- कुल तआ़लौ अत्लु मा हर्र-म रब्बुकुम् अलैकुम् अल्ला तुश्रिकू बिही शैअंव् -व बिल्वालिदैनि इह़्सानन् व ला तक़्तुलू औलादकुम् मिन्
इम्लाकिन्, नह़्नु नरज़ुकुकुम् व इय्याहुम् व ला तक्रबुल – फ़वाहि श मा ज़-ह-र मिन्हा व मा ब-त-न वला तक्तुलुन्नफ़्सल्लती हर्रमल्लाहु इल्ला बिल्हक्कि, ज़ालिकुम् वस्साकुम् बिही लअ़ल्लकुम् तअ्किलून
(ऐ रसूल) तुम उनसे कहो कि (बेबस) आओ जो चीज़ें ख़ुदा ने तुम पर हराम की हैं वह मैं तुम्हें पढ़ कर सुनाऊँ (वह) यह कि किसी चीज़ को ख़ुदा का शरीक न बनाओ और माँ बाप के साथ नेक सुलूक़ करो और मुफ़लिसी के ख़ौफ से अपनी औलाद को मार न डालना (क्योंकि) उनको और तुमको रिज़क देने वाले तो हम हैं और बदकारियों के क़रीब भी न जाओ ख़्वाह (चाहे) वह ज़ाहिर हो या पोशीदा और किसी जान वाले को जिस के क़त्ल को ख़ुदा ने हराम किया है न मार डालना मगर (किसी) हक़ के ऐवज़ में वह बातें हैं जिनका ख़ुदा ने तुम्हें हुक्म दिया है ताकि तुम लोग समझो और यतीम के माल के करीब भी न जाओ - व ला तक्रबू मालल् – यतीमि इल्ला बिल्लती हि -य अह्सनु हत्ता यब्लु – ग अशुद्दहू व औफुल्कै – ल वल्मीज़ा – न बिल्किस्ति ला नुकल्लिफु नफ़्सन इल्ला वुस्अ़हा व इज़ा कुल्तुम् फअ़दिलू व लौ का न ज़ा कुर्बा व बि-अह़्दिल्लाहि औफू ज़ालिकुम् वस्साकुम् बिही लअ़ल्लकुम् तज़क्करून
लेकिन इस तरीके पर कि (उसके हक़ में) बेहतर हो यहाँ तक कि वह अपनी जवानी की हद को पहुंच जाए और इन्साफ के साथ नाप और तौल पूरी किया करो हम किसी शख़्स को उसकी ताक़त से बढ़कर तकलीफ नहीं देते और (चाहे कुछ हो मगर) जब बात कहो तो इन्साफ़ से अगरचे वह (जिसके तुम खि़लाफ न हो) तुम्हारा अज़ीज़ ही (क्यों न) हो और ख़ुदा के एहद व पैग़ाम को पूरा करो यह वह बातें हैं जिनका ख़़ुदा ने तुम्हे हुक्म दिया है कि तुम इबरत हासिल करो और ये भी (समझ लो) कि यही मेरा सीधा रास्ता है - व अन् – न हाज़ा सिराती मुस्तकीमन् फ़त्तबिअहु व ला तत्तबिअुस्सुबु -ल फ़ – तफ़र्र-क बिकुम् अन् सबीलिही, ज़ालिकुम् वस्साकुम् बिही लअ़ल्लकुम् तत्तकून
तो उसी पर चले जाओ और दूसरे रास्ते पर न चलो कि वह तुमको ख़़ुदा के रास्ते से (भटकाकर) तितिर बितिर कर देगें यह वह बातें हैं जिनका ख़ुदा ने तुमको हक्म दिया है ताकि तुम परहेज़गार बनो - सुम् – म आतैना मूसल् – किता-ब तमामन् अलल्लज़ी अह़्स-न व तफ़्सीलल् – लिकुल्लि शैइंव् -व हुदंव् – व रह़्म – तल् लअ़ल्लहुम् बिलिका -इ रब्बिहिम् युअ्मिनून *
फिर हमनें जो नेक़ी करें उस पर अपनी नेअमत पूरी करने के वास्ते मूसा को कि़ताब (तौरौत) अता फरमाई और उसमें हर चीज़ की तफ़सील (बयान कर दी ) थी और (लोगों के लिए अज़सरतापा(सर से पैर तक)) हिदायत व रहमत है ताकि वह लोग अपनें परवरदिगार के सामने हाजि़र होने का यक़ीन करें - व हाज़ा किताबुन् अन्ज़ल्नाहु मुबारकुन् फत्तबिअूहु वत्तकू लअल्लकुम् तुरहमून
और ये किताब (क़ुरान) जिसको हमने (अब नाजि़ल किया है क्या है-बरक़त वाली किताब) है तो तुम लोग उसी की पैरवी करो (और ख़ुदा से) डरते रहो ताकि तुम पर रहम किया जाए - अन् तकूलू इन्नमा उन्ज़िलल् -किताबु अला ताइ -फ़तैनि मिन् कब्लिना व इन् कुन्ना अन् दिरा-सतिहिम् लग़ाफ़िलीन
(और ऐ मुशरेकीन ये किताब हमने इसलिए नाजि़ल की कि तुम कहीं) यह कह बैठो कि हमसे पहले किताब ख़ुदा तो बस सिर्फ दो ही गिरोहों (यहूद व नसारा) पर नाजि़ल हुयी थी अगरचे हम तो उनके पढ़ने (पढ़ाने) से बेखबर थे - औ तकूलू लौ अन्ना उन्ज़ि-ल अलैनल् – किताबु लकुन्ना अह़्दा मिन्हुम् फ़ – कद् जाअकुम् बय्यि – नतुम् मिर्रब्बिकुम् व हुदंव – व रह़्मतुन् फ़ – मन् अज़्लमु मिम्मन् कज्ज़ -ब बिआयातिल्लाहि व स -द-फ़ अन्हा, स-नजज़िल्लज़ी-न यस्दिफू-न अन् आयातिना सूअल- अ़ज़ाबि बिमा कानू यस्दिफून
या ये कहने लगो कि अगर हम पर किताबे (ख़़ुदा नाजि़ल होती तो हम उन लोगों से कहीं बढ़कर राहे रास्त पर होते तो (देखो) अब तो यक़ीनन तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से तुम्हारे पास एक रौशन दलील है (किताबे ख़़ुदा) और हिदायत और रहमत आ चुकी तो जो शख़्स ख़़ुदा के आयात को झुठलाए और उससे मुँह फेरे उनसे बढ़ कर ज़ालिम कौन है जो लोग हमारी आयतों से मुँह फेरते हैं हम उनके मुँह फेरने के बदले में अनक़रीब ही बुरे अज़ाब की सज़ा देगें (ऐ रसूल) क्या ये लोग सिर्फ उसके मुन्तिज़र है कि उनके पास फ़रिश्ते आएं - हल् यन्जु रू-न इल्ला अन् तअ्ति – यहुमुल्मलाइ – कतु औ यअ्ति – य रब्बु – क औ यअ्ति य बअ्जु आयाति रब्बि-क, यौ-म यअ्ती बअ्जु आयाति रब्बि-क ला यन्फअु नफ़्सन् ईमानुहा लम् तकुन आ -मनत् मिन् कब्लु औ क -सबत् फी ईमानिहा खैरन्, कुलिन्तज़िरू इन्ना मुन्तज़िरून
या तुम्हारा परवरदिगार खुद (तुम्हारे पास) आये या तुम्हारे परवरदिगार की कुछ निशानियाँ आ जाएं (आखि़रकार क्योकर समझाया जाए) हालांकि जिस दिन तुम्हारे परवरदिगार की बाज़ निशानियाँ आ जाएंगी तो जो शख़्स पहले से ईमान नहीं लाया होगा या अपने मोमिन होने की हालत में कोई नेक काम नहीं किया होगा तो अब उसका ईमान लाना उसको कुछ भी मुफ़ीद न होगा – (ऐ रसूल) तुम (उनसे) कह दो कि (अच्छा यही सही) तुम (भी) इन्तिज़ार करो हम भी इन्तिज़ार करते हैं - इन्नल्लज़ी-न फ़र्रकू दीनहुम् व कानू शि-यअ़ल्लस्-त मिन्हुम् फी शैइन्, इन्नमा अम्रूहुम् इलल्लाहि सुम्-म युनब्बिउहुम् बिमा कानू यफ्अलून
बेशक जिन लोगों ने आपने दीन में तफरक़ा डाला और कई फरीक़ बन गए थे उनसे कुछ सरोकार नहीं उनका मामला तो सिर्फ ख़ुदा के हवाले है फिर जो कुछ वह दुनिया में नेक या बद किया करते थे वह उन्हें बता देगा (उसकी रहमत तो देखो) - मन् जा अ बिल्ह – स नति फ़-लहू अश्रू अम्सालिहा व मन् जा – अ बिस्सय्यि – अति फ़ला युज्ज़ा इल्ला मिस्लहा व हुम् ला युज्लमून
जो शख़्स नेकी करेगा तो उसको दस गुना सवाब अता होगा और जो शख़्स बदी करेगा तो उसकी सज़ा उसको बस उतनी ही दी जाएगी और वह लोग (किसी तरह) सताए न जाएगें - कुल इन्ननी हदानी रब्बी इला सिरातिम् मुस्तकीम, दीनन् कि – य मम् मिल्ल-त इब्राही-म हनीफ़न व मा का-न मिनल मुश्रिकीन
(ऐ रसूल) तुम उनसे कहो कि मुझे तो मेरे परवरदिगार ने सीधी राह यानि एक मज़बूत दीन इब्राहीम के मज़हब की हिदायत फरमाई है बातिल से कतरा के चलते थे और मुशरेकीन से न थे - कुल इन् – न सलाती व नुसुकी व मह़्या-य व ममाती लिल्लाहि रब्बिल् – आलमीन
(ऐ रसूल) तुम उन लोगों से कह दो कि मेरी नमाज़ मेरी इबादत मेरा जीना मेरा मरना सब ख़ुदा ही के वास्ते है जो सारे जहाँ का परवरदिगार है - ला शरी-क लहू व बिज़ालि-क उमिरतु व अ-न अव्वलुल् मुस्लिमीन
और उसका कोई शरीक नहीं और मुझे इसी का हुक्म दिया गया है और मैं सबसे पहले इस्लाम लाने वाला हूँ - कुल् अगैरल्लाहि अब्गी रब्बंव् – व हु – व रब्बु कुल्लि शैइन्, व ला तक्सिबु कुल्लु नफ्सिन् इल्ला अलैहा व ला तज़िरू वाज़ि-रतुंव्विज़ – र उखरा सुम् म इला रब्बिकुम् मर्जिअकुम् फ़- युनब्बिउकुम् बिमा कुन्तुम् फ़ीहि तख़्तलिफून
(ऐ रसूल) तुम पूछो तो कि क्या मैं ख़ुदा के सिवा किसी और को परवरदिगार तलाश करुँ हालाँकि वह तमाम चीज़ो का मालिक है और जो शख़्स कोई बुरा काम करता है उसका (वबाल) उसी पर है और कोई शख़्स किसी दूसरे के गुनाह का बोझ नहीं उठाने का फिर तुम सबको अपने परवरदिगार के हुज़ूर में लौट कर जाना है तब तुम लोग जिन बातों में बाहम झगड़ते थे वह सब तुम्हें बता देगा - व हु वल्लज़ी ज-अ-लकुम् खला-इफ़ल-अर्ज़ि व र-फ़-अ बअ्ज़कुम् फ़ौ-क बअ्जिन् द-रजातिल लियब्लु-वकुम् फ़ी मा आताकुम्, इन्-न रब्ब-क सरीअुल अिक़ाबि व इन्नहू ल-गफूरुर्रहीम •*
और वही तो वह (ख़़ुदा) है जिसने तुम्हें ज़मीन में (अपना) नायब बनाया और तुममें से बाज़ के बाज़ पर दर्जे बुलन्द किये ताकि वो (नेअमत) तुम्हें दी है उसी पर तुम्हारा इमतेहान करें उसमें तो षक ही नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार बहुत जल्द अज़ाब करने वाला है और इसमें भी शक नहीं कि वह बड़ा बख़्शने वाला मेहरबान है
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