून फ़ी यौमिन ज़ी मस्गबह या भूख के दिनों(अकाल) में खाना खिलाना।
यतीमन ज़ा मक़ रबह ऐसे यतीम को जो रिश्तेदार भी है।
अव मिस्कीनन ज़ा मतरबह या ऐसे निर्धन को जो धूल में अटा हुआ हो।
सुम्मा कान मिनल लज़ीना आमनू व वतवा सौ बिस सबरि व तवा सौ बिल मर हमह फिर वो उन लोगों में शामिल हुआ जो ईमान लाये हैं, और जिन्होंने एक दुसरे को धैर्य की ताकीद की है और एक दुसरे को दया की ताकीद की है।
उलाइका अस हाबुल मैमनह यही लोग सौभाग्यशाली (दायें हाथ वाले) हैं।
वल लज़ीना कफरू बि आयातिना हुम असहाबुल मश अमह और जिन लोगों ने हमारी आयतों को नहीं माना, यही लोग दुर्भाग्य (बायें हाथ वाले) हैं।
अलैहिम नारुम मुअ सदह कि उनको आग में डाल कर हर तरफ से बन्द कर दिया जाएगा।