17 सूरह बनी इसराईल हिंदी में पेज 3

सूरह बनी इसराईल हिंदी में | Surah Al-Isra in Hindi

  1. व इज़ा क़रअ्तल-क़ुरआ-न जअ़ल्ना बैन-क व बैनल्लज़ी-न ला युअ्मिनू-न बिल्-आख़िरति हिजाबम्-मस्तूरा
    और जब तुम क़ुरान पढ़ते हो तो हम तुम्हारे और उन लोगों के दरम्यिान जो आखि़रत का यक़ीन नहीं रखते एक गहरा पर्दा डाल देते हैं।
  2. व जअ़ल्ना अ़ला क़ुलूबिहिम् अकिन्नतन् अय्यंफ़क़हूहु व फ़ी आज़ानिहिम् वक़्रन्, व इज़ा ज़कर् त रब्ब-क फ़िल्क़ुरआनि वह्दहू वल्लौ अ़ला अद्-बारिहिम् नुफूरा
    और (गोया) हम उनके कानों में गरानी पैदा कर देते हैं कि न सुन सकें जब तुम क़ुरान में अपने परवरदिगार का तन्हा जि़क्र करते हो तो कुफ्फार उलटे पावँ नफरत करके (तुम्हारे पास से) भाग खड़े होते हैं।
  3. नह्नु अअ्लमु बिमा यस्तमिअू-न बिही इज़् यस्तमिअू-न इलै-क व इज़् हुम् नज्वा इज़् यक़ूलुज़्ज़ालिमू-न इन् तत्तबिअू-न इल्ला रजुलम्-मस्हूरा
    जब ये लोग तुम्हारी तरफ कान लगाते हैं तो जो कुछ ये ग़ौर से सुनते हैं हम तो खूब जानते हैं और जब ये लोग बाहम कान में बात करते हैं तो उस वक़्त ये ज़ालिम (इमानदारों से) कहते हैं कि तुम तो बस एक (दीवाने) आदमी के पीछे पड़े हो जिस पर किसी ने जादू कर दिया है।
  4. उन्ज़ुर् कै-फ़ ज़-रबू लकल्-अम्सा-ल फ़-ज़ल्लू फ़ला यस्ततीअू-न सबीला
    (ऐ रसूल!) ज़रा देखो तो ये कम्बख़्त तुम्हारी निस्बत कैसी कैसी फब्तियाँ कहते हैं तो (इसी वजह से) ऐसे गुमराह हुए कि अब (हक़ की) राह किसी तरह पा ही नहीं सकते।
  5. व क़ालू अ-इज़ा कुन्ना अिज़ामंव्-व रूफ़ातन् अ-इन्ना लमब्अूसू न ख़ल्कन् जदीदा
    और ये लोग कहते हैं कि जब हम (मरने के बाद सड़ गल कर) हड्डियाँ रह जाएँगें और रेज़ा रेज़ा हो जाएँगें तो क्या नये सिरे से पैदा करके उठा खड़े किए जाएँगें।
  6. क़ुल कूनू हिजा रतन् औ हदीदा
    (ऐ रसूल!) तुम कह दो कि तुम (मरने के बाद) चाहे पत्थर बन जाओ या लोहा या कोई और चीज़ जो तुम्हारे ख़्याल में बड़ी (सख़्त) हो।
  7. औ ख़ल्क़म्-मिम्मा यक्बुरू फ़ी सुदूरिकुम्, फ़-स यक़ू लू-न मंय्युईदुना, क़ुलिल्लज़ी फ़-त रकुम् अव्व-ल मर्रतिन्, फ़-सयुन्ग़िज़ू-न इलै-क रूऊ-सहुम् व यफ़ूलू-न मता हु-व, क़ुल अ़सा अंय्यकू-न क़रीबा
    और उसका जि़न्दा होना दुश्वार हो वह भी ज़रुर जि़न्दा हो गई तो ये लोग अनक़रीब ही तुम से पूछेगें भला हमें दोबारा कौन जि़न्दा करेगा तुम कह दो कि वही (अल्लाह) जिसने तुमको पहली मरतबा पैदा किया (जब तुम कुछ न थे) इस पर ये लोग तुम्हारे सामने अपने सर मटकाएँगें और कहेगें (अच्छा अगर होगा) तो आखि़र कब तुम कह दो कि बहुत जल्द अनक़रीब ही होगा।
  8. यौ-म यद्अूकुम् फ़-तस्तजीबू-न बिहम्दिही व तज़ुन्नू – न इल्लबिस्तुम् इल्ला क़लीला*
    जिस दिन अल्लाह तुम्हें (इसराफील के ज़रिए से) बुंलाएगा तो उसकी हम्दो सना करते हुए उसकी तामील करोगे (और क़ब्रों से निकलोगे) और तुम ख़्याल करोगे कि (मरने के बाद क़ब्रों में) बहुत ही कम ठहरे।
  9. व क़ुल्-लिअिबादी यक़ूलुल्लती हि-य अह्सनु, इन्नश्शैता-न यन्ज़गु बैनहुम्, इन्नश्शैता-न का-न लिल्इन्सानि अ़दुव्वम्-मुबीना
    और (ऐ रसूल!) मेरे (सच्चे) बन्दों (मोमिनों से कह दो कि वह (काफिरों से) बात करें तो अच्छे तरीक़े से (सख़्त कलामी न करें) क्योंकि शैतान तो (ऐसी ही) बातों से फसाद डलवाता है इसमें तो शक ही नहीं कि शैतान आदमी का खुला हुआ दुश्मन है।
  10. रब्बुकुम् अअ्लमु बिकुम्, इंय्यशअ् यरहम्कुम् औ इंय्यशअ् युअ़ज़्ज़िब्कुम्, व मा अर्सल्ना-क अ़लैहिम् वकीला
    तुम्हारा परवरदिगार तुम्हारे हाल से खूब वाकि़फ है अगर चाहेगा तुम पर रहम करेगा और अगर चाहेगा तुम पर अज़ाब करेगा और (ऐ रसूल) हमने तुमको कुछ उन लोगों का जि़म्मेदार बनाकर नहीं भेजा है।
  11. व रब्बु-क अअ्लमु बिमन् फिस्समावाति वलअर्ज़ि, व ल-क़द् फ़ज़्ज़ल्ना बअ्ज़न्नबिय्यी-न अ़ला बअ्जिंव् व आतैना दावू-द ज़बूरा
    और जो लोग आसमानों में है और ज़मीन पर हैं (सब को) तुम्हारा परवरदिगार खूब जानता है और हम ने यक़ीनन बाज़ पैग़म्बरों को बाज़ पर फज़ीलत दी और हम ही ने दाऊद को जू़बूर अता की।
  12. क़ुलिद्उल्लज़ी-न ज़अ़म्तुम् मिन् दूनिही फ़ला यम्लिकू-न कश्फ़ज़्ज़ुर्रि अन्कुम् व ला तह़्वीला
    (ऐ रसूल!) तुम उनसे कह दों कि अल्लाह के सिवा और जिन लोगों को माबूद समझते हो उनको (वक़्त पडे़) पुकार के तो देखो कि वह न तो तुम से तुम्हारी तकलीफ ही दफा कर सकते हैं और न उसको बदल सकते हैं।
  13. उलाइ-कल्लज़ी-न यद्अू-न यब्तग़ू-न इला रब्बिहिमुल्-वसी-ल-त अय्युहुम् अक्ऱबु व यर्-जू-न रह़्म तहू व यख़ाफू-न अ़ज़ाबहू, इन्-न अज़ा-ब रब्बि-क का-न मह्ज़ूरा
    ये लोग जिनको मुशरेकीन (अपना अल्लाह समझकर) इबादत करते हैं वह खुद अपने परवरदिगार की क़ुरबत के ज़रिए ढूँढते फिरते हैं कि (देखो) इनमें से कौन ज़्यादा कुरबत रखता है और उसकी रहमत की उम्मीद रखते और उसके अज़ाब से डरते हैं इसमें शक नहीं कि तेरे परवरदिगार का अज़ाब डरने की चीज़ है।
  14. व इम्-मिन् क़र्यतिन् इल्ला नह्नु मुह़्लिकूहा क़ब्-ल यौमिल्-क़ियामति औ मुअ़ज़्ज़िबूहा अ़ज़ाबन् शदीदन्, का-न ज़ालि-क फ़िल्किताबि मस्तूरा
    और कोई बस्ती नहीं है मगर रोज़ क़यामत से पहले हम उसे तबाह व बरबाद कर छोड़ेगें या (नाफरमानी) की सज़ा में उस पर सख़्त से सख़्त अज़ाब करेगें (और) ये बात किताब (लौहे महफूज़) में लिखी जा चुकी है।
  15. व मा-म-न अ़ना अन्नुर्सि-ल बिल्आयाति इल्ला अन् कज़्ज़-ब बिहल्-अव्वलू-न, व आतैना समूदन्ना-क़-त मुब्सि-रतन् फ़-ज़-लमू बिहा, व मा नुर्सिलु बिल्आयाति इल्ला तख़्वीफ़ा
    और हमें मौजिज़ात भेजने से किसी चीज़ ने नहीं रोका मगर इसके सिवा कि अगलों ने उन्हें झुठला दिया और हमने क़ौमे समूद को (मौजिज़े से) ऊँटनी अता की जो (हमारी कुदरत की) दिखाने वाली थी तो उन लोगों ने उस पर ज़ुल्म किया यहाँ तक कि मार डाला और हम तो मौजिज़े सिर्फ डराने की ग़रज़ से भेजा करते हैं।
  16. व इज़् क़ुल्ना ल-क इन्-न रब्ब-क अहा-त बिन्नासि, व मा जअ़ल्नर्रूअ्यल्लती अरैना-क इल्ला फित् न-तल्-लिन्नासि वश्श-ज-रतल्-मल्अू न-त फ़िल्क़ुरआनि, व नुख़व्विफुहुम्, फ़मा यज़ीदुहुम् इल्ला तुग़्यानन् कबीरा*
    और (ऐ रसूल!) वह वक़्त याद करो जब तुमसे हमने कह दिया था कि तुम्हारे परवरदिगार ने लोगों को (हर तरफ से) रोक रखा है कि (तुम्हारा कुछ बिगाड़ नहीं सकते और हमने जो ख़्वाब तुमाको दिखलाया था तो बस उसे लोगों (के इमान) की आज़माइश का ज़रिया ठहराया था और (इसी तरह) वह दरख़्त जिस पर क़ुरान में लानत की गई है और हम बावजूद कि उन लोगों को (तरह तरह) से डराते हैं मगर हमारा डराना उनकी सख़्त सरकशी को बढ़ाता ही गया।
  17. व इज़् क़ुल्ना लिल्मलाइ कतिस्जुदू लिआद-म फ़-स जदू इल्ला इब्ली-स, क़ा-ल अ-अस्जुदु लिमन् ख़लक़्-त तीना
    और जब हम ने फरिश्तौं से कहा कि आदम को सजदा करो तो सबने सजदा किया मगर इबलीस वह (गुरुर से) कहने लगा कि क्या मै ऐसे शख़्स को सजदा करुँ जिसे तूने मिट्टी से पैदा किया है।
  18. क़ा-ल अ-रऐ-त-क हाज़ल्लज़ी कर्रम्-त अ़लय्-य, ल-इन् अख़्ख़र्तनि इला यौमिल-क़ियामति ल- अह्तनिकन्-न ज़ुर्रिय्य-तहू इल्ला क़लीला
    और (शेख़ी से) बोला भला देखो तो सही यही वह शख़्स है जिसको तूने मुझ पर फज़ीलत दी है अगर तू मुझ को क़यामत तक की मोहलत दे तो मैं (दावे से कहता हूँ कि) कम लोगों के सिवा इसकी नस्ल की जड़ काटता रहूँगा।
  19. क़ालज़्हब् फ़-मन् तबि-अ-क मिन्हुम् फ़-इन्-न जहन्न-म जज़ाउकुम् जज़ाअम्-मौफूरा
    अल्लाह ने फरमाया चल (दूर हो) उनमें से जो शख़्स तेरी पैरवी करेगा तो (याद रहे कि) तुम सबकी सज़ा जहन्नुम है और वह भी पूरी पूरी सज़ा है।
  20. वस्तफ्ज़िज़् मनिस्त-तअ्-त मिन्हुम् बिसौति-क व अज्लिब् अ़लैहिम् बिख़ैलि-क व रजिलि-क व शारिक्हुम फिल् अम्वालि वल्-औलादि व अिदहुम, व मा यअिदुहुमुश्-शैतानु इल्ला ग़ुरूरा
    और इसमें से जिस पर अपनी (चिकनी चुपड़ी) बात से क़ाबू पा सके वहां और अपने (चेलों के लश्कर) सवार और पैदल (सब) से चढ़ाई कर और माल और औलाद में उनके साथ साझा करे और उनसे (खूब झूटे) वायदे कर और शैतान तो उनसे जो वायदे करता है धोखे (की टट्ट्) के सिवा कुछ नहीं होता।
  21. इन्-न अिबादी लै-स ल-क अलैहिम् सुल्तानुन्, व कफा बिरब्बि-क वकीला
    बेशक जो मेरे (ख़ास) बन्दें हैं उन पर तेरा ज़ोर नहीं चल (सकता) और कारसाज़ी में तेरा परवरदिगार काफी है।
  22. रब्बुकुमुल्लज़ी युज़्जी लकुमुल फुल्-क फिलबह्-रि लितब्तग़ू मिन् फ़ज्लिही, इन्नहू का-न बिकुम् रहीमा
    (लोगों) तुम्हारा परवरदिगार वह (क़ादिरे मुत्तलिक़) है जो तुम्हारे लिए समन्दर में जहाज़ों को चलाता है ताकि तुम उसके फज़ल व करम (रोज़ी) की तलाश करो इसमें शक नहीं कि वह तुम पर बड़ा मेहरबान है।

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