27 सूरह अन नम्ल हिंदी में पेज 4

सूरह अन नम्ल हिंदी में | Surat An-Naml in Hindi

  1. व इन्-न रब्ब-क लजू फ़ज्लिन् अ़लन्नासि व लाकिन् – न अक्स-रहुम् ला यश्कुरून
    और इसमें तो शक ही नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार लोगों पर बड़ा फज़ल व करम करने वाला है मगर बहुतेरे लोग (उसका) शक्र नहीं करते।
  2. व इन्-न रब्ब-क ल-यअ्लमु मा तुकिन्नु सुदूरुहुम् व मा युअ्लिनून
    और इसमें तो शक नहीं जो बातें उनके दिलों में पोशीदा हैं और जो कुछ ये एलानिया करते हैं तुम्हारा परवरदिगार यक़ीनी जानता है।
  3. व मा मिन् गाइ-बतिन् फिस्समा इ वलअर्ज़ि इल्ला फी किताबिम्-मुबीन
    और आसमान व ज़मीन में कोई ऐसी बात पोशीदा नहीं जो वाज़ेए व रौशन किताब (लौहे महफूज़) में (लिखी) मौजूद न हो।
  4. इन्-न हाज़ल्-कुरआ-न यकुस्सु अ़ला बनी इस्राई-ल अक्स- रल्लज़ी हुम् फीहि यख़्तलिफून
    इसमें भी शक नहीं कि ये क़ुरआन बनी इसराइल पर उनकी अक्सर बातों को जिन में ये इख़्तेलाफ़ करते हैं ज़ाहिर कर देता है।
  5. व इन्नहू ल-हुदंव्-व रह़्मतुल लिल्-मुअ्मिनीन
    और इसमें भी शक नहीं कि ये कु़रआन इमानदारों के वास्ते अज़सरतापा हिदायत व रहमत है।
  6. इन्-न रब्ब-क यक़्ज़ी बैनहुम बिहुक्मिही व हुवल् अ़ज़ीज़ुल-अ़लीम
    (ऐ रसूल) बेशक तुम्हारा परवरदिगार अपने हुक्म से उनके आपस (के झगड़ों) का फैसला कर देगा और वह (सब पर) ग़ालिब और वाकि़फकार है।
  7. फ़-तवक्कल् अ़लल्लाहि, इन्न-क अ़लल्-हक्किल्-मुबीन
    तो (ऐ रसूल) तुम अल्लाह पर भरोसा रखो बेशक तुम यक़ीनी सरीही हक़ पर हो।
  8. इन्न-क ला तुस्मिअुल्मौता व ला तुस्मिअुस् – सुम्मद्दुआ – अ इज़ा वल्लौ मुदबिरीन
    बेशक न तो तुम मुर्दों को (अपनी बात) सुना सकते हो और न बहरों को अपनी आवाज़ सुना सकते हो (ख़ासकर) जब वह पीठ फेर कर भाग ख़डें हो।
  9. व मा अन् त बिहादिल्-अुम्यि अ़न् ज़लालतिहिम्, इन् तुस्मिअु इल्ला मंय्युअ्मिनु बिआयातिना फ़हुम् मुस्लिमून
    और न तुम अँधें को उनकी गुमराही से राह पर ला सकते हो तुम तो बस उन्हीं लोगों को (अपनी बात) सुना सकते हो जो हमारी आयतों पर इमान रखते हैं।
  10. व इजा व-क़अल्-क़ौलु अ़लैहिम् अख़रज्ना लहुम् दाब्बतम् मिनलअर्जि तुकल्लिमुहुम् अन्नन्ना-स कानू बिआयातिना ला यूकिनून*
    फिर वही लोग तो मानने वाले भी हैं जब उन लोगों पर (क़यामत का) वायदा पूरा होगा तो हम उनके वास्ते ज़मीन से एक चलने वाला निकाल खड़ा करेंगे जो उनसे ये बाते करेंगा कि (फलां फलां) लोग हमारी आयतो का यक़ीन नहीं रखते थे।
  11. व यौ-म नह्शुरु मिन् कुल्लि उम्मतिन् फ़ौजम् मिम्मंय्युकज़्ज़िबु बिआयातिना फ़हुम् यू-ज़अून
    और (उस दिन को याद करो) जिस दिन हम हर उम्मत से एक ऐसे गिरोह को जो हमारी आयतों को झुठलाया करते थे (जि़न्दा करके) जमा करेंगे फिर उन की टोलियाँ अलहदा अलहदा करेंगे।
  12. हत्ता इज़ा जाऊ क़ा-ल अ-कज़्ज़ब्तुम् बिआयाती व लम् तुहीतू बिहा अिल्मन् अम्-मा ज़ा कुन्तुम् तअ्मलून
    यहाँ तक कि जब वह सब (अल्लाह के सामने) आएँगें और अल्लाह उनसे कहेगा क्या तुम ने हमारी आयतों को बगैर अच्छी तरह समझे बूझे झुठलाया-भला तुम क्या क्या करते थे और चूँकि ये लोग ज़ुल्म किया करते थे।
  13. व व-क़अ़ल्-क़ौलु अ़लैहिम् बिमा ज़-लमू फ़हुम् ला यन्तिकून
    इन पर (अज़ाब का) वायदा पूरा हो गया फिर ये लोग कुछ बोल भी तो न सकेंगें।
  14. अलम् यरौ अन्ना ज-अ़ल्नल्लै-ल लियस्कुनू फ़ीहि वन्नहा-र मुब्सिरन्, इन्-न फ़ी ज़ालि-क लआयातिल् लिकौमिंय्-युअमिनून
    क्या इन लोगों ने ये भी न देखा कि हमने रात को इसलिए बनाया कि ये लोग इसमे चैन करें और दिन को रौशन (ताकि देखभाल करे) बेशक इसमें इमान लाने वालों के लिए (कु़दरते अल्लाह की) बहुत सी निशानियाँ हैं।
  15. व यौ-म युन्फ़खु फिस्सूरि फ़-फ़ज़ि-अ़ मन् फिस्समावाति व मन् फ़िलअर्जि इल्ला मन् शा-अल्लाहु, व कुल्लुन् अतौहु दाख़िरीन
    और (उस दिन याद करो) जिस दिन सूर फूँका जाएगा तो जितने लोग आसमानों मे हैं और जितने लोग ज़मीन में हैं (ग़रज़ सब के सब) दहल जाएंगें मगर जिस शख़्स को अल्लाह चाहे (वो अलबत्ता मुतमइन रहेगा) और सब लोग उसकी बारगाह में जि़ल्लत व आजिज़ी की हालत में हाजि़र होगें।
  16. व तरल्-जिबा-ल तह्सबुहा जामि-दतंव्-व हि-य तमुर्रू मर्रस्सहाबि, सुन्-अ़ल्लाहिल्लज़ी अत्क-न कुल्-ल शैइन्, इन्नहू ख़बीरुम् बिमा तफ़अ़लून
    और तुम पहाड़ों को देखकर उन्हें मज़बूटत जमे हुए समझतें हो हालाकि ये (क़यामत के दिन) बादल की तरह उड़े उडे़ फिरेगें (ये भी) अल्लाह की कारीगरी है कि जिसने हर चीज़ को ख़ूब मज़बूत बनाया है बेशक जो कुछ तुम लोग करते हो उससे वह ख़ूब वाकि़फ़ है।
  17. मन् जा-अ बिल्ह-स-नति फ़-लहू खैरुम्-मिन्हा व हुम् मिन् फ़-ज़अिय्-यौमइजिन आमिनून
    जो शख़्स नेक काम करेगा उसके लिए उसकी जज़ा उससे कहीं बेहतर है ओर ये लोग उस दिन ख़ौफ व ख़तरे से महफूज़ रहेंगे।
  18. व मन् जा-अ बिस्सय्यि-अति फ़कुब्बत वुजूहुहुम् फ़िन्नारि, हल् तुज्ज़ौ-न इल्ला मा कुन्तुम् तअ्मलून
    और जो लोग बुरा काम करेंगे वह मुँह के बल जहन्नुम में झोक दिए जाएँगे (और उनसे कहा जाएगा कि) जो कुछ तुम (दुनिया में) करते थे बस उसी का जज़ा तुम्हें दी जाएगी। (ऐ रसूल उनसे कह दो कि) मुझे तो बस यही
  19. इन्नमा उमिरतु अन् अअ्बु-द रब् ब हाज़िहिल्-बल्दतिल्लज़ी हर्र-महा व लहू कुल्लु शैइंव्-व उमिरतु अन् अकू-न मिनल्-मुस्लिमीन
    हुक्म दिया गया है कि मै इस शहर (मक्का) के मालिक की इबादत करुँ जिसने उसे इज़्ज़त व हुरमत दी है और हर चीज़ उसकी है और मुझे ये हुक्म दिया गया कि मै (उसके) फरमाबरदार बन्दां में से हूँ।
  20. व अन् अत्लुवल्-कुरआ-न फ मनिह्तदा फ़- इन्नमा यह्तदी लिनफ्सिही व मन् ज़ल्ल फ़कुल इन्नमा अ-न मिनल् – मुन्ज़िरीन
    और ये कि मै क़ुरआन पढ़ा करुँ फिर जो शख़्स राह पर आया तो अपनी ज़ात के नफे़ के वास्ते राह पर आया और जो गुमराह हुआ तो तुम कह दो कि मै भी एक एक डराने वाला हूँ।
  21. व कुलिल्-हम्दु लिल्लाहि सयुरीकुम् आयातिही फ़-तअ्-रिफूनहा, व मा रब्बू-क बिग़ाफ़िलिन् अ़म्मा तअ्मलून*
    और तुम कह दो कि अल्हमदोलिल्लाह वह अनक़रीब तुम्हें (अपनी क़ुदरत की) निशानियाँ दिखा देगा तो तुम उन्हें पहचान लोगे और जो कुछ तुम करते हो तुम्हारा परवरदिगार उससे ग़ाफिल नहीं है।

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