38 सूरह साद हिंदी में पेज 1

38 सूरह साद | Surah Sad

सूरह साद में 88 आयतें और 5 रुकू हैं। यह सूरह पारा 23 में है। यह सूरह मक्के में नाजिल हुई।

सूरह साद हिंदी में | Surat Sad in Hindi

बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहिम
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है
  1. सॉद् वल्-क़ुर्आनि ज़िज़्ज़िक्र
    सआद नसीहत करने वाले कु़रान की क़सम (तुम बरहक़ नबी हो)।
  2. बलिल्लज़ी-न क-फ़रू फ़ी अिज़्ज़तिंव्-व शिक़ाक़
    मगर ये कुफ़्फ़ार (ख़्वाहमख़्वाह) तकब्बुर और अदावत में (पड़े अंधे हो रहें हैं)।
  3. कम् अह्लक्ना मिन् क़ब्लिहिम् मिन् क़र्रिनन् फ़नादव्-व ला-त ही-न मनास
    हमने उन से पहले कितने गिरोह हलाक कर डाले तो (अज़ाब के वक़्त) ये लोग चीख़ उठे मगर छुटकारे का वक़्त ही न रहा था।
  4. व अ़जिबू अन् जा-अहुम् मुन्ज़िरुम्-मिन्हुम् व क़ालल्-काफ़िरू-न हाज़ा साहिरुन् कज़्ज़ाब
    और उन लोगों ने इस बात से ताज्जुब किया कि उन्हीं में का (अज़ाबे अल्लाह से) एक डरानेवाला (पैग़म्बर) उनके पास आया और काफिर लोग कहने लगे कि ये तो बड़ा (खिलाड़ी) जादूगर और पक्का झूठा है।
  5. अ-ज-अ़लल् आलि-ह-त इलाहंव्-वाहिदन् इन्-न हाज़ा लशैउन् अुजाब
    भला (देखो तो) उसने तमाम माबूदों को (मटियामेट करके बस) एक ही माबूद क़ायम रखा ये तो यक़ीनी बड़ी ताज्जुब खे़ज़ बात है।
  6. वन्त-लक़ल्-म-ल उ मिन्हुम् अनिम्शू वस्बिरू अ़ला आलि-हतिकुम् इन्-न हाज़ा लशैउंय्-युराद
    और उनमें से चन्द रवादार लोग (मजलिस व अज़ा से) ये (कह कर) चल खड़े हुए कि (यहाँ से) चल दो और अपने माबूदों की इबादत पर जमे रहो यक़ीनन इसमें (उसकी) कुछ ज़ाती ग़रज़ है।
  7. मा समिअ्ना बिहाज़ा फ़िल्-मिल्लतल्-आख़िरति इन् हाज़ा इल्लख़्तिलाक़
    हम लोगों ने तो ये बात पिछले दीन में कभी सुनी भी नहीं हो न हो ये उसकी मन गढ़ंत है।
  8. अ-उन्ज़ि-ल अ़लैहिज़्ज़िक्-रु मिम्बैनिना, बल् हुम् फ़ी शक्किम् मिन् ज़िक्री बल् लम्मा यज़ूक़ू अ़ज़ाब
    क्या हम सब लोगों में बस (मोहम्मद ही क़ाबिल था कि) उस पर कु़रान नाजि़ल हुआ, नहीं बात ये है कि इनके (सिरे से) मेरे कलाम ही में शक है कि मेरा है या नहीं बल्कि असल ये है कि इन लोगों ने अभी तक अज़ाब के मज़े नहीं चखे।
  9. अम् इन्दहुम् ख़ज़ा-इनु रह्मति रब्बिकल्-अ़ज़ीज़िल्-वह्हाब
    (इस वजह से ये शरारत है) (ऐ रसूल!) तुम्हारे ज़बरदस्त फ़य्याज़ परवरदिगार के रहमत के ख़ज़ाने इनके पास हैं।
  10. अम्-लहुम् मुल्कुस्समावाति वल्अर्ज़ि व मा बैनहुमा, फ़ल्यर्तक़ू फ़िल्-अस्बाब
    या सारे आसमान व ज़मीन और उन दोनों के दरमियान की सलतनत इन्हीं की ख़ास है तब इनको चाहिए कि रास्ते या सीढियाँ लगाकर (आसमान पर) चढ़ जाएँ और इन्तेज़ाम करें।
  11. जुन्दुम्-मा हुनालि-क मह्ज़ूमुम् मिनल्-अह्ज़ाब
    (ऐ रसूल उन पैग़म्बरों के साथ झगड़ने वाले) गिरोहों में से यहाँ तुम्हारे मुक़ाबले में भी एक लशकर है जो शिकस्त खाएगा।
  12. कज़्ज़बत् क़ब्लहुम् क़ौमु नूहिंव्-व आ़दुंव्-व फिर्-औ़नु ज़ुल्-औताद
    उनसे पहले नूह की क़ौम और आद और फिरऔन मेंख़ों वाला।
  13. व समूदु व क़ौमु लूतिंव व अस्हाबुल्-ऐ-कति, उलाइ-कल्-अह्ज़ाब
    और समूद और लूत की क़ौम और जंगल के रहने वाले (क़ौम शुऐब ये सब पैग़म्बरों को) झुठला चुकी हैं यही वह गिरोह है।
  14. इन् कुल्लुन् इल्ला कज़्ज़- बर्रुसु-ल फ़-हक़् क़ अिक़ाब
    (जो शिकस्त खा चुके) सब ही ने तो पैग़म्बरों को झुठलाया तो हमारा अज़ाब ठीक आ नाजि़ल हुआ।
  15. व मा यन्ज़ुरु हा-उला-इ इल्ला सै-हतंव्वाहि-दतम् मा लहा मिन् फ़वाक़
    और ये (काफिर) लोग बस एक चिंघाड़ (सूर के मुन्तजि़र हैं जो फिर उन्हें) चश्में ज़दन की मोहलत न देगी।
  16. व क़ालू रब्बना अ़ज्जिल्-लना क़ित्तना क़ब्-ल यौमिल्-हिसाब
    और ये लोग (मज़ाक से) कहते हैं कि परवरदिगार हिसाब के दिन (क़यामत के) क़ब्ल ही (जो) हमारी कि़स्मत को लिखा (हो) हमें जल्दी दे दे।
  17. इस्बिर् अ़ला मा यक़ूलू-न वज़्कुर् अ़ब्दना दावू-द ज़ल्ऐदि इन्नहू अव्वाब
    (ऐ रसूल) जैसी जैसी बातें ये लोग करते हैं उन पर सब्र करो और हमारे बन्दे दाऊद को याद करो जो बड़े कू़वत वाले थे।
  18. इन्ना सख़्ख़र्नल्-जिबा-ल म अ़हू युसब्बिहू-न बिल्-अ़शिय्यि वल्-इश्राक़
    बेशक वह हमारी बारगाह में बड़े रूजू करने वाले थे हमने पहाड़ों को भी ताबेदार बना दिया था कि उनके साथ सुबह और शाम (अल्लाह की) तस्बीह करते थे।
  19. वत्तै-र मह्शू-रतन्, कुल्लुल्लहू अव्वाब
    और परिन्दे भी (यादे अल्लाह के वक़्त सिमट) आते और उनके फरमाबरदार थे।
  20. व श-दद्ना मुल्कहू व आतैनाहुल्-हिक्म-त व फ़स्लल्-ख़िताब
    और हमने उनकी सल्तनत को मज़बूत कर दिया और हमने उनको हिकमत और बहस के फैसले की कू़वत अता फरमायी थी।
  21. व हल् अता-क न-बउल्-ख़स्मि. इज़ू तसव्वरुल्- मिह्-राब
    (ऐ रसूल!) क्या तुम तक उन दावेदारों की भी ख़बर पहुँची है कि जब वह हुजरे (इबादत) की दीवार फाँद पडे़।
  22. इज़् द-ख़लू अ़ला दावू-द फ़-फ़ज़ि-अ़ मिन्हुम् क़ालू ला तख़फ़् ख़स्मानि बग़ा बअ्ज़ुना अ़ला बअ्ज़िन् फ़ह्कुम् बैनना बिल्हक़्क़ि व ला तुश्तित् वह्दिना इला सवा-इस्सिरात
    (और) जब दाऊद के पास आ खड़े हुए तो वह उनसे डर गए उन लोगों ने कहा कि आप डरें नहीं (हम दोनों) एक मुक़द्दमें के फ़रीकै़न हैं कि हम में से एक ने दूसरे पर ज़्यादती की है तो आप हमारे दरम्यिान ठीक-ठीक फैसला कर दीजिए और इन्साफ से ने गुज़रिये और हमें सीधी राह दिखा दीजिए।

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