22 सूरह अल हज हिंदी में पेज 3

सूरह अल हज हिंदी में | Surat Al-Hajj in Hindi

  1. अल्लज़ी – न इम् – मक्कन्नाहुम् फिल्अर्जि अक़ामुस्सला – त व आ तवुज् – ज़का-त व अ-मरू बिल्-मअ्-रूफि व नहौ अ़निल् – मुन्करि, व लिल्लाहि आ़कि – बतुल् – उमूर
    ये वह लोग हैं कि अगर हम इन्हें रूए ज़मीन पर क़ाबू दे दे तो भी यह लोग पाबन्दी से नमाजे अदा करेंगे और ज़कात देंगे और अच्छे-अच्छे काम का हुक्म करेंगे और बुरी बातों से (लोगों को) रोकेंगे और (यूँ तो) सब कामों का अन्जाम अल्लाह ही के एख़्तेयार में है।
  2. व इंय्युकज़्ज़िबू -क फ़ -क़द् कज़्ज़ – बत् क़ब्लहुम् कौमु नूहिंव् – व आदुंव् – व समूद
    और (ऐ रसूल!) अगर ये (कुफ़्फ़ार) तुमको झुठलाते हैं तो कोइ ताज्जुब की बात नहीं उनसे पहले नूह की क़ौम और (क़ौमे आद और समूद)।
  3. व क़ौमु इब्राही-म व कौमु लूत
    और इबराहीम की क़ौम और लूत की क़ौम।
  4. व अस्हाबु मद य-न व कुज़्ज़ि-ब मूसा फ़- अम्लैतु लिल्काफ़िरी- न सुम् – म अ – खज़्तुहुम् फ़कै-फ़ का-न नकीर
    और मदीने के रहने वाले (अपने-अपने पैग़म्बरों को) झुठला चुके हैं और मूसा (भी) झुठलाए जा चुके हैं तो मैंने काफिरों को चन्द ढील दे दी फिर (आखि़र) उन्हें ले डाला तो तुमने देखा मेरा अज़ाब कैसा था।
  5. फ़- कअय्यिम् – मिन् कर् – यतिन् अह़्लक्नाहा व हि – य ज़ालि- मतुन् फ़हि-य ख़ावि – यतुन् अ़ला उरूशिहा व बिअ्-रिम् मु अ़त्त लतिंव् – व कस्रिम् – मशीद
    ग़रज़ कितनी बस्तियाँ हैं कि हम ने उन्हें बरबाद कर दिया और वह सरकश थीं पस वह अपनी छतों पर ढही पड़ी हैं और कितने बेकार (उजडे़ कुएँ और कितने) मज़बूत बड़े-बड़े ऊँचे महल (वीरान हो गए)।
  6. अ- फलम् यसीरू फ़िल्अर्ज़ि फ़-तकू-न लहुम् कुलूबुंय् – यअ्किलू – न बिहा औ आज़ानुंय्यस्मअू-न बिहा फ़ – इन्नहा ला तअ्मल्-अब्सारू व लाकिन् तअ्मल् – कुलूबुल्लती फ़िस्सुदूर
    क्या ये लोग रूए ज़मीन पर चले फिरे नहीं ताकि उनके लिए ऐसे दिल होते हैं जैसे हक़ बातों को समझते या उनके ऐसे कान होते जिनके ज़रिए से (सच्ची बातों को) सुनते क्योंकि आँखें अंधी नहीं हुआ करती बल्कि दिल जो सीने में है वही अन्धे हो जाया करते हैं।
  7. व यस्तअ्जिलून – क बिल् – अ़ज़ाबि व लंय्युख्लिफ़ल्लाहु वअ्दहू व इन् – न यौमन् अिन्- द रब्बि-क क-अल्फ़ि स-नतिम् मिम्मा तअुददून
    और (ऐ रसूल!) तुम से ये लोग अज़ाब के जल्द आने की तमन्ना रखते हैं और अल्लाह तो हरगिज़ अपने वायदे के खि़लाफ नहीं करेगा और बेशक (क़यामत का) एक दिन तुम्हारे परवरदिगार के नज़दीक तुम्हारी गिनती के हिसाब से एक हज़ार बरस के बराबर है।
  8. व क – अय्यिम् मिन् कर् – यतिन् अम्लैतु लहा व हि – य ज़ालि – मतुन् सुम् – म अख़ज़्तुहा व इलय्यल् मसीर *
    और कितनी बस्तियाँ हैं कि मैंने उन्हें (चन्द) मोहलत दी हालाँकि वह सरकश थी फिर (आखि़र) मैंने उन्हें ले डाला और (सबको) मेरी तरफ लौटना है।
  9. कुल या अय्युहन्नासु इन्नमा अ-न लकुम् नज़ीरूम् – मुबीन
    (ऐ रसूल) तुम कह दो कि लोगों में तो सिर्फ तुमको खुल्लम-खुल्ला (अज़ाब से) डराने वाला हूँ।
  10. फ़ल्लज़ी – न आमनू व अमिलुस्सालिहाति लहुम् मग्फ़ि – रतुंव – व रिज्कुन करीम
    पस जिन लोगों ने ईमान कु़बूल किया और अच्छे-अच्छे काम किए (आखि़रत में) उनके लिए बक़शिश है और बेहिश्त की बहुत उम्दा रोज़ी।
  11. वल्लज़ी-न सऔ़ फ़ी आयातिना मुआ़जिज़ी – न उलाइ-क अस्हाबुल् – जहीम
    और जिन लोगों ने हमारी आयतों (के झुठलाने में हमारे) आजिज़ करने के वास्ते कोशिश की यही लोग तो जहन्नुमी हैं।
  12. व मा अरसल्ना मिन् कब्लि-क मिर्रसूलिंव् – व ला नबिय्यिन् इल्ला इज़ा तमन्ना अल्क़श्शैतानु फ़ी उम्निय्यतिही फ़ – यन्सखुल्लाहु मा युल्किश्शैतानु सुम् – म युह्किमुल्लाहु आयातिही, वल्लाहु अ़लीमुन् हकीम
    और (ऐ रसूल!) हमने तो तुमसे पहले जब कभी कोई रसूल और नबी भेजा तो ये ज़रूर हुआ कि जिस वक़्त उसने (तबलीग़े एहकाम की) आरज़ू की तो शैतान ने उसकी आरज़ू में (लोगों को बहका कर) क़लल डाल दिया फिर जो वस वसा शैतान डालता है अल्लाह उसे मिटा देता है फिर अपने एहकाम को मज़बूत करता है और अल्लाह तो बड़ा वाकि़फकार दाना है।
  13. लि – यज्अ़ – ल मा युल्किश्शैतानु फ़ित्न – तल् – लिल्लज़ी – न फ़ी कुलूबिहिम् म- रजुंव्वल – क़ासि – यति कुलूबुहुम्, व इन्नज़्ज़ालिमी न लफ़ी शिकाकिम्-बईद
    और शैतान जो (वसवसा) डालता (भी) है तो इसलिए ताकि अल्लाह उसे उन लोगों के आज़माईश (का ज़रिया) क़रार दे जिनके दिलों में (कुफ़्र का) मर्ज़ है और जिनके दिल सख़्त हैं और बेशक (ये) ज़ालिम मुशरेकीन पल्ले दरजे की मुख़ालेफ़त में पड़े हैं।
  14. व लियअ् ल-मल्लज़ी-न ऊतुल अिल्- म अन्नहुल् – हक़्कु मिर्रब्बि-क फयुअ्मिनू बिही फ़तुख़्बि-त लहू कुलूबुहुम्, व इन्नल्ला – ह लहादिल्लज़ी – न आमनू इला सिरातिम् – मुस्तक़ीम
    और (इसलिए भी) ताकि जिन लोगों को (कुतूबे समादी का) इल्म अता हुआ है वह जान लें कि ये (वही) बेशक तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से ठीक ठीक (नाजि़ल) हुई है फिर (ये ख़्याल करके) इस पर वह लोग ईमान लाए फिर उनके दिल अल्लाह के सामने आजिज़ी करें और इसमें तो शक ही नहीं कि जिन लोगों ने ईमान कु़बूल किया उनको अल्लाह सीधी राह तक पहुँचा देता है।
  15. व ला यज़ालुल्लज़ी – न क-फरू फ़ी मिर् यतिम् मिन्हु हत्ता तअ्ति यहुमुस्सा- अ़तु बग्त – तन् औ यअ्ति – यहुम् अ़ज़ाबु यौमिन् अक़ीम
    और जो लोग काफ़िर हो बैठे वह तो कु़राआन की तरफ से हमेशा शक ही में पड़े रहेंगे यहाँ तक कि क़यामत यकायक उनके सर पर आ मौजूद हो या (यूँ कहो कि) उनपर एक सख़्त मनहूस दिन का अज़ाब नाज़िल हुआ।
  16. अल्मुल्कु यौमइज़िल् लिल्लाहि, यह्कुमु बैनहुम्, फ़ल्लज़ी -न आमनू व अ़मिलुस्सालिहाति फी जन्नातिन् -नईम
    उस दिन की हुकूमत तो ख़ास अल्लाह ही की होगी वह लोगों (के बाहमी एख़्तेलाफ) का फ़ैसला कर देगा तो जिन लोगों ने ईमान कु़बूल किया और अच्छे काम किए हैं वह नेअमतों के (भरे) हुए बाग़ात (बहिश्त) में रहेंगे।
  17. वल्लज़ी -न क -फ़रू व कज़्ज़बू बिआयातिना फ़ – उलाइ – क लहुम् अ़ज़ाबुम् – मुहीन *
    और जिन लोगों ने कुफ्र इक़तेयार किया और हमारी आयतों को झुठलाया तो यही वह (कम्बख़्त) लोग हैं।
  18. वल्लज़ी न हाजरू फ़ी सबीलिल्लाहि सुम्म कुतिलू औ मातू ल यरजुकन्न – हुमुल्लाहु रिज़्कन् ह – सनन्, व इन्नल्ला – ह लहु – व ख़ैरूर्- राज़िक़ीन
    जिनके लिए ज़लील करने वाला अज़ाब है जिन लोगों ने अल्लाह की राह में अपने देस छोडे़ फिर शहीद किए गए या (आप अपनी मौत से) मर गए अल्लाह उन्हें (आखि़रत में) ज़रूर उम्दा रोज़ी अता फ़रमाएगा।
  19. लयुद्द्खिलन्नहुम् मुद् – ख़लंय् – यरज़ौनहू, व इन्नल्ला – ह ल – अ़लीमुन् हलीम
    और बेशक तमाम रोज़ी देने वालों में अल्लाह ही सबसे बेहतर है वह उन्हें ज़रूर ऐसी जगह (बेहिश्त) पहुँचा देगा जिससे वह निहाल हो जाएँगे।
  20. ज़ालि- क व मन् आ़क- ब बिमिस्लि मा अूकि-ब बिही सुम्म बुग़ि- य अ़लैहि ल-यन्सुरन्नहुल्लाहु, इन्नल्ला-ह ल-अ़फुव्वुन् ग़फूर
    और अल्लाह तो बेशक बड़ा वाकि़फकार बुर्दवार है यही (ठीक) है और जो शख़्स (अपने दुश्मन को) उतना ही सताए जितना ये उसके हाथों से सताया गया था उसके बाद फिर (दोबारा दुशमन की तरफ़ से) उस पर ज़्यादती की जाए तो अल्लाह उस मज़लूम की ज़रूर मदद करेगा।

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