06 सूरह अल-अनआम हिंदी में पेज 6

सूरह अल-अनआम हिंदी में | Surat Al-Araf in Hindi

  1. व हाज़ा सिरातु रब्बि-क मुस्तक़ीमन्, क़द् फस्सल्नल -आयाति लिकौमिंय्-यज़्ज़क्करून
    और (ऐ रसूल!) ये (इस्लाम) तुम्हारे परवरदिगार का (बनाया हुआ) सीधा रास्ता है इबरत हासिल करने वालों के वास्ते हमने अपने आयात तफसीलन बयान कर दिए हैं।
  2. लहुम् दारूस्सलामि अिन्-द रब्बिहिम् व हु-व वलिय्युहुम् बिमा कानू यअ्मलून
    उनके वास्ते उनके परवरदिगार के यहाँ अमन व चैन का घर (स्वर्ग) है और दुनिया में जो कारगुज़ारियाँ उन्होने की थीं उसके ऐवज़ अल्लाह उन का सरपरस्त होगा।
  3. व यौ-म यह्शुरूहुम् जमीअन्, या मअ्शरल्-जिन्नि क़दिस्तक्सरतुम् मिनल्-इन्सि, व क़ा-ल औलियाउहुम् मिनल-इन्सि रब्बनस् तम् त-अ बअ्ज़ुना बि बअ्ज़िंव् – व बलग्ना अ-ज लनल्लज़ी अज्जल्-त लना, क़ालन्नारू मस्वाकुम् ख़ालिदी-न फ़ीहा इल्ला मा शाअल्लाहु, इन्-न रब्ब-क हकीमुन अ़लीम
    और (ऐ रसूल! वह दिन याद दिलाओ) जिस दिन अल्लाह सब लोगों को जमा करेगा और शयातीन से फरमाएगा, ऐ गिरोह जिन्नात तुमने तो बहुतेरे आदमियों को (बहका बहका कर) अपनी जमाअत बड़ी कर ली (और) आदमियों से जो लोग (उन शयातीन के दुनिया में) दोस्त थे कहेंगे ऐ हमारे पालने वाले (दुनिया में) हमने एक दूसरे से फायदा हासिल किया और अपने किए की सज़ा पाने को, जो वक़्त तू ने हमारे लिए मुअय्युन किया था अब हम अपने उस वक़्त (क़यामत) में पहुँच गए अल्लाह उसके जवाब में, फरमाएगा तुम सब का ठिकाना जहन्नुम है और उसमें हमेशा रहोगे मगर जिसे अल्लाह चाहे (नजात दे) बेशक तेरा परवरदिगार हिकमत वाला वाकि़फकार है।
  4. व कज़ालि-क नुवल्ली बअ्ज़ज़्ज़ालिमी-न बअ्ज़म् बिमा कानू यक्सिबून *
    और इसी तरह हम बाज़ ज़ालिमों को बाज़ का उनके करतूतों की बदौलत सरपरस्त बनाएँगे।
  5. या मअ्शरल्-जिन्नि वल्-इन्सि अलम् यअ्तिकुम् रूसुलुम् मिन्कुम् यक़ुस्सू-न अलैकुम् आयाती व युन्ज़िरूनकुम् लिक़ा-अ यौमिकुम् हाज़ा, क़ालू शहिद्ना अला अन्फुसिना व ग़र्रत्हुमुल्-हयातुद्दुन्या व शहिदू अला अन्फुसिहिम् अन्नहुम् कानू काफ़िरीन
    (फिर हम पूछेंगे कि क्यों) ऐ गिरोह! जिन व इन्स क्या तुम्हारे पास तुम ही में के पैग़म्बर नहीं आए जो तुम तुमसे हमारी आयतें बयान करें और तुम्हें तुम्हारे उस रोज़ (क़यामत) के पेश आने से डराएँ वह सब अर्ज़ करेंगे (बेशक आए थे) हम ख़ुद अपने ऊपर आप अपने (खिलाफ) गवाही देते हैं (वाकई) उनको दुनिया की (चन्द रोज़) ज़िन्दगी ने उन्हें अँधेरे में डाल रखा और उन लोगों ने अपने खिलाफ आप गवाही दीं।
  6. ज़ालि-क अल्लम् यकुर्रब्बु-क मुह़्लिकल्क़ुरा बिज़ुल्मिंव्-व अह़्लुहा ग़ाफ़िलून
    बेशक ये सब के सब काफिर थे और ये (पैग़म्बरों का भेजना सिर्फ) उस वजह से है कि तुम्हारा परवरदिगार कभी बस्तियों को ज़ुल्म ज़बरदस्ती से वहाँ के बाशिन्दों के ग़फलत की हालत में हलाक नहीं किया करता।
  7. व लिकुल्लिन् द-रजातुम्-मिम्मा अ़मिलू, व मा रब्बु-क बिग़ाफ़िलिन् अम्मा यअ्मलून
    और जिसने जैसा (भला या बुरा) किया है उसी के मुवाफि़क हर एक के दरजात हैं।
  8. व रब्बुकल-ग़निय्यु जुर्रहमति, इंय्यशअ् युज़्हिब्कुम् व यस्तख़्लिफ् मिम्-बअ्दिकुम् मा यशा-उ कमा अन्श-अकुम् मिन् ज़ुर्रिय्यति क़ौमिन् आख़रीन
    और जो कुछ वह लोग करते हैं तुम्हारा परवरदिगार उससे बेख़बर नहीं और तुम्हारा परवरदिगार बे परवाह रहम वाला है – अगर चाहे तो तुम सबके सबको (दुनिया से उड़ा) ले लाए और तुम्हारे बाद जिसको चाहे तुम्हार जानशीन बनाए जिस तरह आखि़र तुम्हें दूसरे लोगों की औलाद से पैदा किया है।
  9. इन्-न मा तू-अदू-न लआतिंव्-व मा अन्तुम् बिमुअ्जिज़ीन
    बेशक जिस चीज़ का तुमसे वायदा किया जाता है वह ज़रूर (एक न एक दिन) आने वाली है।
  10. क़ुल या क़ौमिअ्मलू अला मकानतिकुम् इन्नी आमिलुन फ़सौ-फ़ तअ्लमू-न, मन् तकूनु लहू आक़ि-बतुद्दारि, इन्नहू ला युफ्लिहुज़्ज़ालिमून
    और तुम उसके लाने में (अल्लाह को) आजिज़ नहीं कर सकते (ऐ रसूल! तुम उनसे) कहो कि ऐ मेरी क़ौम तुम बजाए ख़़ुद जो चाहो करो मैं (बजाए खुद) अमल कर रहा हूँ फिर अनक़रीब तुम्हें मालूम हो जाएगा कि आख़ेरत (स्वर्ग) किसके लिए है (तुम्हारे लिए या हमारे लिए) ज़ालिम लोग तो हरगिज़ कामयाब न होंगे।
  11. व ज-अलू लिल्लाहि मिम्मा ज़-र-अ मिनल्-हर्सि वल्-अन्आमि नसीबन् फ़क़ालू हाज़ा लिल्लाहि बिज़अ्मिहिम् व हाज़ा लिशु-रकाइना, फ़मा का-न लिशु-र काइहिम् फला यसिलु इलल्लाहि, व मा का-न लिल्लाहि फहु-व यसिलु इला शु-रकाइहिम, सा-अ मा यह़्कुमून
    और ये लोग अल्लाह की पैदा की हुयी खेती और चैपायों में से हिस्सा क़रार देते हैं और अपने ख़्याल के मुवाफिक कहते हैं कि ये तो अल्लाह का (हिस्सा) है और ये हमारे शरीकों का (यानि जिनको हमने अल्लाह का शरीक बनाया) फिर जो ख़ास उनके शरीकों का है वह तो अल्लाह तक नहीं पहुँचने का और जो हिस्सा अल्लाह का है वो उसके शरीकों तक पहुँच जाएगा ये क्या ही बुरा हुक्म लगाते हैं और उसी तरह बहुतेरे मुशरिकीन को उनके शरीकों ने अपने बच्चों को मार डालने को अच्छा कर दिखाया है।
  12. व कज़ालि क ज़य्य-न लि-कसीरिम्-मिनल् मुश्रिकी-न कत्-ल औलादिहिम् शु-र काउहुम् लियुरदूहुम् व लियल्बिसू अलैहिम् दीनहुम्, व लौ शाअल्लाहु मा फ़-अलूहु फ़-ज़रहुम् व मा यफ़्तरून
    ताकि उन्हें (बदी) हलाकत में डाल दें और उनके सच्चे दीन को उन पर मिला जुला दें और अगर अल्लाह चाहता तो लोग ऐसा काम न करते तो तुम (ऐ रसूल!) और उनकी इफ़तेरा परदाजि़यों को (अल्लाह पर) छोड़ दो और ये लोग अपने ख़्याल के मुवाफिक कहने लगे कि ये चैपाए और ये खेती अछूती है।
  13. व क़ालू हाज़िही अन्आमुंव् व हरसुन् हिज्रूल्ला यत्अमुहा इल्ला मन्-नशा-उ बिज़अ्मिहिम् व अन्आमुन् हुर्रिमत् ज़ुहूरूहा व अन्आमुल्ला यज़्कुरूनस्मल्लाहि अलै हफ़्तिराअन् अलैहि, सयज्ज़ीहिम् बिमा कानू यफ़्तरून
    उनको सिवा उसके जिसे हम चाहें कोई नहीं खा सकता और (उनका ये भी ख़्याल है) कि कुछ चारपाए ऐसे हैं जिनकी पीठ पर सवारी लादना हराम किया गया और कुछ चारपाए ऐसे है जिन पर (जि़बह के वक़्त) अल्लाह का नाम तक नहीं लेते और फिर यह ढकोसले (अल्लाह की तरफ मनसूब करते) हैं ये सब अल्लाह पर इफ़तेरा व बोहतान है अल्लाह उनके इफ़तेरा परदाजि़यों को बहुत जल्द सज़ा देगा।
  14. व क़ालू मा फी बुतूनि हाज़िहिल-अन्आमि ख़ालि-सतुल लिज़ुकूरिना व मुहर्रमुन् अला अज़्वाजिना, व इंय्यकुम् मै-ततन् फहुम् फ़ीहि शु-रका-उ, सयज्ज़ीहिम् वस्फ़हुम्, इन्नहू हकीमुन् अलीम
    और कुफ़्फ़ार ये भी कहते हैं कि जो बच्चा (वक़्त ज़बाह) उन जानवरों के पेट में है (जिन्हें हमने बुतों के नाम कर छोड़ा और जि़न्दा पैदा होता तो) सिर्फ हमारे मर्दों के लिए हलाल है और हमारी औरतों पर हराम है और अगर वह मरा हुआ हो तो सब के सब उसमें शरीक हैं अल्लाह अनक़रीब उनको बातें बनाने की सज़ा देगा बेशक वह हिकमत वाला बड़ा वाकि़फकार है।
  15. क़द् ख़सिरल्लज़ी-न क़-तलू औलादहुम् स-फ़हम् बिग़ैरि अिल्मिंव्-व हर्रमू मा र-ज़-क़हुमुल्लाहुफ तिरा-अन् अलल्लाहि, क़द् ज़ल्लू व मा कानू मुह्तदीन • *
    बेशक जिन लोगों ने अपनी औलाद को बे समझे बूझे बेवकूफी से मार डाला और जो रोज़ी अल्लाह ने उन्हें दी थी उसे अल्लाह पर इफ़तेरा (बोहतान) बाँध कर अपने ऊपर हराम कर डाला और वह सख़्त घाटे में है ये यक़ीनन राहे हक़ से भटक गऐ और ये हिदायत पाने वाले थे भी नहीं।
  16. व हुवल्लज़ी अन्श-अ जन्नातिम् मअ् रूशातिंव्-व ग़ै-र मअ्-रूशातिंव्-वन्नख्-ल वज़्ज़र्-अ मुख़्तलिफ़न् उकुलुहू वज़्ज़ैतू-न वर्रूम्मा-न मु-तशाबिहंव्-व ग़ै-र मु-तशाबिहिन्, कुलू मिन् स-मरिही इज़ा अस्म-र व आतू हक़्क़हू यौ-म हसादिही, व ला तुस्रिफू, इन्नहू ला युहिब्बुल मुस्रिफ़ीन
    और वह तो वही अल्लाह है जिसने बहुतेरे बाग़ पैदा किए (जिनमें मुख़्तलिफ दरख़्त हैं – कुछ तो अंगूर की तरह टट्टियों पर) चढ़ाए हुए और (कुछ) बे चढ़ाए हुए और खजूर के दरख़्त और खेती जिसमें फल मुख़्तलिफ़ किस्म के हैं और ज़ैतून और अनार बाज़ तो सूरत रंग मज़े में, मिलते जुलते और (बाज़) बेमेल (लोगों) जब ये चीज़े फलें तो उनका फल खाओ और उन चीज़ों के काटने के दिन अल्लाह का हक़ (ज़कात) दे दो और ख़बरदार फज़ूल ख़र्ची न करो – क्यों कि वह (अल्लाह) फुज़ूल ख़र्चे से हरगिज़ उलफत नहीं रखता।
  17. व मिनल्-अन्आमि हमूलतंव-व फ़र्शन, कुलू मिम्मा र-ज़-क़कुमुल्लाहु व ला तत्तबिअू ख़ुतुवातिश्शैतानि, इन्नहू लकुम् अदुव्वुम् मुबीन
    और चारपायों में से कुछ तो बोझ उठाने वाले (बड़े बड़े) और कुछ ज़मीन से लगे हुए (छोटे छोटे) पैदा किए अल्लाह ने जो तुम्हें रोज़ी दी है उस में से खाओ और शैतान के क़दम ब क़दम न चलो।
  18. समानिय-त अज़्वाजिन्, मिनज़्ज़अ् निस्नैनि व मिनल्-मअ् ज़िस्नैनि, क़ुल आज़्ज़ करैनि हर्र-म अमिल् – उन्सयैनि अम्मश्त-मलत् अलैहि अर्हामुल उन्सयैनि, नब्बिऊनी बिअिल्मिन् इन् कुन्तुम् सादिक़ीन
    (क्यों कि) वह तो यक़ीनन तुम्हारा खुला हुआ दुश्मन है (अल्लाह ने नर मादा मिलाकर) आठ (कि़स्म के) जोड़े पैदा किए हैं-भेड़ से (नर मादा) दो और बकरी से (नर मादा) दो (ऐ रसूल उन काफिरों से) पूछो तो कि अल्लाह ने (उन दोनों भेड़ बकरी के) दोनों नरों को हराम कर दिया है या उन दोनों मादनियों को या उस बच्चे को जो उन दोनों मादनियों के पेट से अन्दर लिए हुए हैं।
  19. व मिनल् इबिलिस्नैनि व मिनल् ब-क़रिस्नैनि, क़ुल आज़्ज़ करैनि हर्र-म अमिल्-उन्सयैनि, अम्मश्त-मलत् अलैहि अरहामुल-उन्सयैनि, अम् कुन्तुम् शु-हदा-अ इज् वस्साकुमुल्लाहु बिहाज़ा, फ़-मन् अज़्लमु मिम्-मनिफ्तरा अलल्लाहि कज़िबल्-लियुज़िल्लन्ना-स बिग़ैरि अिल्मिन्, इन्नल्ला-ह ला यह्दिल क़ौमज़्ज़ालिमीन *
    अगर तुम सच्चे हो तो ज़रा समझ के मुझे बताओ और ऊँट के (नर मादा) दो और गाय के (नर मादा) दो (ऐ रसूल तुम उनसे) पूछो कि अल्लाह ने उन दोनों (ऊँट गाय के) नरों को हराम किया या दोनों मदनियों को या उस बच्चे को जो दोनों मादनियों के पेट अपने अन्दर लिये हुए है क्या जिस वक्त अल्लाह ने तुमको उसका हुक्म दिया था तुम उस वक़्त मौजूद थे फिर जो अल्लाह पर झूठ बोताहन बाधें उससे ज़्यादा ज़ालिम कौन होगा ताकि लोगों के वे समझे बूझे गुमराह करें अल्लाह हरगिज़ ज़ालिम क़ौम में मंजि़ले मक़सूद तक नहीं पहुचाता।
  20. क़ुल् ला अजिदु फ़ी मा ऊहि-य इलय्-य मुहर्रमन् अला ताअिमिंय्यत्-अमुहू इल्ला अंय्यकू-न मै-ततन् औ दमम्-मस्फूहन् औ लह्-म ख़िन्ज़ीरिन् फ़-इन्नहू रिज्सुन् औ फ़िस्कन् उहिल्-ल लिग़ैरिल्लाहि बिही, फ़- मनिज़्तुर्-र ग़ै-र बागिंव्-व ला आदिन् फ़-इन्-न रब्ब-क ग़फूरुर्रहीम
    (ऐ रसूल!) तुम कहो कि मै तो जो (क़ुरान) मेरे पास वही के तौर पर आया है उसमें कोई चीज़ किसी खाने वाले पर जो उसको खाए हराम नहीं पाता मगर जबकि वह मुर्दा या बहता हुआ ख़़ून या सूअर का गोश्त हो तो बेशक ये (चीजे़) नापाक और हराम हैं या (वह जानवर) नाफरमानी का बाएस हो कि (वक़्ते जि़बहा) अल्लाह के सिवा किसी और का नाम लिया गया हो फिर जो शख़्स (हर तरह) बेबस हो जाए (और) नाफरमान व सरकश न हो और इस हालत में खाए तो अलबत्ता तुम्हारा परवरदिगार बड़ा बख़्शने वाला मेहरबान है।
  21. व अलल्लज़ी-न हादू हर्रम्ना कुल्-लज़ी ज़ुफुरिन्, व मिनल् ब क़रि वल्ग़-नमि हर्रम्ना अलैहिम् शुहू-महुमा इल्ला मा ह-मलत् ज़ुहूरूहुमा अविल्हवाया औ मख़्त -ल त बिअ़ज़्मिन्, ज़ालि-क जज़ैनाहुम् बिबग़्यिहिम्, व इन्ना लसादिक़ून
    और हमने यहूदियों पर तमाम नाख़ूनदार जानवर हराम कर दिये थे और गाय और बकरी दोनों की चरबियां भी उन पर हराम कर दी थी मगर जो चरबी उनकी दोनों पीठ या आतों पर लगी हो या हड्डी से मिली हुयी हो (वह हलाल थी) ये हमने उन्हें उनकी सरक़षी की सज़ा दी थी और उसमें तो शक  ही नहीं कि हम ज़रूर सच्चे हैं।
  22. फ़-इन् कज़्ज़बू-क फ़-क़ुर्रब्बुकुम् ज़ू रह़्मतिंव्-वासि -अतिन्, व ला युरद्दु बअ्सुहू अनिल क़ौमिल् -मुजरिमीन
    (ऐ रसूल!) पर अगर वह तुम्हें झुठलाए तो तुम (जवाब) में कहो कि (अगरचे) तुम्हारा परवरदिगार बड़ी वसीह रहमत वाला है मगर उसका अज़ाब गुनाहगार लोगों से टलता भी नहीं।
  23. स-यक़ूलुल्लज़ी-न अश्रकू लौ शाअल्लाहु मा अश्रक्ना व ला आबाउना व ला हर्रम्ना मिन् शैइन्, कज़ालि-क कज़्ज़बल्लज़ी-न मिन् क़ब्लिहिम् हत्ता ज़ाक़ू बअ्सना, क़ुल हल् अिन्दकुम् मिन् अिल्मिन् फ़ तुख़्रिजू हु लना, इन् तत्तबिअू-न इल्लज़्ज़न्-न व इन् अन्तुम् इल्ला तख़्रूसून
    अनक़रीब मुशरेकीन कहेंगें कि अगर अल्लाह चाहता तो न हम लोग शिर्क करते और न हमारे बाप दादा और न हम कोई चीज़ अपने ऊपर हराम करते उसी तरह (बातें बना बना के) जो लोग उनसे पहले हो गुज़रे हैं (पैग़म्बरों को) झुठलाते रहे यहाँ तक कि उन लोगों ने हमारे अज़ाब (के मज़े) को चख़ा (ऐ रसूल) तुम कहो कि तुम्हारे पास कोई दलील है (अगर है) तो हमारे (दिखाने के) वास्ते उसको निकालो (दलील तो क्या) पेश करोगे तुम लोग तो सिर्फ अपने ख़्याल ख़़ाम की पैरवी करते हो और सिर्फ अटकल पच्चू बातें करते हो।
  24. क़ुल फ़लिल्लाहिल-हुज्जतुल-बालि-ग़तु, फ़लौ शा-अ ल-हदाकुम् अज्मईन
    (ऐ रसूल!) तुम कहो कि (अब तुम्हारे पास कोई दलील नहीं है) अल्लाह तक पहुंचाने वाली दलील अल्लाह ही के लिए ख़ास है।
  25. क़ुल हलुम्-म शु-हदा अकुमुल्लज़ी-न यश्हदू-न अन्नल्ला-ह हर्र-म हाज़ा, फ़-इन् शहिदू फ़ला तश्हद् म-अहुम्, व ला तत्तबिअ् अह़्वा-अल्लज़ी-न कज़्ज़बू बिआयातिना वल्लज़ी-न ला युअ्मिनू-न बिल्-आख़ि -रति व हुम् बिरब्बिहिम् यअ्दिलून *
    फिर अगर वही चाहता तो तुम सबकी हिदायत करता (ऐ रसूल!) तुम कह दो कि ( अच्छा) अपने गवाहों को लाकर हाजिर करो जो ये गवाही दें कि ये चीज़े (जिन्हें तुम हराम मानते हो) अल्लाह ही ने हराम कर दी हैं फिर अगर (बिलग़रज़) वह गवाही दे भी दे तो (ऐ रसूल!) कहीं तुम उनके साथ गवाही न देना और जिन लोगों ने हमारी आयतों को झुठलाया और आख़िरत पर ईमान नहीं लाते और दूसरों को अपने परवरदिगार का हम सर बनाते है उनकी नफ़सियानी ख़्वाहिशो पर न चलना।

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