37 सूरह अस साफ़्फ़ात हिंदी में पेज 3

सूरह अस साफ़्फ़ात हिंदी में | Surat As-Saffaat in Hindi

  1. क़ा-ल क़ाइलुम्-मिन्हुम् इन्नी का-न ली क़रीन
    फिर एक दूसरे की तरफ मुतावज्जे पाकर बाहम बातचीत करते करते उनमें से एक कहने वाला बोल उठेगा कि (दुनिया में) मेरा एक दोस्त था।
  2. यक़ूलु अ-इन्न-क लमिनल्-मुसद्दिक़ीन
    और (मुझसे) कहा करता था कि क्या तुम भी क़यामत की तसदीक़ करने वालों में हो।
  3. अ-इज़ा मित्ना व कुन्ना तुराबंव्-व अिज़ामन् अ-इन्ना ल-मदीनून
    (भला जब हम मर जाएँगे) और (सड़ गल कर) मिट्टी और हड्डी (होकर) रह जाएँगे तो क्या हमको दोबारा जि़न्दा करके हमारे (आमाल का) बदला दिया जाएगा।
  4. क़ा-ल हल् अन्तुम् मुत्तलिअून
    (फिर अपने बेहश्त के साथियों से कहेगा)।
  5. फ़त्त-ल-अ़ फ़-रआहु फ़ी सवाइल्-जहीम
    तो क्या तुम लोग भी (मेरे साथ उसे झांक कर देखोगे) ग़रज़ झाँका तो उसे बीच जहन्नुम में (पड़ा हुआ) देखा।
  6. का-ल तल्लाहि इन् कित्-त ल-तुर्दीन
    (ये देख कर बेसाख्त) बोल उठेगा कि अल्लाह की क़सम तुम तो मुझे भी तबाह करने ही को थे।
  7. व लौ ला निअ्मतु रब्बी लकुन्तु मिनल-मुह्ज़रीन
    और अगर मेरे परवरदिगार का एहसान न होता तो मैं भी (इस वक़्त) तेरी तरह जहन्नुम में गिरफ़्तार किया गया होता।
  8. अ-फ़मा नह्नु बिमय्यितीन
    (अब बताओ) क्या (मैं तुम से न कहता था) कि हम को इस पहली मौत के सिवा फिर मरना नहीं है।
  9. इल्ला मौत-तनल्-ऊला व मा नह्नु बिमुअ़ज़्ज़बीन
    और न हम पर (आख़ेरत) में अज़ाब होगा।
  10. इन्-न हाज़ा ल-हुवल् फ़ौज़ुल्-अ़ज़ीम
    (तो तुम्हें यक़ीन न होता था) ये यक़ीनी बहुत बड़ी कामयाबी है।
  11. लिमिस्लि हाज़ा फ़ल्यअ्मलिल्-आ़मिलून
    ऐसी (ही कामयाबी) के वास्ते काम करने वालों को कारगुज़ारी करनी चाहिए।
  12. अ-ज़ालि-क ख़ैरुन् नुज़ुलन् अम् श-ज-रतुज़् ज़क़्कूम
    भला मेहमानी के वास्ते ये (सामान) बेहतर है या थोहड़ का दरख़्त (जो जहन्नुमियों के वास्ते होगा)।
  13. इन्ना जअ्ल्नाहा फ़ित्-नतल् लिज़्ज़ालिमीन
    जिसे हमने यक़ीनन ज़ालिमों की आज़माइश के लिए बनाया है।
  14. इन्नहा श-ज-रतुन् तख़्रुजु फ़ी अस्लिल्-ज़हीम
    ये वह दरख़्त हैं जो जहन्नुम की तह में उगता है।
  15. तल्अुहा क-अन्नहू रुऊसुश्-शयातीन
    उसके फल ऐसे (बदनुमा) हैं गोया (हू बहू) साँप के फन जिसे छूते दिल डरे।
  16. फ़-इन्नहुम् ल-आकिलू-न मिन्हा फ़-मालिऊ-न मिन्हल्-बुतून
    फिर ये (जहन्नुमी लोग) यक़ीनन उसमें से खाएँगे फिर उसी से अपने पेट भरेंगे।
  17. फ़-इन्नहुम् ल-आकिलू-न मिन्हा फ़-मालिऊ-न मिन्हल्-बुतून
    फिर उसके ऊपर से उन को खू़ब खौलता हुआ पानी (पीप वग़ैरह में) मिला मिलाकर पीने को दिया जाएगा।
  18. सुम्-म इन्-न मर्जि-अ़हुम् ल-इलल्-जहीम
    फिर (खा पीकर) उनको जहन्नुम की तरफ यक़ीनन लौट जाना होगा।
  19. इन्नहुम् अल्फ़ौ आबा-अहुम् ज़ाल्लीन
    उन लोगों ने अपन बाप दादा को गुमराह पाया था।
  20. फ़हुम् अ़ला आसारिहिम् युह्रअून
    ये लोग भी उनके पीछे दौड़े चले जा रहे हैं।
  21. व ल-क़दू ज़ल्-ल क़ब्लहुम् अक्सरुल्-अव्वलीन
    और उनके क़ब्ल अगलों में से बहुतेरे गुमराह हो चुके।
  22. व ल-क़द् अर्सल्ना फ़ीहिम् मुन्ज़िरीन
    उन लोगों के डराने वाले (पैग़म्बरों) को भेजा था।
  23. फ़न्ज़ुर् कै-फ़ का-न आ़क़ि-बतुल्- मुन्ज़रीन
    ज़रा देखो तो कि जो लोग डराए जा चुके थे उनका क्या बुरा अन्जाम हुआ।
  24. इल्ला अिबादल्लाहिल्-मुख़्लसीन
    मगर (हाँ) अल्लाह के निरे खरे बन्दे (महफूज़ रहे)।
  25. व ल-क़द् नादाना नूहुन् फ़-लनिअ्मल्-मुजीबून
    और नूह ने (अपनी कौ़म से मायूस होकर) हमें ज़रूर पुकारा था (देखो हम) क्या खू़ब जवाब देने वाले थे।

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