यह मक्की सूरह है, इस में कुल 6 आयतें हैं। इस में पाँच बार नास शब्द आने के कारण इस का यह नाम है। जिस का अर्थ इन्सान है। यह सूरह पारा नंबर 30 मे है।
एक हदीस में है कि नबी सल्लल्लाह अलैहि व सल्लम हर रात जब बिस्तर पर जाते तो सूरह इख्लास और सूरह नास और सूरह फलक पढ़ कर अपनी दोनों हथेलियाँ मिला कर उन पर फूंकते, फिर जितना हो सके दोनों को अपने शरीर पर फ़िराते। सिर से आरंभ करते और फिर आगे के शरीर से फ़िराते। आप ऐसा ३ बार करते थे। (सहीह बुख़ारी)
सूरह अन नास हिन्दी में | Surah An-Nas in Hindi
बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है।
कुल अऊजु बिरब्बिन नास◌ (हे नबी!) कहो कि मैं इन्सानों के पालनहार की शरण में आता हूँ।
मलिकिन नास◌ जो सारे इन्सानों का स्वामी है।
इलाहिन नास◌ जो सारे इन्सानों का पूज्य है।
मिन शर रिल वसवा सिल खन्नास◌ भ्रम डालने वाले और छुप जाने वाले (राक्षस) की बुराई से।
अल्लज़ी युवस विसु फी सुदूरिन नास◌ जो लोगों के दिलो में भ्रम डालता रहता है।
मिनल जिन्नति वन नास◌ जो जिन्नों में से है और मनुष्यों में से भी। (पारा 30 समाप्त)