23 सूरह अल मोमिनून हिंदी में पेज 5

सूरह अल मोमिनून हिंदी में | Surat al-Muminun in Hindi

  1. कुर्रब्बि इम्मा तुरियन्नी मा यूअ़दून
    (ऐ रसूल!) तुम दुआ करो कि ऐ मेरे पालने वाले जिस (अज़ाब) का तूने उनसे वायदा किया है अगर शायद तू मुझे दिखाए।
  2. रब्बि फ़ला तज्अ़ल्नी फ़िल्- क़ौमिज़्ज़ालिमीन
    तो परवरदिगार मुझे उन ज़ालिम लोगों के हमराह न करना।
  3. व इन्ना अ़ला अन् नुरि-य-क मा नअिदुहुम् लकादिरून
    और (ऐ रसूल) हम यक़ीनन इस पर क़ादिर हैं कि जिस (अज़ाब) का हम उनसे वायदा करते हैं तुम्हें दिखा दें।
  4. इद् फ़अ् बिल्लती हि – य अह्सनुस्सय्यि अ-त, नह्नु अअ्लमु बिमा यसिफून
    और बुरी बात के जवाब में ऐसी बात कहो जो निहायत अच्छी हो जो कुछ ये लोग (तुम्हारी निस्बत) बयान करते हैं उससे हम ख़ूब वाकि़फ हैं।
  5. व कुर्रब्बि अअूजु बि-क मिन् ह-मज़ातिश् शयातीन
    और (ये भी) दुआ करो कि ऐ मेरे पालने वाले मै शैतान के वसवसों से तेरी पनाह माँगता हूँ।
  6. व अअूजु बि-क रब्बि अंय्यह्जुरून
    और ऐ मेरे परवरदिगार इससे भी तेरी पनाह माँगता हूँ कि शयातीन मेरे पास आएँ।
  7. हत्ता इज़ा जा-अ अ-ह दहुमुल् मौतु का-ल रब्बिरजिअून
    (और कुफ़्फ़ार तो मानेगें नहीं) यहाँ तक कि जब उनमें से किसी को मौत आयी तो कहने लगे परवरदिगार तू मुझे एक बार उस मुक़ाम (दुनिया) में छोड़ आया हूँ फिर वापस कर दे ताकि मै (अपकी दफ़ा) अच्छे अच्छे काम करूं।
  8. लअ़ल्ली अअ्मलु सालिहन् फ़ीमा तरक्तु कल्ला, इन्नहा कलि – मतुन् हु-व क़ाइलुहा व मिंव्वरा – इहिम् बर् – ज़खुन् इला यौमि युब्अ़सून
    (जवाब दिया जाएगा) हरगिज़ नहीं ये एक लग़ो बात है- जिसे वह बक रहा और उनके (मरने के) बाद (आलमे) बरज़ख़ है।
  9. फ़-इज़ा नुफ़ि-ख़ फ़िस्सूरि फ़ला अन्सा – ब बैनहुन् यौमइजिंव् – व ला य – तसा – अलून
    (जहाँ) क़ब्रों से उठाए जाएँगें (रहना होगा) फिर जिस वक़्त सूर फूँका जाएगा तो उस दिन न लोगों में क़राबत दारियाँ रहेगी और न एक दूसरे की बात पूछेंगे।
  10. फ़- मन् सकुलत् मवाजीनुहू फ़-उलाइ-क हुमुल् – मुफ्लिहून
    फिर जिन (के नेकियों) के पल्लें भारी होगें तो यही लोग कामयाब होंगे।
  11. व मन् ख़फ़्फ़त् मवाज़ीनुहू फ़-उलाइ-कल्लज़ी-न ख़सिरू अन्फु-सहुम् फ़ी जहन्न-म ख़ालिदून
    और जिन (के नेकियों) के पल्लें हल्के होंगें तो यही लोग है जिन्होंने अपना नुक़सान किया कि हमेशा जहन्नुम में रहेंगे।
  12. तल्फ़हु वुजू- हहुमुन्नारु व हुम् फीहा कालिहून
    और (उनकी ये हालत होगी कि) जहन्नुम की आग उनके मुँह को झुलसा देगी और लोग मुँह बनाए हुए होगें।
  13. अलम् तकुन् आयाती तुत्ला अ़लैकुम् फ़कुन्तुम् बिहा तुकज्ज़िबून
    (उस वक़्त हम पूछेंगें) क्या तुम्हारे सामने मेरी आयतें न पढ़ी गयीं थीं (ज़रुर पढ़ी गयी थीं) तो तुम उन्हें झुठलाया करते थे।
  14. कालू रब्बना ग-लबत् अ़लैना शिक्वतुना व कुन्ना क़ौमन् ज़ाल्लीन
    वह जवाब देगें ऐ हमारे परवरदिगार हमको हमारी कम्बख़्ती ने आज़माया और हम गुमराह लोग थे।
  15. रब्बना अख़रिज्ना मिन्हा फ़-इन् अुद्ना फ़-इन्ना ज़ालिमून
    परवरदिगार हमको (अबकी दफ़ा ) किसी तरह इस जहन्नुम से निकाल दे फिर अगर दोबारा हम ऐसा करें तो अलबत्ता हम कुसूरवार हैं।
  16. कालख़्सऊ फ़ीहा व ला तुकल्लिमून
    अल्लाह फरमाएगा दूर हो इसी में (तुम को रहना होगा) और (बस) मुझ से बात न करो।
  17. कालख़्सऊ फ़ीहा व ला तुकल्लिमून
    मेरे बन्दों में से एक गिरोह ऐसा भी था जो (बराबर) ये दुआ करता था कि ऐ हमारे पालने वाले हम इमान लाए तो तू हमको बक्श दे और हम पर रहम कर तू तो तमाम रहम करने वालों से बेहतर है।
  18. फ़त्त – ख़ज्तुमूहुम् सिख़रिय्यन् हत्ता अन्सौकुम् ज़िक्री व कुन्तुम् मिन्हुम् तज़्हकून
    तो तुम लोगों ने उन्हें मसख़रा बना लिया-यहाँ तक कि (गोया) उन लोगों ने तुम से मेरी याद भुला दी और तुम उन पर (बराबर) हँसते रहे।
  19. इन्नी जज़ैतुहुमुल-यौ-म बिमा स-बरू अन्नहुम् हुमुल् – फ़ाइजून
    मैने आज उनको उनके सब्र का अच्छा बदला दिया कि यही लोग अपनी(क़ातिर ख़्वाह) मुराद को पहुँचने वाले हैं।
  20. इन्नी जज़ैतुहुमुल-यौ-म बिमा स-बरू अन्नहुम् हुमुल् – फ़ाइजून
    (फिर उनसे) अल्लाह पूछेगा कि (आखि़र) तुम ज़मीन पर कितने बरस रहे।
  21. क़ालू लबिस्ना यौमन् औ बअू – ज़ यौमिन् फ़स्अलिल्-आ़द्दीन
    वह कहेंगें (बरस कैसा) हम तो बस पूरा एक दिन रहे या एक दिन से भी कम।
  22. क़ा-ल इल्लबिस्तुम् इल्ला कलीलल्-लौ अन्नकुम् कुन्तुम् तअ्लमून
    तो तुम शुमार करने वालों से पूछ लो अल्लाह फरमाएगा बेशक तुम (ज़मीन में) बहुत ही कम ठहरे काश तुम (इतनी बात भी दुनिया में) समझे होते।
  23. अ-फ़-हसिब्तुम् अन्नमा ख़लक़्नाकुम् अ़-बसंव् – व अन्नकुम् इलैना ला तुर्जअून
    तो क्या तुम ये ख़्याल करते हो कि हमने तुमको (यूँ ही) बेकार पैदा किया और ये कि तुम हमारे हुज़ूर में लौटा कर न लाए जाओगे।
  24. फ़-तआ़लल्लाहुल् -मलिकुल- हक़्कु ला इला-ह इल्ला हु-व रब्बुल अ़र्शिल् – करीम
    तो अल्लाह जो सच्चा बादशाह (हर चीज़ से) बरतर व आला है उसके सिवा कोई माबूद नहीं (वहीं) अर्शे बुज़ुर्ग का मालिक है।
  25. व मंय्यद्अु मअ़ल्लाहि इलाहन् आख़-र ला बुरहा-न लहू बिही फ़ इन्नमा हिसाबुहू अिन् – द रब्बिही, इन्नहू ला युफ्लिहुल्-काफ़िरून
    और जो शख़्स अल्लाह के साथ दूसरे माबूद की भी परसतिश करेगा उसके पास इस शिर्क की कोई दलील तो है नहीं तो बस उसका हिसाब (किताब) उसके परवरदिगार ही के पास होगा (मगर याद रहे कि कुफ़्फ़ार हरगिज़ फलाह पाने वाले नहीं)।
  26. व कुर्रब्बिग्फिर वरहम् व अन् त ख़ैरुर् राहिमीन *
    और (ऐ रसूल!) तुम कह दो परवरदिगार तू (मेरी उम्मत को) बक्श दे और तरस खा और तू तो सब रहम करने वालों से बेहतर है।

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