29 सूरह अल अनक़बूत हिंदी में पेज 3

सूरह अल अनक़बूत हिंदी में | Surat Al-Ankabut in Hindi

  1. व कज़ालि-क अन्ज़ल्ना इलैकल्-किता-ब फ़ल्लज़ी-न आतैनाहुमुल किताब युअ्मिनू -न बिही व मिन् हाउला-इ मंय्युअ्मिनु बिही, व मा यज्हदु बिआयातिना इल्लल्-काफिरून
    और (ऐ रसूल! जिस तरह अगले पैग़म्बरों पर किताबें उतारी) उसी तरह हमने तुम्हारे पास किताब नाजि़ल की तो जिन लोगों को हमने (पहले) किताब अता की है वह उस पर भी इमान रखते हैं और (अरबो) में से बाज़ वह हैं जो उस पर इमान रखते हैं और हमारी आयतों के तो बस पक्के कट्टर काफ़िर ही मुनकिर है।
  2. व मा कुन्-त तत्लू मिन् क़ब्लिही मिन् किताबिंव् -व ला तखुत्तुहू बि – यमीनि -क इज़ल्-लरताबल् -मुब्तिलून
    और (ऐ रसूल!) क़ुरआन से पहले न तो तुम कोई किताब ही पढ़ते थे और न अपने हाथ से तुम लिखा करते थे ऐसा होता तो ये झूठे ज़रुर (तुम्हारी नबुवत में) शक करते।
  3. बल हु-व आयातुम् बय्यिनातुन फ़ी सुदूरिल्लज़ी-न ऊतुल् -अिल्-म, व मा यज्हदु बिआयातिना इल्लज़्ज़ालिमून
    मगर जिन लोगों को (अल्लाह की तरफ़ से) इल्म अता हुआ है उनके दिल में ये (क़ुरआन) वाजेए व रौशन आयतें हैं और सरकशी के सिवा हमारी आयतो से कोई इन्कार नहीं करता।
  4. व क़ालू लौ ला उन्जि-ल अ़लैहि आयातुम् मिर्रब्बिही, कुल इन्नमल् आयातु अिन्दल्लाहि, व इन्नमा अ-न नज़ीरुम्-मुबीन
    और (कुफ़्फ़ार अरब) कहते हैं कि इस (रसूल) पर उसके परवरदिगार की तरफ़ से मौजिज़े क्यों नही नाजि़ल होते (ऐ रसूल उनसे) कह दो कि मौजिज़े तो बस अल्लाह ही के पास हैं और मै तो सिर्फ़ साफ़ साफ़ (अज़ाबे अल्लाह से) डराने वाला हूँ।
  5. अ – व लम् यक्फ़िहिम् अन्ना अन्ज़ल्ना अ़लैकल् -किता-ब युत्ला अ़लैहिम्, इन्-न फ़ी ज़ालि-क ल -रह्म-तंव्-व ज़िक्रा लिकौमिय्-युअ्मिनून *
    क्या उनके लिए ये काफ़ी नहीं कि हमने तुम पर क़ुरआन नाज़िल किया जो उनके सामने पढ़ा जाता है इसमें शक नहीं कि इमानदार लोगों के लिए इसमें (अल्लाह की बड़ी) मेहरबानी और (अच्छी ख़ासी) नसीहत है।
  6. कुल कफ़ा बिल्लाही बैनी व बैनकुम् शहीदन् यअ्लमु मा फिस्समावाति वलअर्ज़ि, वल्लज़ी – न आमनू बिल्बातिलि व क फ़रू बिल्लाहि उलाइ-क हुमुल्-ख़ासिरून
    तुम कह दो कि मेरे और तुम्हारे दरम्यिान गवाही के वास्ते अल्लाह ही काफी है जो सारे आसमान व ज़मीन की चीज़ों को जानता है-और जिन लोगों ने बातिल को माना और अल्लाह से इन्कार किया वही लोग बड़े घाटे में रहेंगे।
  7. व यस्तअ्जिलून-क बिल्अ़ज़ाबि, व लौ ला अ-जलुम्-मुसम्मल् लजा – अहुमुल्-अज़ाबु, व ल-यअ्ति यन्नहुम् ब़ग्त-तंव्-व हुम् ला यश्अुरून
    और (ऐ रसूल!) तुमसे लोग अज़ाब के नाजि़ल होने की जल्दी करते हैं और अगर (अज़ाब का) वक़्त मुअय्यन न होता तो यक़ीनन उन काफ़िरों तक अज़ाब आ जाता और (आखि़र एक दिन) उन पर अचानक ज़रुर आ पड़ेगा और उनको ख़बर भी न होगी।
  8. यस्तअ्जिलून-क बिल्अज़ाबि, व इन्-न जहन्न-म लमुही-ततुम् – बिल्-काफिरीन
    ये लोग तुमसे अज़ाब की जल्दी करते हैं और ये यक़ीनी बात है कि दोज़ख़ काफ़िरों को (इस तरह) घेर कर रहेगी (कि रुक न सकेंगे)।
  9. यौ-म यग़्शाहुमुल्-अ़ज़ाबु मिन् फ़ौकिहिम् व मिन् तह्ति अर्जुलिहिम् व यकूलु जूकू मा कुन्तुम् तअ्मलून
    जिस दिन अज़ाब उनके सर के ऊपर से और उनके पाँव के नीचे से उनको ढांके होगा और अल्लाह (उनसे) फ़रमाएगा कि जो जो कारस्तानियाँ तुम (दुनिया में) करते थे अब उनका मज़ा चखो।
  10. या अिबादि-यल्लज़ी-न आमनू इन्-न अरज़ी वासि-अतुन फ़-इय्या-य फ़अ्बुदून
    ऐ मेरे ईमानदार बन्दों! मेरी ज़मीन तो यक़ीनन कुषादा है तो तुम मेरी ही इबादत करो।
  11. कुल्लु नफ्सिन् ज़ाइ-क़तुल्मौति, सुम्-म इलैना तुर्जअून
    हर शख़्स (एक न एक दिन) मौत का मज़ा चखने वाला है फिर तुम सब आखि़र हमारी ही तरफ़ लौटाए जाओगे।
  12. वल्लज़ी-न आमनू व अ़मिलुस्-सालिहाति लनुबव्वि-अन्नहुम् मिनल्-जन्नति गु-रफ़न् तज्री मिन् तह्तिहल् – अन्हारु खालिदी-न फ़ीहा, निअ्-म अज्रुल-आमिलीन
    और जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए उनको हम बेहेश्त के झरोखों में जगह देगें जिनके नीचे नहरें जारी हैं जिनमें वह हमेशा रहेंगे (अच्छे चलन वालो की भी क्या ख़ूब ख़री मज़दूरी है)।
  13. अल्लज़ी-न स-बरू व अ़ला रब्बिहिम् य-तवक्कलून
    जिन्होंने (दुनिया में मुसिबतों पर) सब्र किया और अपने परवरदिगार पर भरोसा रखते हैं।
  14. व क-अय्यिम् मिन् दाब्बतिल्-ला तह्मिलु रिज्-क़हा अल्लाहु यर्जुकुहा व इय्याकुम् व हुवस्-समीअल-अ़लीम
    और ज़मीन पर चलने वालों में बहुतेरे ऐसे हैं जो अपनी रोज़ी अपने ऊपर लादे नहीं फिरते अल्लाह ही उनको भी रोज़ी देता है और तुम को भी और वह बड़ा सुनने वाला वाकि़फकार है।
  15. व ल – इन् स – अल्तहुम् मन् ख़ – लक़स्समावाति वल्अर् – ज़ व सख़्ख़- रश्शम् – स वल्क़-म-र ल-यकूलुन्नल्लाहु फ़-अन्ना युअ्फ़कून
    (ऐ रसूल!) अगर तुम उनसे पूछो कि (भला) किसने सारे आसमान व ज़मीन को पैदा किया और चाँद और सूरज को काम में लगाया तो वह ज़रुर यही कहेंगे कि अल्लाह ने फिर वह कहाँ बहके चले जाते हैं।
  16. अल्लाहु यब्सुतुर्रिज्-क लिमंय्यशा – उ मिन् अिबादिही व यक्दिरु लहू, इन्नल्ला – ह बिकुल्लि शैइन् अ़लीम
    अल्लाह ही अपने बन्दों में से जिसकी रोज़ी चाहता है कुशादा कर देता है और जिसके लिए चाहता है तंग कर देता है इसमें शक नहीं कि अल्लाह ही हर चीज़ से वाकि़फ़ है।
  17. व ल-इन् स-अल्तहुम् मन् नज़्ज़ -ल मिनस्समा इ मा अन् फ़ अह्या बिहिल्-अर्ज़ मिम्बअ्दि मौतिहा ल-यकूलुन्नल्लाहु, कुलिल्-हम्दु लिल्लाहि, बल् अक्सरुहुम् ला यअ्किलून*
    और (ऐ रसूल!) अगर तुम उससे पूछो कि किसने आसमान से पानी बरसाया फिर उसके ज़रिये से ज़मीन को इसके मरने (परती होने) के बाद जि़न्दा (आबाद) किया तो वह ज़रुर यही कहेंगे कि अल्लाह ने (ऐ रसूल) तुम कह दो अल्हम दो लिल्लाह-मगर उनमे से बहुतेरे (इतना भी) नहीं समझते।
  18. व मा हाज़िहिल् – हयातुद्दुन्या इल्ला लहवुंव् – व लअिबुन्, व इन्नद्दारल्-आखि-र-त लहि-यल् ह-यवानु • लौ कानू यअ्लमून
    और ये दुनिया की जि़न्दगी तो खेल तमाशे के सिवा कुछ नहीं और मगर ये लोग समझें बूझें तो इसमे षक नहीं कि अबदी जि़न्दगी (की जगह) तो बस आख़ेरत का घर है (बाक़ी लग़ो)।
  19. फ़-इज़ा रकिबू फिल्-फुल्कि द-अ़वुल्ला-ह मुख़लिसी-न लहुद्-दी-न, फ़-लम्मा नश्राहुम् इलल्बर्रि इज़ा हुम् युश्रिकून
    फिर जब ये लोग कश्ती में सवार होते हैं तो निहायत ख़ुलूस से उसकी इबादत करने वाले बन कर अल्लाह से दुआ करते हैं फिर जब उन्हें खुश्कीमें (पहुँचा कर) नजात देता है तो फौरन शिर्क करने लगते हैं।
  20. लि – यक्फुरु बिमा आतैनाहुम् व लि-य तमत्तअू, फ़सौ-फ़ यअ्लमून
    ताकि जो (नेअमतें) हमने उन्हें अता की हैं उनका इन्कार कर बैठें और ताकि (दुनिया में) ख़ूब चैन कर लें तो अनक़रीब ही (इसका नतीजा) उन्हें मालूम हो जाएगा।
  21. अ-व लम् यरौ अन्ना जअल्ना ह – रमन् आमिनंव्-व यु-तख़त्-त – फुन्नासु मिन् हौलिहिम्, अ – फ़बिल्बातिलि युअमिनू -न व बिनिअ् – मतिल्लाहि यक्फुरून
    क्या उन लोगों ने इस पर ग़ौर नहीं किया कि हमने हरम (मक्का) को अमन व इत्मेनान की जगह बनाया हालाँ कि उनके गिर्द व नवाह से लोग उचक ले जाते हैं तो क्या ये लोग झूठे माबूदों पर ईमान लाते हैं और अल्लाह की नेअमत की नाशुक्री करते हैं।
  22. व मन् अज़्लमु मिम् – मनिफ़्तरा अ़लल्लाहि कज़िबन् औ कज़्ज़ – ब बिल्हक्कि लम्मा जा – अहू, अलै-स फ़ी जहन्न-म मस्वल्-लिल्काफ़िरीन
    और जो शख़्स अल्लाह पर झूठ बोहतान बॅाधे या जब उसके पास कोई सच्ची बात आए तो झुठला दे इससे बढ़कर ज़ालिम कौन होगा क्या (इन) काफ़िरों का ठिकाना जहन्नुम में नहीं है (ज़रुर है)।
  23. वल्लज़ी-न जा-हदू फ़ीना ल-नह्दियन्नहुम् सुबुलना, व इन्नल्ला-ह ल-मअ़ल्मुह्सिनीन *
    और जिन लोगों ने हमारी राह में जिहाद किया उन्हें हम ज़रुर अपनी राह की हिदायत करेंगे और इसमें शक नही कि अल्लाह नेकोकारों का साथी है।

Surah Al-Ankabut Video

Share this:

Leave a Comment

error: Content is protected !!