36 सूरह यासीन​ हिन्दी में पेज 3

सूरह यासीन शरीफ़ हिन्दी में | Surah Yasin in Hindi

  1. व आयतुल लहुम अन्ना हमलना ज़ुररिय यतहूम फिल फुल्किल मशहून
    और उनके लिए (मेरी कु़दरत) की एक निशानी ये है कि उनके बुज़ुर्गों को (नूह की) भरी हुयी कश्ती में सवार किया।
  2. व खलकना लहुम मिम मिस्लिही मा यरकबून
    और उस कशती के मिसल उन लोगों के वास्ते भी वह चीज़े (कश्तियाँ) जहाज़ पैदा कर दी।
  3. व इन नशअ नुगरिक हुम फला सरीखा लहुम वाला हुम युन्क़जून
    जिन पर ये लोग सवार हुआ करते हैं और अगर हम चाहें तो उन सब लोगों को डुबा मारें फिर न कोई उन का फरियाद रस होगा और न वह लोग छुटकारा ही पा सकते हैं।
  4. इल्ला रहमतम मिन्ना व मताअन इलाहीन
    मगर हमारी मेहरबानी से और चूँकि एक (ख़ास) वक़्त तक (उनको) चैन करने देना (मंज़ूर) है।
  5. व इजा कीला लहुमुत तकू मा बैना ऐदीकुम वमा खल्फकुम लअल्लकुम तुरहमून
    और जब उन कुफ़्फ़ार से कहा जाता है कि इस (अज़ाब से) बचो (हर वक़्त तुम्हारे साथ-साथ) तुम्हारे सामने और तुम्हारे पीछे (मौजूद) है ताकि तुम पर रहम किया जाए।
  6. वमा तअ’तीहिम मिन आयतिम मिन आयाति रब्बिहिम इल्ला कानू अन्हा मुअ रिजीन
    (तो परवाह नहीं करते) और उनकी हालत ये है कि जब उनके परवरदिगार की निशानियों में से कोई निशानी उनके पास आयी तो ये लोग मुँह मोड़े बग़ैर कभी नहीं रहे।
  7. व इज़ा कीला लहुम अन्फिकू मिम्मा रजका कुमुल लाहु क़ालल लज़ीना कफरू लिल लज़ीना आमनू अनुत इमू मल लौ यशाऊल लाहू अत अमह इन अन्तुम इल्ला फ़ी ज़लालिम मुबीन
    और जब उन (कुफ़्फ़ार) से कहा जाता है कि (माले दुनिया से) जो अल्लाह ने तुम्हें दिया है उसमें से कुछ (अल्लाह की राह में भी) ख़र्च करो तो (ये) कुफ़्फ़ार ईमानवालों से कहते हैं कि भला हम उस शख़्स को खिलाएँ जिसे (तुम्हारे ख़्याल के मुवाफि़क़) अल्लाह चाहता तो उसको खु़द खिलाता कि तुम लोग बस सरीही गुमराही में (पड़े हुए) हो।
  8. व यकूलूना मता हाज़ल व’अदू इन कुनतुम सादिक़ीन
    और कहते हैं कि (भला) अगर तुम लोग (अपने दावे में सच्चे हो) तो आखि़र ये (क़यामत का) वायदा कब पूरा होगा।
  9. मा यन ज़ुरूना इल्ला सैहतव व़ाहिदतन तअ खुज़ुहुम वहुम यखिस सिमून
    (ऐ रसूल!) ये लोग एक सख़्त चिंघाड़ (सूर) के मुनतजि़र हैं जो उन्हें (उस वक़्त) ले डालेगी।
  10. फला यस्ता तीऊना तौ सियतव वला इला अहलिहिम यरजिऊन
    जब ये लोग बाहम झगड़ रहे होगें फिर न तो ये लोग वसीयत ही करने पायेंगे और न अपने लड़के बालों ही की तरफ लौट कर जा सकेगें।
  11. व नुफ़िखा फिस सूरि फ़इज़ा हुम मिनल अज्दासि इला रब्बिहिम यन्सिलून
    और फिर (जब दोबारा) सूर फूँका जाएगा तो उसी दम ये सब लोग (अपनी-अपनी) क़ब्रों से (निकल-निकल के) अपने परवरदिगार की बारगाह की तरफ चल खड़े होगे।
  12. कालू या वय्लना मम ब असना मिम मरक़दिना हाज़ा मा व अदर रहमानु व सदकल मुरसलून
    और (हैरान होकर) कहेगें हाए अफसोस हम तो पहले सो रहे थे हमें ख़्वाबगाह से किसने उठाया (जवाब आएगा) कि ये वही (क़यामत का) दिन है जिसका अल्लाह ने (भी) वायदा किया था।
  13. इन कानत इल्ला सयहतव वहिदतन फ़ इज़ा हुम जमीउल लदैना मुहज़रून
    और पैग़म्बरों ने भी सच कहा था (क़यामत तो) बस एक सख़्त चिंघाड़ होगी फिर एका एकी ये लोग सब के सब हमारे हुजू़र में हाजि़र किए जाएँगे।
  14. फल यौम ला तुज्लमु नफ्सून शय अव वला तुज्ज़व्ना इल्ला मा कुंतुम तअ मलून
    फिर आज (क़यामत के दिन) किसी शख़्स पर कुछ भी ज़ुल्म न होगा और तुम लोगों को तो उसी का बदला दिया जाएगा जो तुम लोग (दुनिया में) किया करते थे।
  15. इन्न अस हाबल जन्न्तिल यौमा फ़ी शुगुलिन फाकिहून
    बेहश्त के रहने वाले आज (रोजे़ क़यामत) एक न एक मशग़ले में जी बहला रहे हैं।
  16. हुम व अज्वा जुहूम फ़ी ज़िलालिन अलल अराइकि मुत्तकिऊन
    वह अपनी बीवियों के साथ (ठन्डी) छाँव में तकिया लगाए तख़्तों पर (चैन से) बैठे हुए हैं।
  17. लहुम फ़ीहा फाकिहतुव वलहुम मा यद् दऊन
    बहिश्त में उनके लिए (ताज़ा) मेवे (तैयार) हैं और जो वह चाहें उनके लिए (हाजि़र) है।
  18. सलामुन कौलम मिर रब्बिर रहीम
    मेहरबान परवरदिगार की तरफ से सलाम का पैग़ाम आएगा।
  19. वम ताज़ुल यौमा अय्युहल मुजरिमून
    और (एक आवाज़ आएगी कि) ऐ गुनाहगारों तुम लोग (इनसे) अलग हो जाओ।
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