25 सूरह अल फु़रकान हिंदी में पेज 2

सूरह अल फु़रकान हिंदी में | Surat Al-Furqan in Hindi

पारा 19 शुरू

  1. व क़ालल्लज़ी – न ला यरजू – न लिक़ा – अना लौ ला उन्ज़ि – ल अ़लैनल – मलाइ कतु औ नरा रब्बना, ल – क़दिस्तक्बरू फ़ी अन्फुसिहिम् व अ़तौ अतुव्वन् कबीरा
    और जो लोग (क़यामत में) हमारी हुज़ूरी की उम्मीद नहीं रखते कहा करते हैं कि आखि़र फ़रिशते हमारे पास क्यों नहीं नाजि़ल किए गए या हम अपने परवरदिगार को (क्यों नहीं) देखते उन लोगों ने अपने जी में अपने को (बहुत) बड़ा समझ लिया है और बड़ी सरकशी की।
  2. यौ म यरौनल् – मलाइ-क-त ला बुश्रा यौमइजिल – लिल्मुज्रिमी-न व यकूलू – न हिज्रम् – मह्जूरा
    जिस दिन ये लोग फ़रिश्तों को देखेंगे उस दिन गुनाह गारों को कुछ ख़ुशी न होगी और फ़रिश्तों को देखकर कहेंगे दूर दफान।
  3. व क़दिम्ना इला मा अ़मिलू मिन् अ़-मलिन् फ़ – जअ़ल्नाहु हबा – अम् मन्सूरा
    और उन लोगों ने (दुनिया में) जो कुछ नेक काम किए हैं हम उसकी तरफ तवज्जों करेंगें तो हम उसको (गोया) उड़ती हुयी ख़ाक बनाकर (बरबाद कर) देगें।
  4. अस्हाबुल् – जन्नति यौमइज़िन ख़ै रूम् – मुस्त कर्रंव्-व अह्सनु मक़ीला
    उस दिन जन्नत वालों का ठिकाना भी बेहतर है बेहतर होगा और आरमगाह भी अच्छी से अच्छी।
  5. व यौ – म त – शक्क़कुस्समा उ बिल् – ग़मामि व नुज्जिलल् – मलाइ कतु तन्ज़ीला
    और जिस दिन आसमान बदली के सबब से फट जाएगा और फ़रिशते कसरत से (जूक दर ज़ूक) नाज़िल किए जाएँगे।
  6. अल्मुल्कु यौमइज़ि – निल्हक़्कु लिर्रह्मानि व का- न यौमन् अ़लल् काफ़िरी-न अ़सीरा
    उसे दिन की सल्तनत ख़ास अल्लाह ही के लिए होगी और वह दिन काफिरों पर बड़ा सख़्त होगा।
  7. व यौ-म य-अ़ज़्ज़ुज़्ज़ालिमु अ़ला यदैहि यकूलु यालै तनित्तख़ज़्तु मअ़र् – रसूलि सबीला
    और जिस दिन जु़ल्म करने वाला अपने हाथ (मारे अफ़सोस के) काटने लगेगा और कहेगा काश रसूल के साथ मैं भी (दीन का सीधा) रास्ता पकड़ता।
  8. या वैलता लै – तनी लम् अत्तखिज् फुलानन् ख़लीला
    हाए अफसोस काश मै फ़ला शख़्स को अपना दोस्त न बनाता।
  9. ल – क़द अज़ल्लनी अ़निज़्ज़िकरि बअ् – द इज् जा – अनी, व कानश्शैतानु लिलइन्सानि ख़जूला
    बेशक यक़ीनन उसने हमारे पास नसीहत आने के बाद मुझे बहकाया और शैतान तो आदमी को रुसवा करने वाला ही है।
  10. व कालर्रसूलु या रब्बि इन् – न कौमित्त – ख़जू हाज़ल् – कुरआ-न मह्जूरा
    और (उस वक़्त) रसूल (बारगाहे अल्लाह वन्दी में) अर्ज़ करेगें कि ऐ मेरे परवरदिगार मेरी क़ौम ने तो इस क़ुरआन को बेकार बना दिया।
  11. व कज़ालि – क जअ़ल्ना लिकुल्लि नबिय्यिन् अ़दुव्वम् मिनल् – मुज्रिमी – न, व कफ़ा बिरब्बि – क हादियंव् – व नसीरा
    और हमने (गोया ख़ुद) गुनाहगारों में से हर नबी के दुशमन बना दिए हैं और तुम्हारा परवरदिगार हिदायत और मददगारी के लिए काफी है।
  12. व कालल्लज़ी – न क – फ़रू लौ ला नुज़्ज़ि-ल अ़लैहिल – कुरआनु जुम्ल – तंव्वाहि- दतन् कज़ालि – क लिनुसब्बि – त बिही फुआद – क व रत्तल्नाहु तरतीला
    और कुफ्फार कहने लगे कि उनके ऊपर (आखि़र) क़ुरआन का कुल (एक ही दफा) क्यों नहीं नाजि़ल किया गया (हमने) इस तरह इसलिए (नाजि़ल किया) ताकि तुम्हारे दिल को तस्कीन देते रहें और हमने इसको ठहर ठहर कर नाजि़ल किया।
  13. व ला यअ्तून – क बि-म- सलिन् इल्ला जिअ्ना – क बिल्हक्कि व अह्स-न तफ़्सीरा
    और (ये कुफ्फार) चाहे कैसी ही (अनोखी) मसल बयान करेंगे मगर हम तुम्हारे पास (उनका) बिल्कुल ठीक और निहायत उम्दा (जवाब) बयान कर देगें।
  14. अल्लज़ी – न युह्शरू – नं अ़ला वुजूहिहिम् इला जहन्न-म उलाइ – क शर्रूम् – मकानंव् – व अज़ल्लु सबीला *
    जो लोग (क़यामत के दिन) अपने अपने मोहसिनों के बल जहन्नुम में हकाए जाएगें वही लोग बदतर जगह में होगें और सब से ज़्यादा राहे रास्त से भटकने वाले।
  15. व ल-कद् आतैना मूसल् – किता-ब व जअ़ल्ना म-अ़हू अख़ाहु हारू – न वज़ीरा
    और अलबत्ता हमने मूसा को किताब (तौरैत) अता की और उनके साथ उनके भाई हारुन को (उनका) वज़ीर बनाया।
  16. फ़- कुल्नज़्हबा इलल् -कौमिल्लज़ी-न कज़्ज़बू बिआयातिना, फ़- दम्मरनाहुम् तदमीरा
    तो हमने कहा तुम दोनों उन लोगों के पास जा जो हमारी (कुदरत की) निशानियों को झुठलाते हैं जाओ (और समझाओ जब न माने) तो हमने उन्हें खू़ब बरबाद कर डाला।
  17. व कौ – म नूहिल् – लम्मा कज़्ज़बुर्रुसु – ल अग्ररक़्नाहुम व जअ़ल्नाहुम लिन्नासि आ-यतन्, व अअ्तद ना लिज़्ज़ालिमी-न अ़ज़ाबन अलीमा
    और नूह की क़ौम को जब उन लोगों ने (हमारे) पैग़म्बरों को झुठलाया तो हमने उन्हें डुबो दिया और हमने उनको लोगों (के हैरत) की निशानी बनाया और हमने ज़ालिमों के वास्ते दर्दनाक अज़ाब तैयार कर रखा है।
  18. व आदंव्-व समू-द व अस्हाबर्रस्सि व कुरूनम् – बै-न ज़ालि- क कसीरा
    और (इसी तरह) आद और समूद और नहर वालों और उनके दरम्यिान में बहुत सी जमाअतों को (हमने हलाक कर डाला)।
  19. व कुल्लन् ज़रब्ना लहुल् – अम्सा-ल व कुल्लन् तब्बरना तत्बीरा
    और हमने हर एक से मिसालें बयान कर दी थीं और (खूब समझाया) मगर न माना।
  20. व ल – क़द् अतौ अलल् – क़र् – यतिल्लती उम्ति – रत् म – तरस्सौ – इ, अ – फ़लम् यकूनू यरौनहा बल कानू ला यरजू – न नुशूरा
    हमने उनको ख़ूब सत्यानास कर छोड़ा और ये लोग (कुफ़्फ़ारे मक्का) उस बस्ती पर (हो) आए हैं जिस पर (पत्थरों की) बुरी बारिश बरसाई गयी तो क्या उन लोगों ने इसको देखा न होगा मगर (बात ये है कि) ये लोग मरने के बाद जी उठने की उम्मीद नहीं रखते (फिर क्यों इमान लाएँ)।

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