37 सूरह अस साफ़्फ़ात हिंदी में पेज 7

सूरह अस साफ़्फ़ात हिंदी में | Surat As-Saffaat in Hindi

  1. अला इन्नहुम् मिन् इफ़्किहिम् ल-यक़ूलून
    ख़बरदार (याद रखो कि) ये लोग यक़ीनन अपने दिल से गढ़-गढ़ के कहते हैं कि अल्लाह औलाद वाला है।
  2. व-लदल्लाहु व इन्नहुम् ल-काज़िबून
    और ये लोग यक़ीनी झूठे हैं।
  3. अस्त-फ़ल्-बनाति अ़लल्-बनीन
    क्या अल्लाह ने (अपने लिए) बेटियों को बेटों पर तरजीह दी है।
  4. मा लकुम्, कै-फ़ तह्कुमून
    (अरे कम्बख्तों) तुम्हें क्या जुनून हो गया है तुम लोग (बैठे-बैठे) कैसा फैसला करते हो।
  5. अ-फ़ला तज़क्करून
    तो क्या तुम (इतना भी) ग़ौर नहीं करते।
  6. अम् लकुम् सुल्तानुम्-मुबीन
    या तुम्हारे पास (इसकी) कोई वाज़ेए व रौशन दलील है।
  7. फ़अ्तू बिकिताबिकुम् इन् कुन्तुम् सादिक़ीन
    तो अगर तुम (अपने दावे में) सच्चे हो तो अपनी किताब पेश करो।
  8. व ज-अ़लू बैनहू व बैनल्-जिन्नति न-सबन्, व ल-क़द् अ़लि-मतिल्-जिन्नतु इन्नहुम् ल-मुह्ज़रून
    और उन लोगों ने अल्लाह और जिन्नात के दरम्यिान रिश्ता नाता मुक़र्रर किया है हालाँकि जिन्नात बखू़बी जानते हैं कि वह लोग यक़ीनी (क़यामत में बन्दों की तरह) हाजि़र किए जाएँगे।
  9. सुब्हानल्लाहि अ़म्मा यसिफ़ून
    ये लोग जो बातें बनाया करते हैं इनसे अल्लाह पाक साफ़ है।
  10. इल्ला अिबादल्लाहिल्- मुख़्लसीन
    मगर अल्लाह के निरे खरे बन्दे (ऐसा नहीं कहते)।
  11. फ़-इन्नकुम् व मा तअ्बुदून
    ग़रज़ तुम लोग खु़द और तुम्हारे माबूद।
  12. मा अन्तुम् अ़लैहि बिफ़ातिनीन
    उसके खि़लाफ (किसी को) बहका नहीं सकते।
  13. इल्ला मन् हु-व सालिल्-जहीम
    मगर उसको जो जहन्नुम में झोंका जाने वाला है।
  14. व मा मिन्ना इल्ला लहू मक़ामुम् मअ्लूम
    और फरिश्ते या आइम्मा तो ये कहते हैं कि मैं हर एक का एक दरजा मुक़र्रर है।
  15. व इन्ना ल-नह्नुस्-साफ़्फ़ून
    और हम तो यक़ीनन (उसकी इबादत के लिए) सफ बाँधे खड़े रहते हैं।
  16. व इन्ना ल-नह्नुल्-मुसब्बिहून
    और हम तो यक़ीनी (उसकी) तस्बीह पढ़ा करते हैं।
  17. व इन् कानू ल-यक़ूलून
    अगरचे ये कुफ्फार (इस्लाम के क़ब्ल) कहा करते थे।
  18. लौ अन्-न अिन्-दना ज़िक्रम् मिनल्-अव्वलीन
    कि अगर हमारे पास भी अगले लोगों का तज़किरा (किसी किताबे अल्लाह में) होता।
  19. लकुन्ना अिबादल्लाहिल्-मुख़्लसीन
    तो हम भी अल्लाह के निरे खरे बन्दे ज़रूर हो जाते।
  20. फ़-क-फ़रू बिही फ़सौ-फ़ यअ्लमून
    (मगर जब किताब आयी) तो उन लोगों ने उससे इन्कार किया ख़ैर अनक़रीब (उसका नतीजा) उन्हें मालूम हो जाएगा।
  21. व ल-क़द् स-बक़त् कलि-मतुना लिअिबादिनल्-मुर्सलीन
    और अपने ख़ास बन्दों पैग़म्बरों से हमारी बात पक्की हो चुकी है।
  22. इन्नहुम् लहुमुल्-मन्सूरून
    कि इन लोगों की (हमारी बारगाह से) यक़ीनी मदद की जाएगी।
  23. व इन्-न जुन्दना लहुमुल्-ग़ालिबून
    और हमारा लश्कर तो यक़ीनन ग़ालिब रहेगा।
  24. फ़-तवल्-ल अ़न्हुम् हत्ता हीन
    तो (ऐ रसूल) तुम उनसे एक ख़ास वक़्त तक मुँह फेरे रहो।
  25. व अब्सिर्हुम् फ़सौ-फ़ युब्सिरून
    और इनको देखते रहो तो ये लोग अनक़रीब ही (अपना नतीजा) देख लेगे।
  26. अ-फ़ बि-अ़ज़ाबिना यस्तअ्जिलून
    तो क्या ये लोग हमारे अज़ाब की जल्दी कर रहे हैं।
  27. फ़-इज़ा न-ज़-ल बिसा-हतिहिम् फ़सा-अ सबाहुल्-मुन्ज़रीन
    फिर जब (अज़ाब) उनकी अंगनाई में उतर पडे़गा तो जो लोग डराए जा चुके हैं उनकी भी क्या बुरी सुबह होगी।
  28. व तवल्-ल अ़न्हुम् हत्ता हीन
    और उन लोगों से एक ख़ास वक़्त तक मुँह फेरे रहो।
  29. व अब्सिर फ़सौ-फ़ युब्सिरून
    और देखते रहो ये लोग तो खु़द अनक़रीब ही अपना अन्जाम देख लेगें।
  30. सुब्हा-न रब्बि-क रब्बिल्-अिज़्ज़ति अ़म्मा यसिफ़ून
    ये लोग जो बातें (अल्लाह के बारे में) बनाया करते हैं उनसे तुम्हारा परवरदिगार इज़्ज़त का मालिक पाक साफ है।
  31. व सलामुन् अ़लल्-मुर्सलीन
    और पैग़म्बरों पर (दुरूद) सलाम हो।
  32. वल्हम्दु लिल्लाहि रब्बिल्-आ़लमीन
    और कुल तारीफ अल्लाह ही के लिए सज़ावार हैं जो सारे जहाँन का पालने वाला है।

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