03 सूरह-आले इमरान हिंदी में पेज 2

सूरह-आले इमरान हिंदी में | Surah Al-Imran in Hindi

  1. क़ुलिल्लाहुम्-म मालिकल्मुल्कि तुअ्तिल्- मुल्-क मन् तशा-उ व तन्ज़िअुल्मुल्-क मिम्मन् तशा-उ, व तुअिज़्ज़ु मन् तशा-उ, व तुज़िल्लू मन् तशा-उ, बि-यदिकल्-ख़ैरु, इन्न-क अ़ला कुल्लि शैइन् क़दीर
    (ऐ रसूल!) तुम तो यह दुआ मांगों कि ऐ अल्लाह तमाम आलम के मालिक तू ही जिसको चाहे राज्य दे और जिससे चाहे राज्य छीन ले और तू ही जिसको चाहे सम्मान दे और जिसे चाहे अपमान दे हर तरह की भलाई तेरे ही हाथ में है निःसंदेह तू जो चाहे, कर सकता है।
  2. तूलिजुल्लै-ल फ़िन्नहारि व तूलिजुन्नहा-र फ़िल्लैलि व तुख़रिजुल्-हय्-य मिनल्-मय्यिति व तुख़रिजुल् मय्यि-त मिनल्हय्यि, व तर्जुक़ु मन् तशा-उ बिग़ैरि हिसाब
    तू ही रात को दिन में दाखि़ल कर देता है और तू ही दिन को रात में दाखि़ल करता है। तू ही बेजान (अन्डा, वीर्य वगै़रह) से जानदार को पैदा करता है और तू ही जानदार से बेजान वीर्य (वगै़रहा) निकालता है और तू ही जिसको चाहता है बेहिसाब रोज़ी देता है।
  3. ला यत्तख़िज़िल्-मुअ्मिनूनल् काफ़िरी-न औलिया-अ मिन् दूनिल्- मुअ्मिनी-न, व मंय्यफ़्अ़ल् ज़ालि-क फ़्लै-स मिनल्लाहि फ़ी शैइन् इल्ला अन् तत्तक़ू मिन्हुम् तुक़ातन्, व युहज़्ज़िरुकुमुल्लाहु नफ़्सहू, व इलल्लाहिल्-मसीर
    मोमिनीन,  ईमान वालों को छोड़ के काफि़रों को अपना सहायक मित्र न बनाऐं और जो ऐसा करेगा तो उससे अल्लाह से कुछ संबंध नहीं मगर (इस कि़स्म की तदबीरों से) किसी तरह उन (के शर) से बचना चाहो तो (ख़ैर) और अल्लाह तुमको अपने ही से डराता है और अल्लाह ही की तरफ़ लौट कर जाना है।
  4. क़ुल इन् तुख़्फ़ू मा फ़ी सुदूरिकुम् औ तुब्दूहु यअ्लम्हुल्लाहु, व यअ्लमु मा फ़िस्समावाति व मा फ़िल्अर्ज़ि, वल्लाहु अ़ला कुल्लि शैइन् क़दीर
    ऐ रसूल! तुम उन (लोगों से) कह दो कि जो कुछ तुम्हारे दिलों में है, उसे मन ही में रखो या व्यक्त करो, अल्लाह  उसे जानता है और जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में वह (सब कुछ) जानता है और अल्लाह जो चाहे, कर सकता है।
  5. यौ-म तजिदु कुल्लु नफ़्सिम् मा अ़मिलत् मिन् ख़ैरिम् मुह्ज़रंव्-व मा अ़मिलत् मिन् सूइन्, त-वद्दु लौ अन्-न बैनहा व बैनहू अ-मदम् बईदन्, व युहज़्ज़िरुकुमुल्लाहु नफ़्सहू, वल्लाहु रऊफ़ुम् बिल्अिबाद
    (और उस दिन को याद रखो) जिस दिन हर शख़्स जो कुछ उसने (दुनिया में) नेकी की है और जो कुछ बुराई की है उसको मौजूद पाएगा (और) कामना करेगा कि काश उसके तथा उसके कुकर्मों के बीच बड़ी दूरी होती और अल्लाह तुमको स्वयं से डराता है और अल्लाह अपने बन्दों के लिए अति करुणामय है।
  6. क़ुल् इन् कुन्तुम् तुहिब्बूनल्ला-ह फ़त्तबिअूनी युह्बिब्कुमुल्लाहु व यग़्फ़िर् लकुम् ज़ुनूबकुम, वल्लाहु ग़फ़ूरुर्रहीम
    (ऐ रसूल!) उन लोगों से कह दो कि अगर तुम अल्लाह को दोस्त रखते हो तो मेरा अनुसरण करो कि अल्लाह (भी) तुमको दोस्त रखेगा और तुम्हारे पाप क्षमा कर देगा और अल्लाह बड़ा क्षमाशील, दयावान है। (इस में यह संकेत है कि जो अल्लाह से प्रेम का दावा करता हो, और मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का अनुसरण न करता हो, तो वह अल्लाह का प्रेमी नहीं हो सकता।)
  7. क़ुल् अतीअुल्ला-ह वर्रसू-ल फ़-इन् तवल्लौ फ़-इन्नल्ला-ह ला युहिब्बुल् काफ़िरीन
    (ऐ रसूल) कह दो कि अल्लाह और रसूल की आज्ञा का अनुपालन करो फिर अगर यह लोग उससे विमुख हों तो (समझ लें कि) अल्लाह काफि़रों को बिल्कुल दोस्त नहीं रखता।
  8. इन्नल्लाहस्तफा आद-म व नूहंव्-व आ-ल इब्राही-म व आ-ल अिम्रा-न अ़लल् आ़लमीन
    वास्तव में अल्लाह ने आदम और नूह और इब्राहीम की संतान और इमरान की संतान को संसार वासियों में चुन लिया था।
  9. ज़ुर्रिय्यतम् बअ्ज़ुहा मिम्-बअ्ज़िन्, वल्लाहु समीअुन् अ़लीम
    ये एक-दूसरे की संतान हैं और अल्लाह (सबकी) सुनता (और सब कुछ) जानता है।
  10. इज़् क़ा-लतिम्र-अतु अिम्रा-न रब्बि इन्नी नज़र्तु ल-क मा फ़ी बत्नी मुहर्र-रन् फ़-तक़ब्बल् मिन्नी, इन्न-क अन्तस्- समीअुल् अ़लीम
    (ऐ रसूल! वह वक़्त याद करो) जब इमरान की बीवी(मरियम की माँ) ने (अल्लाह से) अर्ज की कि ऐ मेरे पालने वाले मेरे पेट में जो बच्चा है (उसको मैं दुनिया के काम से) आज़ाद करके तेरी(बैतुल मक़दिस की सेवा के लिये) देती हूं। तू इसे मुझसे स्वीकार कर ले। तू वास्तव में बड़ा सुनने वाला और जानने वाला है।
  11. फ़-लम्मा व-ज़अ़त्हा क़ालत् रब्बि इन्नी वज़अ्तुहा उन्सा, वल्लाहु अअ्लमु बिमा व-ज़अ़त्, व लैसज़्ज़-करु कल्उन्सा, व इन्नी सम्मैतुहा मर्य-म व इन्नी उईज़ुहा बि-क व ज़ुर्रिय्य-तहा मिनश्-शैतानिर्- रजीम
    फिर जब उसके यहाँ बच्ची पैदा हुई तो (हैरत से) कहने लगी, “मेरे रब! मेरे यहाँ तो लड़की पैदा हुई है।” अल्लाह तो जानता ही था जो कुछ उसके यहाँ पैदा हुआ था। और लड़का उस लड़की की तरह नहीं हो सकता और मैंने उसका नाम मरियम रखा है और मैं उसको और उसकी औलाद को तिरस्कृत शैतान (के फ़रेब) से तेरी पनाह में देती हूं।
  12. फ़-तक़ब्ब-लहा रब्बुहा बि-क़बूलिन् ह-सनिंव्-व अम्ब-तहा नबातन् ह-सनंव्-व कफ़्फ़-लहा ज़-करिय्या, कुल्लमा द-ख़-ल अ़लैहा ज़- करिय्यल्-मिह्-रा-ब, व-ज-द अिन्दहा रिज़्क़न् क़ा-ल या मर्यमु अन्ना लकि हाज़ा, क़ालत् हु-व मिन् अिन्दिल्लाहि, इन्नल्ला-ह यर्ज़ुक़ु मंय्यशा-उ बिग़ैरि हिसाब
    तो उसके परवरदिगार ने मरियम को ख़ुशी से स्वीकार कर लिया और उसकी परवरिश अच्छी तरह की और ज़करिया को उनका संरक्षक बनाया जब भी जक़रिया उनके पास (उनके) इबादत के मेह़राब में जाते तो मरियम के पास कुछ न कुछ खाने को मौजूद पाते तो पूछते कि ऐ मरियम! ये (खाना) तुम्हारे पास कहां से आया है तो मरियम ये कह देती थी कि यह अल्लाह के यहाँ से (आया) है वास्तव में अल्लाह जिसको चाहता है बेहिसाब जीविका देता है।
  13. हुनालि-क दआ़ ज़-करिय्या रब्बहू, क़ा-ल रब्बि हब् ली मिल्लदुन्-क ज़ुर्रिय्यतन् तय्यि-बतन् इन्न-क समीअुद्दुआ़-इ
    (ये माजरा देखते ही) उसी वक़्त ज़करिया ने अपने पालनहार से प्रार्थना की: ऐ मेरे पालने वाले! तू मुझको (भी) अपनी ओर से सदाचारी औलाद प्रदान कर। वास्तव में तू ही प्रार्थना सुनने वाला है।
  14. फ़नादत्हुल् मलाइ-कतु व हु-व क़ा इमुंय्युसल्ली फ़िल्-मिह्-राबि, अन्नल्ला-ह युबश्शिरु-क बि-यह्या मुसद्दिक़म् बि-कलिमतिम् मिनल्लाहि व सय्यिदंव्-व हसूरंव्-व नबिय्यम् मिनस्सालिहीन
    अभी ज़करिया हुजरे में खड़े (ये) दुआ कर ही रहे थे कि फ़रिश्तों ने उनको आवाज़ दी कि अल्लाह तुमको यहया (के पैदा होने) की खुशख़बरी देता है जो अल्लाह के शब्द  (ईसा) की पुष्टि करेगा और (लोगों का) सरदार होगा और संयमी और सदाचारियों में से एक नबी होगा।
  15. क़ा-ल रब्बि अन्ना यकूनु ली ग़ुलामुंव्-व क़द् ब-ल-ग़नियल कि-बरु वम्र-अती आ़क़िरुन्, क़ा-ल कज़ालिकल्लाहु यफ़्अ़लु मा यशा-उ
    ज़करिया ने कहाः परवरदिगार मुझे लड़का क्योंकर हो सकता है हालाकि मेरा बुढ़ापा आ पंहुचा और (उसपर) मेरी बीवी बांझ है (अल्लाह ने) फ़रमाया इसी तरह अल्लाह जो चाहता है, करता है।
  16. क़ा-ल रब्बिज्अ़ल्ली आ-यतन्, क़ा-ल आ-यतु-क अल्ला तुकल्लिमन्ना-स सला-स-त अय्यामिन् इल्ला रम्ज़न्, वज़्कुर् रब्ब-क कसीरंव्-व सब्बिह् बिल्-अ़शिय्यि वल्-इब्कार
    ज़करिया ने अर्ज़ की परवरदिगार मेरे इत्मेनान के लिए कोई निशानी मुक़र्रर फ़रमा, इरशाद हुआ तुम्हारी निशानी ये है तुम तीन दिन तक लोगों से बात न कर सकोगे मगर इशारे से और (उसके शुक्रिये में) अपने पालनहार की अकसर याद करो और रात को और सुबह तड़के उसी की पवित्रता का वर्णन किया करो।
  17. व इज़् क़ालतिल् मलाइ-कतु या मर्यमु इन्नल्लाहस्तफ़ाकि व तह्ह-रकि वस्तफ़ाकि अ़ला निसा-इल् आ़लमीन
    और याद करो जब फ़रिश्तों ने मरियम से कहा, ऐ मरियम तुमको अल्लाह ने चुन लिया और (तमाम) गुनाहों और बुराइयों से पाक साफ़ रखा और सारे दुनिया जहान की औरतों में से तुमको चुना है।
  18. या मर्यमुक़्नुती लिरब्बिकि वस्जुदी वर्कई मअ़र्राकिईन
    ऐ मरियम! अपने पालनहार की आज्ञाकारी रहो, सज्दा करो और रूकू करने वालों के साथ रूकू करती रहो।
  19. ज़ालि-क मिन् अम्बा-इल् ग़ैबि नूहीहि इलै-क, व मा कुन्-त लदैहिम इज़् युल्क़ू-न अक़्ला-महुम् अय्युहुम् यक्फ़ुलु मर्य म, व मा कुन्-त लदैहिम् इज़् यख़्तसिमून
    (ऐ रसूल!) ये ख़बर गै़ब की ख़बरों में से है जो हम तुम्हारे पास ‘वही’ के ज़रिए से भेजते हैं (ऐ रसूल) तुम तो उन के पास मौजूद न थे जब वह लोग अपना अपना क़लम दरिया में बतौर क़ु़रआ के डाल रहे थे (देखें) कौन मरियम का संरक्षक बनता है और न तुम उस वक़्त उनके पास मौजूद थे जब वह लोग आपस में झगड़ रहे थे।
  20. इज़् क़ालतिल् मलाइ कतु या मर्यमु इन्नल्ला-ह युबश्शिरुकि बि-कलि-मतिम् मिन्हुस्मुहुल्- मसीहु ईसब्नु मर्य-म वजीहन् फ़िद्दुन्या वल्आख़ि-रति व मिनल् मुक़र्रबीन
    (वह वाकि़या भी याद करो) जब फ़रिश्तों ने (मरियम) से कहा ऐ मरियम! अल्लाह तुमको सिर्फ़ अपने हुक्म से एक लड़के के पैदा होने की खुशख़बरी देता है जिसका नाम ईसा मसीह इब्ने मरियम होगा (और) दुनिया और आखे़रत (दोनों) में बाइज़्ज़त (आबरू) और अल्लाह के समीपवर्तियों में होगा।
  21. व युकल्लिमुन्ना-स फ़िल्मह्दि व कह् लंव्-व मिनस्सालिहीन
    और (बचपन में) जब झूले में पड़ा होगा और बड़ी उम्र का होकर (दोनों हालतों में यकसा) लोगों से बाते करेगा और सदाचारियों में होगा।
  22. क़ालत् रब्बि अन्ना यकूनु ली व-लदुंव्-व लम् यम्सस्नी ब-शरुन्, क़ा-ल कज़ालिकिल्लाहु यख़्लुक़ु मा यशा-उ, इज़ा कज़ा अम्रन् फ़-इन्नमा यक़ूलु लहू कुन् फ़-यकून
    (ये सुनकर मरियम ताज्जुब से) कहने लगी परवरदिगार मुझे लड़का क्योंकर होगा हालांकि मुझे किसी मर्द ने छुआ तक नहीं, इरशाद हुआ इसी तरह अल्लाह जो चाहता है करता है, जब वह किसी काम का करना ठान लेता है तो बस कह देता है ‘हो जा’ तो वह हो जाता है।
  23. व युअ़ल्लिमुहुल्-किता-ब वल्-हिक्म-त वत्तौरा-त वल्-इन्जील
    और (ऐ मरयिम!) अल्लाह इसको (तमाम) किताबे आसमानी और अक़्ल की बातें और (ख़ासकर) तौरात व इन्जील सिखा देगा।
  24. व रसूलन् इला बनी इस्राई-ल, अन्नी क़द् जिअ्तुकुम् बिआ-यतिम् मिर्रब्बिकुम् अन्नी अख़्लुक़ु लकुम् मिनत्तीनि कहै-अतित्तैरि फ़-अन्फ़ुख़ु फ़ीहि फ़-यकूनु तैरम् बि-इज़्निल्लाहि, व उब्रिउल्-अक्म-ह वल्-अब्र-स व उह्यिल्मौता बि-इज़्निल्लाहि, व उनब्बिउकुम् बिमा तअ्कुलू-न व मा तद्दख़िरू-न, फ़ी बुयूतिकुम्, इन्-न फ़ी ज़ालि-क लआ-यतल्-लकुम् इन् कुन्तुम् मुअ्मिनीन
    और बनी इसराइल का रसूल होगा (उनसे यू कहेगा कि) मैं तुम्हारे पास तुम्हारे परवरदिगार की तरफ़ से (अपनी नबूवत की) यह निशानी लेकर आया हॅू कि मैं गुंधी हुई मिट्टी से एक परिन्दे की सूरत बनाऊॅगा फि़र उस पर (कुछ) दम करूंगा तो वो अल्लाह के हुक्म से उड़ने लगेगा और मैं अल्लाह ही के हुक्म से मादरज़ाद {पैदायशी} अंधे और कोढ़ी को अच्छा करूंगा और मुर्दो को जि़न्दा करूंगा और जो कुछ तुम खाते हो और अपने घरों में जमा करते हो मैं (सब) तुमको बता दूगा, अगर तुम ईमानदार हो तो वास्तव में तुम्हारे लिये इन बातों में (मेरी नबूवत की) बड़ी निशानी है।
  25. व मुसद्दिक़ल्लिमा बै-न यदय्-य मिनत्तौराति व लि-उहिल्-ल लकुम् बअ्ज़ल्लज़ी हुर्रि-म अ़लैकुम् व जिअ्तुकुम् बिआ-यतिम् मिर्रब्बिकुम्, फ़त्तक़ुल्ला-ह व अतीअून
    और तौरात जो मेरे सामने मौजूद है मैं उसकी तसदीक़ करता हॅू और (मेरे आने की) एक ग़रज़ यह (भी) है कि जो चीजे़ तुम पर हराम है उनमें से बाज़ को (हुक्मे अल्लाह से) हलाल कर दू और मैं तुम्हारे पालनहार की तरफ़ से (अपनी नबूवत की) निशानी लेकर तुम्हारे पास आया हॅू।

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