सूरह अज़ ज़ारियात हिंदी में | Surah Adh-Dhariyat in Hindi
बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहिम
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है
- वज़्ज़ारियाति ज़र्वन्
शपथ हैं (हवाएँ) जो गर्द-ग़ुबार उड़ाती फिरती हैं। - फ़ल्- हामिलाति विक्रन्
फ़िर उन बादलो की जो बोझ(यानी बारिश) को उठाती हैं; - फ़ल्-जारियाति युस्रन्
फिर नरमी से चलती हैं; - फ़ल्-मुक़स्सिमाति अम्रन्
फिर उन फरिश्तों की जो चीजें(हुक्म के मुताबिक) बांटते है; - इन्नमा तू-अ़दू-न लसादिक़
कि तुमसे जिस चीज़(कयामत) का वादा किया जाता है, वह सत्य है; - व इन्नद्दी-न ल-वाकिअ्
और (कर्मों का) बदला अवश्य सामने आकर रहेगा। - वस्स्मा-इ ज़ातिल्-हुबुकि
गवाह है धारियोंवाला आकाश। - इन्नकुम् लफ़ी क़ौलिम्-मुख़्तलिफ़
वास्तव में, तुम विभिन्न बातों में हो अर्थात कुरान तथा प्रलय के विषय में विभिन्न बातें कर रहे हैं। - युअ्फ़कु अ़न्हु मन् उफ़िक्
उससे वही फिरता है, जो (सत्य से) फिरा हुआ हो। - क़ुतिलल्-ख़र्रासून
जो (अल्लाह के इल्म में) फेरा जा चुका है अटकल दौड़ाने वाले हलाक हों। - अल्लज़ी-न हुम् फ़ी ग़म्-रतिन् साहून
जो जहालत में भूले हुए (पड़े) हैं। - यस्अलू-न अय्या-न यौमुद्दीन
वे प्रश्न करते हैं(अर्थात उपहास स्वरूप) कि प्रतिकार का दिन कब है? - यौ-म हुम् अ़लन्नारि युफ़्तनून
जब इनको (जहन्नुम की) आग में अज़ाब दिया जाएगा। - ज़ूक़ू फ़ित्न-तकुम्, हाज़ल्लज़ी कुन्तुम् बिही तस्तअ्जिलून
(और उनसे कहा जाएगा) अपने उपद्रव का मज़ा चखो ये वही है जिसकी तुम शीघ्र माँग कर रहे थे। - इन्नल्-मुत्तक़ी न फ़ी जन्नातिंव्-व अुयून
बेशक परहेज़गार लोग (स्वर्ग के) बाग़ों और जल स्रोतों में (ऐश करते) होगें। - आख़िज़ी-न मा आताहुम् रब्बुहुम्, इन्नहुम् कानू क़ब्-ल ज़ालि-क मुह्सिनीन
जो उनका पालनहारन उन्हें प्रदान करता है ये (ख़ुश ख़ुश) ले रहे हैं ये लोग इससे पहले (दुनिया में) सदाचारी थे। - कानू क़लीलम्-मिनल्लैलि मा यह्जअून
(इबादत की वजह से) रात को बहुत ही कम सोते थे। - व बिल्-अस्हारि हुम् यस्तग़्फिरून
और भोर को अपनी क्षमा की प्रार्थना करते थे। - व फ़ी अम्वालिहिम् हक़्क़ुल्- लिस्सा-इलि वलू – महरूम
और उनके माल में माँगने वाले और न माँगने वाले (दोनों) का हिस्सा था। - व फ़िल्अर्ज़ि आयातुल् – लिल्मूक़िनीन
और यक़ीन करने वालों के लिए ज़मीन में (क़ुदरते अल्लाह की) बहुत सी निशानियाँ हैं। - व फ़ी अन्फ़ुसिकुम् अ-फ़ला तुब्सिरून
और तुम में भी हैं तो क्या तुम देखते नहीं। - व फ़िस्समा – इ रिज़्क़ुकुम् व मा तू अ़दून
और तुम्हारी रोज़ी और जिस चीज़ का तुमसे वायदा किया जाता है आसमान में है। - फ़-वरब्बिस्समा-इ वल्अर्ज़ि इन्नहू ल-हक़्क़ुम् – मिस्-ल मा अन्नकुम् तन्तिक़ून
तो आसमान व ज़मीन के मालिक की क़सम ये (क़ुरान) बिल्कुल ठीक है जिस तरह तुम बातें करते हो। - हल् अता- क हदीसु ज़ैफि इब्राहीमल् – मुक्रमीन
क्या तुम्हारे पास इब्राहीम के प्रतिष्ठित अतिथियों (फ़रिश्तों) की भी ख़बर पहुँची है कि जब वह लोग उनके पास आए। - इज़् द-ख़लू अ़लैहि फ़क़ालू सलामन् क़ा-ल सलामुन् क़ौमुम् – मुन्करून
तो कहने लगे (सलामुन अलैकुम) तो इबराहीम ने भी (अलैकुम) सलाम किया। (देखा तो) ऐसे लोग जिनसे न जान न पहचान। - फ़रा-ग़ इला अह्लिही फ़जा-अ बिअिज्लिन् समीन
फिर अपने घर जाकर जल्दी से (भुना हुआ) एक मोटा ताज़ा बछड़ा ले आए। - फ़-कर्र-बहू इलैहिम् क़ा-ल अला तअ्कुलून
और उसे उनके आगे रख दिया (फिर) कहने लगे आप लोग खाते क्यों नहीं। - फ़-औज-स मिन्हुम् ख़ी- फ़तन्, क़ालू ला तख़फ़्, व बश्श-रूहु बिग़ुलामिन् अ़लीम
फिर उसने दिल में उनसे डर महसूस किया। उन्होंने कहा, “डरिए नहीं।” और उनको एक ज्ञानी लड़के की ख़ुशख़बरी दी। - फ़-अक़्ब-लतिम्-र-अतुहू फ़ी सर्रतिन् फ़-सक्कत् वज्हहा व क़ालत् अ़जूजुन् अ़क़ीम
तो (ये सुनते ही) इबराहीम की बीवी (सारा) चिल्लाती हुयी उनके सामने आयीं और अपना मुँह पीट लिया कहने लगीं (ऐ हैं) एक मैं तो बांझ बुढि़या हूँ। - क़ालू कज़ालिकि क़ा-ल रब्बुकि इन्नहू हुवल् हकीमुल्-अ़लीम
लड़का क्यों कर होगा फ़रिश्ते बोले- तुम्हारे परवरदिगार ने यूँ ही फ़रमाया है। वास्तव में, वह सब गुण वाला सब कुछ जानने वाला है। (पारा 26 समाप्त)
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