जीवनी पैगंबर मुहम्मद पेज 22
जंग की चिंगारियां भड़कते हुए: ‘क़ुरैश’ तो जंग का इंतिज़ार बड़े चाव से कर रहे थे। कुछ नेक दिल लोग भी उनके साथ थे जो चाहते थे कि जंग में खून न बहे। इसमें…
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जंग की चिंगारियां भड़कते हुए: ‘क़ुरैश’ तो जंग का इंतिज़ार बड़े चाव से कर रहे थे। कुछ नेक दिल लोग भी उनके साथ थे जो चाहते थे कि जंग में खून न बहे। इसमें…
बद्र के मैदान की तरफ़: तारिख थी 12 रमजान / 2 हिजरी। लगभग 313 जांबाज़ मुस्लमान इस खूंखार जंग के लिए तैयार हो कर निकल पड़े। शहर से एक मील दूर आकर…
सुफ़्फ़ा के बरकत वाले लोग: एक चबूतरा मस्जिद नबवी के बराबर में बना हुआ था जिसे ‘सुफ़्फ़ा’ के नाम से जाना जाता है। सहाबा में से अक्सर दीन के काम के साथ-साथ…
जंग की शुरुआत: लड़ाई की शुरआत हुई तो सबसे पहले ‘आमिर हज़रमी’ आगे आया। जिसका भाई क़त्ल हुआ था। इसके सामने हज़रत ‘उमर’ रज़िअल्लाह अन्हु के ग़ुलाम आगे आये और…
हज़रत उमैर बिन वहब रज़िअल्लाह अन्हु का इस्लाम क़ुबूल करना: ‘उमैर’ रज़िअल्लाह अन्हु बिन वहब इस्लाम के कट्टर दुश्मनों में से था वो और ‘सफ़वान’ बिन उमय्या दोनों…
बदले की आग: अरब में केवल एक आदमी के क़त्ल पर उम्र भर की जंगें छिड़ जाती थीं। बदला लेना अरब अपना ऐसा फ़र्ज़ समझते थे जिसे मरते हुए भी पूरा करना था। तो फिर…
जंग का बिगुल बज गया: क़ुरैश की फ़ौज से ‘अबू आमिर’ एक सौ पचास आदमियों के साथ आगे बढ़ा और मैदान में आया। वो अपनी अच्छाई और सच्चाई के लिए बड़ा मशहूर था।
अज़ान का प्रारम्भ: इस्लाम में हर तरह की पूजा का केंद्र एकेश्वरवाद व मेल-जोल है। इस वक़्त तक कोई ख़ास ऐलान या कार्य नहीं था जिसकी वजह से लोग नमाज़ के लिए…
मदीने में अय्यूब अंसारी रज़िअल्लाह अन्हु के घर पड़ाव: मदीने के हर दिन हुज़ूर अकरम इन्तिज़ार में बड़ी मुश्किल से गुज़ार रहे थे। उनके लिए हुज़ूर से मिलना सबसे…
मदीने में स्वागत: प्यारे नबी करीम के आने की ख़बर पहले ही मदीना पहुँच चुकी थी। शहर के सभी लोग हुज़ूर के स्वागत के लिए बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे। लोग हर…