04 सूरह अन-निसा हिंदी में पेज 2

सूरह अन-निसा हिंदी में | Surah An-Nisa in Hindi

  1. व कै-फ़ तअ्ख़ुज़ूनहू व क़द् अफ्ज़ा बअ्ज़ुकुम् इला बअ्जिंव-व अख़ज़्-न मिन्कुम् मीसाकन् ग़लीज़ा
    और क्या तुम उसको (वापस लोगे हालाँकि तुममें से) एक दूसरे के साथ खिलवत कर चुका है और बीवियां तुमसे (विवाह के समय) पक्का वचन ले चुकी हैं।
  2. व ला तन्किहू मा न-क-ह आबाउकुम् मिनन्निसा-इ इल्ला मा क़द् स-ल-फ, इन्नहू का-न फ़ाहि-शतंव् व मक़्तन्, व सा-अ सबीला*
    और जिन औरतों से तुम्हारे बाप दादाओं ने निकाह/ज़िना किया हो तुम उनसे निकाह न करो मगर जो हो चुका (वह तो हो चुका) वह अश्लील और अत्यन्त अप्रिय कर्म और बहुत बुरा तरीक़ा था।
  3. हुर्रिमत् अलैकुम् उम्महातुकुम् व बनातुकुम् व अ- ख़वातुकुम् व अम्मातुकुम् व ख़ालातुकुम् व बनातुल- अखि व बनातुल्-उख़्ति व उम्महातु-कुमुल्लाती अर्ज़अ्नकुम् व अ-ख़वातुकुम् मिनर्रज़ा-अति व उम्महातु निसा-इकु म् व रबा-इबुकुमुल्लाती फ़ी हुजूरिकुम् मिन्निसा इकुमुल्लाती दख़ल्तुम् बिहिन्-न, फ़-इल्लम् तकूनू दख़ल्तुम बिहिन्-न फ़ला जुना-ह अलैकुम्, व हला-इलु अब्ना-इकुमुल्लज़ी-न मिन् अस्लाबिकुम्, व अन् तज्मअू बनल-उख़्तैनि इल्ला मा क़द् स-ल-फ़, इन्नल्ला-ह का-न ग़फूरर्रहीमा
    (मुसलमानों!) तुम पर ह़राम (अवैध) कर दी गयी हैं; तुम्हारी माएं (दादी, नानी वगै़रह सब) और तुम्हारी बेटियाँ (पोतियाँ) नवासियाँ (वगै़रह) और तुम्हारी बहनें और तुम्हारी फुफियाँ और तुम्हारी ख़ालाएं और भतीजियाँ और भंजियाँ और तुम्हारी वह माएं जिन्होंने तुमको दूध पिलाया है और तुम्हारी दूध के रिश्ते से तुम्हारी बहनें और तुम्हारी बीवीयों की माँए और तुम्हारी पत्नियों की बेटियाँ जो दूसरे पति से हों जो तुम्हारी गोद में परवरिश पा चुकी हो और उन औरतों (के पेट) से (पैदा हुयी) हैं जिनसे तुम हमबिस्तरी कर चुके हो हाँ अगर तुमने उन बीवियों से (सिर्फ निकाह किया हो) हमबिस्तरी न की तो अलबत्ता उन (लड़कियों से) निकाह (करने में) तुम पर कुछ गुनाह नहीं है और तुम्हारे पोतों नवासों वगै़रह की बीवियाँ (बहुए) और दो बहनों से एक साथ निकाह करना जायज नहीं, मगर जो हो चुका (वह माफ़ है) बेशक अल्लाह बड़ा बख़्शने वाला मेहरबान है। (पारा 4 समाप्त)

पारा 5 शुरू

  1. वल-मुह़्सनातु मिनन्निसा-इ इल्ला मा म-लकत् ऐमानुकुम्, किताबल्लाहि अलैकुम्, व उहिल्-ल लकुम् मा वरा-अ ज़ालिकुम् अन् तब्तग़ू बिअम्वालिकुम् मुह़्सिनी-न ग़ै-र मुसाफ़िही-न, फ़मस् तम्त अ्तुम् बिही मिन्हुन्-न फ़आतूहुन्-न उजूरहुन्-न फ़री ज़तन्, व ला जुना-ह अलैकुम् फ़ीमा-तराज़ैतुम् बिही मिम्- बअ्दिल फ़री-ज़ति, इन्नल्ला-ह का-न अलीमन् हकीमा
    और शादीशुदा औरतें मगर वह औरतें जो (जिहाद में कुफ़्फ़ार से) तुम्हारे कब्ज़े में आ जाएं हराम नहीं (ये) अल्लाह का तहरीरी हुक्म (है जो) तुमपर (फ़र्ज़ किया गया) है। और उन औरतों के सिवा (और औरतें) तुम्हारे लिए जायज़ हैं बशर्ते कि बदकारी व जि़ना नहीं बल्कि तुम इफ़्फ़त व पाकदामिनी की ग़रज़ से अपने माल (व मेहर) के बदले (निकाह करना) चाहो। हाँ जिन औरतों से तुमने मुताअ किया हो तो उन्हें जो मेहर निर्धारित किया है दे दो और मेहर के मुक़र्रर होने के बाद अगर आपस में (कमों पर) राज़ी हो जाओ तो उसमें तुमपर कुछ गुनाह नहीं है। निस्संदेह अल्लाह सब कुछ जाननेवाला, तत्वदर्शी है।
  2. व मल्लम् यस्ततिअ् मिन्कुम तौलन् अय्यन् किहल् मुह़्सनातिल्-मुअ्मिनाति फ-मिम्मा म-लकत् ऐमानुकुम् मिन् फ़-तयातिकुमुल् मुअ्मिनाति, वल्लाहु अअ्लमु बिईमानिकुम, बअ् ज़ुकुम् मिम्-बअ्ज़िन, फ़न्किहू हुन्-न बि-इज़्नि अह़्लिहिन्-न व आतूहुन्-न उजूरहुन्-न बिल्मअ्-रूफ़ि मुह्सनातिन् ग़ै-र मुसाफ़िहातिंव्वला मुत्तख़िज़ाति अख़्दानिन्, फ़-इज़ा उह़्सिन्-न फ़-इन् अतै-न बिफाहि-शतिन् फ़- अलैहिन्-न निस्फु मा अलल् मुह्सनाति मिनल-अज़ाबि, ज़ालि-क लिमन् ख़शियल अ-न-त मिन्कुम्, व अन् तस्बिरू ख़ैरुल्लकुम्, वल्लाहु ग़फूरुर्रहीम *
    और तुममें से जो शख़्स आज़ाद इफ़्फ़तदार औरतों से निकाह करने की माली हैसियत से क़ुदरत न रखता हो तो वह तुम्हारी उन मोमिना लौन्डियों से जो तुम्हारे कब्ज़े में हैं निकाह कर सकता है और अल्लाह तुम्हारे ईमान से ख़ूब वाकिफ़ है (ईमान की हैसियत से तो) तुममें एक दूसरे का हमजिन्स है बस उनके मालिकों की इजाज़त से लौन्डियों से निकाह करो और उनका मेहर हुस्ने सुलूक से दे दो मगर उन्हीं (लौन्डियो) से निकाह करो जो इफ़्फ़त के साथ तुम्हारी पाबन्द रहें न तो खुले आम ज़िना करना चाहें और न चोरी छिपे से आशनाई फिर जब तुम्हारी पाबन्द हो चुकी उसके बाद कोई बदकारी करे तो जो सज़ा आज़ाद बीवियों को दी जाती है उसकी आधी (सज़ा) लौन्डियों को दी जाएगी (और लौन्डियों) से निकाह कर भी सकता है तो वह शख़्स जिसको ज़िना में मुब्तिला हो जाने का ख़ौफ़ हो और सब्र करे तो तुम्हारे हक़ में ज़्यादा बेहतर है और अल्लाह बख़्शने वाला मेहरबान है।
  3. युरीदुल्लाहु लि-युबय्यि-न लकुम् व यह्दि-यकुम् सु-ननल्लज़ी-न मिन् क़ब्लिकुम् व यतू-ब अलैकुम्, वल्लाहु अलीमुन् हकीम
    अल्लाह तो ये चाहता है कि (अपने) एहकाम तुम लोगों से साफ़ साफ़ बयान कर दे और जो (अच्छे) लोग तुमसे पहले गुज़र चुके हैं उनके तरीक़े पर चला दे और तुम्हारी तौबा कु़बूल करे और अल्लाह तो (हर चीज़ से) वाकिफ़ और हिकमत वाला है।
  4. वल्लाहु युरीदु अंय्यतू-ब अलैकुम्, वयुरीदुल्लज़ी-न यत्तबिअूनश्श हवाति अन् तमीलू मैलन् अज़ीमा
    और अल्लाह तो चाहता है कि तुम्हारी तौबा क़ुबूलकरे और जो लोग नफ़सियानी ख़्वाहिश के पीछे पड़े हैं वह ये चाहते हैं कि तुम लोग (राहे हक़ से) बहुत दूर हट जाओ।
  5. युरीदुल्लाहु अंय्युख़फ्फि-फ अन्कुम्, व ख़ुलिक़ल् – इन्सानु ज़ईफा
    और अल्लाह चाहता है कि तुमपर से बोझ हलका कर दे, क्योंकि आदमी तो बहुत कमज़ोर पैदा किया गया है।
  6. या अय्युहल्लज़ी-न आमनू ला तअ्कुलू अम्वालकुम् बैनकुम् बिल्बातिलि इल्ला अन् तकू-न तिजा-रतन् अन् तराज़िम् मिन्कुम्, व ला तक़्तुलू अन्फु-सकुम्, इन्नल्ला-ह का-न बिकुम रहीमा
    ए ईमानवालों! आपस में एक दूसरे का धन अवैध रूप से न खा जाया करो लेकिन (हाँ) तुम लोगों की आपस की स्वीकृति से कोई सौदा हो (और उसमें एक दूसरे का माल हो तो हरज नहीं) और आत्म हत्या न करो, (क्योंकि) अल्लाह तो ज़रूर तुम्हारे हाल पर मेहरबान है।
  7. व मंय्यफ्अल ज़ालि-क अुद्-वानंव-व ज़ुल्मन् फ़सौ-फ़ नुस्लीहि नारन्, व का-न ज़ालि-क अलल्लाहि यसीरा
    और जो शख़्स ज़ुल्म और ज़्यादती से ऐसा करेगा (ख़ुदकुशी करेगा) तो (याद रहे कि) हम बहुत जल्द उसको जहन्नुम की आग में झोंक देंगे यह अल्लाह के लिये आसान है।
  8. इन् तज्तनिबू कबा-इ-र मा तुन्हौ-न अन्हु नुकफ्फिर अन्कुम् सय्यि आतिकुम् व नुद्खिल्कुम् मुद्-ख़लन् करीमा
    जिन कामों की तुम्हें मनाही की जाती है अगर उनमें से तुम बड़े गुनाहों से बचते रहे तो हम तुम्हारे लिए तुम्हारे दोषों को क्षमा कर देंगे और तुमको बहुत अच्छी इज़्ज़त की जगह पहुँचा देंगे।
  9. व ला त-तमन्नौ मा फज़्जलल्लाहु बिही बअ्ज़कुम् अला बअ्ज़िन्, लिर्रिजालि नसीबुम् मिम्-मक्त-सबू, व लिन्निसा-इ नसीबुम् मिम्-मक्त-सब्-न, वस्अलुल्ला- ह मिन् फ़ज्लिही, इन्नल्ला- ह का-न बिकुल्लि शैइन् अलीमा
    और अल्लाह ने जो तुममें से एक दूसरे पर तरजीह दी है उसकी हवस न करो (क्योंकि फ़ज़ीलत तो आमाल से है) मर्दो को अपने किए का हिस्सा है और औरतों को अपने किए का हिस्सा और ये और बात है कि तुम अल्लाह से उसके फज़ल व करम की ख़्वाहिश करो अल्लाह तो हर चीज़े से वाकि़फ़ है।
  10. व लिकुल्लिन् जअल्ना मवालि-य मिम्मा त-रकल्- वालिदानि वल-अक़्रबू-न, वल्लज़ी-न अ-क़दत् ऐमानुकुम् फ़-आतूहुम् नसीबहुम्, इन्नल्ला-ह का-न अला कुल्लि शैइन् शहीदा *
    और प्रत्येक माल के लिए, जो माँ-बाप और नातेदार छोड़ जाएँ, हमने वारिस ठहरा दिए हैं और जिन लोगों से अपनी क़समों के द्वारा तुम्हारा पक्का मामला हुआ हो, तो उन्हें भी उनका हिस्सा दो। बेशक अल्लाह तो हर चीज़ पर गवाह है।
  11. अर्रिजालु क़व्वामू-न अलन्निसा-इ बिमा फज़्ज़लल्लाहु बअ्ज़हुम् अला बअ्जिंव् व बिमा अन्फक़ू मिन् अम्वालिहिम्, फ़स्सालिहातु क़ानितातुन् हाफ़िज़ातुल्-लिल् ग़ैबि बिमा हफ़िज़ल्लाहु, वल्लाती तख़ाफू-न नुशूज़हुन्-न फ-अिज़ूहुन-न वह़्जुरुहुन्न फिल्मज़ाजिअि वज़्रिब्रूहुन्-न, फ इन् अ-तअ्नकुम् फला तब्ग़ू अलैहिन्-न सबीलन्, इन्नल्ला-ह का-न अलिय्यन् कबीरा
    पति पत्नियों के संरक्षक और निगराँ हैं, क्योंकि अल्लाह ने मर्द को औरत पर प्रधानता दी है औेर (इसके अलावा) चूकी मर्दो ने औरतों पर अपना माल ख़र्च किया है तो नेक पत्नियाँ तो आज्ञापालन करनेवाली होती हैं (और) उनके पीठ पीछे जिस तरह अल्लाह ने हिफ़ाज़त की वह भी (हर चीज़ की) हिफ़ाज़त करती है और वह औरतें जिनके नाफरमान सरकश होने का तुम्हें अन्देशा हो तो पहले उन्हें समझाओ और (उसपर न माने तो) तुम उनके साथ सोना छोड़ दो और (इससे भी न माने तो) मारो मगर इतना कि खू़न न निकले और कोई अज़ो न (टूटे) फिर यदि वे तुम्हारी बात मानें, तो तुम भी उनके नुक़सान की राह न ढूढो, अल्लाह तो ज़रूर सबसे बरतर बुजु़र्ग है।
  12. व इन् ख़िफ्तुम् शिक़ा-क़ बैनिहिमा फ़ब्-असू ह-कमम् मिन् अह़्लिही व ह-कमम् मिन् अह़्लिहा, इंय्युरीदा इस्लाहंय्युवफ्फ़िक़िल्लाहु बैनहुमा, इन्नल्ला-ह का-न अलीमन् ख़बीरा
    और यदि तुम्हें पति-पत्नी के बीच बिगाड़ का भय हो, तो एक फ़ैसला करनेवाला पुरुष के लोगों में से और एक फ़ैसला करनेवाला स्त्री के लोगों में से नियुक्त करो, यदि वे दोनों सुधार करना चाहेंगे, तो अल्लाह उनके बीच अनुकूलता पैदा कर देगा। अल्लाह तो बेशक वाकि़फ व ख़बरदार है।
  13. वअ्बुदुल्ला-ह व ला तुश्रिकू बिही शैअंव्-व बिल्-वालिदैनि इह़्सानंव्-व बि-ज़िल्कुरबा वल्यतामा वल्मसाकीनि वल्जारि ज़िल्क़ुरबा वल्जारिल-जुनुबि वस्साहिबि बिल ज़म्बि वब्निस्सबीलि, व मा म-लकत् ऐमानुकुम्, इन्नल्ला-ह ला युहिब्बु मन् का-न मुख़्तालन् फ़खूरा
    और अल्लाह ही की इबादत करो और किसी को उसका साझी न बनाओ। और माँ बाप और नातेदारों और अनाथों और निर्धनों और रिश्तेदारों पड़ोसियों और अजनबी पड़ोसियों और साथ रहनेवाले व्यक्ति के साथ और पड़ोसियों और अपने दास दासियों के साथ उपकार करो। बेशक अल्लाह अकड़ के चलने वालों और शेख़ीबाज़ों को दोस्त नहीं रखता।
  14. अल्लज़ी-न यब्ख़लू-न व यअ्मुरूनन्-ना-स बिल् -बुख़्लि व यक्तुमू-न मा आताहुमुल्लाहु मिन् फज़्लिही, व अअ्तद्ना लिल्काफ़िरी-न अज़ाबम्-मुहीना
    ये वह लोग हैं जो ख़ुद तो कंजूसी करते ही हैं और लोगों को भी कंजूसी का आदेश देते हैं और जो माल अल्लाह ने अपनी दया से उन्हें दिया है उसे छिपाते हैं और तो हमने अकृतज्ञ लोगों के लिए अपमानजनक यातना तैयार कर रखी है।
  15. वल्लज़ी-न युन्फ़िक़ू-न अम्वालहुम् रिआअन्नासि वला युअ्मिनू-न बिल्लाहि वला बिल् यौमिल्-आख़िरि, व मंय्यकुनिश्शैतानु लहू क़रीनन् फ़सा-अ क़रीना
    और जो लोग महज़ लोगों को दिखाने के लिए अपना धन ख़र्च करते हैं और न अल्लाह ही पर ईमान रखते हैं और न अंतिम दिन (प्रलय) पर अल्लाह भी उनके साथ नहीं क्योंकि उनका साथी तो शैतान है और जिसका साथी शैतान हो तो क्या ही बुरा साथी है।
  16. व माज़ा अलैहिम् लौ आमनू बिल्लाहि वल्यौमिल्- आख़िरि व अन्फक़ू मिम्मा र-ज़-क-हुमुल्लाहु, व कानल्लाहु बिहिम् अलीमा
    अगर ये लोग अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान लाते और जो कुछ अल्लाह ने उन्हें दिया है उसमें से राहे अल्लाह में ख़र्च करते तो उन पर क्या आफ़त आ जाती और अल्लाह उन्हें भली-भाँति जानता है।
  17. इन्नल्ला-ह ला यज़्लिमु मिस्क़ा-ल ज़र्रतिन्, व इन् तकु ह-स-नतंय्युज़ाअिफ्हा व युअ्ति मिल्लदुन्हु अज्रन् अ़ज़ीमा
    अल्लाह तो हरगिज़ रत्ती-भर भी ज़ुल्म नहीं करता बल्कि अगर ज़र्रा बराबर भी किसी की कोई नेकी हो तो उसको दूना करता है और अपने पास से बड़ा प्रतिफल प्रदान करता है।

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