10 सूरह यूनुस हिंदी में पेज 2

सूरह यूनुस हिंदी में | Surat Yunus in Hindi

  1. व यक़ूलू-न लौ ला उन्ज़ि-ल अलैहि आयतुम्- मिर्रब्बिही, फक़ुल इन्नमल्-ग़ैबु लिल्लाहि फ़न्तज़िरू, इन्नी म-अ़कुम् मिनल् मुन्तज़िरीन*
    और कहते हैं कि उस पैग़म्बर पर कोई मोजिज़ा (हमारी इच्छा के अनुसार) क्यों नहीं उतारा गया तो (ऐ रसूल!) तुम कह दो कि परोक्ष तो सिर्फ अल्लाह के लिए ख़ास है। तो तुम भी इन्तज़ार करो और तुम्हारे साथ मै (भी) यक़ीनन इन्तज़ार करने वालों में हूँ।
  2. व इज़ा अज़क़्नन्ना-स रह्-म तम् मिम् बअ्दि ज़र्रा-अ मस्सत्हुम् इज़ा लहुम् मक्रुन् फी आयातिना, क़ुलिल्लाहु अस्रअु मक्रन, इन्-न रूसुलना यक्तुबू-न मा तम्कुरून
    और जब हम, लोगों को दुःख पहुँचने के पश्चात्, दया (का स्वाद) चखाते हैं, तो तुरन्त हमारी आयतों (निशानियों) के बारे में षड्यंत्र रचने लगते हैं। (ऐ रसूल!) तुम कह दो कि चाल में अल्लाह सब से ज़्यादा तेज़ है तुम जो कुछ मक्कारी करते हो वह हमारे भेजे हुए (फरिश्ते) लिखते जाते हैं।
  3. हुवल्लज़ी युसय्यिरूकुम् फ़िल्बर्रि वल्बह़रि, हत्ता इज़ा कुन्तुम् फ़िल्फुल्कि, व जरै-न बिहिम् बिरीहिन् तय्यि- बतिंव्-व फ़रिहू बिहा जाअत्हा रीहुन् आसिफुंव्-व जा-अहुमुल मौजु मिन् कुल्लि मकानिंव्-व ज़न्नू अन्नहुम् उही-त बिहिम्, द-अ़वुल्ला-ह मुख़्लिसी-न लहुद्दी-न, ल-इन् अन्जैतना मिन् हाज़िही ल-नकूनन्-न मिनश्शाकिरीन
    वह वही अल्लाह है जो तुम्हें थल और जल में चलाता है यहाँ तक कि जब (कभी) तुम नौकाओं पर सवार होते हो और वह उन लोगों को बाद अनुकूल (हवा के धारे) की मदद से लेकर चली और लोग उस (की रफ्तार) से ख़ुश हुए। (यकायक) कश्ती पर हवा का एक झोंका आ पड़ा और (आना था कि) हर तरफ से उस पर लहरें (बढ़ी चली) आ रही हैं और उन लोगों ने समझ लिया कि अब घिर गए (और जान न बचेगी) उस समय वे अल्लाह ही को, केवल उसी पर आस्था रखकर पुकारने लगते हैं, कि (ख़ुदाया) अगर तूने इस (मुसीबत) से हमें बचा लिया, तो हम ज़रुर आभारी होंगें।
  4. फ़-लम्मा अन्जाहुम् इज़ा हुम् यब्ग़ू-न फ़िल्अर्ज़ि बिग़ैरिल्-हक़्क़ि, या अय्युहन्नासु इन्नमा बग़्युकुम् अला अन्फुसिकुम्, मताअ़ल् हयातिद्दुन्या, सुम्-म इलैना मर्जिअुकुम् फ़नुनब्बिउकुम् बिमा कुन्तुम् तअ्मलून
    फिर जब अल्लाह उनको बचा लेता है, तो वह लोग ज़मीन पर (कदम रखते ही) फौरन नाहक़ सरकशी करने लगते हैं ऐ लोगो! तुम्हारी सरकशी तुम्हारे अपने ही विरुद्ध है। (ये भी) दुनिया की (चन्द रोज़ा) जि़न्दगी का फायदा है फिर आख़िर हमारी (ही) तरफ तुमको लौटकर आना है तो (उस वक़्त) हम तुमको जो कुछ (दुनिया में) करते थे, बता देगे।
  5. इन्नमा म-सलुल्-हयातिद्दुन्या कमा-इन् अन्ज़ल्नाहु मिनस्समा-इ फ़ख़्त-ल त बिही नबातुल-अर्ज़ि मिम्मा यअ्कुलुन्नासु वल्-अन्आमु, हत्ता इज़ा अ-ख़ ज़तिल्-अर्-ज़ु जुख़्रु-फ़हा वज़्ज़य्यनत् व ज़न्-न अह़्लुहा अन्नहुम् क़ादिरू-न अ़लैहा, अताहा अम्रुना लैलन् औ नहारन् फ़-जअल्नाहा हसीदन् क-अल्लम् तग़्-न बिल् अम्सि, कज़ालि-क नुफस्सिलुल-आयाति लिक़ौमिंय्-य तफ़क्करून
    सांसारिक जीवन की उपमा तो बस पानी की सी है कि हमने उसको आसमान से बरसाया, तो उसके कारण धरती से उगनेवाली चीज़ें, जिनको मनुष्य और चौपाये सभी खाते हैं, घनी हो गईं, यहाँ तक कि जब धरती ने अपना ऋंगार कर लिया और सँवर गई और उसके मालिक समझने लगे कि उन्हें उसपर पूरा अधिकार प्राप्त है, तो अकस्मात् रात या दिन में हमारा आदेश आ गया तो हमने उस खेत को ऐसा साफ कटा हुआ बना दिया कि जैसे कुल उसमें कुछ था ही नहीं। जो लोग ग़ौर व फिक्र करते हैं उनके वास्ते हम आयतों को यूँ तफसीलदार बयान करते है।
  6. वल्लाहु यद्अू इला दारिस्सलामि, व यह़्दी मंय्यशा-उ इला सिरातिम्-मुस्तक़ीम
    और अल्लाह तो आराम के घर (स्वर्ग) की तरफ बुलाता है और जिसको चाहता है सीधी राह चलाता है;
  7. लिल्लज़ी-न अह़्सनुल-हुस्ना व ज़िया-दतु, व ला यरहक़ु वुजू-हहुम् क़-तरूंव्-व ला ज़िल्लतुन्, उलाइ-क अस्हाबुल्-जन्नति, हुम् फ़ीहा ख़ालिदून
    जिन लोगों ने दुनिया में भलाई की उनके लिए (आख़िरत में भी) भलाई है (बल्कि) और कुछ बढ़कर और न (गुनहगारों की तरह) उनके चेहरों पर कालिक लगी हुयी होगी और न (उन्हें) ज़िल्लत होगी यही लोग जन्नती हैं कि उसमें हमेशा रहा करेंगे।
  8. वल्लज़ी-न क सबुस्सय्यिआति जज़ा-उ सय्यि-अतिम् बिमिस्लिहा, व तर्हक़ुहुम् ज़िल्लतुन्, मा लहुम् मिनल्लाहि मिन् आसिमिन्, क-अन्नमा उग़्शियत् वुजूहुहुम् क़ि-तअ़म् मिनल्लैलि मुज़्लिमन्, उलाइ-क अस्हाबुन्नारि, हुम् फ़ीहा ख़ालिदून
    और जिन लोगों ने बुरे काम किए हैं , तो बुराई का बदला उसी जैसा होगा; और उन पर अपमान छाया होगा और अल्लाह (के अज़ाब) से उनका कोई बचाने वाला न होगा। उनके मुह ऐसे काले होंगे, जैसे उनके चेहरे यबों यज़ूर (अंधेरी रात) के टुकड़े से ढक दिए गए हैं यही लोग जहन्नुमी हैं कि ये उसमें हमेशा रहेंगे।
  9. व यौ-म नहशुरूहुम् जमीअ़न् सुम्-म नक़ूलु लिल्लज़ी-न अश्रकू मकानकुम् अन्तुम् व शु-रकाउकुम्, फ़ ज़य्यल्ना बैनहुम् व क़ा-ल शु-रकाउहुम् मा कुन्तुम् इय्याना तअ्बुदून
    (ऐ रसूल! उस दिन से डराओ) जिस दिन सब को इकट्ठा करेगें, फिर उन लोगों से, जिन्होंने शिर्क किया होगा, कि तुम और तुम्हारे (बनाए हुए अल्लाह के) साझीदार ज़रा अपनी जगह ठहरो। फिर हम उनके बीच अलगाव पैदा कर देंगे, और उनके साझीदार उनसे कहेंगे कि तुम तो हमारी वंदना करते न थे।
  10. फ़-कफ़ा बिल्लाहि शहीदम् बैनना व बैनकुम् इन् कुन्ना अन् अिबादतिकुम् लगाफ़िलीन
    तो (अब) हमारे और तुम्हारे बीच गवाही के वास्ते अल्लाह ही काफी है हम को तुम्हारी वंदना की ख़बर ही न थी।
  11. हुनालि-क तब्लू कुल्लु नफ्सिम् मा अस्ल-फत् व रूद्दू इलल्लाहि मौलाहुमुल्-हक़्क़ि व ज़ल्-ल अन्हुम् मा कानू यफ़्तरून *
    (मतलब) वहाँ हर शख़्स, जो कुछ जिसने पहले (दुनिया में) किया है, जाँच लेगा और वह सब के सब अपने सच्चे मालिक अल्लाह की ओर लौटकर लाए जाएँगें और (दुनिया में) जो कुछ मिथ्या बातें बना रहे थे, वह सब उनसे गुम होकर रह जाएगा।
  12. क़ुल मंय्यर्ज़ुक़ुकुम मिनस्समा-इ वल्अर्ज़ि अम्- मंय्यम्लिकुस्सम्-अ वल् अब्सा-र व मंय्युख़्रिजुल्- हय्-य मिनल्मय्यिति व युख़्रिजुल्-मय्यि-त मिनल्-हय्यि व मंय्युदब्बिरूल-अम्-र, फ़-स-यक़ूलूनल्लाहु, फ़क़ुल् अ-फ़ला तत्तक़ून
    ऐ रसूल! तुम उने ज़रा पूछो तो कि तुम्हें आसमान व ज़मीन से कौन जीविका देता है या (तुम्हारे) कान और (तुम्हारी) आँखों का कौन मालिक है और कौन शख़्स मुर्दे से ज़िन्दा को निकालता है और ज़िन्दा से मुर्दे को निकालता है और हर काम की व्यवस्था कौन करता है तो फौरन बोल उठेंगे कि अल्लाह (ऐ रसूल!) तुम कहो तो क्या तुम इस पर भी (उससे) नहीं डरते हो।
  13. फ़ज़ालिकुमुल्लाहु रब्बुकुमुल्-हक़्क़ु, फ़-माज़ा बअ्दल्-हक़्क़ि इल्लज़्ज़लालु, फ़-अन्ना तुस्रफून
    फिर वही अल्लाह तो तुम्हारा सच्चा रब है फिर सत्य बात के बाद असत्य के सिवा और क्या है फिर तुम कहाँ फिरे चले जा रहे हो।
  14. कज़ालि-क हक़्क़त् कलि-मतु रब्बि-क अ़लल्लज़ी-न फ़-सक़ू अन्नहुम् ला युअ्मिनून
    ये तुम्हारे परवरदिगार की बात अवज्ञाकारी लोगों पर साबित होकर रही कि ये लोग हरगिज़ ईमान न लाएँगें।
  15. क़ुल हल् मिन् शु-रकाइकुम् मंय्यब्दउल्-ख़ल्-क़ सुम् -म युअीदुहू, क़ुलिल्लाहु यब्दउल्ख़ल्क़ सुम्-म युईदुहू फ़-अन्ना तुअ्फ़कून
    (ऐ रसूल!) उनसे पूछो तो कि तुम ने जिन लोगों को (अल्लाह का) साझी बनाया है कोई भी ऐसा है जो सृष्टि का आरम्भ भी करता हो, फिर उसकी पुनरावृत्ति भी करे? (तो क्या जवाब देगें) तुम्ही कहो कि अल्लाह ही पहले भी पैदा करता है फिर वही दोबारा ज़िन्दा करता है तो किधर तुम उल्टे जा रहे हो।
  16. क़ुल हल् मिन् शु-रकाइकुम् मंय्यह्दी इलल्-हक़्क़ि, क़ुलिल्लाहु यह्दी लिल्हक़्क़ि, अ-फ़मंय्यह्दी इलल्हक़्क़ि अ-हक़्कु अंय्युत्त-ब-अ अम्-मल्ला यहिद्दी इल्ला अंय्युह्दा, फ़मा लकुम्, कै-फ़ तह़्कुमून
    (ऐ रसूल! उनसे) कहो तो कि तुम्हारे (बनाए हुए) साझीदारों में से कोई ऐसा भी है जो तुम्हें (दीन) सत्य की राह दिखा सके। तुम ही कह दो कि (अल्लाह) दीन की राह दिखाता है। तो जो तुम्हे सत्य की राह दिखाता है। क्या वह ज़्यादा हक़दार है कि उसके हुक्म का अनुसरण किया जाए या वह शख़्स जो (दूसरे) की हिदायत तो दर किनार खुद ही जब तक दूसरा उसको राह न दिखाए, राह नही देख पाता। तो तुम लोगों को क्या हो गया है, तुम कैसे फ़ैसले कर रहे हो?
  17. व मा यत्तबिअु अक्सरूहुम् इल्ला ज़न्नन्, इन्नज़्ज़न्-न ला युग़्नी मिनल्-हक़्क़ि शैअन्, इन्नल्ला-ह अलीमुम्-बिमा यफ्अलून
    और उनमें के अक्सर तो बस अपने अनुमान पर चलते हैं।(हालाकि) अनुमान सत्य के मुक़ाबले में हरगिज़ कुछ भी काम नहीं आ सकता। वास्तव में, वह लोग जो कुछ (भी) कर रहे हैं अल्लाह उसे खूब जानता है।
  18. व मा का-न हाज़ल-क़ुरआनु अंय्युफ्तरा मिन् दूनिल्लाहि व लाकिन् तस्दीक़ल्लज़ी बै-न यदैहि व तफ्सीलल्-किताबि ला रै-ब फ़ीहि मिर्रब्बिल-आलमीन
    और ये कुरान ऐसा नहीं कि अल्लाह के सिवा कोई और अपनी तरफ से झूठ मूठ बना डाले बल्कि (ये तो) जो (किताबें) पहले की उसके सामने मौजूद हैं उसकी पुष्टि और (उन) किताबों का विवरण है। उसमें कुछ भी शक नहीं कि ये सारे जहाँन के पालनहार की तरफ से है।
  19. अम् यक़ूलूनफ्तराहु, क़ुल् फ़अतू बिसूरतिम्-मिस्लिही वद्अु मनिस्त-तअ्तुम् मिन् दूनिल्लाहि इन् कुन्तुम् सादिक़ीन
    क्या ये लोग कहते हैं कि इसको रसूल ने स्वयं बना लिया है (ऐ रसूल!) तुम कहो कि (अच्छा) तो तुम अगर (अपने दावे में) सच्चे हो तो (भला) एक ही सूरह उसके बराबर का बना लाओ और अल्लाह के सिवा जिसको तुम्हें (मदद के वास्ते) बुला सकते हो, बुला लो।
  20. बल् कज़्ज़बू बिमा लम् युहीतू बिअिल्मिही व लम्मा यअ्तिहिम् तअ्वीलुहू, कज़ालि-क कज़्ज़बल्लज़ी-न मिन् क़ब्लिहिम् फन्ज़ुर् कै-फ़ का-न आक़ि बतुज़्ज़ालिमीन
    बल्कि बात यह है कि जिस चीज़ के ज्ञान पर वे हावी न हो सके, उसे उन्होंने झुठला दिया हालाकि अभी तक उनके जे़हन में उसका परिणाम नहीं आए इसी तरह उन लोगों ने भी झुठलाया था जो उनसे पहले थे-तब ज़रा ग़ौर तो करो कि (उन) ज़ालिमों का क्या (बुरा) अन्जाम हुआ।
  21. व मिन्हुम् मंय्युअ्मिनु बिहीं व मिन्हुम् मल्ला युअ्मिनु बिही, व रब्बु-क अअ्लमु बिल्मुफ्सिदीन *
    और उनमें से बाज़ तो ऐसे है कि इस कु़रान पर आइन्दा ईमान लाएगें और बाज़ ऐसे हैं जो ईमान लाएगें ही नहीं। और (ऐ रसूल!) तुम्हारा पालनहार उपद्रवकारियों को खूब जानता है।

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