22 सूरह अल हज हिंदी में पेज 1

22 सूरह अल हज | Surah Al-Hajj

सूरह अल हज में 78 आयतें हैं। यह सूरह पारा 17 में है। यह सूरह मक्के में नाजिल हुई।

इस सूरह का नाम सूरह की आयत 27 “और लोगों को हज के लिए सामान्य रूप से अनुमति दो” से लिया गया है।

सूरह अल हज हिंदी में | Surat Al-Hajj in Hindi

बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहिम
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है
  1. या अय्युहन्नासुत्तकू रब्बकुम् इन् – न जल्ज़ लतस्सा – अति शैउन् अ़ज़ीम
    ऐ लोगों अपने परवरदिगार से डरते रहो (क्योंकि) क़यामत का ज़लज़ला (कोई मामूली नहीं) एक बड़ी (सख़्त) चीज़ है।
  2. यौ – म तरौनहा तज़्हलु कुल्लु मुर्जि – अ़तिन् अ़म्मा – अरज़ – अ़त् व त – ज़ अु कुल्लु ज़ाति – हम्लिन् हम्लहा व तरन्ना – स सुकारा व मा हुम् बिसुकारा व लाकिन् – न अ़ज़ाबल्लाहि शदीद
    जिस दिन तुम उसे देख लोगे तो हर दूध पिलाने वाली (डर के मारे) अपने दूध पीते (बच्चे) को भूल जायेगी और सारी हामला औरते अपने-अपने हमल (दैहशत से) गिरा देगी और (घबराहट में) लोग तुझे मतवाले मालूम होंगे हालाँकि वह मतवाले नहीं हैं बल्कि अल्लाह का अज़ाब बहुत सख़्त है कि लोग बदहवास हो रहे हैं।
  3. व मिनन्नासि मंय्युजादिलु फ़िल्लाहि बिग़ैरि अिल्मिंव् – व यत्तबिअु कुल् – ल शैतानिम् – मरीद
    और कुछ लोग ऐसे भी हैं जो बग़ैर जाने अल्लाह के बारे में (ख़्वाहम ख़्वाह) झगड़ते हैं और हर सरकश शैतान के पीछे हो लेते हैं।
  4. कुति – ब अ़लैहि अन्नहू मन् तवल्लाहु फ़ – अन्नहू युज़िल्लुहू व यह्दीहि इला अ़ज़ाबिस्स ईर
    जिन (की पेशानी) के ऊपर (ख़ते तक़दीर से) लिखा जा चुका है कि जिसने उससे दोस्ती की हो तो ये यक़ीनन उसे गुमराह करके छोड़ेगा और दोज़क़ के अज़ाब तक पहुँचा देगा।
  5. या अय्युहन्नासु इन् कुन्तुम् फी रैबिम् मिनल – बअ्सि फ़ -इन्ना ख़लक़्नाकुम् मिन् तुराबिन् सुम् – म मिन् नुत्फ़तिन् सुम् – म मिन् अ – ल – क़तिन् सुम् – म मिम् मुज् – ग़तिम् मुख़ल्ल – क़तिंव् – व ग़ैरि मुख़ल्ल – क़तिल लिनुबय्यि – न लकुम्, व नुकिरू फिल् अरहामि मा नशा – उ इला अ – जलिम् – मुसम्मन् सुम् – म नुखरिजुकुम् तिफ़्लन् सुम्म लितब्लुगू अशुद्दकुम् व मिन्कुम् मंय्यु – तवफ़्फा व मिन्कुम् मंय्युरद्दु इला अरज़लिल् -अुमुरि लिकैला यअ्ल – म मिम् – बअ्दि अिल्मिन् शैअन्, व तरल् अर्-ज़ हामि-दतन् फ़-इज़ा अन्ज़ल्ना अ़लैहल् मा – अह्तज़्ज़त् व रबत् व अम्ब – तत् मिन् कुल्लि ज़ौजिम् बहीज
    लोगों अगर तुमको (मरने के बाद) दोबारा जी उठने में किसी तरह का शक है तो इसमें शक नहीं कि हमने तुम्हें शुरू-शुरू मिट्टी से उसके बाद नुत्फे से उसके बाद जमे हुए ख़ून से फिर उस लोथड़े से जो पूरा (सूडौल) हो या अधूरा हो पैदा किया ताकि तुम पर (अपनी कु़दरत) ज़ाहिर करें (फिर तुम्हारा दोबारा जि़न्दा) करना क्या मुश्किल है और हम औरतों के पेट में जिस (नुत्फे) को चाहते हैं एक मुद्दत मुअय्यन तक ठहरा रखते हैं फिर तुमको बच्चा बनाकर निकालते हैं फिर (तुम्हें पालते हैं) ताकि तुम अपनी जवानी को पहुँचो और तुममें से कुछ लोग तो ऐसे हैं जो (क़ब्ल बुढ़ापे के) मर जाते हैं और तुम में से कुछ लोग ऐसे हैं जो नाकारा जि़न्दगी बुढ़ापे तक फेर लाए जाते हैं ताकि समझने के बाद सठिया के कुछ भी (ख़ाक) न समझ सकें और तो ज़मीन को मुर्दा (बेकार उफ़तदाह) देख रहा है फिर जब हम उस पर पानी बरसा देते हैं तो लहलहाने और उभरने लगती है और हर तरह की ख़ु़शनुमा चीज़ें उगती है तो ये क़ुदरत के तमाशे इसलिए दिखाते हैं ताकि तुम जानो।
  6. ज़ालि-क बिअन्नल्ला-ह हुवल्-हक़्कु व अन्नहू युह़्यिल्-मौता व अन्नहू अ़ला कुल्लि शैइन् क़दीर
    कि बेशक अल्लाह बरहक़ है और (ये भी कि) बेशक वही मुर्दों को जिलाता है और वह यक़ीनन हर चीज़ पर क़ादिर है।
  7. व अन्नस्सा-अ़-त आति-यतुल्-ला रै-ब फ़ीहा व अन्नल्ला-ह यब् अ़सु मन फ़िल्कुबूर
    और क़यामत यक़ीनन आने वाली है इसमें कोई शक नहीं और बेशक जो लोग क़ब्रों में हैं उनको अल्लाह दोबारा जि़न्दा करेगा।
  8. व मिनन्नासि मंय्युजादिलु फ़िल्लाहि बिग़ैरि अिल्मिंव- व ला हुदंव्-व ला किताबिम्-मुनीर
    और लोगों में से कुछ ऐसे भी है जो बेजाने बूझे बे हिदायत पाए बगै़र रौशन किताब के (जो उसे राह बताए) अल्लाह की आयतों से मुँह मोड़े।
  9. सानि-य अित्फ़िही लियुज़िल्-ल अन् सबीलिल्लाहि, लहू फिद्दुन्या ख़िज्युंव- व नुज़ीकुहू यौमल कियामति अ़ज़ाबल-हरीक़
    (ख़्वाहम ख़्वाह) अल्लाह के बारे में लड़ने मरने पर तैयार है ताकि (लोगों को) अल्लाह की राह से बहका दे ऐसे (ना बुकार) के लिए दुनिया में (भी) रूसवाई है और क़यामत के दिन (भी) हम उसे जहन्नुम के अज़ाब (का मज़ा) चखाएँगे।
  10. ज़ालि- क बिमा कद्द-मत् यदा-क व अन्नल्ला-ह लै-स बिज़ल्लामिल लिल्अ़बीद *
    और उस वक़्त उससे कहा जाएगा कि ये उन आमाल की सज़ा है जो तेरे हाथों ने पहले से किए हैं और बेशक अल्लाह बन्दों पर हरगिज़ जु़ल्म नहीं करता।
  11. व मिनन्नासि मंय्य अ्बुदुल्ला-ह अ़ला हरफिन् फ-इन् असा – बहू ख़ैरू नित्म अन् न बिही व इन् असाबत्हु फ़ितनतु – निन्क़ – ल – ब अ़ला वज्हिही, ख़सिरद् दुन्या वल्आख़िर-त, ज़ालि-क हुवल खुस्रानुल मुबीन
    और लोगों में से कुछ ऐसे भी हैं जो एक किनारे पर (खड़े होकर) अल्लाह की इबादत करता है तो अगर उसको कोई फायदा पहुँच गया तो उसकी वजह से मुतमईन हो गया और अगर कहीं उस कोई मुसीबत छू भी गयी तो (फौरन) मुँह फेर के (कुफ़्र की तरफ़) पलट पड़ा उसने दुनिया और आखे़रत (दोनों) का घाटा उठाया यही तो सरीही घाटा है।
  12. यद्अूमिन् दूनिल्लाहि मा ला यजुर्रुहू व मा ला यन्फअहू, ज़ालि- क हुवज़्ज़लालुल – बईद
    अल्लाह को छोड़कर उन चीज़ों को (हाजत के वक़्त) बुलाता है जो न उसको नुक़सान ही पहुँचा सकते हैं और न कुछ नफ़ा ही पहुँचा सकते हैं।
  13. यद्अू ल – मन् ज़र्रूहू अक़रबु मिन् नफ़अिही, लबिअ्सल्- मौला व लबिअ्सल्- अ़शीर
    यही तो पल्ले दर्जे की गुमराही है और उसको अपनी हाजत रवाई के लिए पुकारता है जिस का नुक़सान उसके नफ़े से ज़्यादा क़रीब है बेशक ऐसा मालिक भी बुरा और ऐसा रफीक़ भी बुरा।
  14. इन्नल्ला-ह युद्खिलुल्लज़ी-न आमनू व अ़मिलुस्सालिहाति जन्नातिन् तज्री मिन् तह्तिहल – अन्हारू, इन्नल्ला-ह यफ़अलु मा युरीद
    बेशक जिन लोगों ने ईमान कु़बूल किया और अच्छे अच्छे काम किए उनको (अल्लाह बेहश्त के) उन (हरे-भरे) बाग़ात में ले जाकर दाखि़ल करेगा जिनके नीचे नहरें जारी होगीं बेशक अल्लाह जो चाहता है करता है।
  15. मन् का-न यजुन्नु अल्लंय्यन्सु – रहुल्लाहु फ़िद्दुन्या वल्-आख़िरति फ़ल्यम्दुद् बि-स-बबिन् इलस्समा-इ सुम्मल्-यक्त फ़ल्यन्जुर् हल् युज्हिबन्-न कैदुहू मा यगीज़
    जो शख़्स (गु़स्से में) ये बदगुमानी करता है कि दुनिया और आख़ेरत में अल्लाह उसकी हरगि़ज मदद न करेगा तो उसे चाहिए कि आसमान तक रस्सी ताने (और अपने गले में फाँसी डाल दे) फिर उसे काट दे (ताकि घुट कर मर जाए) फिर देखिए कि जो चीज़ उसे गुस्से में ला रही थी उसे उसकी तदबीर दूर दफ़ा कर देती है।
  16. व कज़ालि-क अन्ज़ल्नाहु आयातिम्-बय्यिनातिंव्-व अन्नल्ला ह यह्दी मंय्युरीद
    (या नहीं) और हमने इस कु़रआन को यूँ ही वाजे़ए व रौशन निशानियाँ (बनाकर) नाजि़ल किया और बेशक अल्लाह जिसकी चाहता है हिदायत करता है।
  17. इन्नल्लज़ी-न आमनू वल्लज़ी-न हादू वस्साबिई-न वन्नसारा वल्मजू-स वल्लज़ी-न अश्रकू इन्नल्ला-ह यफ़्सिलु बैनहुम् यौमल् कियामति, इन्नल्ला-ह अ़ला कुल्लि शैइन्, शहीद
    इसमें शक नहीं कि जिन लोगों ने ईमान कु़बूल किया (मुसलमान) और यहूदी और लामज़हब लोग और नुसैरा और मजूसी (आतिशपरस्त) और मुशरेकीन (कुफ़्फ़ार) यक़ीनन अल्लाह उन लोगों के दरमियान क़यामत के दिन (ठीक ठीक) फ़ैसला कर देगा इसमें शक नहीं कि अल्लाह हर चीज़ को देख रहा है।
  18. अलम् त – र अन्नल्ला – ह यस्जुदु लहू मन् फ़िस्समावाति व मन् फ़िल्अर्ज़ि वश्शम्सु वल्क़ – मरू वन्नुजूमु वल्जिबालु वश्श-जरू वद्दवाब्बु व कसीरूम मिनन्-नासि, व कसीरून् हक् – क़ अलैहिल – अ़ज़ाबु, व मंय्युहिनिल्लाहु फ़मा लहू मिम्-मुक्रिमिन्, इन्नल्ला-ह यफ्अलु मा यशा-उ  *सज़्दा*
    क्या तुमने इसको भी नहीं देखा कि जो लोग आसमानों में हैं और जो लोग ज़मीन में हैं और आफताब और माहताब और सितारे और पहाड़ और दरख़्त और चारपाए (ग़रज़ कुल मख़लूक़ात) और आदमियों में से बहुत से लोग सब अल्लाह ही को सजदा करते हैं और बहुत से ऐसे भी हैं जिन पर नाफ़रमानी की वजह से अज़ाब का (का आना) लाजि़म हो चुका है और जिसको अल्लाह ज़लील करे फिर उसका कोई इज़्ज़त देने वाला नहीं कुछ शक नहीं कि अल्लाह जो चाहता है करता है।
  19. हाज़ानि ख़स्मानिख़्त समू फ़ी रब्बिहिम्, फ़ल्लज़ी-न क-फरू कुत्तिअ़त् लहुम् सियाबुम् – मिन् नारिन्, युसब्बु मिन् फ़ौकि-रूऊसिहिमुल- हमीम
    ये दोनों (मोमिन व काफिर) दो फरीक़ हैं आपस में अपने परवरदिगार के बारे में लड़ते हैं ग़रज़ जो लोग काफि़र हो बैठे उनके लिए तो आग के कपड़े क़तअ किए गए हैं (वह उन्हें पहनाए जाएँगें और) उनके सरों पर खौलता हुआ पानी उँडेला जाएगा।
  20. युस्हरू बिही मा फी बुतूनिहिम् वल्जुलूद
    जिस (की गर्मी) से जो कुछ उनके पेट में है (आँतें वग़ैरह) और खालें सब गल जाएँगी।

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