सूरह बकरा हिंदी में (पेज 9)​

सूरह बकरा हिंदी में (पेज 9) Surah Al-Baqarah in Hindi

  1. इन्नल्लज़ी-न क-फरू व मातू व हुम् कुफ्फारून् उलाइ-क अलैहिम् लअ्-नतुल्लाहि वल् मलाइ-कति वन्नासि अज्मअी़न
    बेशक जिन लोगों ने कुफ्र एख्तेयार किया और कुफ्र ही की हालत में मर गए उन्ही पर अल्लाह की और फरिश्तों की और तमाम लोगों की लानत है हमेशा उसी फटकार में रहेंगे।
  2. ख़ालिदी-न फ़ीहा, ला युख़फ्फ़ु अन्हुमुल्-अज़ाबु व ला हुम् युन्ज़रून
    न तो उनके अज़ाब ही में कमी की जाएगी।
  3. व इलाहुकुम् इलाहुंव-वाहिदुन्, ला इला-ह इल्ला हुवर्रहमानुर्रहीम○*
    और न उनको अज़ाब से मोहलत दी जाएगी और तुम्हारा माबूद तो वही यकता अल्लाह है उस के सिवा कोई माबूद नहीं जो बड़ा मेहरबान रहम वाला है।
  4. इन्-न फ़ी ख़ल्क़िस्समावाति वलअर्ज़ि वख़्तिलाफ़िल्लैलि वन्नहारि वल्फु़ल्किल्लती तजरी फ़िल्बह्-रि बिमा यन्फअुन्ना-स व मा अन्ज़लल्लाहु मिनस्समा-इ मिम्मा-इन् फ़-अह् या बिहिल् अर्-ज़ बअ्-द मौतिहा व बस्-स फ़ीहा मिन् कुल्लि दाब्बतिन्, व तसरीफ़िर्रियाहि वस्सहाबिल मुसख़्ख़रि बैनस्समा-इ वल् अर्ज़ी लआयातिल् लिक़ौमिंय्यअ्क़िलून
    बेशक आसमान व ज़मीन की पैदाइश और रात दिन के रद्दो बदल में और क़श्तियों जहाज़ों में जो लोगों के नफे की चीज़े (माले तिजारत वगैरह दरिया) में ले कर चलते हैं और पानी में जो अल्लाह ने आसमान से बरसाया फिर उस से ज़मीन को मुर्दा (बेकार) होने के बाद जिला दिया (शादाब कर दिया) और उस में हर क़िस्म के जानवर फैला दिये और हवाओं के चलाने में और उन बादलों में, जो आकाश और धरती के बीच उसकी आज्ञा के अधीन रहते हैं,  इन सब बातों में अक्ल वालों के लिए बड़ी बड़ी निशानियाँ हैं।
  5. व मिनन्नासि मंय्यत्तख़िज़ु मिन् दूनिल्लाहि अन्दादंय्युहिब्बू-नहुम् कहुब्बिल्लाहि, वल्लज़ी-न आमनू अशद्दू हुब्बल-लिल्लाहि, व लौ यरल्लज़ी-न ज़-लमू इज़् यरौनल-अज़ा-ब, अन्नल-क़ुव्व-त लिल्लाहि जमीअंव् व अन्नल्ला-ह शदीदुल् अ़ज़ाब
    और कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अल्लाह के सिवा औरों को भी अल्लाह का मिसल व शरीक बनाते हैं (और) जैसी मोहब्बत अल्लाह से रखनी चाहिए वैसी ही उन से रखते हैं और जो लोग ईमानदार हैं वह उन से कहीं बढ़ कर अल्लाह की उलफ़त रखते हैं। और काश ज़ालिमों को (इस वक्त) वह बात सूझती जो अज़ाब देखने के बाद सूझेगी कि यक़ीनन हर तरह की कूवत अल्लाह ही को है। और ये कि बेशक अल्लाह बड़ा सख्त अज़ाब वाला है।
  6. इज़् त-बर्र अल्लज़ीनत्तु बिअ़ू मिनल्लज़ीनत् त-बअू व र-अवुल अज़ा-ब व त क़त्तअत् बिहिमुल अस्बाब
    (वह क्या सख्त वक्त होगा) जब पेशवा लोग अपने अनुयायियों से अपना पीछा छुड़ाएगे और (ख़ुद) अज़ाब को देखेगें उनके आपस के सभी सम्बंध टूट जायेंगे।
  7. व क़ालल्लज़ीनत्त-बअू लौ अन्-न लना कर्रतन् फ़-न-तबर्र-अ मिन्हुम् कमा तबर्रअू मिन्ना, कज़ालि-क युरीहिमुल्लाहु अअ्मालहुम् ह-सरातिन् अलैहिम्, व मा हुम् बिख़ारिजी-न मिनन्नार○ *
    और अनुयायी कहने लगेंगे कि अगर हमें कहीं फिर (दुनिया में) पलटना मिले तो हम भी उन से इसी तरह अलग हो जायेंगे जिस तरह ऐन वक्त पर ये लोग हम से अलग हो गए। ऐसे ही अल्लाह उनके कर्मों को उनके लिए संताप बनाकर दिखाएगा और फिर भला। कब वह दोज़ख़ से निकल सकतें हैं।
  8. या अय्युहन्नासु कुलू मिम्मा फिल् अर्ज़ि हलालन् तय्यिबंव्-वला तत्तबिअू ख़ुतुवातिश्शैतानि, इन्नहू लकुम् अदुव्वुम् मुबीन
    ऐ लोगों! जो कुछ ज़मीन में हैं उस में से हलाल व पाकीज़ा चीज़ (शौक़ से) खाओ और शैतान के क़दम ब क़दम न चलो वह तो तुम्हारा ज़ाहिर ब ज़ाहिर दुश्मन है।
  9. इन्नमा यअ्मुरूकुम् बिस्सू-इ वल्-फहशा-इ व अन् तक़ूलू अलल्लाहि मा ला तअ्लमून
    वह तो तुम्हें बुराई और बदकारी ही का हुक्म करेगा और ये चाहेगा कि तुम बे जाने बूझे अल्लाह पर आरोप बाँधों।
  10. व इज़ा क़ी-ल लहुमुत्तबिअू मा अन्ज़लल्लाहु क़ालू बल् नत्तबिअु़ मा अल्फ़ैना अलैहि आबा-अना, अ-व लौ का-न आबाअुहुम् ला यअ्क़िलू-न शैअंव् व ला यह्तदून
    और जब उन से कहा जाता है कि जो हुक्म अल्लाह की तरफ से नाज़िल हुआ है उस को मानो तो कहते हैं कि नहीं बल्कि हम तो उसी तरीक़े पर चलेंगे जिस पर हमने अपने बाप दादाओं को पाया अगरचे उन के बाप दादा कुछ भी न समझते हों और न राहे रास्त ही पर चलते रहे।
  11. व म-सलुल्लज़ी-न क-फरू क-म-सलिल्लज़ी यन्अिक़ु बिमा ला यस्मअु इल्ला दुआअंव् व निदाअन्, सुम्मुम् बुक्मुन् अुम्युन् फहुम् ला यअ्क़िलून
    और जिन लोगों ने कुफ्र एख्तेयार किया उन की मिसाल तो उस शख्स की मिसाल है , जो उसे (अर्थात पशु को) पुकारता है, जो हाँक-पुकार के सिवा कुछ नहीं सुनता, ये लोग बहरे गूंगे अन्धे हैं कि कुछ नहीं समझते।
  12. या अय्युहल्लज़ी-न आमनू कुलू मिन् तय्यिबाति मा रज़क़्नाकुम् वश्कुरू लिल्लाहि इन् कुन्तुम् इय्याहु तअ्बुदून
    ऐ ईमानदारों! जो कुछ हम ने तुम्हें दिया है उस में से सुथरी चीजें (शौक़ से) खाओं और अगर अल्लाह ही की इबादत करते हो तो उसी का शुक्र करो।
  13. इन्नमा हर्र-म अलैकुमुल-मै-त-त वद्द-म व लह्मल ख़िन्ज़ीरि व मा उहिल्-ल बिही लिग़ैरिल्लाहि, फ़-मनिज़्तुर्-र ग़ै-र बागिंव् व ला आदिन् फला इस्-म अलैहि, इन्नल्ला-ह ग़फूर्रहीम
    उसने तो तुम पर बस मुर्दा जानवर और खून और सूअर का गोश्त और वह जानवर जिस पर ज़बह के वक्त अल्लाह के सिवा और किसी का नाम लिया गया हो हराम किया है फ़िर जो शख्स मजबूर हो और सरकशी करने वाला और ज्यादती करने वाला न हो (और उनमे से कोई चीज़ खा ले) तो उस पर गुनाह नहीं है बेशक अल्लाह बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है।
  14. इन्नल्लज़ी-न यक़्तुमू-न मा अन्ज़लल्लाहु मिनल्-किताबि व यश्तरू-न बिहि स-मनन् क़लीलन्, उलाइ-क मा यअ्कुलू-न फ़ी बुतूनिहिम् इल्लन्ना-र व ला युकल्लिमुहुमुल्लाहु यौमल् क़ियामति व ला युज़क्कीहिम व लहुम् अज़ाबुन अलीम
    बेशक जो लोग इन बातों को जो अल्लाह ने किताब में नाज़िल की है छिपाते हैं और उसके बदले थोड़ी सी क़ीमत (दुनयावी नफ़ा) ले लेतें है ये लोग बस अंगारों से अपने पेट भरते हैं और क़यामत के दिन अल्लाह उन से बात तक तो करेगा नहीं और न उन्हें (गुनाहों से) पाक करेगा और उन्हीं के लिए दर्दनाक अज़ाब है।
  15. उला-इकल्लज़ीनश्त-रवुज़् ज़लाल-त बिल्हुदा वल-अज़ा-ब बिल् मग़्फ़ि-रति, फमा अस्ब-रहुम् अलन्नार
    यही लोग वह हैं जिन्होंने हिदायत के बदले गुमराही मोल ली और तथा क्षमा के बदले यातना फ़िर वह लोग दोज़ख़ की आग क्योंकर बरदाश्त करेंगे।
  16. ज़ालि-क बिअन्नल्ला-ह नज़्ज़लल्-किता-ब बिल्हक़्क़ि, व इन्नल्लज़ीनख़्त-लफू फ़िल्-किताबि लफ़ी शिक़ाक़िम्-बअीद○ *
    ये इसलिए कि अल्लाह ने बरहक़ किताब नाज़िल की और बेशक जिन लोगों ने अल्लाह की किताब में रद्दो बदल की वह लोग बड़े पल्ले दरजे की मुखालफत में हैं।
  17. लैसल्बिर्-र अन् तुवल्लू वुजू-हकुम् क़ि-बलल्-मशरिक़ि वल्-मग़्रिबि व लाकिन्नल्-बिर्-र मन् आम-न बिल्लाहि वल्यौमिल् आख़िरि वल्मलाइ-कति वल्किताबि वन्नबिय्यी-न, व आतल्मा-ल अला हुब्बिही ज़विल्क़ुरबा वल्यतामा वल्मसाकी-न वब्नस्सबीलि, वस्सा-इली-न व फिर्रिक़ाबि, व अक़ामस्सला-त व आतज़्ज़का-त, वल्मूफू-न बि-अह्दिहिम इज़ा आ-हदू, वस्साबिरी-न फिल्-बअ्सा-इ वज़्ज़र्रा-इ व हीनल्-बअ्सि, उलाइ-कल्लज़ी-न स-दक़ू, व उलाइ-क हुमुल्-मुत्तक़ून
    नेकी कुछ यही थोड़ी है कि नमाज़ में अपने मुँह पूरब या पश्चिम की तरफ़ कर लो बल्कि नेकी तो उसकी है जो अल्लाह और रोज़े आख़िरत और फ़रिश्तों और अल्लाह की किताबों और पैग़म्बरों पर ईमान लाए और उसकी उलफ़त में अपना माल क़राबत दारों और यतीमों और मोहताजो और परदेसियों और माँगने वालों और लौन्डी गुलाम (की मुक्ति) में सर्फ करे और पाबन्दी से नमाज़ पढे और ज़कात देता रहे और जब कोई एहद किया तो अपने क़ौल के पूरे हो एवं निर्धनता और रोग तथा युध्द की स्थिति में धैर्यवान रहे। यही लोग वह हैं जो दावए ईमान में सच्चे निकले और यही लोग परहेज़गार है।
  18. या अय्युहल्लज़ी-न आमनू कुति-ब अलैकुमुल्-क़िसासु फ़िल्क़त्ला, अल्हुर्रू बिल्हुर्रि वल्अ़ब्दु बिल्अ़ब्दि वल्-उन्सा बिल्-उन्सा, फ़-मन् अुफ़ि-य लहू मिन् अख़ीहि शैउन् फ़त्तिबाअुम् बिल्मअ्-रुफि व अदाउन् इलैहि बि-इहसानिन्, ज़ालि-क तख़्फ़ीफुम् मिर्रब्बिकुम् व रह्-मतुन्, फ़-मनिअ्तदा बअ्-द ज़ालि-क फ़-लहू अ़ज़ाबुन अलीम
    ऐ मोमिनों! जो लोग (नाहक़) मार डाले जाएँ उनके बदले में तुम को जान के बदले जान लेने का हुक्म दिया जाता है आज़ाद के बदले आज़ाद और गुलाम के बदले गुलाम और औरत के बदले औरत फ़िर जिस (क़ातिल) को उसके ईमानी भाई तालिबे कसास की तरफ से कुछ माफ़ कर दिया जाये, तो उसे सामान्य नियम का अनुसरण करना चाहिये। निहत व्यक्ति के वारिस को भलाई के साथ दियत (अर्थदण्ड) चुका देना चाहिये। ये तुम्हारे परवरदिगार की तरफ आसानी और मेहरबानी है फिर उसके बाद जो ज्यादती करे तो उस के लिए दर्दनाक अज़ाब है।
  19. व लकुम् फिल्क़िसासि हयातुंय्या उलिल्-अल्बाबि लअल्लकुम तत्तक़ून
    और ऐ अक्लमंदों! क़सास (के क़वाएद मुक़र्रर कर देने) में तुम्हारी ज़िन्दगी है (और इसीलिए जारी किया गया है ताकि तुम खूरेज़ी से) परहेज़ करो।
  20. कुति-ब अलैकुम् इज़ा ह-ज़-र अ-ह-दकुमुल्मौतु इन् त-र-क ख़ै-रनिल वसिय्यतु लिल्वालिदैनि वल-अक़्रबी-न बिल्मअ् रुफि हक़्कन अलल्-मुत्तक़ीन
    (मुसलमानों!) तुम को हुक्म दिया जाता है कि जब तुम में से किसी के सामने मौत आ खड़ी हो बशर्ते कि वह कुछ माल छोड़ जाएं तो माँ बाप और क़राबतदारों के लिए अच्छी वसीयत करें जो अल्लाह से डरते हैं उन पर ये एक हक़ है।

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