23 सूरह अल मोमिनून हिंदी में पेज 2

सूरह अल मोमिनून हिंदी में | Surat al-Muminun in Hindi

  1. फ़कालल् म-लउल्लज़ी-न क-फरू मिन् क़ौमिही मा हाज़ा इल्ला ब-शरूम्-मिस्लुकुम् युरीदु अंय्य तफ़ज़्ज़ल अ़लैकुम्, व लौ शा-अल्लाहु ल -अन्ज़-ल मलाइ कतम् मा समिअ्ना बिहाज़ा फी आबाइनल् – अव्वलीन
    तो उनकी क़ौम के सरदारों ने जो काफ़िर थे कहा कि ये भी तो बस (आखि़र) तुम्हारे ही सा आदमी है (मगर) इसकी तमन्ना ये है कि तुम पर बुज़ुर्गी हासिल करे और अगर अल्लाह  (पैग़म्बर ही न भेजना) चाहता तो फरिश्तों को नाजि़ल करता हम ने तो (भाई) ऐसी बात अपने अगले बाप दादाओं में (भी होती) नहीं सुनी।
  2. इन् हु-व इल्ला रजुलुम्-बिही जिन्नतुन् फ़-तरब्बसू बिही हत्ता हीन
    हो न हों बस ये एक आदमी है जिसे जुनून हो गया है ग़रज़ तुम लोग एक (ख़ास) वक़्त तक (इसके अन्जाम का) इन्तेज़ार देखो।
  3. का-ल रब्बिन्सुरनी बिमा कज़्ज़बून
    नूह ने (ये बातें सुनकर) दुआ की ऐ मेरे पलने वाले मेरी मदद कर।
  4. फ – औहैना इलैहि अनिस्नअिल् – फुल् क बि – अअ्युनिना व वह्यिना फ़-इज़ा जा-अ अम्रुना व फ़ारत्तन्नूरू फ़स्लुक् फ़ीहा मिन् कुल्लिन् ज़ौजैनिस्नैनि व अह़्ल- क इल्ला मन् स-ब-क़ अ़लैहिल् कौलु मिन्हुम् व ला तुख़ातिब्नी फ़िल्लज़ी न ज़ – लमू इन्नहुम् मुग् रकून
    इस वजह से कि उन लोगों ने मुझे झुठला दिया तो हमने नूह के पास ‘वही’ भेजी कि तुम हमारे सामने हमारे हुक्म के मुताबिक़ कश्ती बनाना शुरु करो फिर जब कल हमारा अज़ाब आ जाए और तनूर (से पानी) उबलने लगे तो तुम उसमें हर किस्म (के जानवरों में) से (नर व मादा) दो दो का जोड़ा और अपने लड़के बालों को बिठा लो मगर उन में से जिसकी निस्बत (ग़रक़ होने का) पहले से हमारा हुक्म हो चुका है (उन्हें छोड़ दो) और जिन लोगों ने (हमारे हुकम से) सरकशी की है उनके बारे में मुझसे कुछ कहना (सुनना) नहीं क्योंकि ये लोग यक़ीनन डूबने वाले है।
  5. फ़-इज़ स्तवै-त अन्-त व मम्म-अ-क अलल् – फुल्कि फ़कुलिल् – हम्दु लिल्लाहिल्लज़ी नज्जाना मिनल् – कौमिज़्ज़ालिमीन
    ग़रज़ जब तुम अपने हमराहियों के साथ कश्ती पर दुरुस्त बैठो तो कहो तमाम हम्द व सना का सज़ावार अल्लाह ही है जिसने हमको ज़ालिम लोगों से नजात दी।
  6. व कुर्रब्बि अन्ज़िल्नी मुन्ज़ लम् मुबा-रकव् – व अन् – त ख़ैरूल् – मुन्ज़िलीन
    और दुआ करो कि ऐ मेरे पालने वाले तू मुझको (दरख़्त के पानी की) बा बरकत जगह में उतारना और तू तो सब उतारने वालो से बेहतर है।
  7. इन् – न फ़ी ज़ालि – क लआयातिंव् – व इन् कुन्ना लमुब्तलीन
    इसमें शक नहीं कि उसमे (हमारी क़ुदरत की) बहुत सी निशानियाँ हैं और हमको तो बस उनका इम्तिहान लेना मंज़ूर था।
  8. सुम् – म अन्शअ्ना मिम्-बअ्दिहिम् कर्नन् आख़रीन
    फिर हमने उनके बाद एक और क़ौम को (समूद) को पैदा किया।
  9. फ़- अरसल्ना फ़ीहिम् रसूलम् मिन्हुम् अनिअ्बुदुल्ला – ह मा लकुम् मिन् इलाहिन् ग़ैरूहू, अ-फ़ला तत्तकून *
    और हमने उनही में से (एक आदमी सालेह को) रसूल बनाकर उन लोगों में भेजा (और उन्होंने अपनी क़ौम से कहा) कि अल्लाह की इबादत करो उसके सिवा कोई तुम्हारा माबूद नहीं तो क्या तुम (उससे डरते नही हो)।
  10. व कालल् – मल- उ मिन् क़ौमिहिल्लज़ी – न क फ़रू व कज़्ज़बू बिलिक़ाइल – आख़िरति व अतरफ़्नाहुम् फ़िल् हयातिद्दुन्या मा हाज़ा इल्ला ब – शरूम् – मिस्लुकुम् यअ्कुलु मिम्मा तअ्कुलू – न मिन्हु व यश्रबू मिम्मा तश्रबून
    और उनकी क़ौम के चन्द सरदारों ने जो काफिर थे और (रोज़) आखि़रत की हाजि़री को भी झुठलाते थे और दुनिया की (चन्द रोज़ा) जि़न्दगी में हमने उन्हें सरवत भी दे रखी थी आपस में कहने लगे (अरे) ये तो बस तुम्हारा ही सा आदमी है जो चीज़े तुम खाते वही ये भी खाता है और जो चीज़े तुम पीते हो उन्हीं में से ये भी पीता है।
  11. वल – इन् अ- तअ्तुम् ब – शरम् मिस् – लकुम् इन्नकुम् इज़ल् – लख़ासिरून
    और अगर कहीं तुम लोगों ने अपने ही से आदमी की इताअत कर ली तो तुम ज़रुर घाटे में रहोगे।
  12. अ-यअिदुकुम् अन्नकुम् इज़ा मित्तुम् व कुन्तुम् तुराबंव् – व अिज़ामन् अन्नकुम् मुखरजून
    क्या ये शख़्स तुमसे वायदा करता है कि जब तुम मर जाओगे और (मर कर) सिर्फ़ मिट्टी और हड्डियाँ (बनकर) रह जाओगे तो तुम दुबारा जि़न्दा करके क़ब्रो में से निकाले जाओगे (है है अरे) जिसका तुमसे वायदा किया जाता है।
  13. हैहा – त हैहा – त लिमा तूअ़दून
    बिल्कुल (अक़्ल से) दूर और क़यास से बईद है (दो बार जि़न्दा होना कैसा) बस यही तुम्हारी दुनिया की जि़न्दगी है।
  14. इन् हि – य इल्ला हयातुनद्दुन्या नमूतु व नह़्या व मा नह्नु बिमब्अूसीन
    कि हम मरते भी हैं और जीते भी हैं और हम तो फिर (दुबारा) उठाए नहीं जाएँगे हो न हो ये (सालेह) वह शख़्स है जिसने अल्लाह पर झूठ मूठ बोहतान बाँधा है।
  15. इन् हु-व इल्ला रजुलु – निफ़्तरा अ़लल्लाहि कज़िबंव्व मा नह्नु लहू बिमुअ्मिनीन
    और हम तो कभी उस पर इमान लाने वाले नहीं (ये हालत देखकर) सालेह ने दुआ की ऐ मेरे पालने वाले चूँकि इन लोगों ने मुझे झुठला दिया।
  16. का – ल रब्बिन्सुर्नी बिमा कज़्ज़बून
    तू मेरी मदद कर अल्लाह ने फरमाया (एक ज़रा ठहर जाओ)।
  17. का-ल अ़म्मा क़लीलिल् – लयुस्बिहुन् – न नादिमीन
    अनक़रीब ही ये लोग नादिम व परेशान हो जाएँगे।
  18. फ़ अ – ख़ज़त्हुमुस्सै हतु बिल्हक्कि फ़ – जअ़ल्नाहुम् गुसा – अन् फ़बुअ्दल् – लिल्क़ौमिज़्ज़ालिमीन
    ग़रज़ उन्हें यक़ीनन एक सख़्त चिंघाड़ ने ले डाला तो हमने उन्हें कूडे़ करकट (का ढे़र) बना छोड़ा पस ज़ालिमों पर (अल्लाह की) लानत है।
  19. सुम् – म अन्शअ्ना मिम् – बअ्दिहिम् कुरूनन् आ – ख़रीन
    फिर हमने उनके बाद दूसरी क़ौमों को पैदा किया।
  20. मा तस्बिकु मिन् उम्मतिन् अ-ज-लहा व मा यस्तअ्खिरून
    कोई उम्मत अपने वक़्त मुर्क़रर से न आगे बढ़ सकती है न (उससे) पीछे हट सकती है।
  21. सूम-म अरसल्ना रूसु – लना ततरा कुल्लमा जा- अ उम्मतर्रसूलुहा कज़्ज़बूहु फ़ – अत्बअ्ना बअ् – ज़हुम् बअ्ज़ंव् – व जअ़ल्नाहुम् अहादी-स फ़बुअ्दल् – लिकौमिल् ला युअ्मिनून
    फिर हमने लगातार बहुत से पैग़म्बर भेजे (मगर) जब जब किसी उम्मत का पैग़म्बर उन के पास आता तो ये लोग उसको झुठलाते थे तो हम भी (आगे पीछे) एक को दूसरे के बाद (हलाक) करते गए और हमने उन्हें (नेस्त व नाबूद करके) अफ़साना बना दिया तो इमान न लाने वालो पर अल्लाह की लानत है।
  22. सुम्म अरसल्ना मूसा व अख़ाहु हारू-न बिआयातिना व सुल्तानिम् मुबीन
    फिर हमने मूसा और उनके भाई हारुन को अपनी निशानियों और वाज़ेए व रौशन दलील के साथ फ़िरऔन और उसके दरबार के उमराओं के पास रसूल बना कर भेजा।
  23. इला फिरऔ-न व म-लइही फ़स्तक्बरू व कानू क़ौमन आ़लीन
    तो उन लोगो ने शेख़ी की और वह थे ही बड़े सरकश लोग।

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