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Toggleसूरह अर रूम हिंदी में | Surat Ar-Rum in Hindi
- ज़-हरल-फ़सादु फिल्-बर्रि वल-बहरि बिमा क-सबत् ऐदिन्नासि लियुज़ी-क़हुम् बअ्ज़ल्लज़ी-अ़मिलू, लअ़ल्लहुम् यर्जिअून
वह उससे पाक व पाकीज़ा और बरतर है ख़़ुद लोगों ही के अपने हाथों की कारस्तानियों की बदौलत ख़ुश्क व तर में फ़साद फैल गया ताकि जो कुछ ये लोग कर चुके हैं अल्लाह उन को उनमें से बाज़ करतूतों का मज़ा चखा दे ताकि ये लोग अब भी बाज़ आएँ। - कुल सीरू फ़िलअर्ज़ि फ़न्जुरू कै-फ़ का-न आकि-बतुल्लज़ी न मिन् क़ब्लु, का-न अक्सरुहुम् मुश्रिकीन
(ऐ रसूल!) तुम कह दो कि ज़रा रुए ज़मीन पर चल फिरकर देखो तो कि जो लोग उसके क़ब्ल गुज़र गए उनके (अफ़आल) का अंजाम क्या हुआ उनमें से बहुतेरे तो मुशरिक ही हैं। - फ़- अकिम् वज्ह – क लिद्दीनिल् – क़य्यिमि मिन् क़ब्लि अंय्यअ्ति-य यौमुल ला मरद् – द लहू मिनल्लाहि यौमइजिंय् – यस्सद्दअून
तो (ऐ रसूल!) तुम उस दिन के आने से पहले जो अल्लाह की तरफ़ से आकर रहेगा (और) कोई उसे रोक नहीं सकता अपना रुख़ मज़बूत (और सीधे दीन की तरफ़ किए रहो उस दिन लोग (परेशान होकर) अलग अलग हो जाएँगें। - मन् क- फ़ – रफ़ – अ़लैहि कुफ्रुहू व मन अ़मि – ल सालि हन् फ़लिअन्फुसिहिम् यम्हदून
जो काफि़र बन बैठा उस पर उस के कुफ़्र का वबाल है और जिन्होने अच्छे काम किए वह अपने ही आसाइश का सामान कर रहें है। - लि यज्ज़ि-यल्लज़ी-न आमनू व अमिलुस्-सालिहाति मिन् फ़ज्लिही, इन्नहू ला युहिब्बुल्-काफ़िरीन
ताकि जो लोग ईमान लाए और अच्छे अच्छे काम किए उनको अल्लाह अपने फज़ल व (करम) से अच्छी जज़ा अता करेगा वह यक़ीनन कुफ़्फ़ार से उलफ़त नहीं रखता। - व मिन् आयातिही अंय्युरसिलर्-रिया-ह मुबश्शिरातिंव्-व लियुज़ी – क़कुम् मिर्रह्मतिही व लितज्रि-यल्फुल्कु बिअम्रिही व लितब्तगू मिन् फ़ज़्लिही व लअ़ल्लकुम् तश्कुरून
उसी की (क़ुदरत) की निशानियों में से एक ये भी है कि वह हवाओं को (बारिश) की ख़ुशख़बरी के वास्ते (क़ब्ल से) भेज दिया करता है और ताकि तुम्हें अपनी रहमत की लज़्ज़त चखाए और इसलिए भी कि (इसकी बदौलत) कष्तियाँ उसके हुक्म से चल खड़ी हो और ताकि तुम उसके फज़ल व करम से (अपनी रोज़ी) की तलाश करो और इसलिए भी ताकि तुम शुक्र करो। - व ल – क़द् अरसल्ना मिन् कब्लि-क रुसुलन् इला कौमिहिम् फ़जाऊहुम् बिल्बय्यिनाति फ़न्त-क़म्ना मिनल्लज़ी-न अज्-रमू, व का-न हक़्क़न् अलैना नसरुल् – मुअ्मिनीन
औ (ऐ रसूल!) हमने तुमसे पहले और भी बहुत से पैग़म्बर उनकी क़ौमों के पास भेजे तो वह पैग़म्बर वाज़ेए व रौशन मोजिज़े लेकर आए (मगर उन लोगों ने न माना) तो उन मुजरिमों से हमने (खू़ब) बदला लिया और हम पर तो मोमिनीन की मदद करना लाजि़म था ही। - अल्लाहुल्लज़ी युर्सिलुर् – रिया – ह फतुसीरु सहाबन् फ़ – यब्सुतुहू फिस्समा – इ कै – फ़ यशा- उ व यज् – अलुहू कि सफ़न् फ़ – तरल् – वद् – क यख़्रुजु मिन् खिलालिही फ़-इज़ा असा-ब बिही मंय्यशा-उ मिन् अिबादिही इज़ा हुम् यस्तबशिरून
अल्लाह ही (क़ादिर तवाना) है जो हवाओं को भेजता है तो वह बादलों को उड़ाए उड़ाए फिरती हैं फिर वही अल्लाह बादल को जिस तरह चाहता है आसमान में फैला देता है और (कभी) उसको टुकड़े (टुकड़े) कर देता है फिर तुम देखते हो कि बूँदियां उसके दरमियान से निकल पड़ती हैं फिर जब अल्लाह उन्हें अपने बन्दों में से जिस पर चहता है बरसा देता है तो वह लोग ख़ुशियाँ मनाने लगते हैं। - व इन कानू मिन् क़ब्लि अंय्युनज़्ज़-ल अ़लैहिम् मिन् क़ब्लिही लमुब्लिसीन
अगरचे ये लोग उन पर (बाराने रहमत) नाजि़ल होने से पहले (बारिश से) शुरु ही से बिल्कुल मायूस (और मज़बूर) थे। - फन्जुर् इला आसारि रह्मतिल्लाहि कै-फ़ युह़्यिल-अर्-ज़ बअ्-द मौतिहा, इन्- न ज़ालि-क लमुह्यिल् – मौता व हु-व अ़ला कुल्लि शैइन कदीर
ग़रज़ अल्लाह की रहमत के आसार की तरफ़ देखो तो कि वह क्योकर ज़मीन को उसकी परती होने के बाद आबाद करता है बेशक यक़ीनी वही मुर्दो केा जि़न्दा करने वाला और वही हर चीज़ पर क़ादिर है। - व ल-इन् अरसल्ना रीहन् फ़-रऔहु मुस्फ़र्रल् लज़ल्लू मिम् – बअ्दिही यक्फुरून
और अगर हम (खेती की नुकसान देह) हवा भेजें फिर लेाग खेती को (उसी हवा की वजह से) ज़र्द (परस मुर्दा) देखें तो वह लोग इसके बाद (फ़ौरन) नाशुक्री करने लगें। - फ़- इन्न- क ला तुस्मिअुल्-मौता व ला तुस्मिअुस्-सुम्मद्-दुआ-अ इज़ा वल्लौ मुदबिरीन
(ऐ रसूल) तुम तो (अपनी) आवाज़ न मुर्दो ही को सुना सकते हो और न बहरों को सुना सकते हो (ख़ुसूसन) जब वह पीठ फेरकर चले जाएँ। - व मा अन्-त बिहादिल्-अुम्यि अ़न् ज़ला – लतिहिम्, इन् तुस्मिअु इल्ला मंय्युअ्मिनु बिआयातिना फ़हुम् मुस्लिमून*
और न तुम अंधों को उनकी गुमराही से (फेरकर) राह पर ला सकते हो तो तुम तो बस उन्हीं लोगों को सुना (समझा) सकते हो जो हमारी आयतों को दिल से मानें फिर यही लोग इस्लाम लाने वाले हैं। - अल्लाहुल्लज़ी ख़-ल-क़कुम् मिन् जुअ्फिन् सुम्-म ज-अ़-ल मिम्बअ्दि जुअ्फिन् कुव्वतन् सुम्-म ज-अ़-ल मिम्-बअ्दि कुव्वतिन् जुअ्फ़ंव-व शै-बतन्, यख़्लुकु मा यशा-उ व हुवल् – अ़लीमुल्क़दीर
अल्लाह ही तो है जिसने तुम्हें (एक निहायत) कमज़ोर चीज़ (नुत्फे) से पैदा किया फिर उसी ने (तुम में) बचपने की कमज़ोरी के बाद (शबाब की) क़ूवत अता की फिर उसी ने (तुममें जवानी की) क़ूवत के बाद कमज़ोरी और बुढ़ापा पैदा कर दिया वह जो चाहता पैदा करता है-और वही बड़ा वाक़िफ़कार और (हर चीज़ पर) क़ाबू रखता है। - व यौ-म तकूमुस्सा- अ़तु युक्सिमुल् मुज्रिमू – न मा लबिसू ग़ै-र सा- अ़तिन्, कज़ालि-क कानू युअफ़कून
और जिस दिन क़यामत बरपा होगी तो गुनाहगार लोग कसमें खाएँगें कि वह (दुनिया में) घड़ी भर से ज़्यादा नहीं ठहरे यूँ ही लोग (दुनिया में भी) इफ़तेरा परदाजि़याँ करते रहे। - व कालल्लज़ी – न ऊतुल अिल्-म वल-ईमा-न ल-क़द् लबिस्तुम् फ़ी किताबिल्लाहि इला यौमिल् – बअ्सि फ़- हाज़ा यौमुल् -बअ्सि व लाकिन्नकुम् कुन्तुम् ला तअ्लमून
और जिन लोगों को (अल्लाह की बारगाह से) इल्म और ईमान दिया गया है जवाब देगें कि (हाए) तुम तो अल्लाह की किताब के मुताबिक़ रोज़े क़यामत तक (बराबर) ठहरे रहे फिर ये तो क़यामत का ही दिन है मगर तुम लोग तो उसका यक़ीन ही न रखते थे। - फ़यौमइज़िल् – ला यन्फअुल्लज़ी-न ज़-लमू मअ्ज़ि – रतुहुम् व ला हुम् युस्तअ्-तबून
तो उस दिन सरकश लोगों को न उनकी उज्र माअज़ेरत कुछ काम आएगी और न उनकी सुनवाई होगी। - व ल-कद् ज़रब्ना लिन्नासि फी हाज़ल्-कुरआनि मिन् कुल्लि म-सलिन्, व ल-इन् जिअ्-तहुम् बिआयातिल् ल-यकूलन्नल्लज़ी-न क-फ़रू इन् अन्तुम् इल्ला मुब्तिलून
और हमने तो इस कु़रआन में (लोगों के समझाने को) हर तरह की मिसाल बयान कर दी और अगर तुम उनके पास कोई सा मौजिज़ा ले आओ। - कज़ालि-क यत्बअुल्लाहु अ़ला कुलूबिल्लज़ी-न ला यअ्लमून
तो भी यक़ीनन कुफ़्फ़ार यही बोल उठेंगे कि तुम लोग निरे दग़ाबाज़ हो जो लोग समझ (और इल्म) नहीं रखते उनके दिलों पर नज़र करके अल्लाह यूँ तसदीक़ करता है (कि ये ईमान न लाएँगें)। - फ़स्बिर् इन्-न वअ्दल्लाहि हक़्कुंव् – व ला यस्तखिफ्फन्नकल्लज़ी-न ला यूक़िनून*
तो (ऐ रसूल) तुम सब्र करो बेशक अल्लाह का वायदा सच्चा है और (कहीं) ऐसा न हो कि जो (तुम्हारी) तसदीक़ नहीं करते तुम्हें (बहका कर) ख़फ़ीफ़ करे दें।
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