फजर की नमाज़ का तरीका

फजर की नमाज बहुत ही रहमत और अज़मत वाली होती है; क्योकी फजर की नमाज 5 वक्त की नमाज में सबसे पहले पढ़ी जाती है। फज़र की नमाज़ को पढ़ने के लिए हमे सुबह जल्दी उठना पड़ता है।

फजर (फ़ज्र) की नमाज़ की रकात | Fajr Ki Namaz Ki Rakat

फजर की नमाज 4 रकात की होती है। इन 4 रकातों में पहले 2 रकात सुन्नत और फिर 2 रकात फर्ज होती हैं।

फजर की नमाज़सुन्नतफ़र्ज
रकात22
सभी पांच वक्त की नमाज़ों में सबसे कम रकातों वाली नमाज ‘फजर की नमाज’ है। 

फजर की अज़ान का समय | Fajar Ki Azan Ka Time

फजर की नमाज़ का अज़ान एक समय पर नहीं होता है बल्कि 12 महीने के अनुसार इसका समय बदलता रहता है। फजर की अज़ान का वक्त गर्मियों में सूरज निकलने के पहले तकरीबन 4-5 बजे होता है। जबकि ठंडी के मौसम में 5 बजे से शुरू होता है। फज़र की सूरज निकलने से पहले तक पढ़ सकते है।

आप गूगल पर “Fajar Azan Time Today” सर्च करे तो आपको गूगल पर ही समय देखने को मिल जायेगा। आपको अज़ान के बाद की दुआ भी जरूर पढ़नी चाहिए।

गूगल प्ले स्टोर पर बहुत सारे Muslim App आ गए है जिसको डाउनलोड करने पर आपको पांचो वक़्त का अज़ान का टाइम मालूम होता रहेगा। जैसे:- मुस्लिम प्रो, अजान प्रो

फजर की नमाज़ का समय अज़ान हो जाने के बाद से शुरू हो जाता है जिसमे अगर आप मस्जिद में जमात के साथ पढ़ना चाहते है तो अज़ान के 30 मिनट बाद फ़र्ज़ नमाज़ के लिए जमात खड़ीं होती है।

फ़र्ज़ नमाज़ घर पर या मस्जिद में अकेला पढ़ा जा सकता है।
फ़र्ज़ नमाज़ मस्जिद में इमाम के पीछे यानि जमात के साथ पढ़ते है। और जमात के साथ फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ने से 70 गुना ज्यादा सवाब मिलता है।
सुन्नत और नफिल नमाज़ अकेले पढ़ा जाता है।

फजर की नमाज़ की नियत | Fajr Ki Namaz Ki Niyat

सभी नमाज़ों को शुरू करने का एक तरीका होता है, जिसे हम नमाज़ की नियत कहते हैं। अगर हमने नमाज़ की नियत नहीं की तो हमारी नमाज नहीं होगी। जब हम नमाज पढ़ने खड़े होते हैं, तब नमाज की नियत जबान से बोलना जरूरी नहीं है। लेकिन आपको यह पता होना जरूरी है कि जो नमाज़ आप पढ़ रहे हैं उसमें कितनी रकातें हैं और उस नमाज़ का समय क्या है…. अगर आपके मन में नमाज़ की नियत नहीं है, तो आप की नमाज नहीं होगी।

फ़ज्र की दो रकात सुन्नत नमाज़ की नियत का तरीका

‘‘नियत करता हूं मैं दो रकात नमाज़ सुन्नत की, वक्त फजर का, वास्ते अल्लाह ताआला के, मूंह मेरा काबा शरीफ की तरफ, अल्लाहु अकबर

फ़ज्र की दो रकात फ़र्ज नमाज़ की नियत का तरीका

नियत करता हूं मैं दो रकात नमाज़ फर्ज की, वक्त फजर का, वास्ते अल्लाह ताआला के, मूंह मेरा काबा शरीफ की तरफ, अल्लाहु अकबर

📌 नोट: अगर आप फजर की नमाज़ अकेले पढ़ें या नमाज़ घर पर पढ़ें, तो इमाम के पीछे ना कहें। अगर आप फ़र्ज नमाज़ इमाम के पीछे पढ़ रहे हैं तो आप वास्ते अल्लाह ताआला के बाद “पीछे इस इमाम के” लगायें।

दो रकात सुन्नत नमाज़ को पढ़ने के बाद हम इमाम के पीछे दो रकात फर्ज़ नमाज़ को पढ़ते हैं।

फज़र की सुन्नत नमाज़ का तरीका | Fajar Ki Sunnat Namaz Ka Tarika

Step-1 वजू करना
नमाज अदा करने से पहले आपको वजू करना होता है। वजू का तरीका देखे।

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Step-2 चटाई या मुसल्ला (जा नमाज़) बिछाना
वजू करने के बाद आप टोपी लगाकर नमाज के लिए चटाई या मुसल्ले (जा नमाज़) पर
क़िबला रुख खड़े होना है। खड़े हम इस तरह होंगे की दोनों पैरो के दरमियान 4 इंच की गैप हो मगर मज़बूरी के तहत, अगर नमाज़ी थोड़ा मोटा हो तो एक बालिस की या 6 इंच की गैप रख सकता है।

Step-3 नमाज़ की नियत करना: 

नियत करने के बाद आप अपने हाथ बांध लेंगे। उसके बाद आप सना पढ़ेंगे।

Step-4 सना पढ़ना
सना यह है – “सुब्हा न क अल्ला हुम्मा व बिहमदिका व त बा र कस्मुका व तआला जददुका वला इलाहा गैरुक”
इसके बाद
अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम बिस्मिल्लाही र्रहमानिर रहीम पढ़ें।

Step-5 सूरह फातिहा पढ़ना
सना पढ़ने के बाद आप सूरह-फातिहा पढ़ेंगे।

Step-6 कुरआन की छोटी या बड़ी सूरह पढ़ना
सूरह फातिहा पढ़ने के बाद आप कुरान की छोटी या बड़ी किसी भी एक सूरह को पढ़ेंगे। इसके बाद अल्लाहु-अकबर (Takbeer) कहते हुए रुकू में जाए।

Step-7 रुकू करना
रुकु सही तरीके से करे। रुकु में आपका शरीर आधा झुका हो और पीठ सीधी झुकी होनी चाहिए।

रुकू में अपने घुटनों को हाथ की उंगलियों से मजबूती से पकड़ लें और घुटनों पर उंगलियों को फैला कर रखें, और इतना झुके की सर और कमर एक लाइन मे हो जाये।

Step-8 रुकू की दुआ पढ़ना
रुकु में जाने के बाद रुकु की तस्बीह “सुबहाना रब्बी यल अज़ीम” 3, 5 या 7 बार आराम से पढेंगे। रुकू में निगाह पैरों के अंगूंठों पर होनी चाहिये।

Step-9 रुकू से सीधे खड़े होने की दुआ पढ़ना
इसके बाद आप “समीअल्लाहु लिमन हमीदाह” कहते हुए रुकू से सीधे खड़े हो जाएंगे। इसके बाद “रब्बना व लकल हम्द” कहेंगे और फिर “अल्लाहु-अकबर” कहते हुए सज्दे में जायेंगे।

Step-10 सजदा करना
सजदे में जाते समय सबसे पहले अपने हाथ घुटनों पर रखेंगे, फिर घुटने जमीन पर लगाएंगे, फिर हाथ जमींन पर रखेंगे। उसके बाद नाक और फिर अपना माथा जमीन पर लगाएंगे। आपका चेहरा दोनों हाथों के बीच मे रहेगा।
मर्दों को केवल अपने दोनों हाथों की हथेलियाँ ही जमीन से लगानी हैं और कोहनी को ऊँचा उठा कर रखनी है।
पेट को जांघों से नहीं चिपकाना है यानी रानो को पेट से दूर रखें, और दोनों पांव की उँगलियां ज़मीन पर जमी हुई, और पाँव के सिरो का रुख क़िब्ला की तरफ़ रहेगा।
इसके बाद सजदे में आप 3, 5 या 7 बार आराम से “सुबहाना रब्बी यल आला” पढ़ेंगे।

फिर आप “अल्लाहु-अकबर” कहते हुए सजदे से उठकर बैठ जायेंगे। जब आप सजदे से उठकर सीठे बैठेंगे उस समय आपके पैरो की उँगलियाँ उसी तरह रहेगी।
मतलब ये कि उनका रुख क़िबला की तरफ़ मुड़ा हुआ हो, और उलटे पैर को सीधे पैर की तरफ़ मोड़ के बैठेंगे।

फिर दोबारा से “अल्लाहु अकबर” कहते हुए सजदे में जायेंगे। यहाँ फिर से उलटे पैर की ऊँगलिया क़िब्ला की तरफ़ रहेगी।
सजदे में फिर से “सुबहान रब्बी अल आला” 3 या 5 या 7 बार पढ़ेंगे।

अब आपकी एक रकात पूरी हो गई।

Step-11 दूसरी रकात के लिए खड़े होना
फिर ‘अल्लाहु अकबर’ कहते हुए दूसरी रकात के लिए खड़े हो जाएंगे, और अपने हाथ बांध लेंगे।
फिर से सूरह फातिहा पढ़ेंगे, उसके बाद कोई दूसरी सूरह जो आपको याद हो, पढ़ेंगे ।

Step-13 तशहुद में कुछ दुआओं को पढ़ना
तशहुद में बैठकर आप सबसे पहले अत्तहियात पढेंगे।

  • अत् तहिय्यातू लिल्लाही वस्सल वातू वत्तह्यीबातु
  • अस्सलामु अलैका या अय्यूहनबी वरहेमतुल्लाही वबरकातूहू
  • अस्सलामू अलैना वला इबादीस्साॅलेहीन
  • अशहदु अल्लाह इलाहा इल्लल्लाहु व अश्हदु अन्न मुहम्मदून अब्दुहू व रसूलूहू

अत्तहियात में जब ‘अश्हदू अल्लाह इलाहा’ आयेगा तब आप अपनी शहादत की उंगली को सामने की तरफ़ कर के छोड़ देंगे।

अत्तहियात के बाद दरूद शरीफ(दरूदे इब्राहीम) पढेंगे, दरूद शरीफ पढ़ना जरूरी है। जो इस तरह है –

  • अल्लाहुम्मा सल्ले अला
  • मुहम्मदिव व अला आलि मुहम्मदिन
  • कमा सललेँता अला इब्राहिम व अला आलि इब्राहिम इन्नक हमीदुम मजीद।
  • अल्लाहुम्मा बारिक अला मुहम्मदिव व अला आलि मुहम्मदिन
  • कमा बारकता अला इब्राहिम व अला आलि इब्राहिम इन्नक हमीदुम मजीद।

दरूदे पाक(दरूद शरीफ) पढ़ने के बाद आप ‘दुआ ए मासुरा’ पढ़ेंगे। जो इस तरह है –

  • अल्लाहुम्मा इन्नी ज़लमतू नफ़्सी ज़ुलमन कसीरा,
  • वला यग़फिरुज़-ज़ुनूबा इल्ला अनता,
  • फग़फिरली मग़ फि-र-तम मिन इनदिका, वर हमनी इन्नका अनतल गफूरूर्र रहीम।

Step-14 सलाम फेरना
दुआ ए मसुरा पढ़ने के बाद आप सलाम फ़ेर लें।
पहले सलाम मे आप अपने दाए काँधे (Right Shoulder) पर देखते हुए कहेंगे, ‘अस्सलमो अलैकुम वरहमातुलह’
फिर दूसरा सलाम मे बाए काँधे (Left Shoulder) पर देखते हुए कहेंगे ‘अस्सलमों अलैकम वरहमातुलह’

ये था फजर की 2 रकात सुन्नत नमाज का तरीका।

फज़र की फ़र्ज नमाज़ का तरीका | Fajar Ki Farj Namaz Ka Tarika

Step-1 नियत करना ”नियत करता हूं मैं दो रकात नमाज़ फजर की फर्ज, वास्ते अल्लाह ताआला के, मूंह मेरा काबा शरीफ की तरफ, अल्लाहु अकबर”

📌 नोट: अगर आप फजर की फर्ज अकेले पढ़ें या नमाज़ घर पर पढ़ें, तो इमाम के पीछे ना कहें। अगर आप फ़र्ज नमाज़ इमाम के पीछे पढ़ रहे हैं तो आप वास्ते अल्लाह ताआला के बाद “पीछे इस इमाम के” लगायें। इमाम जब ‘अल्लाहु अकबर’ कहकर हाथ बांध लें, तब हमें भी नियत करके हाथ बाँध लेना है।

Step-2 सना पढ़ना
जब आप हाथ बांध लेंगे उसके बाद आपको मन में सना पढ़नी है। फिर बिस्मिल्लाह पढ़कर चुप हो जाना है और इमाम साहब जो भी पढ़े, उसे चुपचाप सुनना है।

इमाम साहब सूरह फातिहा की पढ़ेंगे और उसके बाद एक क़ुरान शरीफ की सूरत पढ़ेंगे।

Step-3 रुकू पढ़ना
फिर जब इमाम साहब ‘अल्लाहु अकबर’ कहकर रुकू में जायें तो हम भी रुकू में चले जाएंगे।

फिर इमाम साहब “समीअल्लाहु लिमन हमीदह” कहकर रुकू से खड़े हो जाएंगे, तो हमें भी ‘रब्बना व लकल हम्द’ (मन में) कहते हुए रुकू से खड़े हो जाना है।

Step-4 सजदा करना

रुकू करने के बाद इमाम साहब ‘अल्लाहु अकबर’ कहते हुए सजदे में जाएंगे, तो उनके पीछे-पीछे हमें भी सजदे में जाना है।
हम धीरे से सजदे की तस्बीह पढेंगे, फिर इमाम साहब ‘अल्लाहु अकबर’ कहकर बैठेंगे, तब हमें भी बैठ जाना है।

दूसरी बार फिर इमाम साहब ‘अल्लाहु अकबर’ कहते हुए सजदे में जाएंगे, तो उनके पीछे हमें भी सजदे में जाना है।
और सजदे की तस्बीह पढ़ना है। फिर इमाम साहब ‘अल्लाहु अकबर’ कहते हुए खड़े हो जाएंगे, तब हमें भी खड़े हो जाना है।

इस तरह फ़र्ज नमाज़ की एक रकात पूरी हो जायेगी, और इसी तरह हमें दूसरी रकात भी पूरी करना है।

दूसरी रकात
इमाम साहब फिर से सुरह फातिहा पढ़ेंगे और सुरह फातिहा के बाद क़ुरान शरीफ की एक सूरत पढ़ेंगे, जिसे हमें गौर से सुनना है। फिर जैसे ही इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहके रुकू में जाए, हम भी रुकू में चले जाएंगे।

फिर इमाम साहब ‘समीअल्लाहु लिमन हमीदह’ कहते हुए रुकू से खड़े हो जाएंगे, तब हमें भी ‘रब्बना व लकल हम्द (मन में) कहते हुए खड़े हो जाना है।

फिर इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहते हुए सजदे में जाएंगे तो उनके पीछे-पीछे हमें भी सजदे में जाना है।

हम आहिस्ता से सजदे की तस्बीह पढेंगे, फिर अल्लाहुअकबर कहके इमाम साहब बैठेंगे, तो हमें भी बैठ जाना है।

दूसरी बार फिर इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहते हुए सजदे में जाएंगे तो उनके पीछे पीछे हमें भी सजदे में जाना है।
और सजदे की तस्बीह पढ़ना है। उसके बाद इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहते हुए अत्तहिय्यात में बैठ जाएंगे, तो हमें भी अत्तहिय्यात में बैठ जाना है।

फिर हम मन में अत्तहिय्यात पढेंगे, उसके बाद दरूदे इब्राहीम पढेंगे और दुआ ए मसुरा पढेंगे।

उसके बाद जब इमाम साहब सलाम फेरेंगे, तब हमें भी सलाम फेर लेना है।

इस तरह आपकी फ़ज़्र की, दो रक्आत फ़र्ज नमाज़, इमाम साहब के पीछे पूरी मुकम्मल हो जाएँगी।

📌 नोट: हमें यह याद रहे कि जब हम इमाम साहब के पीछे नमाज़ पढ़ रहे हों तो कोई भी नमाज़ का अरकान इमाम साहब से पहले अदा ना करें। इमाम के पीछे का मतलब ही यही होता है इमाम साहब अदा कर ले उसके बाद ही हमें अदा करना है।

Step-5 दुआ करना
इसके बाद आप नमाज़ के बाद कि दुआ भी पढ़ सकते है जो इस तरह है –

  • अल्लाहुम्म अंतस्सलामु
  • व मिनकस्सलामु
  • व इलैक यरजिउस्सलामु
  • हाय्यीन रब्बना बिस्सलामि
  • व अदखिल ना दारस्सलामि
  • तबा-रकत रब्बना
  • व तआलय्-त या जल जलालि वाल इकरामo

इसके बाद आप आयतुल कुर्सी पढ़ेंगे।

Step-6 तस्बीह पढ़ना
आयतुल कुर्सी पढ़ने के बाद आप ये तसबिहात भी पढ़ सकते हैं।
33 बार सुब्हानलाह (पाक है अल्लाह)।
33 बार अल्हम्दुलिल्लाह (तमाम तरीफ़े अल्लाह के लिए है)।
34 बार अल्लाहु अकबर (अल्लाह सबसे बढ़ा है)।
1 बार ला ईला-ह इल्लल्ला (अल्लाह के सिवा कोई मआबूद नहीं है)

Fajar ki Namaz ki Fazilat
• फजर की नमाज़ का समय बहुत ही सुंदर और सुकून देने वाला होता है, जिससे हम अपने अल्लाह की अच्छे से इबादत कर सकते हैं।
• फजर की नमाज के लिए मस्जिद पैदल जाने से आप बहुत सी खतरनाक बिमारीयों से महफूज रहेंगें।
• इस समय आपका दिमाग तेजी से काम करता है जिसके कारण आप अपना काम बेहतर तरीके से करते हैं।
• फजर के वक्त नमाज़ पढ़ने से आपके घर में अल्लाह की रहमत और बरकतों की बारिश होती है।

नमाज़ का तरीका: फजर | जोहरअसरमगरिबईशा

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