11 सूरह हूद हिंदी में पेज 3

सूरह हूद हिंदी में | Surat Hud in Hindi

  1. व क़ालर् कबू फ़ीहा बिस्मिल्लाहि मज् रेहा व मुरसाहा, इन्-न रब्बी ल ग़फूरुर्रहीम
    और नूह ने (अपने साथियों से) कहा बिस्मिल्ला मज़रीहा मुरसाहा (अल्लाह ही के नाम से उसका बहाओ और ठहराओ है) कश्ती में सवार हो जाओ बेशक मेरा परवरदिगार बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है।
  2. व हि-य तज्री बिहिम् फ़ी मौजिन् कल्जिबालि, व नादा नूहु-निब्-नहू व का-न फ़ी मअ्ज़िलिंय-या बुनय्यर्कब् म-अ़ना व ला तकुम् म-अ़ल् काफ़िरीन
    और कश्ती है कि पहाड़ों की सी (ऊँची) लहरों में उन लोगों को लिए हुए चली जा रही है और नूह ने अपने बेटे को जो उनसे अलग थलग एक गोशे (कोने) में था आवाज़ दी ऐ मेरे फरज़न्द हमारी कश्ती में सवार हो लो और काफिरों के साथ न रह।
  3. क़ा-ल स-आवी इला ज-बलिंय्यअ्सिमुनी मिनल्मा-इ, क़ा-ल ला आसिमल्यौ-म मिन् अम्रिल्लाहि इल्ला मर्रहि-म, व हा-ल बैनहुमल् मौजु फका-न मिनल् मुग़्-र-क़ीन
    (मुझे माफ कीजिए) मै तो अभी किसी पहाड़ का सहारा पकड़ता हूँ जो मुझे पानी (में डूबने) से बचा लेगा नूह ने (उससे) कहा (अरे कम्बख़्त) आज अल्लाह के अज़ाब से कोई बचाने वाला नहीं मगर अल्लाह ही जिस पर रहम फरमाएगा और (ये बात हो रही थी कि) यकायक दोनो बाप बेटे के दरम्यिान एक मौज हाएल हो गई और वह डूब कर रह गया।
  4. व क़ी-ल या अरज़ुब्लई मा-अकि व या समा-उ अक़्लिई व ग़ीज़ल-मा-उ व क़ुज़ियल्-अम्रू वस्तवत् अलल् – जूदिय्यि व क़ी-ल बुअ्दल् लिल्-क़ौमिज़्ज़ालिमीन
    और (ग़ैब अल्लाह की तरफ से) हुक्म दिया गया कि ऐ ज़मीन अपना पानी जज़्ब (शेख) करे और ऐ आसमान (बरसने से) थम जा और पानी घट गया और (लोगों का) काम तमाम कर दिया गया और कश्ती जो वही (पहाड़) पर जा ठहरी और (चारो तरफ) पुकार दिया गया कि ज़ालिम लोगों को (अल्लाह की रहमत से) दूरी हो।
  5. व नादा नूहुर्-रब्बहू फ़क़ा-ल रब्बि इन्नब्-नी मिन् अह़्ली व इन्-न वअ्द-कल्-हक़्क़ु व अन्-त अह़्कमुल्-हाकिमीन
    और (जिस वक़्त नूह का बेटा ग़रक (डूब) हो रहा था तो नूह ने अपने परवरदिगार को पुकारा और अर्ज़ की ऐ मेरे परवरदिगार इसमें तो शक नहीं कि मेरा बेटा मेरे एहल (घर वालों) में शामिल है और तूने वादा किया था कि तेरे एहल को बचा लूँगा) और इसमें शक नहीं कि तेरा वायदा सच्चा है और तू सारे (जहान) के हाकिमों से बड़ा हाकिम है।
  6. क़ा-ल या नूहु इन्नहू लै-स मिन् अह़्लि-क, इन्नहू अ-मलुन् ग़ैरू सालिहिन, फ़ला तस्अल्नि मा लै-स ल-क बिही अिल्मुन, इन्नी अअिज़ु-क अन् तकू-न मिनल्-जाहिलीन
    (तू मेरे बेटे को नजात दे) अल्लाह ने फरमाया ऐ नूह तुम (ये क्या कह रहे हो) हरगिज़ वह तुम्हारे एहल में शामिल नहीं वह बेशक बदचलन है (देखो जिसका तुम्हें इल्म नहीं है मुझसे उसके बारे में (दरख़्वास्त न किया करो और नादानों की सी बातें न करो) नूह ने अर्ज़ की ऐ मेरे परवरदिगार मै तुझ ही से पनाह मागँता हूँ कि जिस चीज़ का मुझे इल्म न हो मै उसकी दरख़्वास्त करुँ।
  7. क़ा-ल रब्बि इन्नी अअूज़ु बि-क अन् अस्अ-ल-क मा लै-स ली बिही अिल्मुन्, व इल्ला तग़्फिर् ली व तरहम्-नी अकुम् मिनल्-ख़ासिरीन
    और अगर तु मुझे (मेरे कसूर न बख़्श देगा और मुझ पर रहम न खाएगा तो मैं सख़्त घाटा उठाने वालों में हो जाऊँगा (जब तूफान जाता रहा तो) हुक्म दिया गया ऐ नूह हमारी तरफ से सलामती और उन बरकतों के साथ कश्ती से उतरो।
  8. क़ी-ल या नूहुह्बित बिसलामिम् मिन्ना व ब-रकातिन् अलै-क व अ़ला उ-ममिम् मिम्-मम्म-अ-क, व उ-ममुन् सनुमत्तिअुहुम् सुम्-म यमस्सुहुम् मिन्ना अ़ज़ाबुन् अलीम
    जो तुम पर हैं और जो लोग तुम्हारे साथ हैं उनमें से न कुछ लोगों पर और (तुम्हारे बाद) कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें हम थोड़े ही दिन बाद बहरावर करेगें फिर हमारी तरफ से उनको दर्दनाक अज़ाब पहुँचेगा।
  9. तिल्-क मिन् अम्बाइल्-ग़ैबि नूहीहा इलै-क, मा कुन् -त तअ्लमुहा अन्-त वला क़ौमु-क मिन् क़ब्लि हाज़ा, फस्बिर, इन्नल् आक़ि-ब-त लिल्मुत्तक़ीन *
    (ऐ रसूल) ये ग़ैब की चन्द ख़बरे हैं जिनको तुम्हारी तरफ वही के ज़रिए पहुँचाते हैं जो उसके क़ब्ल न तुम जानते थे और न तुम्हारी क़ौम ही (जानती थी) तो तुम सब्र करो इसमें शक नहीं कि आखि़ारत (की खूबियाँ) परहेज़गारों ही के वास्ते हैं।
  10. व इला आदिन् अख़ाहुम हूदन, क़ा-ल या क़ौमिअ्बुदुल्ला-ह मा लकुम् मिन् इलाहिन् ग़ैरूहू, इन् अन्तुम् इल्ला मुफ़्तरून
    और (हमने) क़ौमे आद के पास उनके भाई हूद को (पैग़म्बर बनाकर भेजा और) उन्होनें अपनी क़ौम से कहा ऐ मेरी क़ौम अल्लाह ही की परसतिश करों उसके सिवा कोई तुम्हारा माबूद नहीं तुम बस निरे इफ़तेरा परदाज़ (झूठी बात बनाने वाले) हो।
  11. या क़ौमि ला अस् अलुकुम् अ़लैहि अज्रन्, इन् अज्रि-य इल्ला अ़लल्लज़ी फ़-त-रनी, अ-फ़ला तअ्क़िलून
    ऐ मेरी क़ौम मै उस (समझाने पर तुमसे कुछ मज़दूरी नहीं माँगता मेरी मज़दूरी तो बस उस शख़्स के जि़म्मे है जिसने मुझे पैदा किया तो क्या तुम (इतना भी) नहीं समझते।
  12. व या क़ौमिस्तग़्फिरू रब्बकुम् सुम्-म तूबू इलैहि युरसिलिस्समा-अ अ़लैकुम मिद्रारंव् व यज़िद्कुम् क़ुव्व-तन् इला क़ुव्वतिकुम वला त-तवल्लौ मुज्रिमीन
    और ऐ मेरी क़ौम अपने परवरदिगार से मग़फिरत की दुआ माँगों फिर उसकी बारगाह में अपने (गुनाहों से) तौबा करो तो वह तुम पर मूसलाधार मेह आसमान से बरसाएगा ख़ुश्क साली न हेागी और तुम्हारी क़ूवत (ताक़त) में और क़ूवत बढ़ा देगा और मुजरिम बन कर उससे मुँह न मोड़ों।
  13. क़ालू या हूदु मा जिअ्तना बि-बय्यि-नतिंव्-व मा नह्नु बितारिकी आलि-हतिना अन् क़ौलि-क व मा नह्नु ल-क बिमुअ्मिनीन
    वह लोग कहने लगे ऐ हूद तुम हमारे पास कोई दलील लेकर तो आए नहीं और तुम्हारे कहने से अपने ख़़ुदाओं को तो छोड़ने वाले नहीं और न हम तुम पर ईमान लाने वाले हैं।
  14. इन्नक़ूलु इल्लअ्-तरा-क बअ्ज़ु आलि-हतिना बिसूइन्, क़ा-ल इन्नी हा उशहिदुल्ला-ह वश्हदू अन्नी बरीउम्-मिम्मा तुश्रिकून
    हम तो बस ये कहते हैं कि हमारे ख़ुदाओं में से किसने तुम्हें मजनून (दीवाना) बना दिया है (इसी वजह से तुम) बहकी बहकी बातें करते हो हूद ने जवाब दिया बेशक मै अल्लाह को गवाह करता हूँ और तुम भी गवाह रहो कि तुम अल्लाह के सिवा (दूसरों को) उसका शरीक बनाते हो।
  15. मिन् दूनिही फ़कीदूनी जमीअ़न् सुम् -म ला तुन्ज़िरून 
    इसमे मै बेज़ार हूँ तो तुम सब के सब मेरे साथ मक्कारी करो और मुझे (दम मारने की) मोहलत भी न दो तो मुझे परवाह नहीं।
  16. इन्नी तवक्कल्तु अ़लल्लाहि रब्बी व रब्बिकुम्, मा मिन् दाब्बतिन् इल्ला हु-व आख़िज़ुम् बिनासि-यतिहा, इन्-न रब्बी अ़ला सिरातिम् मुस्तक़ीम
    मै तो सिर्फ अल्लाह पर भरोसा रखता हूँ जो मेरा भी परवरदिगार है और तुम्हारा भी परवरदिगार है और रुए ज़मीन पर जितने चलने वाले हैं सबकी चोटी उसी के साथ है इसमें तो शक ही नहीं कि मेरा परवरदिगार (इन्साफ की) सीधी राह पर है।
  17. फ-इन् तवल्लौ फ़-क़द् अब्लग़्तुकुम् मा उर्सिल्तु बिही इलैकुम्, व यस्तख़्लिफु रब्बी क़ौमन् ग़ैरकुम्, व ला तज़ुर्रुनहू शैअन्, इन्-न रब्बी अ़ला कुल्लि शैइन् हफ़ीज़
    इस पर भी अगर तुम उसके हुक्म से मुँह फेरे रहो तो जो हुक्म दे कर मैं तुम्हारे पास भेजा गया था उसे तो मैं यक़ीनन पहुँचा चुका और मेरा परवरदिगार (तुम्हारी नाफरमानी पर तुम्हें हलाक करें) तुम्हारे सिवा दूसरी क़ौम को तुम्हारा जानशीन करेगा और तुम उसका कुछ भी बिगाड़ नहीं सकते इसमें तो शक नहीं है कि मेरा परवरदिगार हर चीज़ का निगेहबान है।
  18. व लम्मा जा-अ अम्रूना नज्जैना हूदंव्वल्लज़ी-न आमनू म-अ़हू बिरह्-मतिम्-मिन्ना, व नज्जैनाहुम् मिन् अ़ज़ाबिन् ग़लीज़
    और जब हमारा (अज़ाब का) हुक्म आ पहुँचा तो हमने हूद को और जो लोग उसके साथ इमान लाए थे अपनी मेहरबानी से नजात दिया और उन सबको सख़्त अज़ाब से बचा लिया।
  19. व तिल-क आदुन्, ज-हदू बिआयाति रब्बिहिम् व असौ रूसु-लहु वत्त-बअू अम्-र कुल्लि जब्बारिन् अ़नीद
    (ऐ रसूल) ये हालात क़ौमे आद के हैं जिन्होंने अपने परवरदिगार की आयतों से इन्कार किया और उसके पैग़म्बरों की नाफ़रमानी की और हर सरकश (दुश्मन अल्लाह) के हुक्म पर चलते रहें।
  20. व उत्बिअू फ़ी हाज़िहिद्दुन्या लअ्न-तंव् -व यौमल् -क़ियामति, अला-इन्-न आदन् क-फरू रब्बहुम, अला बुअ्दल् लिआदिन क़ौमि हूद*
    और इस दुनिया में भी लानत उनके पीछे लगा दी गई और क़यामत के दिन भी (लगी रहेगी) देख क़ौमे आद ने अपने परवरदिगार का इन्कार किया देखो हूद की क़ौमे आद (हमारी बारगाह से) धुत्कारी पड़ी है।

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