37 सूरह अस साफ़्फ़ात हिंदी में पेज 4

सूरह अस साफ़्फ़ात हिंदी में | Surat As-Saffaat in Hindi

  1. व नज्जैनाहु व अह्लहू मिनल कर्बिल्-अ़ज़ीम
    और हमने उनको और उनके लड़के वालों को बड़ी (सख़्त) मुसीबत से नजात दी।
  2. व जअ़ल्ना ज़ुर्रिय्य-तहू हुमुल्-बाक़ीन
    और हमने (उनमें वह बरकत दी कि) उनकी औलाद को (दुनिया में) बरक़रार रखा।
  3. व तरक्ना अ़लैहि फ़िल्-आ़ख़िरीन
    और बाद को आने वाले लोगों में उनका अच्छा चर्चा बाक़ी रखा।
  4. सलामुन् अ़ला नूहिन् फ़िल्-आ़लमीन
    कि सारी खु़दायी में (हर तरफ से) नूह पर सलाम है।
  5. इन्ना कज़ालि-क नज्ज़िल-मुह्सिनीन
    हम नेकी करने वालों को यूँ जज़ाए ख़ैर अता फरमाते हैं।
  6. इन्नहू मिन् अिबादिनल्-मुअ्मिनीन
    इसमें शक नहीं कि नूह हमारे (ख़ास) ईमानदार बन्दों से थे।
  7. सुम्-म अ़ग़्रक़्नल्-आ-ख़रीन
    फिर हमने बाक़ी लोगों को डुबो दिया।
  8. व इन्-न मिन् शी-अ़तिही ल-इब्राहीम
    और यक़ीनन उन्हीं के तरीक़ो पर चलने वालों में इब्राहीम (भी) ज़रूर थे।
  9. इज़् जा-अ रब्बहू बिक़ल्बिन् सलीम
    जब वह अपने परवरदिगार (कि इबादत) की तरफ (पहलू में) ऐसा दिल लिए हुए बढ़े जो हर ऐब से पाक था।
  10. इज़् क़ा-ल लि-अबीहि व क़ौमिही माज़ा तअ्बुदून
    जब उन्होंने अपने (मुँह बोले) बाप और अपनी क़ौम से कहा कि तुम लोग किस चीज़ की परसतिश करते हो।
  11. अ-इफ़्कन् आलि-हतन् दूनल्लाहि तुरीदून
    क्या अल्लाह को छोड़कर दिल से गढ़े हुए माबूदों की तमन्ना रखते हो।
  12. फ़मा ज़न्नुकुम् बिरब्बिल-आ़लमीन
    फिर सारी खु़दाई के पालने वाले के साथ तुम्हारा क्या ख़्याल है।
  13. फ़-न-ज़-र नज़्र-तन् फ़िन्नुजूम
    फिर (एक ईद में उन लोगों ने चलने को कहा) तो इब्राहीम ने सितारों की तरफ़ एक नज़र देखा।
  14. फ़क़ा-ल इन्नी सक़ीम
    और कहा कि मैं (अनक़रीब) बीमार पड़ने वाला हूँ।
  15. फ़-तवल्लौ अ़न्हु मुद्बिरीन
    तो वह लोग इब्राहीम के पास से पीठ फेर फेर कर हट गए।
  16. फ़रा-ग़ इला आलि-हतिहिम् फ़क़ा-ल अला तअ्कुलून
    (बस) फिर तो इब्राहीम चुपके से उनके बुतों की तरफ मुतावज्जे हुए और (तान से) कहा तुम्हारे सामने इतने चढ़ाव रखते हैं।
  17. मा लकुम् ला तन्तिक़ून
    आखि़र तुम खाते क्यों नहीं (अरे तुम्हें क्या हो गया है)।
  18. फ़रा-ग़ अ़लैहिम् ज़र्बम्-बिल्यमीन
    कि तुम बोलते तक नहीं।
  19. फ़-अक़्बलू इलैहि यज़िफ़्फ़ून
    फिर तो इब्राहीम दाहिने हाथ से मारते हुए उन पर पिल पड़े (और तोड़-फोड़ कर एक बड़े बुत के गले में कुल्हाड़ी डाल दी)।
  20. क़ा-ल अ-तअ्बुदू-न मा तन्हितून
    जब उन लोगों को ख़बर हुयी तो इब्राहीम के पास दौड़ते हुए पहुँचे।
  21. वल्लाहु ख़-ल-क़कुम् व मा तअ्मलून
    इब्राहीम ने कहा (अफ़सोस) तुम लोग उसकी परसतिश करते हो जिसे तुम लोग खु़द तराश कर बनाते हो।
  22. क़ालुब्नू लहू बुन्यानन् फ़-अल्क़ूहु फ़िल्-जहीम
    हालाँकि तुमको और जिसको तुम लोग बनाते हो (सबको) अल्लाह ही ने पैदा किया है (ये सुनकर) वह लोग (आपस में कहने लगे) इसके लिए (भट्टी की सी) एक इमारत बनाओ।
  23. फ़-अरादू बिही कैदन् फ़-जअ़ल्नाहुमुल्-अस्-फ़लीन
    और (उसमें आग सुलगा कर उसी दहकती हुयी आग में इसको डाल दो) फिर उन लोगों ने इब्राहीम के साथ मक्कारी करनी चाही।
  24. व क़ा-ल इन्नी ज़ाहिबुन् इला रब्बी स-यह्दीन
    तो हमने (आग सर्द गुलज़ार करके) उन्हें नीचा दिखाया और जब (आज़र ने) इब्राहीम को निकाल दिया तो बोले मैं अपने परवरदिगार की तरफ जाता हूँ।
  25. व क़ा-ल इन्नी ज़ाहिबुन् इला रब्बी स-यह्दीन
    वह अनक़रीब ही मुझे रूबरा कर देगा (फिर ग़रज की) परवरदिगार मुझे एक नेको कार (फरज़न्द) इनायत फरमा।

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