23 सूरह अल मोमिनून हिंदी में पेज 4

सूरह अल मोमिनून हिंदी में | Surat al-Muminun in Hindi

  1. अम् यकूलू – न बिही जिन्नतुन्, बल जा – अहुम् बिल्हक्कि व अक्सरूहुम् लिल्हक्कि कारिहून
    या कहते हैं कि इसको जुनून हो गया है (हरगिज़ उसे जुनून नहीं) बल्कि वह तो उनके पास हक़ बात लेकर आया है और उनमें के अक्सर हक़ बात से नफ़रत रखते हैं।
  2. व लवित्त – बअ़ल्- हक़्कु अह़्वा अहुम् ल-फ-स दतिस्- समावातु वल्अर्जु व मन् फ़ीहिन् – न, बल् अतैनाहुम् बिज़िकरिहिम् फ़हुम् अ़न् जिकरिहिम् मुअ्-रिजून
    और अगर कहीं हक़ उनकी नफ़सियानी ख़्वाहिश की पैरवी करता है तो सारे आसमान व ज़मीन और जो लोग उनमें हैं (सबके सब) बरबाद हो जाते बल्कि हम तो उन्हीं के तज़किरे (जिब्राईल के वास्ते से) उनके पास लेकर आए तो यह लोग अपने ही तज़किरे से मुँह मोड़तें हैं।
  3. व लवित्त – बअ़ल्- हक़्कु अह़्वा अहुम् ल-फ-स दतिस्- समावातु वल्अर्जु व मन् फ़ीहिन् – न, बल् अतैनाहुम् बिज़िकरिहिम् फ़हुम् अ़न् जिकरिहिम् मुअ्-रिजून
    (ऐ रसूल!) क्या तुम उनसे (अपनी रिसालत की) कुछ उजरत माँगतें हों तो तुम्हारे परवरदिगार की उजरत उससे कही बेहतर है और वह तो सबसे बेहतर रोज़ी देने वाला है।
  4. व इन्न – क ल – तद्अूहुम इला सिरातिम् – मुस्तकीम
    और तुम तो यक़ीनन उनको सीधी राह की तरफ़ बुलाते हो।
  5. व इन्नल्लज़ी – न ला युअ्मिनू – न बिल – आखिरति अनिस्सिराति लनाकिबून
    और इसमें शक नहीं कि जो लोग आखि़रत पर इमान नहीं रखते वह सीधी राह से हटे हुए हैं।
  6. व लौ रहिम्नाहुम् व कशफ़्ना मा बिहिम् मिन् जुर्रिल ल – लज्जू फ़ी तुग्यानिहिम् यअ्महून
    और अगर हम उन पर तरस खायें और जो तकलीफें उनको (कुफ्र की वजह से) पहुँच रही हैं उन को दफ़ा कर दें तो यक़ीनन ये लोग (और भी) अपनी सरकशी पर अड़ जाए और भटकते फिरें।
  7. व ल – क़द् अख़ज़्नाहुम् बिल् अ़ज़ाबि फ़मस्तकानू लिरब्बिहिम् व मा य तज़र्रअून
    और हमने उनको अज़ाब में गिरफ्तार किया तो भी वे लोग न तो अपने परवरदिगार के सामने झुके और गिड़गिड़ाएँ।
  8. हत्ता इज़ा फ़तह़्ना अ़लैहिम् बाबन् जा अ़ज़ाबिन शदीदिन् इज़ा हुम् फ़ीहि मुब्लिसून *
    यहाँ तक कि जब हमने उनके सामने एक सख़्त अज़ाब का दरवाज़ा खोल दिया तो उस वक़्त फ़ौरन ये लोग बेआस होकर बैठ रहे।
  9. व हुवल्लज़ी अनश – अ लकुमुस्सम् – अ वलअब्सा – र वल्- अफ़इ – द – त, क़लीलम् – मा तश्कुरून
    हालाँकि वही वह (मेहरबान अल्लाह) है जिसने तुम्हारे लिए कान और आँखें और दिल पैदा किये (मगर) तुम लोग हो ही बहुत कम शुक्र करने वाले।
  10. व हुवल्लज़ीज़-र अकुम् फ़िल्अर्ज़ि व इलैहि तुह्शरून
    और वह वही (अल्लाह) है जिसने तुम को रुए ज़मीन में (हर तरफ़) फैला दिया और फिर (एक दिन) सब के सब उसी के सामने इकट्ठे किये जाओगे।
  11. व हुवल्लज़ी युह़्यी व युमीतु व लहुख्तिलाफुल – लैलि वन्नहारि, अ – फ़ला तअ्किलून
    और वही वह (अल्लाह) है जो जिलाता और मारता है कि और रात दिन का फेर बदल भी उसी के एख़्तियार में है तो क्या तुम (इतना भी) नहीं समझते।
  12. बल् कालू मिस् – ल मा कालल् – अव्वलून
    (इन बातों को समझें ख़ाक नहीं) बल्कि जो अगले लोग कहते आए वैसी ही बात ये भी कहने लगे।
  13. कालू अ – इज़ा मित्ना व कुन्ना तुराबंव् – व अिज़ामन् अ- इन्ना लमब् अूसून 
    कि जब हम मर जाएँगें और (मरकर) मिट्टी (का ढ़ेर) और हड्डियाँ हो जाएँगें तो क्या हम फिर दोबारा (क्रबों से जि़न्दा करके) निकाले जाएँगे।
  14. ल – क़द् वुअिदना नह्नु व आबाउना हाज़ा मिन् क़ब्लु इन् हाजा इल्ला असातीरूल – अव्वलीन
    इसका वायदा तो हमसे और हमसे पहले हमारे बाप दादाओं से भी (बार हा) किया जा चुका है ये तो बस सिर्फ़ अगले लोगों के ढकोसले हैं।
  15. कुल लि-मनिल् अर्जु व मन् फ़ीहा इन् कुन्तुम् तअ्लमून
    (ऐ रसूल) तुम कह दो कि भला अगर तुम लोग कुछ जानते हो (तो बताओ) ये ज़मीन और जो लोग इसमें हैं किस के हैं वह फ़ौरन जवाब देगें अल्लाह के।
  16. स- यकूलू – न लिल्लाहि, कुल अ- फ़ला तज़क्करून 
    तुम कह दो कि तो क्या तुम अब भी ग़ौर न करोगे।
  17. कुल मर्रब्बुस्समावातिस्- सब्अि व रब्बुल्-अ़र्शिल-अ़ज़ीम
    (ऐ रसूल!) तुम उनसे पूछो तो कि सातों आसमानों का मालिक और (इतने) बड़े अर्श का मालिक कौन है तो फ़ौरन जवाब देगें कि (सब कुछ) अल्लाह ही का है।
  18. स- यकूलू – न लिल्लाहि, कुल अ फ़ला तत्तकून
    अब तुम कहो तो क्या तुम अब भी (उससे) नहीं डरोगे।
  19. कुल मम् – बि- यदिही म – लकूतु कुल्लि शैइंव्व हु – व युजीरू व ला युजारू अ़लैहि इन् कुन्तुम् तअ्लमून
    (ऐ रसूल!) तुम उनसे पूछो कि भला अगर तुम कुछ जानते हो (तो बताओ) कि वह कौन शख़्स है- जिसके एख़्तेयार में हर चीज़ की बादशाहत है वह (जिसे चाहता है) पनाह देता है और उस (के अज़ाब) से पनाह नहीं दी जा सकती।
  20. स- यकूलू – न लिल्लाहि, कुल फ़-अन्ना तुस्हरून
    तो ये लोग फ़ौरन बोल उठेंगे कि (सब एख़्तेयार) अल्लाह ही को है- अब तुम कह दो कि तुम पर जादू कहाँ किया जाता है।
  21. बल् अतैनाहुम् बिल्हक्कि व इन्नहुम् लकाज़िबून
    बात ये है कि हमने उनके पास हक़ बात पहुँचा दी और ये लोग यक़ीनन झूठे हैं।
  22. मत्त – ख़ज़ल्लाहु मिंव्व – लदिंव् व मा का-न म-अ़हू मिन् इलाहिन् इज़ल् ल-ज़-ह-ब कुल्लु इलाहिम् – बिमा ख़-ल-क़ व ल – अ़ला बअ्जुहुम् अ़ला बअ्जिन, सुब्हानल्लाहि अ़म्मा यसिफून
    न तो अल्लाह ने किसी को (अपना) बेटा बनाया है और न उसके साथ कोई और अल्लाह है (अगर ऐसा होता) उस वक़्त हर अल्लाह अपने अपने मख़लूक़ को लिए लिए फिरता और यक़ीनन एक दूसरे पर चढ़ाई करता।
  23. आ़लिमिल्-ग़ैबि वश्शहा दति फ़ तआ़ला अ़म्मा युश्रिकून * 
    (और ख़ूब जंग होती) जो जो बाते ये लोग (अल्लाह की निस्बत) बयान करते हैं उस से अल्लाह पाक व पाकीज़ा है वह पोशीदा और हाजि़र (सबसे) अल्लाह वाकि़फ है ग़रज़ वह उनके शिर्क से (बिल्कुल पाक और) बालातर है।

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