51 सूरह अज़ ज़ारियात हिंदी में पेज 2

सूरह अज़ ज़ारियात हिंदी में | Surah Adh-Dhariyat in Hindi

पारा 27 शुरू

  1. क़ा-ल फ़मा ख़त्बुकुम् अय्युहल्-मुर्सलून
    तब इब्राहीम ने पूछा कि (ऐ अल्लाह के) भेजे हुए फ़रिश्तों आखि़र तुम्हारा क्या अभियान है।
  2. क़ालू इन्ना उर्-सिल्ना इला क़ौमिम्-मुज्रिमीन
    वह बोले हम तो गुनाहगारों (क़ौमे लूत) की तरफ़ भेजे गए हैं।
  3. लिनुर्सि – ल अ़लैहिम् हिजा – रतम् – मिन् तीन
    ताकि उन पर मिटटी के पथरीली कंकरी बरसाएँ।
  4. मुस्व्व-मतन् अिन्-द रब्बि-क लिल्-मुस्-रिफ़ीन
    जिन पर हद से बढ़ जाने वालों के लिए तुम्हारे परवरदिगार की तरफ़ से निशान लगा दिए गए हैं।
  5. फ़-अ ख़्-रज्ना मन् का-न फ़ीहा मिनल् – मुअ्मिनीन
    फिर वहाँ जितने लोग ईमानवाले थे उनको हमने निकाल दिया।
  6. फ़मा वजद्ना फ़ीहा ग़ै-र बैतिम्-मिनल्-मुस्लिमीन
    और वहाँ तो हमने एक(लूत अलैहिस्सलाम) के सिवा मुसलमानों का कोई घर पाया भी नहीं।
  7. व तरक्ना फ़ीहा आ-यतल् – लिल्लज़ी-न यख़ाफ़ूनल्-अ़ज़ाबल्-अलीम
    और जो लोग दुखद यातना से डरते हैं उनके लिए वहाँ (इबरत की) निशानी छोड़ दी और मूसा (के हाल) में भी (निशानी है)।
  8. व फ़ी मूसा इज़् अर्सल्नाहु इला फ़िर् औ़न बिसुल्तानिम्-मुबीन
    जब हमने उनको फिरौन के पास प्रत्यक्ष प्रमाण देकर भेजा।
  9. फ़-तवल्ला बिरुक्निही व क़ा-ल साहिरुन् औ मजूनून
    तो उसने अपने लशकर के बल-बूते पर मुँह मोड़ लिया और कहने लगा ये तो (अच्छा ख़ासा) जादूगर या पागल  है।
  10. फ़-अ़ख़ज़्नाहु व जुनूदहू फ़-नबज़्नाहुम् फ़िल्यम्मि व हु-व मुली म
    तो हमने उसको और उसकी सेनाओं को ले डाला फिर उन सबको सागर में फेंक दिया।
  11. व फ़ी आ़दिन् इज़् अ़र्सल्ना अ़लैहिमुर्-रीहल्-अ़क़ीम
    और वह तो निन्दनीय काम करता ही था और आद की क़ौम (के हाल) में भी निशानी है। हमने उन पर एक अशुभ आँधी चलायी।
  12. मा त-ज़रु मिन् शैइन् अतत् अ़लैहि इल्ला ज- अ़लत्हु कर्रमीम
    कि जिस चीज़ पर चलती उसको सड़ा गला हड्डी की तरह चूर-चूर किए बग़ैर न छोड़ती।
  13. व फ़ी समू-द इज़् क़ी-ल लहुम् त-मत्तअू हत्ता हीन
    और समूद (के हाल) में भी (क़ुदरत की निशानी) है जब उससे कहा गया कि एक निश्चित समय तक ख़ूब लाभान्वित हो लो।
  14. फ़-अ़तौ अ़न् अम्रि रब्बिहिम् फ़-अ-ख़ज़त्हुमुस्साअि-क़तु व हुम् यन्ज़ुरून
    तो उन्होने अपने परवरदिगार के आदेश से अवज्ञा की तो उन्हें एक रोज़ कड़क और बिजली ने ले डाला और देखते ही रह गए।
  15. फ़मस्तताअू मिन् क़ियामिंव्-व मा कानू मुन्तसिरीन
    फिर न वह उठने की ताक़त रखते थे और न बदला ही ले सकते थे।
  16. व क़ौ-म नूहिम्-मिन् क़ब्लु, इन्नहुम् कानू क़ौमन् फ़ासिक़ीन
    और (उनसे) पहले (हम) नूह की क़ौम को (हलाक कर चुके थे) बेशक वह बदकार लोग थे।
  17. वस्समा अ बनैनाहा बिऐदिंव्-व इन्ना ल- मूसिअून
    और हमने आसमानों को अपनी शक्ति से बनाया और बेशक हममें सब क़ुदरत है।
  18. वल्अर्ज़ फ़रश्नाहा फनिअ्मल्-माहिदून
    और ज़मीन को भी हम ही ने बिछाया तो हम कैसे अच्छे बिछाने वाले हैं।
  19. व मिन् क़ुल्लि शैइन् ख़लक़्ना ज़ौजैनि ल अ़ल्लकुम् तज़क्करून
    और हम ही ने हर चीज़ की दो दो कि़स्में बनायीं ताकि तुम लोग नसीहत हासिल करो।
  20. फ़-फ़िर्-रू इलल्लाहि, इन्नी लकुम् मिन्हु नज़ीरुम्-मुबीन
    तो अल्लाह ही की तरफ़ भागो मैं तुमको वास्तव में, उसकी तरफ़ से प्रत्यक्ष रूप डराने वाला हूँ।
  21. व ला तज्अ़लू मअ़ल्लाहि इलाहन् आ-ख़-र, इन्नी लकुम् मिन्हु नज़ीरुम् – मुबीन
    और अल्लाह के साथ दूसरा पूज्य न बनाओ मैं तुमको यक़ीनन उसकी तरफ़ से खुल्लम खुल्ला सावधान करने हूँ।
  22. कज़ालि-क मा अतल्लज़ी-न मिन् कब्लिहिम् मिर्रसूलिन् इल्ला कालू साहिरुन् औ मजूनून
    इसी तरह उनसे पहले लोगों के पास जो पैग़म्बर आता तो वह उसको जादूगर कहते या पागल (बताते)।
  23. अ-तवासी बिही बल् हुम् क़ौमुन् ता ग़ून
    ये लोग एक दूसरे को ऐसी बात की वसीयत करते आते हैं (नहीं) बल्कि ये लोग हैं ही सरकश। (वसियत का अर्थ है मरणसन्न आदेश। अर्थ यह है कि वे रसूलों के इन्कार का अपने मरण के समय आदेश देते आ रहे हैं कि यह भी अपने पूर्व के लोगों के समान रसूल का इन्कार कर रहे हैं?)
  24. फ़-तवल्-ल अ़न्हुम् फ़मा अन्-त बि-मलूम
    तो (ऐ रसूल) तुम इनसे मुँह फेर लो तुम पर तो कुछ निन्दा नहीं है।
  25. व ज़क्किर् फ़-इन्नज़्ज़िक्रा तन्फ़अुल्- मुअ्मिनीन
    और शिक्षा किए जाओ क्योंकि याद दिलाना ईमान वालों को फ़ायदा देती है।
  26. व मा ख़लक़्तुल् – जिन्-न वल्-इन्-स इल्ला लि-यअ्बुदून
    और मैने जिन्नो और आदमियों को इसलिए पैदा किया कि वह मेरी इबादत करें।
  27. मा उरीदु मिन्हुम् मिर्-रिज़्किंव् व मा उरीदु अंय्युत् अिमून
    मैं नहीं चाहता हूँ उनसे कोई जीविका और न चाहता हूँ कि वे मुझे खाना खिलायें।
  28. इन्नल्ला-ह हुवर्रज़्ज़ाक़ु ज़ुल् – क़ुव्वतिल् – मतीन
    अल्लाह ख़ुद बड़ा जीविका देने वाला, शक्तिशाली, बलवान है।
  29. फ़-इन्-न लिल्लज़ी-न ज़-लमू ज़नूबम्-मिस्-ल ज़नूबि – अस्हाबिहिम् फ़ला यस्तअ्जिलून
    अतः जिन लोगों ने ज़ुल्म किया है उनके लिए एक नियत हिस्सा है; जैसा उनके साथियों का नियत हिस्सा था। अतः इनको हम से जल्दी न करनी चाहिए।
  30. फ़वैलुल्- लिल्लज़ी-न क- फ़रू मिंय्यौमि- – हिमुल्लज़ी यू- अ़दून
    तो जिस दिन(प्रलय के दिन) का इन काफि़रों से वायदा किया जाता है इससे इनके लिए ख़राबी है।

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