19 सूरह मरियम हिंदी में​ पेज 3

सूरह मरियम हिंदी में | Surah Maryam in Hindi

  1. व वहब्ना लहुम मिर रहमतिना व जअल्ना लहुम लिसाना सिद्क़िन अलिय्या
    और उन्हें अपनी दयालुता से हिस्सा दिया। और उन्हें एक सच्ची उच्च ख्याति प्रदान की।
  2. वज्कुर फ़िल किताबि मूसा, इन्नहू काना मुख्लसव व काना रसूलन नबिय्या
    और इस किताब में मूसा की चर्चा करो। निस्संदेह वह चुना हुआ था और एक रसूल, नबी था।
  3. व नादैनाहु मिन जानिबित तूरिल ऐमनि व क़र रब्नाहु नजिय्या
    हमने उसे ‘तूर’ के मुबारक छोर से पुकारा और रहस्य की बातें करने के लिए हमने उसे समीप किया।
  4. व वहबना लहू मिर रहमतिना अख़ाहू हारू-न नबिय्या
    और अपनी दयालुता से उसके भाई हारून को नबी बनाकर उसे दिया।
  5. व कुर फ़िल किताबि इस्माईल, इन्नहू काना सदिक़ल वअ’दि व का-न रसूलन नबिय्या
    और इस किताब में इसमाईल की चर्चा करो। निस्संदेह वह वादे का सच्चा और वह एक रसूल, नबी था।
  6. वकान यअ’मुरु बिस सलाति वज़ ज़काति वकाना इन्दा रब्बिही मर दिय्या
    और अपने लोगों को नमाज़ और ज़कात का हुक्म देता था। और वह अपने रब के यहाँ प्रीतिकर व्यक्ति था।
  7. वज़कुर फ़िल किताबि इदरीस, इन्नहू का-न सिद दीक़न नबिय्या
    और इस किताब में इदरीस की भी चर्चा करो। वह अत्यन्त सत्यवान, एक नबी था।
  8. व रफ़अ’नाहू मकानन अलिय्या
    हमने उसे उच्च स्थान पर उठाया था।
  9. * उलाइकल लज़ीना अन अमल लाहू अलैहिम मिनन नबिय्यीना मिन जुर रिय्यति आदम, व मिम्मन हमलना मअ नूह, वमिन ज़ुर रिय्यति इब्राही-म व इसराई-ल व मिम्मन हदैना वज तबैना, इज़ा तुतला अलैहिम आयातुर रहमानि ख़र्रू सुज्जदौ व बुकिय्या *सज्दा*
    ये वे पैग़म्बर हैं जो अल्लाह के कृपापात्र हुए, आदम की सन्तान में से और उन लोगों के वंशज में से जिनको हमने नूह के साथ सवार किया, और इबराहीम और इसराईल के वंशज में से और उनमें से जिनको हमने सीधा मार्ग दिखाया और चुन लिया। जब उन्हें रहमान की आयतें सुनाई जातीं तो वे सजदा करते और रोते हुए गिर पड़ते थे।
  10. फ़ ख़-लफ़ मिम बअ’दिहिम खल्फुन अदाउस सलाता वत त-बउश श-हवाति फ़ सौफ़ा यल्क़ौना ग़य्या
    फिर उनके पश्चात ऐसे बुरे लोग उनके उत्तराधिकारी हुए, जिन्होंने नमाज़ को गँवाया और मन की इच्छाओं के पीछे पड़े। अतः जल्द ही वे गुमराही (के परिणाम) से दोचार होंगे।
  11. इल्ला मन ताबा आमना व अमिला सालिहन फ़ उलाइका यद् खुलूनल जन्नता वला युज्लमूना शैआ
    किन्तु जो तौबा करे और ईमान लाए और अच्छा कर्म करे, तो ऐसे लोग जन्नत में प्रवेश करेंगे। उनपर कुछ भी ज़ुल्म न होगा।
  12. जन्नाति अदनि निल लती व अदर रह्मानु इबादहू बिल गैब, इन्नहू काना वअ’दुहू मअ’तिय्या
    अदन (रहने) के बाग़ जिनका रहमान ने अपने बन्दों से परोक्ष में होते हुए वादा किया है। निश्चय ही उसके वादे पर उपस्थित होना है।
  13. ला यस्म ऊना फ़ीहा लगवन इल्ला सलामा व लहुम रिज्क़ुहुम फ़ीहा बुकरतव व अशिय्या
    वहाँ वे ‘सलाम’ के सिवा कोई व्यर्थ बात नहीं सुनेंगे। उनकी रोज़ी उन्हें वहाँ प्रातः और सन्ध्या समय प्राप्त होती रहेगी।
  14. तिल्कल जन्नतुल लती नूरिसु मिन इबादिना मन कान तक़िय्या
    यह है वह जन्नत जिसका वारिस हम अपने बन्दों में से हर उस व्यक्ति को बनाएँगे, जो डर रखनेवाला हो।
  15. वमा न-तनज़ ज़लु इल्ला बिअमरि रब्बिक, लहू मा बैना ऐदीना वमा ख़ल्फ़ना वमा बैना ज़ालिक, वमा काना रब्बुका नसिय्या
    हम तुम्हारे रब की आज्ञा के बिना नहीं उतरते। जो कुछ हमारे आगे है और जो कुछ हमारे पीछे है और जो कुछ इसके मध्य है सब उसी का है, और तुम्हारा रब भूलनेवाला नहीं है।
  16. रब्बुस समावाति वल अरदि वमा बैनहुमा फ़अ’बुद्हू वस तबिर लि इबादतिह, हल तअ’लमु लहू समिय्या
    आकाशों और धरती का रब है और उसका भी जो इन दोनों के मध्य है। अतः तुम उसी की बन्दगी करो और उसकी बन्दगी पर जमे रहो। क्या तुम्हारे ज्ञान में उस जैसा कोई है?
  17. व यक़ूलुल इंसानु अइज़ा मा मित्तु लसौफ़ा उख़रजू हय्या
    और मनुष्य कहता है, “क्या जब मैं मर गया तो फिर जीवित करके निकाला जाऊँगा?”
  18. अ वला यज्कुरुल इंसानु इन्ना ख़लक्नाहु मिन क़ब्लु वलम यकु शैआ
    क्या मनुष्य याद नहीं करता कि हम उसे इससे पहले पैदा कर चुके हैं, जबकि वह कुछ भी न था?
  19. फ़ वरब्बिका लनह शुरन नहूम वश शयातीना सुम्मा लनुह दिरन नहुम हौला जहन्नमा जिसिय्या
    अतः तुम्हारे रब की क़सम! हम अवश्य उन्हें और शैतानों को भी इकट्ठा करेंगे। फिर हम उन्हें जहन्नम के चतुर्दिक इस दशा में ला उपस्थित करेंगे कि वे घुटनों के बल झुके होंगे।
  20. सुम्मा लननज़ि अन्ना मिन कुल्लि शीअतिन अय्युहुम अशद्दु अलर रहमानि इतिय्या
    फिर प्रत्येक गरोह में से हम अवश्य ही उसे छाँटकर अलग करेंगे जो उनमें से रहमान (कृपाशील प्रभु) के मुक़ाबले में सबसे बढ़कर सरकश रहा होगा।
  21. सुम्मा लनहनु अअ’लमु बिल लज़ीना हुम औला बिहा सिलिय्या
    फिर हम उन्हें भली-भाँति जानते हैं जो उसमें झोंके जाने के सर्वाधिक योग्य हैं।
  22. वइम मिन्कुम इल्ला वारिदुहा, काना अला रब्बिका हत्मम मक़दिय्या
    तुममें से प्रत्येक को उसपर पहुँचना ही है। यह एक निश्चय पाई हुई बात है, जिसे पूरा करना तेरे रब के ज़िम्मे है।
  23. सुम्मा नुनज्जिल लज़ीनत तक़ौ व न-ज़रुज़ ज़ालिमीना फ़ीहा जिसिय्या
    फिर हम डर रखनेवालों को बचा लेंगे और ज़ालिमों को उसमें घुटनों के बल छोड़ देंगे।
  24. व इज़ा तुतला अलैहिम आयातुना बय्यिनातिन क़ालल लज़ीना कफ़रू लिल लज़ीना आमनू अय्युल फरीक़ैनि खैरुम मक़ामौ वअहसनु नदिय्या
    जब उन्हें हमारी खुली हुई आयतें सुनाई जाती हैं तो जिन लोगों ने कुफ़्र किया, वे ईमान लानेवालों से कहते हैं, “दोनों गरोहों में स्थान की दृष्टि से कौन उत्तम है और कौन मजलिस की दृष्टि से अधिक अच्छा है?”

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