06 सूरह अल-अनआम हिंदी में पेज 7

सूरह अल-अनआम हिंदी में | Surat Al-Araf in Hindi

  1. क़ुल तआ़लौ अत्लु मा हर्र-म रब्बुकुम् अलैकुम् अल्ला तुश्रिकू बिही शैअंव्-व बिल्वालिदैनि इह़्सानन्, व ला तक़्तुलू औलादकुम् मिन् इम्लाक़िन्, नह़्नु नरज़ुक़ुकुम् व इय्याहुम्, व ला तक़्रबुल-फ़वाहि श मा ज़-ह-र मिन्हा व मा ब-त-न, वला तक़्तुलुन्नफ़्सल्लती हर्रमल्लाहु इल्ला बिल्हक़्क़ि, ज़ालिकुम् वस्साकुम् बिही लअ़ल्लकुम् तअ्क़िलून
    (ऐ रसूल!) तुम उनसे कहो कि (बेबस) आओ जो चीज़ें अल्लाह ने तुम पर हराम की हैं वह मैं तुम्हें पढ़ कर सुनाऊँ (वह) यह कि किसी चीज़ को अल्लाह का शरीक न बनाओ और माँ बाप के साथ नेक सुलूक़ करो और मुफ़लिसी के ख़ौफ से अपनी औलाद को मार न डालना (क्योंकि) उनको और तुमको रिज़क देने वाले तो हम हैं और बदकारियों के क़रीब भी न जाओ ख़्वाह (चाहे) वह ज़ाहिर हो या पोशीदा और किसी जान वाले को जिस के क़त्ल को अल्लाह ने हराम किया है न मार डालना मगर (किसी) हक़ के ऐवज़ में वह बातें हैं जिनका अल्लाह ने तुम्हें हुक्म दिया है ताकि तुम लोग समझो और यतीम के माल के करीब भी न जाओ।
  2. व ला तक़्रबू मालल्-यतीमि इल्ला बिल्लती हि-य अह्सनु हत्ता यब्लु-ग़ अशुद्दहू, व औफुल्कै-ल वल्मीज़ा-न बिल्क़िस्ति, ला नुकल्लिफु नफ़्सन इल्ला वुस्अ़हा, व इज़ा क़ुल्तुम् फअ्दिलू व लौ का न ज़ा क़ुर्बा व बि-अह़्दिल्लाहि औफू, ज़ालिकुम् वस्साकुम् बिही लअ़ल्लकुम् तज़क्करून
    लेकिन इस तरीके पर कि (उसके हक़ में) बेहतर हो यहाँ तक कि वह अपनी जवानी की हद को पहुंच जाए और इन्साफ के साथ नाप और तौल पूरी किया करो हम किसी शख़्स को उसकी ताक़त से बढ़कर तकलीफ नहीं देते और (चाहे कुछ हो मगर) जब बात कहो तो इन्साफ़ से अगरचे वह (जिसके तुम खि़लाफ न हो) तुम्हारा अज़ीज़ ही (क्यों न) हो और अल्लाह के एहद व पैग़ाम को पूरा करो यह वह बातें हैं जिनका अल्लाह ने तुम्हे हुक्म दिया है कि तुम इबरत हासिल करो और ये भी (समझ लो) कि यही मेरा सीधा रास्ता है।
  3. व अन्-न हाज़ा सिराती मुस्तक़ीमन् फ़त्तबिऊहु, व ला तत्तबिअुस्सुबु-ल फ़-तफ़र्र-क़ बिकुम् अन् सबीलिही, ज़ालिकुम् वस्साकुम् बिही लअ़ल्लकुम् तत्तक़ून
    तो उसी पर चले जाओ और दूसरे रास्ते पर न चलो कि वह तुमको अल्लाह के रास्ते से (भटकाकर) तितिर बितिर कर देगें यह वह बातें हैं जिनका अल्लाह ने तुमको हक्म दिया है ताकि तुम परहेज़गार बनो।
  4. सुम्-म आतैना मूसल्-किता-ब तमामन् अलल्लज़ी अह़्स-न व तफ़्सीलल्-लिकुल्लि शैइंव्-व हुदंव्-व रह़्म-तल् लअ़ल्लहुम् बिलिक़ा-इ रब्बिहिम् युअ्मिनून*
    फिर हमनें जो नेक़ी करें उस पर अपनी नेअमत पूरी करने के वास्ते मूसा को किताब (तौरौत) अता फरमाई और उसमें हर चीज़ की तफ़सील (बयान कर दी ) थी और (लोगों के लिए सर से पैर तक) हिदायत व रहमत है ताकि वह लोग अपनें परवरदिगार के सामने हाजिर होने का यक़ीन करें।
  5. व हाज़ा किताबुन् अन्ज़ल्नाहु मुबारकुन् फत्तबिअूहु वत्तक़ू लअल्लकुम् तुरहमून
    और ये किताब (क़ुरान) जिसको हमने (अब नाज़िल किया है क्या है-बरक़त वाली किताब) है तो तुम लोग उसी की पैरवी करो (और अल्लाह से) डरते रहो ताकि तुम पर रहम किया जाए।
  6. अन् तक़ूलू इन्नमा उन्ज़िलल्-किताबु अला ताइ-फ़तैनि मिन् क़ब्लिना, व इन् कुन्ना अन् दिरा-सतिहिम् लग़ाफ़िलीन
    (और ऐ मुशरेकीन! ये किताब हमने इसलिए नाजि़ल की कि तुम कहीं) यह कह बैठो कि हमसे पहले किताब अल्लाह तो बस सिर्फ दो ही गिरोहों (यहूद व नसारा) पर नाज़िल हुयी थी अगरचे हम तो उनके पढ़ने (पढ़ाने) से बेखबर थे।
  7. औ तक़ूलू लौ अन्ना उन्ज़ि-ल अलैनल्-किताबु लकुन्ना अह़्दा मिन्हुम्, फ़-क़द् जाअकुम् बय्यि-नतुम् मिर्रब्बिकुम् व हुदंव्-व रह़्मतुन्, फ़-मन् अज़्लमु मिम्मन् कज्ज़-ब बिआयातिल्लाहि व स-द-फ़ अन्हा, स-नजज़िल्लज़ी-न यस्दिफू-न अन् आयातिना सूअल्- अ़ज़ाबि बिमा कानू यस्दिफून
    या ये कहने लगो कि अगर हम पर किताबे (अल्लाह नाज़िल होती तो हम उन लोगों से कहीं बढ़कर राहे रास्त पर होते तो (देखो) अब तो यक़ीनन तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से तुम्हारे पास एक रौशन दलील है (किताबे अल्लाह) और हिदायत और रहमत आ चुकी तो जो शख़्स अल्लाह के आयात को झुठलाए और उससे मुँह फेरे उनसे बढ़ कर ज़ालिम कौन है जो लोग हमारी आयतों से मुँह फेरते हैं हम उनके मुँह फेरने के बदले में अनक़रीब ही बुरे अज़ाब की सज़ा देगें (ऐ रसूल!) क्या ये लोग सिर्फ उसके मुन्तिज़र है कि उनके पास फ़रिश्ते आएं।
  8. हल् यन्ज़ु रू-न इल्ला अन् तअ्ति-यहुमुल्मलाइ-कतु औ यअ्ति-य रब्बु-क औ यअ्ति य बअ्ज़ु आयाति रब्बि-क, यौ-म यअ्ती बअ्ज़ु आयाति रब्बि-क ला यन्फअु नफ़्सन् ईमानुहा लम् तकुन आ-मनत् मिन् क़ब्लु औ क-सबत् फी ईमानिहा खैरन्, क़ुलिन्तज़िरू इन्ना मुन्तज़िरून
    या तुम्हारा परवरदिगार खुद (तुम्हारे पास) आये या तुम्हारे परवरदिगार की कुछ निशानियाँ आ जाएं (आखि़रकार क्योकर समझाया जाए) हालांकि जिस दिन तुम्हारे परवरदिगार की बाज़ निशानियाँ आ जाएंगी तो जो शख़्स पहले से ईमान नहीं लाया होगा या अपने मोमिन होने की हालत में कोई नेक काम नहीं किया होगा तो अब उसका ईमान लाना उसको कुछ भी मुफ़ीद न होगा – (ऐ रसूल!) तुम (उनसे) कह दो कि (अच्छा यही सही) तुम (भी) इन्तिज़ार करो हम भी इन्तिज़ार करते हैं।
  9. इन्नल्लज़ी-न फ़र्रक़ू दीनहुम् व कानू शि-यअ़ल्लस्-त मिन्हुम् फी शैइन्, इन्नमा अम्रूहुम् इलल्लाहि सुम्-म युनब्बिउहुम् बिमा कानू यफ्अलून
    बेशक जिन लोगों ने आपने दीन में तफरक़ा डाला और कई फरीक़ बन गए थे उनसे कुछ सरोकार नहीं उनका मामला तो सिर्फ अल्लाह के हवाले है फिर जो कुछ वह दुनिया में नेक या बद किया करते थे वह उन्हें बता देगा (उसकी रहमत तो देखो)।
  10. मन् जा अ बिल्ह-स नति फ़-लहू अश्रू अम्सालिहा, व मन् जा-अ बिस्सय्यि-अति फ़ला युज्ज़ा इल्ला मिस्लहा व हुम् ला युज़्लमून
    जो शख़्स नेकी करेगा तो उसको दस गुना सवाब अता होगा और जो शख़्स बदी करेगा तो उसकी सज़ा उसको बस उतनी ही दी जाएगी और वह लोग (किसी तरह) सताए न जाएगें।
  11. क़ुल इन्ननी हदानी रब्बी इला सिरातिम् मुस्तक़ीम, दीनन् क़ि-य मम् मिल्ल-त इब्राही-म हनीफ़न, व मा का-न मिनल मुश्रिकीन
    (ऐ रसूल!) तुम उनसे कहो कि मुझे तो मेरे परवरदिगार ने सीधी राह यानि एक मज़बूत दीन इब्राहीम के मज़हब की हिदायत फरमाई है बातिल से कतरा के चलते थे और मुशरेकीन से न थे।
  12. क़ुल इन्-न सलाती व नुसुकी व मह़्या-य व ममाती लिल्लाहि रब्बिल्-आलमीन
    (ऐ रसूल!) तुम उन लोगों से कह दो कि मेरी नमाज़ मेरी इबादत मेरा जीना मेरा मरना सब अल्लाह ही के वास्ते है जो सारे जहाँ का परवरदिगार है।
  13. ला शरी-क लहू, व बिज़ालि-क उमिरतु व अ-ना अव्वलुल् मुस्लिमीन
    और उसका कोई शरीक नहीं और मुझे इसी का हुक्म दिया गया है और मैं सबसे पहले इस्लाम लाने वाला हूँ।
  14. क़ुल् अग़ैरल्लाहि अब्ग़ी रब्बंव्-व हु-व रब्बु कुल्लि शैइन्, व ला तक्सिबु कुल्लु नफ्सिन् इल्ला अलैहा, व ला तज़िरू वाज़ि-रतुंव्विज़-र उख़्रा, सुम् म इला रब्बिकुम् मर्जिउकुम् फ़-युनब्बिउकुम् बिमा कुन्तुम् फ़ीहि तख़्तलिफून
    (ऐ रसूल!) तुम पूछो तो कि क्या मैं अल्लाह के सिवा किसी और को परवरदिगार तलाश करुँ हालाँकि वह तमाम चीज़ो का मालिक है और जो शख़्स कोई बुरा काम करता है उसका (वबाल) उसी पर है और कोई शख़्स किसी दूसरे के गुनाह का बोझ नहीं उठाने का फिर तुम सबको अपने परवरदिगार के हुज़ूर में लौट कर जाना है तब तुम लोग जिन बातों में बाहम झगड़ते थे वह सब तुम्हें बता देगा।
  15. व हु वल्लज़ी ज-अ-लकुम् ख़ला-इफ़ल्-अर्ज़ि व र-फ़-अ बअ्ज़कुम् फ़ौ-क़ बअ्ज़िन् द-रजातिल् लियब्लु-वकुम् फ़ी मा आताकुम्, इन्-न रब्ब-क सरीअुल् अिक़ाबि, व इन्नहू ल-ग़फूरुर्रहीम •*
    और वही तो वह (अल्लाह) है जिसने तुम्हें ज़मीन में (अपना) नायब बनाया और तुममें से बाज़ के बाज़ पर दर्जे बुलन्द किये ताकि वो (नेअमत) तुम्हें दी है उसी पर तुम्हारा इमतेहान करें उसमें तो शक ही नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार बहुत जल्द अज़ाब करने वाला है और इसमें भी शक नहीं कि वह बड़ा बख़्शने वाला मेहरबान है।

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