38 सूरह साद हिंदी में पेज 2

सूरह साद हिंदी में | Surat Sad in Hindi

  1. इन्-न हाज़ा अख़ी, लहू तिस्अुंव-व तिस्अु-न नअ्-जतंव्-व लि-य नअ्-जतुंव्-वाहि-दतुन्, फ़क़ा-ल अक्फ़िल्नीहा व अ़ज़्ज़नी फ़िल्- ख़िताब
    (मुराद ये हैं कि) ये (शख़्स) मेरा भाई है और उसके पास निनान्नवे दुम्बियाँ हैं और मेरे पास सिर्फ एक दुम्बी है उस पर भी ये मुझसे कहता है कि ये दुम्बी भी मुझी को दे दें और बातचीत में मुझ पर सख़्ती करता है।
  2. क़ा-ल ल-क़द् ज़-ल-म-क बिसुआलि-नअ्जति-क इला निआ़जिही, व इन्- न कसीरम् मिनल्-ख़ु-लता-इ ल-यब्ग़ी बअ्ज़ुहुम् अ़ला बअ्ज़िन् इल्लल्लज़ी-न आमनू व अ़मिलुस्- सालिहाति व क़लीलुम्-मा हुम् व ज़न्-न दावूदु अन्नमा फ़तन्नाहु फ़स्तग़्फ़-र रब्बहू व ख़र्-र राकिअंव् व अनाब *सज्दा*
    दाऊद ने (बग़ैर इसके कि मुदा आलैह से कुछ पूछें) कह दिया कि ये जो तेरी दुम्बी माँग कर अपनी दुम्बियों में मिलाना चाहता है तो ये तुझ पर ज़ुल्म करता है और अक्सर शुरका (की) यकी़नन (ये हालत है कि) एक दूसरे पर जु़ल्म किया करते हैं मगर जिन लोगों ने (सच्चे दिल से) ईमान कु़बूल किया और अच्छे (अच्छे) काम किए (वह ऐसा नहीं करते) और ऐसे लोग बहुत ही कम हैं (ये सुनकर दोनों चल दिए) और अब दाऊद ने समझा कि हमने उनका इमितेहान लिया (और वह ना कामयाब रहे) फिर तो अपने परवरदिगार से बखि़्शश की दुआ माँगने लगे और सजदे में गिर पड़े और (मेरी) तरफ रूझू की।
  3. फ़-ग़फ़र्ना लहू ज़ालि-क, व इन्-न लहू अिन्दना ल-ज़ुल्फा व हुस्-न मआब
    तो हमने उनकी वह ग़लती माफ कर दी और इसमें शक नहीं कि हमारी बारगाह में उनका तक़र्रुब और अन्जाम अच्छा हुआ।
  4. या दावूदु इन्ना जअ़ल्ना-क ख़ली-फ़तन् फ़िल्अर्ज़ि फ़ह्कुम् बैनन्नासि बिल्हक़्क़ि व ला तत्तबिअिल्हवा फ़युज़िल्ल-क अ़न् सबीलिल्लाहि, इन्नल्लज़ी-न यज़िल्लू-न अ़न् सबीलिल्लाहि लहुम् अ़ज़ाबुन् शदीदुम्-बिमा नसू यौमल्-हिसाब
    (हमने फरमाया) ऐ दाऊद हमने तुमको ज़मीन में (अपना) नाएब क़रार दिया तो तुम लोगों के दरम्यिान बिल्कुल ठीक फैसला किया करो और नफ़सियानी ख़्वाहिश की पैरवी न करो बसा ये पीरों तुम्हें अल्लाह की राह से बहका देगी इसमें शक नहीं कि जो लोग अल्लाह की राह में भटकते हैं उनकी बड़ी सख़्त सज़ा होगी क्योंकि उन लोगों ने हिसाब के दिन (क़यामत) को भुला दिया।
  5. व मा ख़लक़्नस्समा-अ वल्अर्-ज़ व मा बैनहुमा बातिलन्, ज़ालि-क ज़न्नुल्लज़ी-न क-फ़रू फ़वैलुल्-लिल्लज़ी- न क- फ़रू मिनन्नार
    और हमने आसमान और ज़मीन और जो चीज़ें उन दोनों के दरम्यिान हैं बेकार नहीं पैदा किया ये उन लोगों का ख़्याल है जो काफि़र हो बैठे तो जो लोग दोज़ख़ के मुनकिर हैं उन पर अफ़सोस है।
  6. अम् नज्अ़लुल्लज़ी-न आमनू व अ़मिलुस्सालिहाति कल्-मुफ़्सिदी-न फ़िल्अर्ज़ि अम् नज्अ़लुल्-मुत्तक़ी-न कल्फ़ुज्जार
    क्या जिन लोगों ने ईमान कु़बूल किया और अच्छे-अच्छे काम किए उनको हम (उन लोगों के बराबर) कर दें जो रूए ज़मीन में फसाद फैलाया करते हैं या हम परहेज़गारों को मिसल बदकारों के बना दें।
  7. किताबुन् अन्ज़ल्नाहु इलै-क मुबारकुल्-लियद्-दब्बरू आयातिही व लि-य-तज़क्क-र उलुल्-अल्बाब
    (ऐ रसूल) किताब (कु़रान) जो हमने तुम्हारे पास नाजि़ल की है (बड़ी) बरकत वाली है ताकि लोग इसकी आयतों में ग़ौर करें और ताकि अक़्ल वाले नसीहत हासिल करें।
  8. व व-हब्ना लिदावू-द सुलैमा-न, निअ्मल्-अ़ब्दु इन्नहू अव्वाब
    और हमने दाऊद को सुलेमान (सा बेटा) अता किया (सुलेमान भी) क्या अच्छे बन्दे थे।
  9. इज़् अुरि-ज़ अ़लैहि बिल्अ़शिय्यिस्-साफ़िनातुल्-जियाद
    बेशक वह हमारी तरफ रूजू करने वाले थे इत्तेफाक़न एक दफ़ा तीसरे पहर को ख़ासे के असील घोड़े उनके सामने पेश किए गए।
  10. फ़क़ा-ल इन्नी अह्बब्तु हुब्बल्-ख़ैरि अ़न् ज़िक्रि रब्बी हत्ता तवारत् बिल्-हिजाब
    तो देखने में उलझे के नवाफिल में देर हो गयी जब याद आया तो बोले कि मैंने अपने परवरदिगार की याद पर माल की उलफ़त को तरजीह दी यहाँ तक कि आफ़ताब (मग़रिब के) पर्दे में छुप गया।
  11. रुद्दूहा अ़लय्-य फ़-तफ़ि-क़ मस्हम्-बिस्सूक़ि वल्-अअ्नाक़
    (तो बोले अच्छा) इन घोड़ों को मेरे पास वापस लाओ (जब आए) तो (देर के कफ़्फ़ारा में) घोड़ों की टाँगों और गर्दनों पर हाथ फेर (काट) ने लगे।
  12. व ल-क़द् फ़तन्ना सुलैमा-न व अल्क़ैना अ़ला कुर्सिय्यिही ज-सदन् सुम्- म अनाब
    और हमने सुलेमान का इम्तेहान लिया और उनके तख़्त पर एक बेजान धड़ लाकर गिरा दिया।
  13. क़ा-ल रब्बिग़्फ़िर ली व हब् ली मुल्कल्-ला यम्बग़ी लि-अ-हदिम् मिम्बअ्दी इन्न-क अन्तल्-वह्हाब
    फिर (सुलेमान ने मेरी तरफ) रूझू की (और) कहा परवरदिगार मुझे बख़्श दे और मुझे वह मुल्क अता फरमा जो मेरे बाद किसी के वास्ते शायाँह न हो इसमें तो शक नहीं कि तू बड़ा बख़्शने वाला है।
  14. फ़-सख़्ख़र्ना लहुर्-री-ह तज्री बिअम्रिही रुख़ाअन् हैसु असाब
    तो हमने हवा को उनका ताबेए कर दिया कि जहाँ वह पहुँचना चाहते थे उनके हुक्म के मुताबिक़ धीमी चाल चलती थी।
  15. वश्शयाती-न कुल्-ल बन्नाइंव् व ग़व्वास
    और (इसी तरह) जितने शयातीन (देव) इमारत बनाने वाले और ग़ोता लगाने वाले थे।
  16. व आख़री न मुक़र्रनी-न फिल्-अस्फ़ाद
    सबको (ताबेए कर दिया और इसके अलावा) दूसरे देवों को भी जो ज़ंज़ीरों में जकड़े हुए थे।
  17. हाज़ा अ़ता-उना फ़म्-नुन् औ अम्सिक् बिग़ैरि हिसाब
    ऐ सुलेमान! ये हमारी बेहिसाब अता है पस (उसे लोगों को देकर) एहसान करो या (सब) अपने ही पास रखो।
  18. व इन्-न लहू अिन्दना ल-ज़ुल्फ़ा व हुस्-न मआब
    और इसमें शक नहीं कि सुलेमान की हमारी बारगाह में कु़र्ब व मज़ेलत और उमदा जगह है।
  19. वज़्कुर् अ़ब्दना अय्यू-ब. इज़् नादा रब्बहू अन्नी मस्सनि-यश्शैतानु बिनुस्बिंव्-व अ़ज़ाब
    और (ऐ रसूल) हमारे (ख़ास) बन्दे अय्यूब को याद करो जब उन्होंने अपने परवरगिार से फरियाद की कि मुझको शैतान ने बहुत अज़ीयत और तकलीफ पहुँचा रखी है।
  20. उर्कुज़् बिरिज्लि-क हाज़ा मुग़्-त-सलुम् बारिदुंव्-व शराब
    तो हमने कहा कि अपने पाँव से (ज़मीन को) ठुकरा दो और चश्मा निकाला तो हमने कहा (ऐ अय्यूब) तुम्हारे नहाने और पीने के वास्ते ये ठन्डा पानी (हाजि़र) है।
  21. व व हब्ना लहू अह्लहू व मिस्लहुम् म-अ़हुम् रह्म – तम् – मिन्ना व ज़िक्रा लि – उलिल – अल्बाब
    और हमने उनको और उनके लड़के वाले और उनके साथ उतने ही और अपनी ख़ास मेहरबानी से अता किए।
  22. व ख़ुज़् बि-यदि-क जिग़्सन् फ़ज़्रिब् बिही व ला तह्नस्, इन्ना वजद्नाहु साबिरन्, निअ्मल्-अ़ब्दु, इन्नहू अव्वाब
    और अक़्लमंदों के लिए इबरत व नसीहत (क़रार दी) और हमने कहा ऐ अय्यूब तुम अपने हाथ से सींको का मट्ठा लो (और उससे अपनी बीवी को) मारो अपनी क़सम में झूठे न बनो हमने कहा अय्यूब को यक़ीनन साबिर पाया वह क्या अच्छे बन्दे थे।

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