सूरह बकरा हिंदी में (पेज 2)​

सूरह बकरा हिंदी में (पेज 2) Surah Al-Baqarah in Hindi

  1. या अय्युहन्नासुअ् बुदू रब्बकुमुल्लज़ी ख-ल-क़कुम् वल्लज़ी-न मिन् क़ब्लिकुम लअल्लकुम् तत्तक़ून
    लोगों अपने परवरदिगार की इबादत करो जिसने तुमको और उन लोगों को जो तुम से पहले थे पैदा किया है, इसी में तुम्हारा बचाव है। अर्थात संसार में कुकर्मों तथा प्रलोक की यातना से।
  2. अल्लज़ी ज-अ-ल लकुमुल् अर्-ज़ फिराशंव-वस्समा-अ बिनाअंव् व-अन्ज़्-ल मिनस्समा-इ माअन् फ़-अख्-र-ज बिही मिनस्स-मराति रिज़्क़ल लकुम्, फला तज्अलू लिल्लाहि अन्दादंव् व-अन्तुम् तअ्लमून
    जिसने तुम्हारे लिए ज़मीन का बिछौना और आसमान को छत बनाया और आसमान से पानी बरसाया। फिर उसी ने तुम्हारे खाने के लिए कुछ फल पैदा किए बस किसी को खुदा का साझी न बनाओ। हालाँकि तुम खूब जानते हो।
  3. व इन कुन्तुम् फी रइबिम्-मिम्मा नज़्ज़लना अ़ला अब्दिना फ़अ्तू बिसू-रतिम् मिम् मिस्लिही, वद्अु शु-हदाअकुम् मिन् दूनिल्लाहि इन कुन्तुम् स्वादिक़ीन
    और अगर तुम लोग इस कलाम से जो हमने अपने बन्दे (मोहम्मद) पर नाज़िल किया है शक में पड़े हो। फ़िर अगर तुम सच्चे हो तो तुम (भी) एक सूरह बना लाओ। और खुदा के सिवा जो भी तुम्हारे मददगार हों उनको भी बुला लो।
  4. फ़-इल्लम तफ्अलू व लन् तफ्अलू फत्तकुन्नारल्लती व क़ूदुहन्नासु वलहिजा-रतु उअिद्दत् लिल्काफ़िरीन
    और अगर तुम ये नहीं कर सकते हो और हरगिज़ नहीं कर सकोगे। तो उस आग से डरो जिसका ईधन आदमी और पत्थर होंगे और काफ़िरों के लिए तैयार की गई है।
  5. व बश्शिरिल्लज़ी-न आमनू व अमिलुस्सालिहाति अन्-न लहुम् जन्नातिन तज्-री मिन् तहतिहल्-अन्हारू, कुल्लमा रूज़िक़ू मिन्हा मिन् स-म-रतिर्-रिज़्क़न् क़ालू हाज़ल्लज़ी रूज़िक़्ना मिन् क़ब्लू, व उतू बिहि मु-तशाबिहन्, व लहुम् फ़ीहा अज़्वाजुम् मु-तह्ह-रतुव्ं व हुम् फ़ीहा ख़ालिदून
    और जो लोग ईमान लाए और उन्होंने नेक काम किए उनको (ऐ पैग़म्बर!) खुशख़बरी दे दो कि उनके लिए (स्वर्ग के) वह बाग़ हैं जिनके नीचे नहरे जारी हैं जब उन्हें इन बाग़ का कोई मेवा खाने को मिलेगा तो कहेंगे ये तो वही (मेवा है जो पहले भी हमें खाने को मिल चुका है) (क्योंकि उन्हें मिलती जुलती सूरत व रंग के (मेवे) मिला करेंगे और स्वर्ग में उनके लिए साफ सुथरी बीवियाँ होगी और ये लोग उस बाग़ में हमेशा रहेंगे।
  6. इन्नल्ला-ह ला यस्तह्-यी अंय्यज़रि-ब म-स-लम्मा बअू-ज़तन् फ़मा फौ-क़हा, फ-अम्मल्ल ज़ी-न आमनू फ़-यअ् लमू-न अन्नहुलहक़्क़ु मिर्रब्बिहिम, वअम्मल्लज़ी-न क-फ़रू फ़ यक़ूलू-न माज़ा अरादल्लाहु बिहाज़ा म-सलन् • युज़िल्लु बिही कसीरंव् व यह्दी बिही कसीरन्, व मा युज़िल्लु बिही इल्लल्-फ़ासिक़ीन
    बेशक खुदा मच्छर या उससे भी बढकर (तुच्छ चीज़) की कोई मिसाल बयान करने में नहीं लज्जाता और जो लोग ईमान ला चुके हैं वह तो ये यक़ीन जानते हैं कि ये (मिसाल) बिल्कुल ठीक है और ये परवरदिगार की तरफ़ से है (अब रहे) वह लोग जो काफ़िर(विश्वासहीन) है और वह बोल उठते हैं कि अल्लाह का उस मिसाल से क्या मतलब है, ऐसी मिसाल से अल्लाह बहुतों की हिदायत करता है मगर कुपथ में छोड़ता भी है तो ऐसे अवज्ञाकारी को।
  7. अल्लज़ी-न यन्क़ुज़ु-न अहदल्लाहि मिम्-बअ्दि मीसाक़िही व यक़्तअू-न मा अ-मरल्लाहु बिही अंय्यू-स-ल व युफ्सिदू-न फ़िल्अर्ज़ि, उलाइ-क हुमुल्-ख़ासिरून
    जो लोग अल्लाह से पक्का वचन करने के बाद उसे तोड़ डालते हैं और जिन (ताल्लुक़ात) का खुदा ने हुक्म दिया है उनको तोड़ते हैं और मुल्क में उपद्रव करते फिरते हैं, यही लोग घाटा उठाने वाले हैं।
  8. कइ-फ़ तक्फुरू-न बिल्लाहि व कुन्तुम् अम्वातन् फ़-अह् याकुम्, सुम्-म युमीतुकुम् सुम्-म युह् यीकुम् सुम्-म इलइहि तुर्जअून
    क्यों कर तुम खुदा का इन्कार कर सकते हो हालाँकि तुम (माओं के पेट में) बेजान थे तो उसी ने तुमको ज़िन्दा किया फिर वही तुमको मार डालेगा, फिर वही तुमको (दोबारा क़यामत में) ज़िन्दा करेगा फिर उसी की तरफ लौटाए जाओगे!
  9. हुवल्लज़ी ख़-ल-क़ लकुम् मा फ़िलअर्ज़ि जमीअन्, सुम्मस्तवा इलस्समा-इ फ़-सव्वाहुन्-न सब्-अ समावातिन्, व-हु-व बिकुल्लि शैइन् अलीम○*
    वही तो है जिसने तुम्हारे लिए ज़मीन की कुल चीज़ों को पैदा किया फिर आसमान (के बनाने) की तरफ़ आकृष्ट हुआ तो सात आसमान बराबर बना दिए और वह (खुदा) हर चीज़ का जानकार है।
  10. व इज़् क़ा-ल रब्बु-क लिल्मलाइ-कति इन्नी जाअिलुन् फिल्अर्ज़ि ख़ली-फ़तन्, क़ालू अ-तज्-अलु फ़ीहा मंय्युफ्सिदु फ़ीहा व यसफ़िकुद्दिमा-अ व नह्नु नुसब्बिहु बिहम्दि-क व नुकद्दिसु ल-क, क़ा-ल इन्नी अअ्लमु माला तअ्लमून
    और (ऐ नबी!) उस वक्त को याद करो जब तुम्हारे परवरदिगार ने फ़रिश्तों से कहा कि मैं (अपना) एक ख़लीफ़ा ज़मीन में बनानेवाला हूँ (फरिश्ते ताज्जुब से) कहने लगे क्या तू ज़मीन में ऐसे शख्स को पैदा करेगा जो ज़मीन में फ़साद और रक्तपात करता फिरे हालाँकि (अगर) ख़लीफा बनाना है तो हमारा ज्यादा हक़ है क्योंकि हम तेरी तारीफ व तसबीह करते हैं और तुझे पवित्र कहते हैं तब खुदा ने फरमाया इसमें तो शक ही नहीं कि जो मैं जानता हूँ तुम नहीं जानते।
  11. व अल्ल-म आ-दमल् अस्मा-अ कुल्लहा सुम्-म अ-र-ज़ हुम् अलल्-मलाइ-कति, फ़क़ा-ल अम्बिऊनी बिअस्मा-इ हा-उला-इ इन कुन्तुम स्वादिक़ीन
    और आदम को सब चीज़ों के नाम सिखा दिए फिर उनको फरिश्तों के सामने पेश किया और फ़रमाया कि अगर तुम सच्चे हो तो मुझे इन चीज़ों के नाम बताओ।
  12. क़ालू सुब्हा-न-क ला-अिल-म-लना इल्ला मा अल्लम्तना, इन्न-क अन्तल अलीमुल-हकीम
    तब फ़रिश्तों ने (आजिज़ी से) अर्ज़ की तू (हर ऐब से) पाक व पाकीज़ा है हम तो जो कुछ तूने बताया है उसके सिवा हमें कोई ज्ञान नहीं। तू बड़ा जानने वाला, तत्वदर्शी है।
  13. क़ा-ल याआदमु अमबिअ्हुम बिअस्मा-इहिम्, फ-लम्मा अम्-ब-अहुम् बिअस्मा-इहिम्, क़ा-ल अलम् अक़ुल्लकुम् इन्नी अअ्लमु ग़ैबस्समावाति वल्अर्ज़ि व अअ्लमु मा तुब्दू-न व मा कुन्तुम् तक्तुमून
    (उस वक्त ख़ुदा ने आदम को) हुक्म दिया कि ऐ आदम! तुम इन फ़रिश्तों को उन सब चीज़ों के नाम बता दो फिर जब आदम ने फ़रिश्तों को उन चीज़ों के नाम बता दिए तो खुदा ने फरिश्तों की तरफ ख़िताब करके फरमाया क्यों, मैं तुमसे न कहता था कि मैं आसमानों और ज़मीनों की छिपी बातों को जानता हूँ, और जो कुछ तुम ज़ाहिर करते हो और जो कुछ तुम छिपाते थे (वह सब) जानता हूँ।
  14. व इज् क़ुल्ना लिल्-मलाइ-कतिस्जुदू लिआ-द-म फ़-स-जदू इल्ला इब्लीस,अबा वस्तक्ब-र, व का-न मिनल्काफ़िरीन
    और (उस वक्त क़ो याद करो) जब हमने फ़रिश्तों से कहा कि आदम को सजदा करो तो सब के सब झुक गए मगर सिवाय इबलील के और गुरूर में आ गया और काफ़िर हो गया।
  15. व क़ुल्ना या आ-दमुस्कुन् अन्-त व ज़ौजुकल-जन्न-त व कुला मिन्हा र-ग़दन हैसु शिअतुमा, व ला तक़्रबा हाज़िहिश् श-ज-र-त फ़-तकूना मिनज़्-ज़ालिमीन
    और हमने आदम से कहा ऐ आदम! तुम अपनी बीवी समेत जन्नत में रहा सहा करो और जहाँ से तुम्हारा जी चाहे उसमें से  बेरोक-टोक खाओ (पियो) मगर उस दरख्त के पास भी न जाना अन्यथा तुम अपना नुक़सान करोगे।
  16. फ-अज़ल-लहुमश्-शैतानु अन्हा फ-अख़्र-जहुमा मिम्मा काना फीही व क़ुल-नहबितू बअ्ज़ुकुम लिबअ्ज़िन् अदुव्वुन्, व लकुम् फिलअर्ज़ि मुस्तक़र्रूंव व मताअुन् इलाहीन
    तब शैतान ने आदम व हौव्वा को (धोखा देकर) वहाँ से डगमगाया और आख़िर कार उनको जिस (ऐश व राहत) में थे उनसे निकाल फेंका और हमने कहा (ऐ आदम व हौव्वा) तुम (ज़मीन पर) उतर पड़ो। तुम एक-दूसरे के शत्रु होगे और ज़मीन में तुम्हारे लिए एक ख़ास समय (क़यामत) तक ठहराव और ठिकाना है।
  17. फ़-त लक़्क़ा आदमु मिर्रब्बिही कलिमातिन् फ़ता-ब अलैहि, इन्नहू हुवत्तव्वाबुर्रहीम
    फिर आदम ने अपने परवरदिगार से (माज़रत के कुछ शब्द) सीखे, तो अल्लाह ने उन अल्फाज़ की बरकत से आदम की तौबा कुबूल कर ली निस्संदेह वह बड़ा माफ़ करने वाला मेहरबान है।
  18. क़ुल्नहबितु मिन्हा जमीअन, फ़इम्मा यअ्तियन्नकुम् मिन्नी हुदन फ़-मन् तबि-अ हुदा-य फला ख़ौफुन अलैहिम् व ला हुम् यह्ज़नून
    (और जब आदम को) ये हुक्म दिया था कि यहाँ से उतर पड़ो, फिर यदि तुम्हारे पास मेरी तरफ़ से हिदायत आए तो (उसकी पैरवी करना क्योंकि) जो लोग मेरी मार्गदर्शन पर चलेंगे उन पर (क़यामत) में कोई शोक न होगा।
  19. वल्लज़ी-न क-फरू व कज़्ज़बू बिआयातिना उलाइ-क अस्हाबुन्नारि, हुम् फ़ीहा ख़ालिदून○*
    और न वह रंजीदा होगे और (ये भी याद रखो) जिन लोगों ने कुफ्र इख़तेयार किया और हमारी आयतों को झुठलाया तो वही नरकवासी हैं और हमेशा नरक में पड़े रहेगे।
  20. या बनी इस्राइलज़्कुरू निअ्मतियल्लती अन्अम्तु अलैकुम् व औफू बि-अ़हदी ऊफि़ बि-अह्दिकुम् व इय्या-य फर्हबून
    ऐ इसराईल की सन्तान! मेरे उन एहसानात को याद करो जो तुम पर पहले कर चुके हैं और तुम मेरे एहद व इक़रार (ईमान) को पूरा करो तो मैं तुम्हारे एहद (सवाब) को पूरा करूँगा, और मुझ ही से डरते रहो।

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