- व यकूलू – न लौ ला उन्ज़ि – ल अलैहि आयतुम् – मिर्रब्बिही फकुल इन्नमल् – गैबु लिल्लाहि फ़न्तज़िरू इन्नी म – अ़कुम् मिनल् मुन्तज़िरीन*
और कहते हैं कि उस पैग़म्बर पर कोई मोजिज़ा (हमारी ख़्वाहिष के मुवाफिक़) क्यों नहीं नाजि़ल किया गया तो (ऐ रसूल) तुम कह दो कि ग़ैब (दानी) तो सिर्फ ख़ुदा के वास्ते ख़ास है तो तुम भी इन्तज़ार करो और तुम्हारे साथ मै (भी) यक़ीनन इन्तज़ार करने वालों में हूँ। - व इज़ा अज़क्नन्ना-स रह्म-तम् मिम् बअदि ज़र्रा – अ मस्सत्हुम् इज़ा लहुम् मक्रुन् फी आयातिना, कुलिल्लाहु अस्रअु मक्रन, इन्- न रूसुलना यक्तुबू – न मा तम्कुरून
और लोगों को जो तकलीफ पहुँची उसके बाद जब हमने अपनी रहमत का जाएक़ा चखा दिया तो यकायक उन लोगों से हमारी आयतों में हीले बाज़ी शुरू कर दी (ऐ रसूल) तुम कह दो कि तद्बीर में ख़ुदा सब से ज़्यादा तेज़ है तुम जो कुछ मक्कारी करते हो वह हमारे भेजे हुए (फरिशते) लिखते जाते हैं - हुवल्लज़ी युसय्यिरूकुम् फ़िल्बर्रि वल्बह़रि, हत्ता इज़ा कुन्तुम् फ़िल्फुल्कि व जरै-न बिहिम् बिरीहिन् तय्यि- बतिंव्-व फ़रिहू बिहा जाअत्हा रीहुन् आसिफुंव-व जा-अहुमुल मौजु मिन् कुल्लि मकानिंव्-व ज़न्नू अन्नहुम् उही-त बिहिम् द-अ़वुल्ला-ह मुख्लिसी-न लहुद्दी-न, ल-इन् अन्जैतना मिन् हाज़िही ल-नकूनन्- न मिनश्शाकिरीन
वह वही ख़़ुदा है जो तुम्हें खुश्की और दरिया में सैर कराता फिरता है यहाँ तक कि जब (कभी) तुम कश्तियों पर सवार होते हो और वह उन लोगों को बाद मुवाफिक़ (हवा के धारे) की मदद से लेकर चली और लोग उस (की रफ्तार) से ख़ुश हुए (यकायक) कश्ती पर हवा का एक झोंका आ पड़ा और (आना था कि) हर तरफ से उस पर लहरें (बढ़ी चली) आ रही हैं और उन लोगों ने समझ लिया कि अब घिर गए (और जान न बचेगी) तब अपने अक़ीदे को उसके वास्ते निरा खरा करके खुदा से दुआएँ मागँने लगते हैं कि (ख़ुदाया) अगर तूने इस (मुसीबत) से हमें नजात दी तो हम ज़रुर बड़े शुक्र गुज़ार होंगें। - फ़- लम्मा अन्जाहुम् इज़ा हुम् यब्गू – न फ़िल्अर्ज़ि बिगैरिल्- हक़्क़ि, या अय्युहन्नासु इन्नमा बग्युकुम् अला अन्फुसिकुम् मताअ़ल् हयातिद्दुन्या सुम्-म इलैना मर्जिअुकुम् फ़नुनब्बिउकुम् बिमा कुन्तुम् तअ्मलून
फिर जब ख़ुदा ने उन्हें नजात दी तो वह लोग ज़मीन पर (कदम रखते ही) फौरन नाहक़ सरकशी करने लगते हैं (ऐ लोगों तुम्हारी सरकशी का वबाल) तो तुम्हारी ही जान पर है – (ये भी) दुनिया की (चन्द रोज़ा) जि़न्दगी का फायदा है फिर आखि़र हमारी (ही) तरफ तुमको लौटकर आना है तो (उस वक़्त) हम तुमको जो कुछ (दुनिया में) करते थे - इन्नमा म – सलुल् – हयातिद्दुन्या कमा- इन् अन्ज़ल्नाहु मिनस्समा – इ फ़ख़्त – ल त बिही नबातुल- अर्जि मिम्मा यअ्कुलुन्नासु वल् – अन्आमु, हत्ता इज़ा अ-ख़ ज़तिल्-अर्-जु जुख्रु – फ़हा वज़्ज़य्यनत् व ज़न् – न अह़्लुहा अन्नहुम् कादिरू-न अ़लैहा अताहा अम्रुना लैलन् औ नहारन् फ़ – जअल्नाहा हसीदन् क- अल्लम् तग् –न बिल् अम्सि, कज़ालि – क नुफस्सिलुल – आयाति लिकौमिंय् – य तफ़क्करून
बता देगे दुनियावी जि़दगी की मसल तो बस पानी की सी है कि हमने उसको आसमान से बरसाया फिर ज़मीन के साग पात जिसको लोग और चैपाए खा जाते हैं (उसके साथ मिल जुलकर निकले यहाँ तक कि जब ज़मीन ने (फसल की चीज़ों से) अपना बनाओ सिंगार कर लिया और (हर तरह) आरास्ता हो गई और खेत वालों ने समझ लिया कि अब वह उस पर यक़ीनन क़ाबू पा गए (जब चाहेंगे काट लेगे) यकायक हमारा हुक्म व अज़ाब रात या दिन को आ पहुँचा तो हमने उस खेत को ऐसा साफ कटा हुआ बना दिया कि गोया कुल उसमें कुछ था ही नहीं जो लोग ग़ौर व फिक्र करते हैं उनके वास्ते हम आयतों को यूँ तफसीलदार बयान करते है। - वल्लाहु यद्अू इला दारिस्सलामि, व यह़्दी मंय्यशा – उ इला सिरातिम् – मुस्तकीम
और ख़ुदा तो आराम के घर (बेहाशत की तरफ बुलाता है और जिसको चाहता है सीधे रास्ते की हिदायत करता है - लिल्लज़ी-न अह़्सनुल-हुस्ना व ज़िया-दतु, व ला यरहकु वुजू- हहुम् क़-तरूंव्-व ला जिल्लतुन्, उलाइ-क अस्हाबुल्-जन्नति हुम् फ़ीहा ख़ालिदून
जिन लोगों ने दुनिया में भलाई की उनके लिए (आखि़रत में भी) भलाई है (बल्कि) और कुछ बढ़कर और न (गुनेहगारों की तरह) उनके चेहरों पर कालिक लगी हुयी होगी और न (उन्हें जि़ल्लत होगी यही लोग जन्नती हैं कि उसमें हमेशा रहा सहा करेंगे। - वल्लज़ी-न क सबुस्सय्यिआति जज़ा-उ सय्यि-अतिम् बिमिस्लिहा व तरहकुहुम् ज़िल्लतुन्, मा लहुम् मिनल्लाहि मिन् आसिमिन् क-अन्नमा उग्शियत् वुजूहुहुम् कि-तअ़म् मिनल्लैलि मुज्लिमन्, उलाइ-क अस्हाबुन्नारि हुम् फ़ीहा ख़ालिदून
और जिन लोगों ने बुरे काम किए हैं तो गुनाह की सज़ा उसके बराबर है और उन पर रुसवाई छाई होगी ख़ुदा (के अज़ाब) से उनका कोई बचाने वाला न होगा (उनके मुह ऐसे काले होंगे) गोया उनके चेहरे यबों यज़ूर (अंधेरी रात) के टुकड़े से ढक दिए गए हैं यही लोग जहन्नुमी हैं कि ये उसमें हमेशा रहेंगे। - व यौ – म नहशुरूहुम् जमीअ़न् सुम् – म नकूलु लिल्लज़ी – न अश्रकू मकानकुम् अन्तुम् व शु – रकाउकुम् फ़ ज़य्यल्ना बैनहुम् व का-ल शु-रकाउहुम् मा कुन्तुम् इय्याना तअ्बुदून
(ऐ रसूल उस दिन से डराओ) जिस दिन सब को इकट्ठा करेगें-फिर मुशरेकीन से कहेगें कि तुम और तुम्हारे (बनाए हुए ख़ुदा के) शरीक ज़रा अपनी जगह ठहरो फिर हम वाहम उनमें फूट डाल देगें और उनके शररीक उनसे कहेंगे कि तुम तो हमारी परसतिश करते न थे। - फ़- कफ़ा बिल्लाहि शहीदम् बैनना व बैनकुम् इन् कुन्ना अन् अिबादतिकुम् लगाफ़िलीन
तो (अब) हमारे और तुम्हारे दरमियान गवाही के वास्ते ख़ुदा ही काफी है हम को तुम्हारी परसतिश की ख़बर ही न थी। - हुनालि-क तब्लू कुल्लु नफ्सिम् मा अस्ल – फत् व रूद्दू इलल्लाहि मौलाहुमुल् -हक़्क़ि व ज़ल् -ल अन्हुम् मा कानू यफ़्तरून *
(ग़रज़) वहाँ हर शख़्स जो कुछ जिसने पहले (दुनिया में) किया है जाँच लेगा और वह सब के सब अपने सच्चे मालिक ख़ुदा की बारगाह में लौटकर लाए जाएँगें और (दुनिया में) जो कुछ इफ़तेरा परदाजि़या (झूठी बातें) करते थे सब उनके पास से चल चंपत हो जाएगें। - कुल मंय्यर्जुकुकुम मिनस्समा – इ वल्अर्ज़ि अम् – मंय्यम्लिकुस्सम् – अ वल् अब्सा-र व मंय्युखरिजुल्- हय्-य मिनल्मय्यिति व युखरिजुल-मय्यि-त मिनल्-हय्यि व मंय्युदब्बिरूल-अम्-र, फ़-स- यकूलूनल्लाहु फ़कुल् अ-फ़ला तत्तकून
ऐ रसूल तुम उने ज़रा पूछो तो कि तुम्हें आसमान व ज़मीन से कौन रोज़ी देता है या (तुम्हारे) कान और (तुम्हारी) आँखों का कौन मालिक है और कौन शख़्स मुर्दे से जि़न्दा को निकालता है और जि़न्दा से मुर्दे को निकालता है और हर अम्र (काम) का बन्दोबस्त कौन करता है तो फौरन बोल उठेंगे कि ख़ुदा (ऐ रसूल) तुम कहो तो क्या तुम इस पर भी (उससे) नहीं डरते हो। - फ़ज़ालिकुमुल्लाहु रब्बुकुमुल् – हक्कु फ़- माज़ा बअ्दल् – हक्कि इल्लज़्ज़लालु फ़-अन्ना तुस्रफून
फिर वही ख़ुदा तो तुम्हारा सच्चा रब है फिर हक़ बात के बाद गुमराही के सिवा और क्या है फिर तुम कहाँ फिरे चले जा रहे हो। - कज़ालि – क हक़्क़त् कलि – मतु रब्बि-क अ़लल्लज़ी -न फ़- सकू अन्नहुम् ला युअ्मिनून
ये तुम्हारे परवरदिगार की बात बदचलन लोगों पर साबित होकर रही कि ये लोग हरगिज़ इमान न लाएँगें। - कुल हल् मिन् शु- रकाइकुम् मंय्यब्दउल् -ख़ल्-क सुम् – म युअीदुहू, कुलिल्लाहु यब्दउल्खल् – क सुम् – म युईदुहू फ़-अन्ना तुअ्फ़कून
(ऐ रसूल) उनसे पूछो तो कि तुम ने जिन लोगों को (ख़ुदा का) शररीक बनाया है कोई भी ऐसा है जो मख़लूकात को पहली बार पैदा करे फिर उन को (मरने के बाद) दोबारा जि़न्दा करे (तो क्या जवाब देगें) तुम्ही कहो कि ख़ुदा ही पहले भी पैदा करता है फिर वही दोबारा जि़न्दा करता है तो किधर तुम उल्टे जा रहे हो। - कुल हल् मिन् शु – रकाइकुम् मंय्यह्दी इलल् -हक्कि, कुलिल्लाहु यह्दी लिल्हक्कि, अ – फ़मंय्यह्दी इलल्हक़्क़ि अ – हक़्कु अंय्युत्त – ब – अ अम् – मल्ला यहिद्दी इल्ला अंय्युह्दा फ़मा लकुम्, कै-फ़ तह़्कुमून
(ऐ रसूल उनसे) कहो तो कि तुम्हारे (बनाए हुए) शरीकों में से कोई ऐसा भी है जो तुम्हें (दीन) हक़ की राह दिखा सके तुम ही कह दो कि (ख़ुदा) दीन की राह दिखाता है तो जो तुम्हे दीने हक़ की राह दिखाता है क्या वह ज़्यादा हक़दार है कि उसके हुक्म की पैरवी की जाए या वह शख़्स जो (दूसरे) की हिदायत तो दर किनार खुद ही जब तक दूसरा उसको राह न दिखाए राह नही देख पाता तो तुम लोगों को क्या हो गया है। तुम कैसे हुक्म लगाते हो। - व मा यत्तबिअु अक्सरूहुम् इल्ला जन्नन्, इन्नज्जन् – न ला युग्नी मिनल् – हक्कि शैअन्, इन्नल्ला-ह अलीमुम् – बिमा यफ्अलून
और उनमें के अक्सर तो बस अपने गुमान पर चलते हैं (हालाकि) गुमान यक़ीन के मुक़ाबले में हरगिज़ कुछ भी काम नहीं आ सकता बेषक वह लोग जो कुछ (भी) कर रहे हैं खुदा उसे खूब जानता है। - व मा का-न हाज़ल – कुरआनु अंय्युफ्तरा मिन् दूनिल्लाहि व लाकिन् तस्दीक़ल्लज़ी बै-न यदैहि व तफ्सीलल् – किताब ला रै – ब फ़ीहि मिर्रब्बिल-आलमीन
और ये कुरान ऐसा नहीं कि खुदा के सिवा कोई और अपनी तरफ से झूठ मूठ बना डाले बल्कि (ये तो) जो (किताबें) पहले की उसके सामने मौजूद हैं उसकी तसदीक़ और (उन) किताबों की तफ़सील है उसमें कुछ भी शक नहीं कि ये सारे जहाँन के परवरदिगार की तरफ से है। - अम् यकूलूनफ्तराहु, कुल् फ़अतू बिसूरतिम् – मिस्लिही वद्अु मनिस्त -तअ्तुम् मिन् दूनिल्लाहि इन् कुन्तुम् सादिक़ीन
क्या ये लोग कहते हैं कि इसको रसूल ने खुद झूठ मूठ बना लिया है (ऐ रसूल) तुम कहो कि (अच्छा) तो तुम अगर (अपने दावे में) सच्चे हो तो (भला) एक ही सूरा उसके बराबर का बना लाओ और ख़ुदा के सिवा जिसको तुम्हें (मदद के वास्ते) बुलाते बन पड़े बुला लो। - बल् कज्जबू बिमा लम् युहीतू बिअिल्मिही व लम्मा यअ्तिहिम् तअ्वीलुहू, कज़ालि- क कज़्ज़बल्लज़ी-न मिन् कब्लिहिम् फन्जुर् कै- फ़ का -न आकि बतुज़्ज़ालिमीन
(ये लोग लाते तो क्या) बल्कि (उलटे) जिसके जानने पर उनका हाथ न पहुँचा हो लगे उसको झुठलाने हालाकि अभी तक उनके जे़हन में उसके मायने नहीं आए इसी तरह उन लोगों ने भी झुठलाया था जो उनसे पहले थे-तब ज़रा ग़ौर तो करो कि (उन) ज़ालिमों का क्या (बुरा) अन्जाम हुआ। - व मिन्हुम् मंय्युअ्मिनु बिहीं व मिन्हुम् मल्ला युअ्मिनु बिही, व रब्बु – क अअ्लमु बिल्मुफ्सिदीन *
और उनमें से बाज़ तो ऐसे है कि इस कु़रान पर आइन्दा ईमान लाएगें और बाज़ ऐसे हैं जो ईमान लाएगें ही नहीं। और (ऐ रसूल) तुम्हारा परवरदिगार फसादियों को खूब जानता है(41)
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