37 सूरह अस साफ़्फ़ात हिंदी में पेज 2

सूरह अस साफ़्फ़ात हिंदी में | Surat As-Saffaat in Hindi

  1. बल् हुमुल्-यौ-म मुस्तस्लिमून
    (जवाब क्या देंगे) बल्कि वह तो आज गर्दन झुकाए हुए हैं।
  2. व अक़्ब-ल बअ्ज़ुहुम् अ़ला बअ्ज़िंय्-य-तसा-अलून
    और एक दूसरे की तरफ मुतावज्जे होकर बाहम पूछताछ करेंगे।
  3. क़ालू इन्नकुम् कुन्तुम् तअ्तु-नना अ़निल्-यमीन
    (और इन्सान शयातीन से) कहेंगे कि तुम ही तो हमारी दाहिनी तरफ से (हमें बहकाने को) चढ़ आते थे।
  4. क़ालू बल्-लम् तकूनू मुअ्मिनीन
    वह जवाब देगें (हम क्या जानें) तुम तो खु़द ईमान लाने वाले न थे।
  5. व मा का-न लना अ़लैकुम् मिन् सुल्तानिन् बल् कुन्तुम् क़ौमन् ताग़ीन
    और (साफ़ तो ये है कि) हमारी तुम पर कुछ हुकूमत तो थी नहीं बल्कि तुम खु़द सरकश लोग थे।
  6. फ़-हक़् क़ अ़लैना क़ौलु रब्बिना इन्ना लज़ा-इक़ून
    फिर अब तो लोगों पर हमारे परवरदिगार का (अज़ाब का) क़ौल पूरा हो गया कि अब हम सब यक़ीनन अज़ाब का मज़ा चखेंगे।
  7. फ़-अ़ग्वैनाकुम् इन्ना कुन्ना ग़ावीन
    हम खु़द गुमराह थे तो तुम को भी गुमराह किया।
  8. फ़-इन्नहुम् यौमइज़िन् फ़िल्-अ़ज़ाबि मुश्तरिकून
    ग़रज़ ये लोग सब के सब उस दिन अज़ाब में शरीक होगें।
  9. इन्ना कज़ालि-क नफ़्अ़लु बिल्-मुज्रिमीन
    और हम तो गुनाहगारों के साथ यूँ ही किया करते हैं ये लोग ऐसे (शरीर) थे।
  10. इन्नहुम् कानू इज़ा क़ी-ल लहुम् ला इला-ह इल्लल्लाहु यस्तक्बिरून
    कि जब उनसे कहा जाता था कि अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं तो अकड़ा करते थे।
  11. व यक़ूलू-न अ-इन्ना लतारिकू आलि-हतिना लिशाअिरिम्-मज्नून
    और ये लोग कहते थे कि क्या एक पागल शायर के लिए हम अपने माबूदों को छोड़ बैठें (अरे कम्बख्तों ये शायर या पागल नहीं)।
  12. व यक़ूलू-न अ-इन्ना लतारिकू आलि-हतिना लिशाअिरिम्-मज्नून
    बल्कि ये तो हक़ बात लेकर आया है और (अगले) पैग़म्बरों की तसदीक़ करता है।
  13. इन्नकुम् लज़ा-इक़ुल् अ़ज़ाबिल्-अलीम
    तुम लोग (अगर न मानोगे) तो ज़रूर दर्दनाक अज़ाब का मज़ा चखोगे।
  14. व मा तुज्ज़ौ-न इल्ला मा कुन्तुम् तअ्मलून
    और तुम्हें तो उसके किये का बदला दिया जाएगा जो (जो दुनिया में) करते रहे।
  15. इल्ला अिबादल्लाहिल्-मुख़्लसीन
    मगर अल्लाह के बरगुजीदा बन्दे।
  16. इल्ला अिबादल्लाहिल्-मुख़्लसीन
    उनके वास्ते (बहिश्त में) एक मुक़र्रर रोज़ी होगी।
  17. फ़वाकिहु व हुम् मुक्रमून
    (और वह भी ऐसी वैसी नहीं) हर कि़स्म के मेवे।
  18. फ़ी जन्नातिन्-नईम
    और वह लोग बड़ी इज़्ज़त से नेअमत के (लदे हुए)।
  19. अ़ला सुरुरिम् मु-तक़ाबिलीन
    बाग़ों में तख़्तों पर (चैन से) आमने सामने बैठे होगे।
  20. युताफ़ु अ़लैहिम् बिकअ्सिम् मिम्-मईन
    उनमें साफ सफेद बुर्राक़ शराब के जाम का दौर चल रहा होगा।
  21. बैज़ा-अ लज़्ज़तिल्-लिश्शारिबीन
    जो पीने वालों को बड़ा मज़ा देगी।
  22. ला फ़ीहा ग़ौलुंव्-व ला हुम् अ़न्हा युन्ज़फ़ून
    (और फिर) न उस शराब में ख़ु़मार की वजह से) दर्द सर होगा और न वह उस (के पीने) से मतवाले होंगे।
  23. व अिन्-दहुम् क़ासिरातुत्-तर्-फ़ि ईन
    और उनके पहलू में (शर्म से) नीची निगाहें करने वाली बड़ी बड़ी आँखों वाली परियाँ होगी।
  24. क- अन्नहुन्-न बैज़ुम्-मक्नून
    (उनकी) गोरी-गोरी रंगतों में हल्की सी सुर्खी ऐसी झलकती होगी।
  25. फ़-अक़्ब-ल बअ्ज़ुहुम् अ़ला बअ्ज़िंय्-य-तसा-अलून
    गोया वह अन्डे हैं जो छिपाए हुए रखे हो।

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