19 सूरह मरियम हिंदी में​ पेज 2

सूरह मरियम हिंदी में | Surah Maryam in Hindi

  1. फ़ कुली वशरबी व क़र्री ऐना, इम्मा तारा यिन्ना मिनल ब-शरी अहदन फक़ूली इन्नी नज़रतु लिर रहमानि सौमन फलन उकल्लिमल यौमा इन्सिय्या
    अतः तू उसे खा और पी और आँखें ठंडी कर। फिर यदि तू किसी आदमी को देखे तो कह देना, मैंने तो रहमान के लिए रोज़े की मन्नत मानी है। इसलिए मैं आज किसी मनुष्य से न बोलूँगी।”
  2. फ़ अतत बिही क़ौमहा तहमिलुह, कालू या मरयमु लक़द जिअ’ति शैअन फ़रिय्या
    फिर वह उस बच्चे को लिए हुए अपनी क़ौम के लोगों के पास आई। वे बोले, “ऐ मरयम, तूने तो बड़ा ही आश्चर्य का काम कर डाला!
  3. या उख़ता हारूना मा काना अबूकिम रअ सौइव वमा कानत उम्मुकि बगिय्या
    हे हारून की बहन! न तो तेरा बाप ही कोई बुरा आदमी था और न तेरी माँ ही बदचलन थी।”
  4. फ़ अशारत इलैह, क़ालू कैफ़ा नुकल्लिमु मन काना फ़िल महदि सबिय्या
    तब उसने उस (बच्चे) की ओर संकेत किया। वे कहने लगे, “हम उससे कैसे बात करें जो पालने में पड़ा हुआ एक बच्चा है?”
  5. क़ाला इन्नी अब्दुल लाह, आतानियल किताब व जअलनी नबिय्या
    उसने कहा, “मैं अल्लाह का बन्दा हूँ। उसने मुझे किताब दी और मुझे नबी बनाया
  6. व ज-अलनी मुबारकन ऐनमा कुन्तु व औसानी बिस सलाति वाज़ ज़काति मा दुम्तु हय्या
    और मुझे बरकतवाला किया जहाँ भी मैं रहूँ, और मुझे नमाज़ और ज़कात की ताकीद की, जब तक कि मैं जीवित रहूँ।
  7. व बर्रम बिवालिदती वलम यज अल्नी जब्बारन शक़िय्या
    और अपनी माँ का हक़ अदा करनेवाला बनाया। और उसने मुझे सरकश और बेनसीब नहीं बनाया।
  8. वस सलामु अलैया यौमा वुलित्तु व यौमा अमूतु व यौमा उब असु हय्या
    सलाम है मुझपर जिस दिन कि मैं पैदा हुआ और जिस दिन कि मैं मरूँ और जिस दिन कि जीवित करके उठाया जाऊँ!”
  9. ज़ालिका ईसब्नु मरयम क़ौलल हक्किल लज़ी फीहि यमतरून
    सच्ची और पक्की बात की दृष्टि से यह है कि मरयम का बेटा ईसा, जिसके विषय में वे सन्देह में पड़े हुए हैं।
  10. मा काना लिल लाहि अय यत तखिज़ा मिव व-लदिन सुबहानह, इज़ा क़दा अमरन फ़ इन्नमा यक़ूलु लहू कुन फ़यकून
    अल्लाह ऐसा नहीं कि वह किसी को अपना बेटा बनाए। महान और उच्च है वह! जब वह किसी चीज़ का फ़ैसला करता है तो बस उसे कह देता है, “हो जा!” तो वह हो जाती है।
  11. व इन्नल लाहा रब्बी व रब्बुकुम फ़अ’बुदूह हाज़ा सिरातुम मुस्तक़ीम
    “और निस्संदेह अल्लाह मेरा रब भी है और तुम्हारा रब भी। अतः तुम उसी की बन्दगी करो यही सीधा मार्ग है।”
  12. फ़ख त-लफल अह्ज़ाबू मिम बैनिहिम, फ़वैलुल लिल लज़ीना कफ़रू मिम मश हादि यौमिन अज़ीम
    किन्तु उनमें कितने ही गरोहों ने पारस्परिक वैमनस्य के कारण विभेद किया, तो जिन लोगों ने इनकार किया उनके लिए बड़ी तबाही है एक बड़े दिन की उपस्थिति से।
  13. अस्मिअ’ बिहिम व अबसिर यौमा यअ’तूनना लाकिनिज़ ज़ालिमूनल यौमा फ़ी दलालिम मुबीन
    भली-भाँति सुननेवाले और भली-भाँति देखनेवाले होंगे, जिस दिन वे हमारे सामने आएँगे! किन्तु आज ये ज़ालिम खुली गुमराही में पड़े हुए हैं।
  14. व अन्ज़िरहुम यौमल हसरति इज़ कुदियल अमरु वहुम फ़ी ग़फ्लतिव वहुम ला युअ’मिनून
    उन्हें पश्चात्ताप के दिन से डराओ, जबकि मामले का फ़ैसला कर दिया जाएगा, और उनका हाल यह है कि वे ग़फ़लत में पड़े हुए हैं और वे ईमान नहीं ला रहे हैं।
  15. इन्ना नहनु नरिसुल अरदा वमन अलैहा व इलैना यूर जऊन
    धरती और जो भी उसके ऊपर है उसके वारिस हम ही रह जाएँगे और हमारी ही ओर उन्हें लौटना होगा।
  16. वज्कुर फ़िल किताबि इब्राहीम, इन्नहू काना सिद्दीक़न नबिय्या
    और इस किताब में इबराहीम की चर्चा करो। निस्संदेह वह एक सत्यवान नबी था।
  17. इज़ क़ाला लि अबीहि या अबति लिमा तअ’बुदु माला यस्मऊ वला युब्सिरू वला युग्नी अनका शैआ
    जबकि उसने अपने बाप से कहा, “ऐ मेरे बाप! आप उस चीज़ को क्यों पूजते हो, जो न सुने और न देखे और न आपके कुछ काम आए?
  18. या अ-बति इन्नी क़द जाअनी मिनल इल्मि मा लम यअ’तिका फत तबिअ’नी अह्दिका सिरातन सविय्या
    ऐ मेरे बाप! मेरे पास ज्ञान आ गया है जो आपके पास नहीं आया। अतः आप मेरा अनुसरण करें, मैं आपको सीधा मार्ग दिखाऊँगा।
  19. या अबति ला तअ’बुदिश शैतान, इन्नश शैताना काना लिर रहमानि असिय्या
    ऐ मेरे बाप! शैतान की बन्दगी न कीजिए। शैतान तो रहमान का अवज्ञाकारी है।
  20. या अ-बति इन्नी अख़ाफु अय यमस सका अज़ाबुम मिनर रहमानि फ़ तकूना लिश शैतानि वलिय्या
    ऐ मेरे बाप! मैं डरता हूँ कि कहीं आपको रहमान की कोई यातना न आ पकड़े और आप शैतान के साथी होकर रह जाएँ।”
  21. क़ाला अरागिबुन अंता अन आलि-हती या इब्राहीम, लइल लम तन्तहि ल अरजुमन नका वह जुरनी मलिय्या
    उसने कहा, “ऐ इबराहीम! क्या तू मेरे उपास्यों से फिर गया है? यदि तू बाज़ न आया तो मैं तुझपर पथराव कर दूँगा। तू अलग हो जा मुझसे मुद्दत के लिए!”
  22. क़ाला सलामुन अलै-क सअस्तग फिरू लका रब्बी, इन्नहू काना बी हफ़िय्या
    कहा, “सलाम है आपको! मैं आपके लिए अपने रब से क्षमा की प्रार्थना करूँगा। वह तो मुझपर बहुत मेहरबान है।
  23. व अअ’ तज़िलुकुम वमा तदऊना मिन दूनिल लाहि व अदऊ रब्बी, असा अल्ला अकूना बि दुआइ रब्बि शक़िय्या
    मैं आप लोगों को छोड़ता हूँ और उनको भी जिन्हें अल्लाह से हटकर आप लोग पुकारा करते हैं। मैं तो अपने रब को पुकारूँगा। आशा है कि मैं अपने रब को पुकारकर बेनसीब नहीं रहूँगा।”
  24. फलम मअ’ त-ज़लहुम वमा यअ’बुदूना मिन दूनिल लाहि वहब्ना लहू इस्हाक़ा व यअक़ू-ब वकुल्लन जअलना नबिय्या
    फिर जब वह उन लोगों से और जिन्हें वे अल्लाह के सिवा पूजते थे उनसे अलग हो गया, तो हमने उसे इसहाक़ और याक़ूब प्रदान किए और हर एक को हमने नबी बनाया।

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