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Toggleईशा की नमाज़ का तरीका | Isha Ki Namaz Ka Tarika
इशा की नमाज़ में कुल 17 रकअत होती हैं।
नमाज़ | सुन्नत | फ़र्ज़ | सुन्नत | नफिल | वित्र | नफिल |
रकात | 4 | 4 | 2 | 2 | 3 | 2 |
ईशा की नमाज़ रात के वक़्त में पढ़ी जाती है। इशा की नमाज़ का वक़्त बड़ी रातों में सूरज डूबने के बाद मग़रिब की नमाज़ के लगभग डेढ़ घंटे बाद और छोटी रातों में तकरीबन डेढ़ घंटे बाद शुरू होता है।
गर्मी के मौसम में यह वक़्त लगभग शाम के 8 बजे से शुरू होता है और सर्दी के मौसम में शाम के 6:45 से शुरू होता है।
अलग-अलग जगहों पर नमाज़ का वक़्त अलग-अलग होता है। आप मस्जिद जाकर या गूगल पर सर्च कर सकते हैं।
ईशा की नमाज़ का तरीका | Isha Ki Namaz Ka Tarika
यहाँ भी सिर्फ नियत बदल जायेगी मगर नमाज़ पढ़ने का तरीका वही रहेगा, जो बाकी नमाज़ों का है।
ईशा की 4 रकात सुन्नत नमाज़ | Isha Ki 4 Rakat Sunnat Namaz Ka Tarika
पहली सुन्नत रकात | Pahli rakat Sunnat
1. इशा की नमाज की चार रकात सुन्नत की नियत:
“नियत करता हूँ मैं, चार रकअत नमाज़ सुन्नत, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त इशा, मुँह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु-अकबर।”
2. तकबीर (अल्लाहु-अकबर) कह कर हाथ बाँध लेना है और फिर सना पढ़ेंगे।
3. इसके बाद अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम, बिस्मिल्लाही र्रहमानिर रहीम. पढेंगे।
4. यह पढ़ने के बाद सूरह फातिहा पढेंगे और सूरह फातिहा के बाद क़ुरान शरीफ की एक सूरत जो आपको याद हो वो पढेंगे।
5. सूरह को पूरी पढ़ लेने के बाद ‘अल्लाहु-अकबर’ (तकबीर) कहते हुए रुकू में जायेंगे।
रुकू में अल्लाह की तस्बीह ‘सुबहान रब्बी अल अज़ीम’ 3 या 5 या 7 बार इत्मीनान के साथ पढ़ेंगे।
6. इसके बाद आपको ‘समीअल्लाहु लिमन हमीदह’ कहते हुए रुकू से खड़े हो जाना है। खड़े होने के बाद ‘रब्बना व लकल हम्द’ कहेंगे और फिर ‘अल्लाहु-अकबर’ कहकर सज्दे में जायेंगे।
7. सज्दे में जाने के बाद आप अल्लाह की तस्बीह “सुबहान रब्बी अल आला”, 3 या 5 या 7 मर्तबा इत्मीनान के साथ पढेंगे।
8. फिर ‘अल्लाहु-अकबर’ कहते हुए सजदे से उठकर सीधे बैठ जायेंगे।
9. फिर दोबारा ‘अल्लाहु अकबर’ कहते हुए सज्दे में जायेंगे।
10. सज्दे में फिर से अल्लाह की वही तस्बीह “सुबहान रब्बी अल आला” 3 या 5 या 7 बार पढ़ेंगे।
इस तरह आपकी 1 रकात पूरी हो जाएगी।
दूसरी सुन्नत रकात | Doosri rakat Sunnat
12. फिर ‘अल्लाहु अकबर’ कहते हुए आप दूसरी रकात के लिए खड़े हो जाएंगे और अपने हाथ बांध लेंगे।
फिर से आप अल्हम्दु शरीफ पढ़ेंगे उसके बाद कुरान की एक सूरत जो आपको याद हो वो पढ़ेंगे।
फिर से ‘अल्लाहु अकबर’ कहते हुए रुकू में जाएंगे।
फिर “समीअल्लाहु लिमन हमीदह” कहते हुए रुकू से खड़े हो जायेंगे।
इसके बाद “रब्बना व लकल हम्द” कहेंगे, और फिर ‘अल्लाहु-अकबर’ कहते हुए सज्दे में जायेंगे।
13. सज्दे में फिर से अल्लाह की तस्बीह “सुबहान रब्बी अल आला” 3 या 5 या 7 बार पढेंगे।
14. फिर ‘अल्लाहु-अकबर’ कहकर सजदे से उठकर बैठ जायेंगे और फिर दोबारा ‘अल्लाहु अकबर’ कहते हुए सज्दे में जायेंगे।
सज्दे में आप फिर से अल्लाह की वही तस्बीह “सुबहान रब्बी अल आला” 3 या 5 या 7 बार पढेंगे।
फिर ‘अल्लाहु अकबर’ कहते हुए बैठ जायेंगे। ( बैठने का तरीका पहली रकअत जैसा ही है।) अब बैठे हुए ही आप अत्तहियात पढ़ेंगे।
नोट: अशहदु अल्ला {ला} पर सीधे हाथ की शहादत की ऊँगली इस तरह उठाना है कि अंगूठा और बीच की सबसे बड़ी वाली उंगली के पेट दोनों को आपस में मिलाना है, और शहादत की ऊँगली ऊपर करना है।
तीसरी सुन्नत रकात
16. जब आप पूरी अत्तहिय्यात पढ़ लेंगे तब आप तीसरी रकात के लिए खड़े हो जाएंगे।
नोट: – अगर आपने गलती से अत्तहिय्यात के बाद दरूद शरीफ या दुआ पढ़ ली और आपको तीसरी रकत का पढ़ना याद आ गया तो सजदा सहु करना होगा।
17. तीसरी रकात भी आपको पहली रकात की तरह पढ़ना है।
चौथी सुन्नत रकात
18. जब चार रकअत पूरी हो जाए तो फिर से अत्तहिय्यात, दरूद और दुआ ए मसुरा पढ़ेंगे और सलाम फेरेंगे।
इस तरह आपकी इशा की चार रकाअत सुन्नत नमाज़ मुकम्मल हो जायेगी।
ईशा की 4 रकात फ़र्ज़ नमाज़ का तरीका | Isha Ki 4 Rakat Farj Namaz Ka Tarika
पहली फ़र्ज़ रकात | Pahli rakat Farj
ईशा की नमाज की चार फ़र्ज़ नमाज़ की नियत:
“नियत करता हूँ मैं चार रकात नमाज़ फ़र्ज़, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त इशा, पीछे इस इमाम के, मुँह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु-अकबर।”
नोट: अगर अकेले पढ़ें या नमाज़ घर पर पढ़ें, तो इमाम के पीछे ना कहें और फ़र्ज़ की नियत करके जैसी सुन्नत नमाज़ पढ़ी थी वैसी ही फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ें।
यहाँ नीचे हमने फ़र्ज़ नमाज़ जमात के साथ इमाम के पीछे पढ़ने का तरीका बताया है।
1. जब इमाम साहब ‘अल्लाहु अकबर’ कहकर हाथ बांधेंगे, तब हमें भी नियत करके हाथ बाँध लेना है।
2. हाथ बांध लेने के बाद आपको सिर्फ मन में सना पढ़नी है और फिर बिस्मिल्लाह पढ़कर ख़ामोशी के साथ खड़े रहना है और निगाहें सजदे की जगह रखनी हैं।
3. अब इमाम साहब मन ही मन में सूरह फातिहा पढेंगे और उसके बाद क़ुरान शरीफ की एक सूरत पढ़ेंगे। जिसकी आवाज़ हमें नहीं आएगी।
4. हमें सिर्फ चुपचाप खड़े रहना और जैसे ही इमाम साहब ‘अल्लाहु अकबर’ कहके रुकू में जायेंगे, तब हम भी रुकू में चले जाएंगे।
फिर इमाम साहब “समीअल्लाहु लिमन हमीदह” कहते हुए रुकू से खड़े हो जाएंगे, तब हमें भी “रब्बना व लकल हम्द” मन में कहते हुए खड़े हो जाना है।
5. उसके बाद इमाम साहब ‘अल्लाहु अकबर’ कहते हुए सजदे में जाएंगे, तो उनके पीछे-पीछे हमें भी सजदे में जाना है।
और हम सजदे की तस्बीह पढेंगे और फिर ‘अल्लाहु अकबर’ कहकर इमाम साहब सजदे से उठकर बैठेंगे, तो हमें भी बेठ जाना है।
6. दूसरी बार फिर इमाम साहब ‘अल्लाहु अकबर’ कहते हुए सजदे में जाएंगे, तो उनके पीछे-पीछे हमें भी सजदे में जाना है और सजदे की तस्बीह पढ़ना है।
7. फिर इमाम साहब ‘अल्लाहु अकबर’ कहते हुए खड़े हो जाएंगे, तब हमें भी खड़े हो जाना है।
इस तरह एक रकात पूरी हो जायेगी और इसी तरह हमें दूसरी रकात भी पूरी करना है।
दूसरी फ़र्ज़ रकात | Doosri rakat Farj
8. दूसरी रकात के आखिर में इमाम शाहब तशहुद में बैठेंगे तो हमें भी तशहुद में बैठ जाना है और ख़ामोशी से अत्तहियात पढ़ना है।
तीसरी फ़र्ज़ रकात
9. फिर इमाम साहब ‘अल्लाहु अकबर’ कहकर तीसरी रकात पढ़ने के लिए उठ कर खड़े हो जाएंगे।
तो हमें भी खड़े हो जाना है और जैसे-जैसे इमाम साहब बाकी की रकात पढ़ेंगे, ठीक वैसे ही उनके पीछे हमें नमाज़ पढ़नी है।
चौथी फ़र्ज़ रकात
10. रुकू के बाद दो सज्दे करके चौथी रकात के लिए खड़े हो जायेंगे।
चौथी रकात बाकी की रकात की तरह पढ़ेंगे, लेकिन चौथी रकात पढ़ने के बाद इमाम शाहब तशहुद में बैठेंगे, तो आप भी तशहुद में बैठ जाएगे।
11. तशहुद उसी तरह पढ़ना है जैसा ऊपर सिखाया गया है।
और अत्ताहियात, दरूद और दुआ ए मसुरा पढ़ने के बाद इमाम साहब सलाम फेरेंगे तो हमें भी उनके बाद सलाम फेरना है।
इस तरह ईशा की चार फ़र्ज़ नमाज़ मुकम्मल हो गई।
नोट 1: अगर आप ईशा की नमाज़ इमाम साहब के पीछे पढ़ रहे हैं तो आपको नमाज़ वैसे ही पढ़ना है जैसे आप ज़ुहर और असर की फ़र्ज नमाज़ पढ़ते हैं।
फर्क सिर्फ इतना रहेगा की ईशा की चार फ़र्ज़ नमाज़ में शुरू की दो रकात में इमाम साहब ऊँची आवाज़ में सूरह फातिहा और क़ुरान शरीफ की सूरत पढ़ेंगे,
फिर तीसरी और चौथी रकात में इमाम साहब मन ही मन में सिर्फ सूरह फातिहा पढ़ेंगे।
इमाम के पीछे नमाज़ पढ़ने वाले (मुक्तदी) सिर्फ खामोश खड़े रहेंगे।
नोट 2: इमाम साहब के पीछे नमाज़ पढ़ते वक़्त नमाज़ का कोई भी अरकान इमाम साहब से पहले अदा ना करे।
नोट 3: अगर अकेले नमाज़ पढ़ रहे हो तो पहली दो रकात में सूरह फातिहा के बाद एक सूरह जो याद हो पढ़ेंगे, और बाद की दो रकात में सिर्फ सूरह फातिहा पढ़ेंगे।
ईशा की 2 रकात सुन्नत नमाज़ का तरीका | Isha Ki 2 Rakat Sunnat Namaz Ka Tarika
ईशा की नमाज की दो रकात सुन्नत नमाज़ की नियत:
“नियत की मैंने दो रकात नमाज़ सुन्नत, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त ईशा, मुँह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु-अकबर।”
‘अल्लाहु-अकबर’ कहकर हमें हाथ बाँध लेना है। फिर सबसे पहले हम सना पढ़ेंगे।
इसके बाद अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम. बिस्मिल्लाही र्रहमानिर रहीम. पढ़ेंगे।
इतना पढ़ने के बाद दोनों रकातों में सूरह फातिहा पढ़ने के बाद क़ुरान शरीफ की एक सूरत जो आपको याद हो वो पढ़ेंगे।
फिर जब दो रकात पूरी हो जाएंगी तब अत्तहिय्यात, दरूद शरीफ और दुआ ए मसुरा पढ़ेंगे और सलाम फेर लेंगे।
ईशा की 2 रकात नफ़्ल नमाज़ पढ़ने का तरीका
ईशा की नमाज की दो रकात नफ़्ल नमाज़ की नियत:
“नियत की मैंने दो रकात नमाज़ नफ़्ल, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त ईशा, मुँह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु-अकबर।”
‘अल्लाहु-अकबर’ कहकर हमें हाथ बाँध लेना है। फिर जिस तरह दो सुन्नत पढ़ी थी वैसे ही दो रकात नफ़्ल पूरी करेंगे।
ईशा की 3 रकात वित्र वाजिब नमाज़ पढ़ने का तरीका
ईशा की नमाज की तीन रकात वित्र नमाज़ की नियत:
“नियत की मैंने तीन रकात नमाज़ वित्र वाजिब, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त ईशा, मुँह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु-अकबर।”
‘अल्लाहु-अकबर’ कहकर हम हाथ बाँध लेंगे और फिर सबसे पहले हम सना पढ़ेंगे।
और जिस तरह हमने दो सुन्नत और दो नफ़्ल नमाज़ पढ़ी थी, वैसे ही दो रकात पूरी करेंगे।
और तशह्हुद में अत्ताहियात पढ़ने के बाद ‘अल्लाहु-अकबर’ कहते हुए खड़े हो जायेंगे।
खड़े होने के बाद ‘सूरह फातिहा’ के बाद क़ुरआन की एक सूरह पढ़ेंगे।
उसके बाद ‘अल्लाहु-अकबर’ कहते हुए दोनों हाथों को कान तक सीधे ले जाएंगे, और जैसे नमाज़ शुरू करने से पहले नमाज़ की नियत के बाद हाथ बाधें थे, ठीक बैसे ही हाँथ बांधेंगे।
याद रहे हाथ के अंगूठे कानो की निचली जगह को छूना चाहिए।
हाथ बाँध लेने के बाद ‘दुआ ए क़ुनूत’ पढ़ेंगे।
.दुआ कुनूत’ पढ़ने के बाद ‘अल्लाहु-अकबर’ कहकर रुकू करेंगे।
फिर सजदा और तशह्हुद दुसरी नमाज़ो की तरह ही करेंगे।
अत्ताहियात, दरूद शरीफ और दुआ ए मसूरा और फिर सलाम फेर लेंगे।
इस तरह वित्र की नमाज़ पढ़ी जायेगी।
ईशा की 2 रकात नफ़्ल नमाज़ पढ़ने का तरीका
ईशा की नमाज की दो रकात आखिरी नफ़्ल नमाज़ की नियत: “नियत की मैंने दो रकात नमाज़ निफ़्ल, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त ईशा, मुँह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु-अकबर।”
‘अल्लाहु-अकबर’ कहकर हमें हाथ बाँध लेना है।
फिर सबसे पहले हम सना पढ़ेंगे और जिस तरह पहले की दो नफ़्ल पढ़ी थी, वैसे ही दो रकात नफ़्ल पूरी करेंगे।
और इस तरह ईशा की 17 रकात नमाज़ मुकम्मल होगी।
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