59 सूरह अल हश्र हिंदी में​

59 सूरह अल हश्र | Surah Al-Hashr

सूरह अल हश्र में अरबी के 24 आयतें और 3 रुकू है। यह सूरह मदनी है। यह सूरह पारा 28 में है।

सूरह हश्र बनी नज़ीर के अभियान के विषय में अवतरित हुई थी। इस सूरह का नाम रखने का कारण दूसरी आयत के वाक्यांश “जिसने किताब वाले काफिरों को पहले ही हल्ले (हश्र) में उनके घरों से निकाल बाहर किया” से लिया गया है।

सूरह अल हश्र हिंदी में | Surah Al-Hashr in Hindi

बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहिम
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है
  1. सब्ब-ह लिल्लाहि मा फ़िस्समावाति व मा फ़िल्अर्जि व हुवल् अ़ज़ीज़ुल् – हकीम
    जो चीज़ आसमानों में है और जो चीज़ ज़मीन में है (सब) अल्लाह की पवित्रता का गान करती हैं और वही प्रभुत्वशाली, गुणी है।
  2. हुवल्लज़ी अख़्-रजल्लज़ी- न-क-फ़रू मिन् अह्लिल्-किताबि मिन् दियारिहिम् लि-अव्वलिल् – हश्-रि, मा ज़नन्तुम् अ़य्यख़्-रुजू व ज़न्नू अन्नहुम् मानि-अ़तुहुम् हुसूनुहुम् मिनल्लाहि फ़- अताहुमुल्लाहु मिन् हैसु लम् यह्तसिबू व क़-ज़-फ़ फ़ी क़ुलूबिहिमुर्रुअ्-ब युख़िरबू – न बुयू-तहुम् बि – ऐदीहिम् व ऐदिल् – मुअ्मिनी न फ़अ्तबिरू या उलिल्-अब्सार
    वही तो है जिसने अहले किताब में से काफ़िरों (बनी नुजै़र) को उनके घरों से पहले ही आक्रमण में निकाल दिया। (मुसलमानों) तुमको तो ये वहम भी न था कि वह निकल जाएँगे। और वह लोग ये समझे हुये थे कि उनके किले उनको अल्लाह (के अज़ाब) से बचा लेंगे। मगर जहाँ से उनको ख़्याल भी न था अल्लाह ने उनको आ लिया और उनके दिलों मे (मुसलमानों) का रौब डाल दिया कि वह लोग ख़ुद अपने हाथों से और ईमान वालों के हाथों से अपने घरों को उजाड़ने लगे। तो ऐ आँख वालों! तो शिक्षा लो।।
  3. व लौ ला अन् क- तबल्लाहु फ़लैहिमुल्-जला-अ- ल-अज़्ज़-बहुम् फिद्-दुन्या, व लहुम् फिल्- आख़िरति अ़ज़ाबुन्नार
    और अल्लाह ने उनकी किस्मत में देश निकाला न लिखा होता तो उन पर दुनिया में भी (दूसरी तरह) यातना दे देता। और आख़िरत में तो उन पर नरक का यातना है ही।
  4. ज़ालि-क बि- अन्नहुम् शाक़्क़ुल्ला-ह व रसूलहू व मंय्युशाक़्क़िल्ला -ह फ़-इन्नल्ला-ह शदीदुल् – अिक़ाब
    ये इसलिए कि उन लोगों ने अल्लाह और उसके रसूल का विरोध किया और जिसने अल्लाह का विरोध किया तो (याद रहे कि) अल्लाह बड़ा कड़ी यातना देने वाला है।
  5. मा क़-तअ्तुम् मिल्ली-नतिन् औ तरक्तुमूहा क़ाइ – मतन् अ़ला उसूलिहा फ़बि – इज़्निल्लाहि व लियुख़्ज़ि-यल्-फ़ासिक़ीन
    (हे मुसलमानो!) खजूर का दरख़्त जो तुमने काट डाला। या जूँ का तूँ से उनकी जड़ों पर खड़ा रहने दिया तो अल्लाह ही के आदेश से और मतलब ये था कि वह पथभ्रष्टों को अपमानित करे।
  6. व मा अफ़ा-अल्लाहु अ़ला रसूलिही मिन्हुम् फ़मा औजफ़्तुम् अ़लैहि मिन् ख़ैलिंव्-व- ला रिकाबिंव्-व लाकिन्नल्ला-ह युसल्लितु रुसु-लहू अ़ला मंय्यशा-उ, वल्लाहु अ ट अ़ला कुल्लि शैइन् क़दीर
    (तो) जो माल अल्लाह ने अपने रसूल को उन लोगों से बे लड़े दिलवा दिया। उसमें तुम्हार हक़ नहीं क्योंकि तुमने उसके लिए कुछ दौड़ धूप तो की ही नहीं, न घोड़ों से न ऊँटों से, मगर अल्लाह अपने पैग़म्बरों को जिस पर चाहता है प्रभुत्व प्रदान कर देता है। तथा अल्लाह जो चाहे, कर सकता है।
  7. मा अफ़ा-अल्लाहु अ़ला रसूलिही मिन् अह्लिल्-क़ुरा फ़-लिल्लाहि व लिर्रसूलि व लिज़िल्-क़ुर्बा वल्यतामा वल्- मसाकीनि वब्निस्सबीलि कै ला यकू-न दू-लतम्-बैनल्-अग़्निया-इ मिन्कुम्, व मा आताकुमुर्रसूलु फख़ुज़ूहु व मा नहाकुम् अ़न्हु फ़न्तहू वत्तक़ुल्ला-ह, इन्नल्ला-ह शदीदुल्- अिक़ाब
    तो जो माल अल्लाह ने अपने रसूल को देहात वालों से बे लड़े दिलवाया है। वह ख़ास अल्लाह और उसके रसूल और (रसूल के) समीपवर्तियों, अनाथों, निर्धनों और परदेसियों का है। ताकि जो लोग तुममें से दौलतमन्द हैं फिर फिर कर दौलत उन्हीं में न रहे, हाँ जो तुमको रसूल दें दें वह ले लिया करो। और जिससे मना करें उससे रुक जाओ और अल्लाह से डरते रहो। बेशक अल्लाह कड़ी यातना देने वाला है।
  8. लिल्फ़ु-क़राइल्-मुहाजिरीनल्लज़ी-न उख़्-रिजू मिन् दियारिहिम् व अम्वालिहिम् यब्तग़ू -न फ़ज़्लम् – मिनल्लाहि व रिज़वानंव्-व यन्सुरूनल्ला-ह व रसूलहू, उलाइ – क हुमुस्सादिक़ून
    (इस माल में) उन निर्धन मुहाजिरों का हिस्सा भी है जो अपने घरों से और मालों से निकाले गए। अल्लाह का अनुग्रह तथा प्रसन्नता और सहायता करते हैं। यही लोग सच्चे इमानदार हैं और (उनका भी हिस्सा है)।
  9. वल्लज़ी-न त – बव्वउद्दा-र वल्ईमा न मिन् क़ब्लिहिम् युहिब्बू-न मन् हाज-र इलैहिम् व ला यजिदू-न फ़ी सुदूरिहिम् हा-जतम्-मिम्मा ऊतू व युअ्सिरू – न अ़ला अऩ्फुसिहिम् व लौ का न बिहिम् ख़सा-सतुन्, व
    मंय्यू-क शुह्-ह नफ़्सिही फ़-उलाइ – क हुमुल् – मुफ़्लिहून
    जो लोग मोहाजेरीन से पहले (हिजरत के) घर (मदीना) में आवास बना लिया और ईमान में लाये और जो लोग हिजरत करके उनके पास आए, उनसे मोहब्बत करते हैं।और जो कुछ उनको मिला और उनके यहाँ अपने दिलों में कोई उसकी आवश्यक्ता वे नहीं पाते और अगरचे अपने ऊपर तंगी ही क्यों न हो दूसरों को अपने ऊपर प्राथमिक्ता देते हैं। और जो शख़्स अपने मन की तंगी से बचा लिया गया तो वही सफल होने वाले हैं।
  10. वल्लज़ी – न जाऊ मिम्बअ्दिहिम् य़कूलू-न रब्बनग़्फ़िर् लना व लि-इख़्वानिनल्लज़ी – न स – बक़ूना बिल् – ईमानि व ला तज्अ्ल् फ़ी क़ुलूबिना ग़िल्लल्-लिल्लज़ी – न आमनू रब्बना इन्न- क रऊफ़ुर्रहीम
    और उनका भी हिस्सा है और जो लोग उन (मोहाजेरीन) के बाद आए (और) दुआ करते हैं कि ऐ हमारे रब! हमारी और उन लोगों की जो हमसे पहले ईमान ला चुके, क्षमा कर दे। और मोमिनों की तरफ से हमारे दिलों में किसी तरह का बैर न आने दे। परवरदिगार! बेशक तू अति करुणामय, दयावान है।
  11. अलम् त-र इलल्लज़ी-न नाफ़क़ू यक़ूलू-न लि-इख़्वानिहिमुल्लज़ी-न क-फ़रू मिन् अह्लिल्-किताबि ल-इन् उख़्-रिज्तुम् ल-नख़्-रूजन्-न म-अ़कुम् व ला नुतीअु फ़ीकुम् अ-हदन् अ-बदंव्-व इन् क़ूतिल्तुम् ल-नन्सुरन्नकुम्, वल्लाहु यश्हदु इन्नहुम् लकाज़िबून
    क्या तुमने उन मुनाफ़िक़ों की हालत पर नज़र नहीं की जो अपने काफि़र भाइयों किताबवाले से कहा करते हैं कि अगर कहीं तुम (घरों से) निकाले गए तो यक़ीन जानों कि हम भी तुम्हारे साथ (ज़रूर) निकल खड़े होंगे। और तुम्हारे बारे में कभी किसी की बात कभी भी नहीं मानेंगे और अगर तुमसे लड़ाई होगी तो ज़रूर तुम्हारी मदद करेंगे, मगर अल्लाह बयान किए देता है कि ये लोग यक़ीनन झूठे हैं।
  12. ल-इन् उख़्-रिजू ला यख़्-रुजू न म-अ़हुम् व ल-इन् क़ूतिलू ला यन्सुरूनहुम् व ल-इन्-न-सरूहुम् लयु-वल्लुन्नल्- अद्बा-र, सुम्-म ला युन्सरून
    अगर कुफ़्फ़ार निकाले भी जाएँ तो ये मुनाफे़क़ीन उनके साथ न निकलेंगे। और अगर उनसे लड़ाई हुयी तो उनकी मदद भी न करेंगे। और यक़ीनन करेंगे भी तो पीठ फेर कर भाग जाएँगे, फिर कहीं से कोई सहायता नहीं पायेंगे।
  13. ल-अन्तुम् अशद्-दु रह्-बतन् फ़ी सुदूरिहिम् मिनल्लाहि, ज़ालि-क बि-अन्नहुम् क़ौमुल्-ला यफ़्क़हून
    उनके दिलों में अल्लाह से बढ़कर तुम्हारा भय समाया हुआ है। यह इसलिए कि वे ऐसे लोग हैं जो समझते नहीं। 
  14. ला युक़ातिलूनकुम् जमीअ़न् इल्ला फ़ी क़ुरम् – मुहस्स-नतिन् औ मिंव्वरा – इ जुदुरिन्, बअ्सुहुम् बैनहुम् शदीदुन्, तह्सबुहुम् जमीअंव् व क़ुलूबुहुम् शत्ता, ज़ालि -क बि- अन्नहुम् क़ौमुल्-ला यअ्क़िलून
    ये सब के सब मिलकर भी तुमसे नहीं लड़ सकते, मगर हर तरफ से महफूज़ बस्तियों में या दीवारों की आड़ में इनकी आपस में तो बड़ी सख़्त लड़ाई है कि तुम ख़्याल करोगे कि सब के सब (एक जान) हैं। जबकि उनके दिल अलग अलग हैं ये इस वजह से कि ये लोग बेअक़्ल हैं।
  15. क-म-सलिल्लजी – न मिन् क़ब्लिहिम् क़रीबन् ज़ाक़ू व बा-ल अम्-रिहिम् व लहुम् अ़ज़ाबुन् अलीम
    उनका हाल उन लोगों का सा है जो उनसे कुछ ही पूर्व  अपने कामों की सज़ा का स्वाद चख चुके हैं और उनके लिए दुःखदायी यातना है।
  16. क-म-सलिश्शैतानि इ ज़् क़ा-ल लिल् – इन्सानि क्फ़ुर् फ़-लम्मा
    क-फ़-र क़ा-ल इन्नी बरीउम् – मिम् – क इन्नी अख़ाफ़ुल्ला – ह रब्बल् – आ़लमीन
    (मुनाफि़कों) का उदाहरण शैतान जैसा है कि इन्सान से कहता रहा कि काफि़र हो जाओ, फिर जब वह काफि़र हो गया तो कहने लगा मैं तुमसे विरक्त हूँ। मैं सारे जहाँ के परवरदिगार से डरता हूँ।
  17. फ़का-न आ़कि-ब-तहुमा अन्नहुमा फ़िन्नारि ख़ालिदैनि फ़ीहा, व ज़ालि – क जज़ाउज़्ज़ालिमीन
    तो दोनों का नतीजा ये हुआ कि दोनों नरक में (डाले) जाएँगे। और उसमें हमेशा रहेंगे और यही तमाम अत्याचारियों की सज़ा है।
  18. या अय्युहल्लज़ी – न आमनुत्तक़ुल्ला – ह वल्तन्ज़ुर् नफ़्सुम् मा क़द्द-मत् लि-ग़दिन् वत्तक़ुल्ला-ह, इन्नल्ला-ह ख़बीरुम्-बिमा तअ्मलून
    ऐ ईमानदारों! अल्लाह से डरो, और हर शख़्स को ग़ौर करना चाहिए कि कल क़यामत के वास्ते उसने पहले से क्या भेजा है। और अल्लाह ही से डरते रहो निश्चय जो कुछ तुम करते हो अल्लाह उसकी पूरी ख़बर रखता है।
  19. व ला तकूनू कल्लज़ी-न नसुल्ला-ह फ़-अन्साहुम् अन्फ़ु-सहुम्, उलाइ-क हुमुल् फ़ासिक़ून
    और उन लोगों के जैसे न हो जाओ जो अल्लाह को भुला बैठे। तो अल्लाह ने उन्हें ऐसा कर दिया कि वह अपने आपको भूल गए। यही अवज्ञाकारी हैं।
  20. ला यस्तवी अस्हाबुन्नारि व अस्हाबुल्-जन्नति, अस्हाबुल्-जन्नति हुमुल् – फ़ाइज़ून
    जहन्नुमी और जन्नती किसी तरह बराबर नहीं हो सकते। जन्नती लोग ही तो कामयाबी हासिल करने वाले हैं।
  21. लौ अन्ज़ल्ना हाज़लू-क़ुर्आ-न अ़ला ज-बलिल्- ल-रऐ-तहू ख़ाशिअ़म् मु-तसद्दिअ़म् मिन् ख़श्-यतिल्लाहि, व तिल्कल् – अम्सालु नज़्रिबुहा लिन्नासि लअ़ल्लाहुम् य-तफ़क्करून
    अगर हम इस क़ुरान को किसी पहाड़ पर (भी) उतारते तो तुम उसको देखते कि अल्लाह के डर से झुका और फटा जाता है। अल्लाह के भय से और इन उदाहरणों का वर्णन हम लोगों के लिए कर रहे हैं, ताकि वह ग़ौर करें।
  22. हुवल्लाहुल्लज़ी ला इला-ह इल्ला हु-व आ़लिमुल् – ग़ैबि वश्शहा-दति हुवर्-रह्मानुर्रहीम
    वही अल्लाह है जिसके सिवा कोई माबूद नहीं, पोशीदा और ज़ाहिर का जानने वाला वही बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है।
  23. हुवल्लाहुल्लज़ी ला इला-ह इल्ला हु-व अल्मलिकुल्- क़ुद्दूसुस् – सलामुल् – मुअ्मिनुल् – मुहैमिनुल्- अ़ज़ीज़ुल्-जब्बारुल् – मु-तकब्बिरु, सुब्हानल्लाहि अ़म्मा युश्रिकून
    वही वह अल्लाह है जिसके अतिरिक्त कोई क़ाबिले वंदनीय नहीं, सबका स्वामी, अत्यंत पवित्र, सर्वथा शान्ति प्रदान करने वाला, रक्षक, ग़ालिब प्रभावशाली, शक्तिशाली बल पूर्वक आदेश लागू करने वाला, बड़ाई वाला है। ये लोग जिसको (उसका) साझी बनाते हैं।
  24. हुवल्लाहुल् ख़ालिक़ुल् बारिउल् मुसव्विरु लहुल् अस्मा -उल्- हुस्ना, युसब्बिहु लहू मा फ़िस्समावाति वल्अर्जि व हुवल् अ़ज़ीज़ुल्-हकीम
    वही अल्लाह है, पैदा करने वाला, बनाने वाला, रूप देने वाला। उसी के अच्छे अच्छे नाम हैं जो चीज़े सारे आसमान व ज़मीन में हैं। सब उसी की पवित्रता का वर्णन करती हैं, और वही प्रभावशाली, तत्वदर्शी है।

सूरह अल हश्र वीडियो | Surah Al-Hashr Video

Share this:

Leave a Comment

error: Content is protected !!