26 सूरह अश शुअरा हिंदी में पेज 6

सूरह अश शुअरा हिंदी में | Surat Ash-Shuara in Hindi

  1. फ़त्तकुल्ला – ह व अतीअून
    तो ख़ुदा से डरो और मेरी इताअत करो (126)
  2. व मा अस् अ़लुकुम् अ़लैहि मिन् अज्रिन् इन् अज्रि – य इल्ला अ़ला रब्बिल् आ़लमीन
    मै तो तुम से इस (तबलीग़े़ रिसालत) पर कुछ मज़दूरी भी नहीं माँगता मेरी उजरत तो बस सारी ख़ुदायी के पालने वाले (ख़ुदा) पर है (127)
  3. अ-तबनू – न बिकुल्लि रीअिन् आ-यतन् तअ्-बसून
    तो क्या तुम ऊँची जगह पर बेकार यादगारे बनाते फिरते हो (128)
  4. व तत्तखिजू – न मसानि – अ़ लअ़ल्लकुम् तख़्लुदून
    और बड़े बड़े महल तामीर करते हो गोया तुम हमेशा (यहीं) रहोगे (129)
  5. व इज़ा ब – तश्तुम् ब – तश्तुम् जब्बारीन
    और जब तुम (किसी पर) हाथ डालते हो तो सरकशी से हाथ डालते हो (130)
  6. फ़त्तकुल्ला-ह व अतीअून
    तो तुम ख़ुदा से डरो और मेरी इताअत करो (131)
  7. वत्तकुल्लज़ी अ – मद्दकुम् बिमा तअ्लमून
    और उस शख़्स से डरो जिसने तुम्हारी उन चीज़ों से मदद की जिन्हें तुम खू़ब जानते हो (132)
  8. अ – मद्दकुम बिअन् आ़मिंव् – व बनीन
    अच्छा सुनो उसने तुम्हारे चार पायों और लड़के बालों वग़ैरह और चष्मों से मदद की (133)
  9. व जन्नातिंव् – व अुयून
    मै तो यक़ीनन तुम पर (134)
  10. इन्नी अख़ाफु अ़लैकुम् अ़ज़ा-ब यौमिन् अ़ज़ीम
    एक बड़े (सख़्त) रोज़ के अज़ाब से डरता हूँ (135)
  11. इन्नी अख़ाफु अ़लैकुम् अ़ज़ा-ब यौमिन् अ़ज़ीम
    वह लोग कहने लगे ख्वाह तुम नसीहत करो या न नसीहत करो हमारे वास्ते (सब) बराबर है (136)
  12. इन् हाज़ा इल्ला खुलुकुल अव्वलीन
    ये (डराना) तो बस अगले लोगों की आदत है (137)
  13. व मा नह्नु बिमु अ़ज़्ज़बीन
    हालाँकि हम पर अज़ाब (वग़ैरह अब) किया नहीं जाएगा (138)
  14. फ़- कज़्ज़बूहु फ़-अह़्लक्नाहुम्, इन्- न फ़ी ज़ालि – क लआ – यतन्, व मा का- न अक्सरुहुम् मुअ्मिनीन
    ग़रज़ उन लोगों ने हूद को झुठला दिया तो हमने भी उनको हलाक कर डाला बेशक इस वाकि़ये में यक़ीनी एक बड़ी इबरत है आर उनमें से बहुतेरे इमान लाने वाले भी न थे (139)
  15. व इन् – न रब्ब – क लहुवल अ़ज़ीजुर्रहीम *
    और इसमें शक नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार यक़ीनन (सब पर) ग़ालिब (और) बड़ा मेहरबान है (140)
  16. कज्ज – बत् समूदुल मुर्सलीन
    (इसी तरह क़ौम) समूद ने पैग़म्बरों को झुठलाया (141)
  17. इज् का – ल लहुम् अखूहुम् सालिहुन् अला तत्तकून
    जब उनके भाई सालेह ने उनसे कहा कि तुम (ख़ुदा से) क्यो नहीं डरते (142)
  18. इज् का – ल लहुम् अखूहुम् सालिहुन् अला तत्तकून
    मैं तो यक़ीनन तुम्हारा अमानतदार पैग़म्बर हूँ (143)
  19. फत्तकुल्ला – ह व अतीअून
    तो खु़दा से डरो और मेरी इताअत करो (144)
  20. व मा अस्अलुकुम अ़लैहिमिन् अज्रिन इन् अज्रि – य इल्ला अ़ला रब्बिल् -आ़लमीन
    और मै तो तुमसे इस (तबलीगे़ रिसालत) पर कुछ मज़दूरी भी नहीं माँगता- मेरी मज़दूरी तो बस सारी ख़ुदाई के पालने वाले (ख़ुदा पर है) (145)
  21. अ – तुत्रकू – न फ़ी मा हाहुना आमिनीन
    क्या जो चीजे़ं यहाँ (दुनिया में) मौजूद है (146)
  22. फ़ी जन्नातिंव व अुयून
    बाग़ और चष्मे और खेतिया और छुहारे जिनकी कलियाँ लतीफ़ व नाज़ुक होती है (147)
  23. व जुरूअिव् व नख्लिन् तल् अुहा हज़ीम
    उन्हीं मे तुम लोग इतमिनान से (हमेशा के लिए) छोड़ दिए जाओगे (148)
  24. व तन्हितू – न मिनल्- जिबालि बुयूतन् फ़ारिहीन
    और (इस वजह से) पूरी महारत और तकलीफ़ के साथ पहाड़ों को काट काट कर घर बनाते हो (149)
  25. फ़त्तकुल्ला – ह व अतीअून
    तो ख़ुदा से डरो और मेरी इताअत करो (150)

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