जीवनी पैगंबर मुहम्मद पेज 42
मक्का की विजय: मुसलमान जब मुअता की लड़ाई से वापस आये जिसमें बहुत ज़्यादा जानी नुक़्सान उठाना पड़ा था तो कु़रैश को ये ख़्याल हुआ के इनका ख़ातमा हो गया है।…
मक्का की विजय: मुसलमान जब मुअता की लड़ाई से वापस आये जिसमें बहुत ज़्यादा जानी नुक़्सान उठाना पड़ा था तो कु़रैश को ये ख़्याल हुआ के इनका ख़ातमा हो गया है।…
यमामा और दमिशक़ के बादशाह: यामामा के बादशाह ‘होजन बिन अली’ ईसाइ मजबह के मानने वाले थे। जब उनके पास ‘सलीत बिन अम्र’ रज़िंअल्लाह अन्हु दावत ऐ इस्लाम लेकर…
एक ख़त शाह ए अम्मान के नाम: अम्मान के बादशाह ‘जेफ़र’ व ‘अब्द खुल्दी’ के पास ‘अम्र बिन आस’ रज़िअल्लाह अन्हु को ख़त ले कर भेजा। ‘अम्र बिन आस’ रज़िअल्लाह…
मुसलमानों की परीक्षा: चौदह सौ जां निसारों के मौजूद रहते हुए ये एक तरफ़ा समझौता हुआ और सिर्फ़ समझौता ही नहीं हुआ बल्कि अल्लाह ने उन सब का सब्र भी आज़माया।
हुदैबिया अनुबंध: हिजरत का छटा साल था। आप ने अपने सहाबा साथियों को अपने ख़वाब से आगाह किया। आपने बताया कि ‘मैंने ख़्वाब देखा है कि मैं और मुस्लमान मक्का…
बनू कुरैज़ का युद्ध: हज़रत (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने यहूद के साथ एक मुहाईदा किया था। जिसमें जान माल व मज़बह में आज़ादी दी थी। लेकिन कुरैश ने उनको…
बनू नज़ीर का देश निकाला: यहूदी अपने शुरु के दौर में बड़े अल्लाह वाले इबादत गुज़ार और मुत्तक़ी क़ौम थी। मगर आहिस्ता-आहिस्ता वो अल्लाह से इतने दूर होते…
कुछ शहीदों का हाल: हज़रत ‘ज़ैद बिन साबित’ फ़रमाते हैं मुझे नबी पाक ने ‘सआद बिन अल रबीअ’ को देखने के लिये भेजा और मुझसे फ़रमाया कि अगर वो तुमको मिल…
सुल्तानों को दावत ए इस्लाम: 7 हिजरी के मौहर्रम के महीने में मुख़तलिफ़ ज़बानें जानने वाले सहाबा किराम को जमा किया गया और जो जिस ज़बान को बाखूबी जानते थे…
सफ़ीआ रज़िअल्लाह अन्हा का साहसी क़दम: मुस्मिल औरतों को जिस क़िले में रखा गया था वो बनू कुरैज़ा की आबादी वाले इलाक़े से मिला हुआ था। यहूदियों ने देखा कि…